MGNREGS बजट का 60% पहले पांच महीनों में ही खर्च, केंद्र सरकार की चिंता बढ़ी

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, महत्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के लिए 2025-26 के बजट का लगभग 60% खर्च हो चुका है, जबकि वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही खत्म होने में अभी एक महीना बाकी है। कुल ₹86,000 करोड़ के बजट में से ₹51,521 करोड़ अब तक खर्च हो चुके हैं।

सरकार ने वित्त मंत्रालय के निर्देशानुसार, योजना के वार्षिक आवंटन का 60% पहले छमाही में खर्च करने की सीमा तय की है। सितंबर के लिए योजना में केवल ₹79 करोड़ शेष रहेंगे। इस योजना पर 12.15 करोड़ सक्रिय श्रमिक निर्भर हैं, जो अपने परिवार की आय बढ़ाने के लिए इस पर आश्रित हैं।

 

लंबित देनदारियां और फंड आवंटन की चुनौती:

वर्तमान वित्त वर्ष में खर्च का लगभग 38% पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की लंबित देनदारियों को पूरा करने में गया। लोकसभा में 5 अगस्त को पूछे गए सवाल के जवाब में, मंत्रालय ने बताया कि 1 अप्रैल 2025 तक ₹17,259.56 करोड़ मजदूरी और ₹15,641 करोड़ सामग्री देनदारियां लंबित थीं। पिछले वर्ष की इसी अवधि में खर्च ₹61,829 करोड़ था, जिससे गंभीर वित्तीय अंतर पैदा हुआ।

 

अतिरिक्त फंड आवंटन के लिए अनुरोध:

सूत्रों के अनुसार, ग्रामीण विकास मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय से अतिरिक्त फंड आवंटन के लिए अनुरोध किया है, लेकिन अब तक कोई संकेत नहीं मिले हैं।

 

मनरेगा के खर्च पर सरकार का नया नियम:

हाल ही में केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिश्चित करने वाली महत्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) पर पहली बार खर्च सीमा की पाबंदी लगाई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में मनरेगा के तहत होने वाले खर्च को कुल वार्षिक आवंटन का 60% तक सीमित कर दिया गया है। अब तक यह योजना पूरी तरह मांग आधारित रही है और खर्च पर कोई रोक नहीं थी।

 

मनरेगा अब खर्च नियंत्रण प्रणाली का हिस्सा:

मनरेगा अब मंथली/क्वार्टरली एक्सपेंडिचर प्लान (MEP/QEP) के तहत लाया जाएगा, जो वित्त मंत्रालय की खर्च नियंत्रण प्रणाली का हिस्सा है। यह प्रणाली 2017 में मंत्रालयों के नकदी प्रवाह और उधारी पर नजर रखने के लिए शुरू की गई थी। मनरेगा अब तक इस व्यवस्था से बाहर थी, लेकिन नए आदेश के तहत अब इसके खर्च पर मासिक और त्रैमासिक नियंत्रण होगा।

 

बजट और संभावित प्रभाव: वित्तीय वर्ष 2025-26 में मनरेगा का कुल बजट ₹86,000 करोड़ रखा गया है। नई व्यवस्था के अनुसार पहली छमाही में केवल ₹51,600 करोड़ ही खर्च किए जा सकते हैं। इसके अलावा पिछले वर्ष की लंबित देनदारियां लगभग ₹21,000 करोड़ हैं।

योजना के तहत ग्रामीण सड़क निर्माण, सिंचाई, जल संरक्षण और अन्य कार्य कराए जाते हैं। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब ग्रामीणों के लिए 100 दिनों की रोजगार गारंटी को 150 दिन तक बढ़ाने और दैनिक मजदूरी ₹370 से ₹400 करने की मांग उठ रही है। कुछ राज्यों में यह पहले से ₹400 प्रतिदिन है।

 

आइए जानते है, MGNREGA के बारे में?

MGNREGA का पूरा नाम Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act, 2005 है। यह भारत सरकार द्वारा 2005 में पारित एक कानून है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण नागरिकों को रोजगार का अधिकार प्रदान करना है।

60% of the MGNREGS budget was spent in the first five months

मुख्य बातें:

  • इस कानून के तहत योग्य ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को कम से कम 100 दिन का असंगठित श्रम सुनिश्चित किया जाता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारना है।
  • MGNREGA के पीछे कई संगठनों और व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिनमें मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) और प्रसिद्ध विकास अर्थशास्त्री जीन ड्रेज़ शामिल हैं।
  • MKSS ने सरकार के सूखा राहत कार्यक्रमों में श्रमिकों को संगठित करने की पहल की, जिसने लंबे समय तक सक्रियता के लिए मार्ग प्रशस्त किया और अंततः MGNREGA के निर्माण में योगदान दिया।

 

MGNREGA के प्रमुख प्रावधान

  1. पात्रता:
  • आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • आवेदन के समय आयु 18 वर्ष या उससे अधिक हो।
  • आवेदक ग्रामीण परिवार का सदस्य होना चाहिए।
  • असंगठित (unskilled) कार्य करने के लिए इच्छुक होना आवश्यक है।
  1. रोजगार की गारंटी: MGNREGA योजना के तहत सभी इच्छुक ग्रामीण नागरिकों को कम से कम 100 दिन का असंगठित रोजगार सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन पर उपलब्ध कराया जाता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिश्चित करना और आय में स्थिरता लाना है।
  2. बेरोजगारी भत्ता: यदि आवेदक को 15 दिनों के भीतर काम नहीं मिलता, तो उसे बेरोजगारी भत्ता देने का अधिकार है। पहले 30 दिनों के लिए भत्ता न्यूनतम वेतन का 1/4 और उसके बाद का आधा (1/2) प्रदान किया जाता है।
  3. सामाजिक ऑडिट: MGNREGA की धारा 17 के तहत सभी कार्यों का सामाजिक ऑडिट अनिवार्य है। इसका उद्देश्य समुदाय की भागीदारी बढ़ाना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और सरकारी जवाबदेही को सुदृढ़ करना है।
  4. निवास के पास रोजगार का प्राथमिकता: आवेदकों को आमतौर पर गांव से 5 किमी के दायरे में काम प्रदान किया जाता है। यदि कार्य 5 किमी से अधिक दूर है, तो आवेदक को यात्रा भत्ता उपलब्ध कराया जाता है। इससे ग्रामीणों को नजदीकी क्षेत्रों में रोजगार मिल सके और आवागमन की कठिनाई कम हो।
  5. विकेंद्रीकृत योजना: MGNREGA के कार्यों की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी में पंचायती राज संस्थान (PRIs) की प्रमुख भूमिका होती है। ग्राम सभाओं (Gram Sabhas) को काम सुझाने और कार्यों की प्राथमिकताएं तय करने का अधिकार होता है। योजना के अनुसार, कम से कम आधे कार्यों को ग्राम सभा के मार्गदर्शन में पूरा करना अनिवार्य है। इस प्रणाली से स्थानीय समुदाय की भागीदारी बढ़ती है और कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
  6. कार्य की शर्तें और भुगतान: कार्य के दौरान उचित कार्य परिस्थितियों, चिकित्सा सुविधाओं और मुआवजे की व्यवस्था करना अनिवार्य है। भुगतान साप्ताहिक आधार पर किया जाता है और 15 दिनों से अधिक विलंब नहीं होना चाहिए। विलंब होने पर मुआवजा दिया जाता है। शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं और उन्हें 7 दिनों के भीतर निपटाना अनिवार्य है।

 

MGNREGA का महत्व:

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार: MGNREGA योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में वेतनमान रोजगार उपलब्ध कराना है, जिससे ग्रामीण नागरिकों की आय और जीवन स्तर में सुधार हो।
  2. आधारभूत ढांचा और प्राकृतिक संसाधन सुधार: योजना ने ग्रामीण गरीबों के इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्राकृतिक संसाधनों को सुदृढ़ किया है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके तहत पानी, स्वच्छता और आवास जैसी बुनियादी सेवाओं की पहुंच भी बेहतर हुई है।
  3. आय हानि की भरपाई: अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किए गए अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 लॉकडाउन के कारण हुई आय हानि का 20-80% MGNREGA के माध्यम से पूरा किया गया।
  4. शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास रोकना: योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध श्रम का उपयोग कर शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन को रोकना भी है।
  5. आजीविका और टिकाऊ संसाधन निर्माण: MGNREGA ग्रामीण गरीबों की आजीविका सुधारने के साथ कुएँ, तालाब, सड़कें और नहरें जैसी स्थायी संपत्ति बनाने में मदद करता है।
  6. अधिकार आधारित दृष्टिकोण: इस योजना की विशेषता यह है कि यह एक अधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाती है, जिससे नागरिकों को कानूनी रूप से काम करने का अधिकार प्राप्त होता है और यह लगातार गरीबी कम करने का उपाय है।
  7. पारदर्शिता और जवाबदेही: योजना में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उपाय शामिल हैं, जिससे कार्यों का सही क्रियान्वयन होता है।

 

निष्कर्ष:

MGNREGA के वर्तमान वित्तीय अंतराल और क्रियान्वयन की देरी ग्रामीण रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। लंबित देनदारियों और बजट की कमी के कारण योजना के तहत ग्रामीणों को वांछित रोजगार उपलब्ध कराने में बाधा आ रही है। साथ ही, निरीक्षण और ATR प्रक्रिया में धीमी प्रतिक्रिया से कार्यक्रम की पारदर्शिता और जवाबदेही प्रभावित हो रही है। यह स्पष्ट है कि ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन के उद्देश्य को पूर्ण रूप से हासिल करने के लिए समय पर बजट आवंटन, प्रभावी निगरानी और शीघ्र क्रियान्वयन आवश्यक है।