9 करोड़ रुपये के वीजा शुल्क को 20 राज्यों ने बताया गैर-कानूनी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र पर पड़ेगा भारी असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा शुरू किए गए गोल्ड कार्ड वीजा कार्यक्रम पर 1 मिलियन डॉलर (लगभग 9 करोड़ रुपये) का शुल्क लगाए जाने के बाद देशभर में विवाद खड़ा हो गया है। कैलिफोर्निया की अगुवाई में कुल 20 अमेरिकी राज्यों ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए अदालत में कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

 

इन राज्यों का स्पष्ट मत है कि यह शुल्क पूर्णतः कानून विरुद्ध है और इसके परिणामस्वरूप चिकित्सालयों, विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक सेवाओं में पहले से जारी चिकित्सकों-शिक्षकों की कमी और अधिक विकट हो जाएगी।

 

कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह वीजा चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, अभियंता, वैज्ञानिक और शिक्षक जैसे उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों के लिए निर्धारित है। जब विश्वभर की प्रतिभाएं अमेरिका में आती हैं, तो संपूर्ण राष्ट्र प्रगति करता है।

 

इस मुकदमे में कैलिफोर्निया के अतिरिक्त न्यूयॉर्क, इलिनॉय, वॉशिंगटन, मैसाचुसेट्स सहित देश के 20 प्रमुख राज्य सम्मिलित हैं।

20 states have declared the Rs 9 crore visa fee illegal

संसदीय स्वीकृति के बिना शुल्क वृद्धि को बताया अवैध

राज्य सरकारों का तर्क है कि पूर्व में H-1B वीजा का शुल्क 1,000 से 7,500 डॉलर (लगभग 1 से 6 लाख रुपये) के मध्य था, परंतु संसद की सहमति के बिना अचानक इतनी बड़ी वृद्धि करना कानूनी रूप से मान्य नहीं है।

 

इसके साथ ही, यह शुल्क वीजा प्रसंस्करण की वास्तविक लागत से सैकड़ों गुना अधिक है। राज्यों ने इसे प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम (APA) का उल्लंघन करार दिया है, क्योंकि बिना सार्वजनिक सूचना और जनमत के इतना महत्वपूर्ण नियम नहीं बनाया जा सकता।

 

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट

राज्यों का मानना है कि इस फैसले का सबसे गंभीर प्रभाव सरकारी और गैर-लाभकारी संगठनों पर होगा। शैक्षणिक संस्थान, विश्वविद्यालय और अस्पतालों को वीजा शुल्क में रियायत प्राप्त थी, लेकिन अब प्रत्येक विदेशी शिक्षक या चिकित्सक को लाने में 9 करोड़ रुपये का व्यय होगा। इस स्थिति में ये संस्थान या तो अपनी सेवाएं घटाएंगे या अन्य आवश्यक कार्यक्रमों से बजट में कटौती करेंगे।

 

अमेरिकी शिक्षा विभाग द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चालू वर्ष में अमेरिका के लगभग 75% जिला विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। विशेष रूप से विशेष शिक्षा, विज्ञान और द्विभाषी शिक्षण के क्षेत्र में यह समस्या अत्यंत गंभीर है।

 

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की बात करें तो 2024 में लगभग 17,000 वीजा चिकित्सकों और नर्सों को जारी किए गए थे। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2036 तक अमेरिका में 86,000 डॉक्टरों की कमी होगी, जो ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों में पहले से ही चिंताजनक स्तर पर है।

 

व्हाइट हाउस का पक्ष: अमेरिकी हितों की रक्षा

अमेरिकी प्रशासन वीजा शुल्क में की गई वृद्धि को न्यायसंगत बताता रहा है। व्हाइट हाउस का कहना है कि यह कदम वीजा कार्यक्रम के दुरुपयोग को रोकेगा और साथ ही अमेरिकी नागरिकों के वेतन और रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

 

