विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की नई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 अब तक के सबसे गर्म वर्षों में शामिल हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह वर्ष रिकॉर्ड पर दूसरा या तीसरा सबसे गर्म साल बनने की संभावना है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की नई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 अब तक के सबसे गर्म वर्षों में शामिल हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह वर्ष रिकॉर्ड पर दूसरा या तीसरा सबसे गर्म साल बनने की संभावना है।
“स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट अपडेट 2025” में कहा गया है कि वर्ष 2015 से 2025 के बीच के सभी 11 वर्ष पृथ्वी के इतिहास के सबसे गर्म वर्षों में से रहे हैं। जनवरी से अगस्त 2025 के बीच औसत वैश्विक तापमान औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर से 1.42 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
लगातार बढ़ रही है वैश्विक गर्मी
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2024 में ग्रीनहाउस गैसों और महासागरीय तापमान ने रिकॉर्ड स्तर को छुआ था। 2025 में यह दोनों संकेतक और अधिक बढ़ गए हैं। आर्कटिक क्षेत्र में सर्दियों के बाद समुद्री बर्फ का विस्तार अब तक का सबसे कम दर्ज किया गया, जबकि अंटार्कटिक क्षेत्र में बर्फ की मात्रा पूरे वर्ष सामान्य से काफी कम रही।
WMO के अनुसार, यह प्रवृत्ति जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को दर्शाती है, जो समुद्र स्तर में वृद्धि, पारिस्थितिक असंतुलन और अत्यधिक मौसम घटनाओं का कारण बन रही है।
बढ़ता समुद्र स्तर और पिघलते ग्लेशियर
समुद्र स्तर में वृद्धि की गति पिछले कुछ दशकों में लगभग दोगुनी हो गई है। 1993 से 2002 के बीच यह औसतन 2.1 मिलीमीटर प्रति वर्ष थी, जो 2016 से 2025 के बीच बढ़कर 4.1 मिलीमीटर प्रति वर्ष हो गई। यह वृद्धि महासागरों की गर्मी, बर्फ की परतों के पिघलने और ग्लेशियरों के क्षरण के कारण हो रही है।
वर्ष 2024 में समुद्र का औसत स्तर अब तक के सबसे ऊँचे स्तर पर दर्ज किया गया था। हालांकि 2025 की शुरुआत में इसमें मामूली गिरावट देखी गई, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल अस्थायी प्रभाव है।
ग्लेशियरों की बात करें तो, लगातार तीसरे वर्ष सभी प्रमुख ग्लेशियर क्षेत्रों में बर्फ की मात्रा में भारी कमी दर्ज की गई। विश्व ग्लेशियर निगरानी सेवा के अनुसार, वर्ष 2023–24 में लगभग 450 गीगाटन बर्फ पिघली, जिससे समुद्र का स्तर लगभग 1.2 मिलीमीटर बढ़ा।
ग्रीनहाउस गैसों में ऐतिहासिक वृद्धि
कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों का स्तर 2024 में अब तक के उच्चतम स्तर पर था और 2025 में इसमें और बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
2024 में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता 423.9 पार्ट्स प्रति मिलियन रही, जो औद्योगिक युग से पहले की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक है।
जलवायु आपदाओं से बढ़ा खतरा
2025 में दुनिया के कई हिस्सों में अत्यधिक मौसम घटनाओं का प्रभाव देखने को मिला। एशिया और अफ्रीका के कई देशों में बाढ़ और भारी वर्षा से तबाही हुई, जबकि यूरोप और उत्तरी अमेरिका में जंगल की आग और भीषण गर्मी ने गंभीर असर डाला। इन घटनाओं ने लाखों लोगों के जीवन, आजीविका और खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव डाला।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष जब तापमान 1.5 डिग्री से अधिक जाता है, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था, असमानता और पर्यावरण को स्थायी नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने सभी देशों से तेजी से और बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने की अपील की ताकि तापमान में वृद्धि को सीमित किया जा सके।
चेतावनी और समाधान
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि “अर्ली वार्निंग सिस्टम” यानी बहु-आपदा पूर्व चेतावनी प्रणालियों की कवरेज में सुधार हुआ है। 2015 में ऐसे सिस्टम केवल 56 देशों में थे, जो 2024 तक बढ़कर 119 हो गए हैं। इसके बावजूद दुनिया के 40 प्रतिशत देश अब भी इस सुविधा से वंचित हैं।
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विज्ञान-आधारित नीतियों, अक्षय ऊर्जा की योजना में जलवायु डाटा का उपयोग और वैश्विक सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
