उत्तरी वियतनाम में वैज्ञानिकों ने लगभग 12,000 वर्ष पुराना एक मानव कंकाल खोजा है, जो हिम युग के अंतिम चरण का है। यह कंकाल करीब 35 वर्षीय पुरुष का है, जिसे गर्दन पर क्वार्ट्ज नोक वाले प्रक्षेप्य से चोट लगी थी, जिससे उसकी एक असामान्य अतिरिक्त पसली टूट गई। यह चोट तत्काल घातक नहीं थी, लेकिन पसली पर संक्रमण के निशान बताते हैं कि वह कई महीनों तक जीवित रहा और अंततः जटिलताओं के कारण उसकी मृत्यु हुई।

2017 में मिला था कंकाल:
शोधकर्ताओं को दिसंबर 2017 में वियतनाम की थुंग बिन्ह 1 गुफा से एक महत्वपूर्ण कंकाल मिला, जिसे उन्होंने “TBH1” नाम दिया। इस कंकाल की खोपड़ी टूटी और चपटी हुई थी, लेकिन इसके अधिकांश हिस्से बरकरार थे, जिनमें उस व्यक्ति के सभी दांत भी शामिल थे। इसके अलावा, श्रोणि और कशेरुकाएँ भी खंडित हालत में मिलीं। TBH1 के हड्डीदार अवशेषों की खोज एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने 2018 तक जारी रखी, क्योंकि गुफा में खराब परिस्थितियों और अवशेषों के अत्यधिक टूटने के कारण कार्य में कठिनाई आई।
थुंग बिन्ह 1 गुफा के बारे में:
थुंग बिन्ह 1 गुफा वियतनाम के निन्ह बिन्ह प्रांत में स्थित ट्रांग एन लैंडस्केप कॉम्प्लेक्स का हिस्सा है, जिसे 2014 में यूनेस्को ने सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोनों दृष्टिकोण से विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। यह क्षेत्र चूना पत्थर के पहाड़ों, घुमावदार नदियों और कई ऊंचाईयों पर फैली गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ 30,000 वर्षों से अधिक समय की मानव गतिविधि के पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं, जो इस स्थान के ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व को दर्शाते हैं।
वैज्ञानिकों ने इस कंकाल की उम्र का पता कैसे लगाया?
वैज्ञानिकों ने कंकाल की उम्र सीधे हड्डियों से नहीं पता लगा पाई, क्योंकि उनमें पर्याप्त कोलेजन नहीं था। इसके बजाय, उन्होंने कब्र के पास मिले चारकोल (कोयले) के नमूनों की रेडियोकार्बन डेटिंग की। इस प्रक्रिया से यह अनुमान लगाया गया कि कंकाल लगभग 12,000 से 12,500 साल पुराना है।
मौत का कारण:
शोधकर्ताओं के अनुसार, इस व्यक्ति की मौत गर्दन में क्वार्ट्ज़ की नोक से लगी गंभीर चोट के कारण हुई थी। यह नोक किसी प्राचीन हथियार या प्रक्षेप्य का हिस्सा थी, जो उसके शरीर में धँस गई थी। चोट इतनी गहरी थी कि वह हफ्तों या महीनों तक उस घाव के साथ ज़िंदा रहा, लेकिन घाव भर नहीं पाया और शायद संक्रमण के कारण अंततः उसकी मौत हो गई, कंकाल विश्लेषण से यह भी पता चला है कि उसके टखने में मामूली चोट थी, लेकिन मृत्यु का कारण गर्दन में क्वार्ट्ज़ की नोक से लगी गंभीर चोट ही बताई गयी।
क्वार्ट्ज तीर की खोज: प्राचीन काल का रहस्यमयी अस्त्र
प्राचीन तीर का रहस्यमयी स्रोत बहुत ही रोचक है। यह क्वार्ट्ज तीर सामान्य तीरों से अलग है, क्योंकि क्वार्ट्ज एक चमकदार और दुर्लभ पत्थर है, जिसका उस समय उपयोग बहुत कम होता था। इसका मिलना दर्शाता है कि यह तीर किसी दूरस्थ स्रोत से आया हो सकता है और इस बात का संकेत देता है कि उस समय लोग लंबी दूरी तक व्यापार करते थे। वहीं, यह भी संभव है कि इसे किसी विशेष उद्देश्य के लिए बनाया गया हो। ऐसे दुर्लभ उपकरणों का मिलना न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि शोधकर्ताओं को उस युग के जीवन और तकनीकी ज्ञान के बारे में नई जानकारियाँ भी प्रदान करता है।
वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण:
वैज्ञानिकों के लिए यह खुदाई बेहद चुनौतीपूर्ण रही। टीम ने धीरे-धीरे खुदाई करते हुए जब खोपड़ी तक पहुँचा, तो पाया कि पिछले 12,000 वर्षों में किसी समय चट्टान गिरने से वह खोपड़ी चपटी हो चुकी थी। खोपड़ी को टुकड़ों में निकालना मुश्किल था, इसलिए टीम ने उसके चारों ओर और नीचे की तलछट समेत एक बड़े ब्लॉक के रूप में उसे निकाला। कंकाल का बाकी हिस्सा अगले वर्ष तक धीरे-धीरे निकाला गया।
शोध के प्रमुख क्रिस्टोफर स्टिम्पसन ने इसे अपनी अब तक की सबसे कठिन खुदाई बताया, हालांकि गुफा आकार में छोटी और अपेक्षाकृत आरामदायक थी।
प्रयोगशाला में, डॉ. एलेक्स विल्शॉ के नेतृत्व में एक टीम ने महीनों तक मेहनत करके तलछट से हड्डियाँ अलग कीं और अंततः खोपड़ी सहित शरीर के अधिकांश हिस्से को फिर से जोड़ने में सफलता पाई। इस कठिन परिश्रम से उस व्यक्ति के जीवन और मृत्यु से जुड़ी कई अहम जानकारियाँ सामने आईं।
वैज्ञानिकों के आश्चर्यचकित होने के दो मुख्य कारण:
- कंकाल में एक अतिरिक्त ग्रीवा पसली (गर्दन की हड्डी) पाई गई, जो मनुष्यों में बहुत ही दुर्लभ होती है, और उसमें चोट के निशान भी थे, यह वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा आश्चर्य था।
- चोट लगी हड्डी के पास एक छोटा क्वार्ट्ज़ का टुकड़ा मिला, जिस पर इंसानी नक्काशी के निशान थे, लेकिन गुफा में ऐसे और कोई उपकरण नहीं थे, जिससे यह टुकड़ा किसी अनोखी और बाहर से आई तकनीक का हिस्सा माना गया.
शोधकर्ताओं के अनुमान और विश्लेषण
- शोधकर्ता मानव अवशेषों और तीर का गहन विश्लेषण कर रहे हैं।
- वे यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह तीर किस प्रकार से बनाया गया था।
- शोधकर्ता यह पता लगाने में भी जुटे हैं कि क्या तीर किसी विशेष प्रयोजन के लिए डिजाइन किया गया था।
- वे यह जानना चाहते हैं कि व्यक्ति की मृत्यु कैसे हुई, क्या यह शिकार, दुर्घटना, या आपसी झगड़े का परिणाम था।
- क्वार्ट्ज जैसे दुर्लभ पत्थर से बना यह तीर उस व्यक्ति के लिए कितना घातक साबित हुआ, इस पर भी अध्ययन किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
यह 12,000 साल पुराना कंकाल दक्षिण-पूर्व एशिया में मानव संघर्ष और जीवनशैली का अब तक का सबसे पुराना प्रमाण माना जा रहा है। क्वार्ट्ज़- तीर वाले हथियार से हुई मौत, दुर्लभ डीएनए और हड्डी की संरचना ने इसे बेहद खास बना दिया है। कठिन खुदाई और वैज्ञानिक विश्लेषण ने हमें हिमयुग के अंतिम दौर के मानव जीवन की अनमोल झलक दी है।