दूसरी ओर, आलोचकों का मत है कि यह निर्णय अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक होगा। भारत जैसे देशों से आने वाले 70% से अधिक पेशेवरों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, कुशल पेशेवर अब कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या यूरोपीय देशों की ओर रुख कर सकते हैं।

 

इसके अलावा, ट्रम्प प्रशासन वीजा आवेदकों से उनके सोशल मीडिया खातों के पिछले पांच वर्षों का विवरण मांग रहा है, जिससे जांच प्रक्रिया और कठोर हो जाएगी। कुल मिलाकर, विदेशी कुशल कर्मचारियों के लिए अमेरिका में प्रवेश अब पहले की तुलना में कहीं अधिक महंगा और जटिल होने जा रहा है।

 

गोल्ड कार्ड आवेदन प्रक्रिया का आरंभ

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ करने की घोषणा की। व्यक्तिगत आवेदकों के लिए कार्ड का मूल्य 1 मिलियन डॉलर (करीब 9 करोड़ रुपये) है, जबकि कंपनियों को 2 मिलियन डॉलर (लगभग 18 करोड़ रुपये) का भुगतान करना होगा।

 

ट्रम्प ने इसी वर्ष फरवरी माह में ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा कार्यक्रम की घोषणा की थी। हालांकि, उस समय उन्होंने इसकी कीमत 5 मिलियन डॉलर (45 करोड़ रुपये) निर्धारित की थी, जिसे बाद में सितंबर में घटाकर 1 मिलियन डॉलर कर दिया गया।

 

ट्रम्प का दावा है कि यह कार्यक्रम “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे का अभिन्न हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शीर्ष प्रतिभाओं (जैसे भारत-चीन से शिक्षित छात्रों) को आकर्षित करना और कंपनियों को अमेरिका लाना है। होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने कहा कि यह विश्व के सफल उद्यमियों को आकर्षित करेगा।

 

तीन प्रकार के वीजा कार्ड

ट्रम्प ने गोल्ड कार्ड के अतिरिक्त तीन नए प्रकार के वीजा कार्ड भी लॉन्च किए हैं:

 

ट्रम्प गोल्ड कार्ड (9 करोड़ रुपये): यह धारक को अमेरिका में असीमित निवास का अधिकार प्रदान करेगा। नागरिकता के अलावा लगभग सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी, हालांकि पासपोर्ट और मतदान का अधिकार नहीं मिलेगा।

 

कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड (18 करोड़ रुपये): कंपनियां इसे अन्य कर्मचारियों को ट्रांसफर कर सकती हैं, जिससे दोबारा भुगतान की आवश्यकता नहीं होगी।

 

ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड (45 करोड़ रुपये): यह जल्द ही शुरू होगा और धारक बिना कर के 270 दिनों तक अमेरिका में रह सकेंगे। ट्रैवल वीजा की आवश्यकता नहीं होगी।

 

मौजूदा वीजा प्रणाली में बदलाव

कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक के अनुसार, यह गोल्ड कार्ड वर्तमान EB-1 और EB-2 वीजा का स्थान लेगा और ग्रीन कार्ड श्रेणियां बंद हो सकती हैं। EB-1 वीजा अमेरिका का एक स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) वीजा है, जबकि EB-2 वीजा उच्च शिक्षा (मास्टर्स या उससे ऊपर) योग्यता रखने वाले लोगों के लिए है।

 

ट्रम्प ने घोषणा की है कि इस धनराशि का उपयोग कर में कटौती और सरकारी ऋण चुकाने में किया जाएगा। उनका कहना है कि अब अमेरिका केवल प्रतिभाशाली लोगों को ही वीजा देगा, न कि ऐसे लोगों को जो अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां छीन सकते हैं।

 

निष्कर्ष:

यह विवाद अमेरिकी आप्रवासन नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। एक ओर जहां प्रशासन इसे राष्ट्रीय हित और राजस्व वृद्धि से जोड़ रहा है, वहीं राज्य सरकारें इसे महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए खतरा मान रही हैं। आने वाले समय में अदालत का फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा।