जयपुर के SMS हॉस्पिटल में आग लगने से 8 मरीजों की मौत: अस्पताल पर लापरवाही का आरोप, जांच समिति की गई गठित

राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात बड़ा हादसा हो गया। रात करीब 11:20 बजे न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर रूम में आग लग गई, जो तेजी से पूरे वार्ड में फैल गई। धुएं से अफरा-तफरी मच गई और मरीजों को बचाने की कोशिशों के बीच 8 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं। कई मरीजों की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है।

 

पुलिस के मुताबिक, आग लगने का असली कारण अभी साफ नहीं हुआ है, लेकिन शॉर्ट सर्किट होने की आशंका जताई जा रही है। जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ ने कहा, “पहली नज़र में यह शॉर्ट सर्किट का मामला लगता है, लेकिन सही कारण FSL(Forensic Science Laboratory) जांच के बाद ही पता चलेगा।”

8 patients died in a fire at SMS Hospital in Jaipur

210 मरीज थे भर्ती:

ट्रॉमा सेंटर में हादसे के वक्त 210 मरीज भर्ती थे, जिनमें से चार आईसीयू में 40 मरीज थे, ट्रॉमा आईसीयू में 11 और सेमी-आईसीयू में 13 मरीज थे। रात के समय प्रत्येक ICU में केवल एक स्टाफ सदस्य होता है जो इस घटना में भाग गया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने जांच के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया है।

 

जांच समिति बनाई गयी:

शिक्षा विभाग के आयुक्त इकबाल खान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जिसे इस घटना की जांच करने का काम सौंपा गया है।

यह समिति यह जांच करेगी कि आग कैसे लगी, आग लगने पर अस्पताल ने कैसे प्रतिक्रिया दी, ट्रॉमा सेंटर में अग्नि सुरक्षा व्यवस्था कैसी थी, मरीजों की सुरक्षा और बाहर निकालने का तरीका कैसा था, और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इसके बाद समिति अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

 

पीएम मोदी ने भी शोक व्यक्त किया

पीएम मोदी ने इस घटना में हुई जानमाल की हानि पर शोक व्यक्त किया तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

मरीज के परिजन बोले-किसी ने समय रहते ध्यान नहीं दिया:

मरीज के परिजनो ने बताया कि आग लगने से करीब 20 मिनट पहले ही वार्ड से धुआं निकलना शुरू हो गया था। उन्होंने स्टाफ को बताया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। रात 11:20 बजे तक धुआं बढ़ गया और प्लास्टिक की ट्यूबें पिघलकर गिरने लगीं।

एक अन्य रिश्तेदार जोगेंद्र सिंह ने स्टाफ की लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “मेरी मां ICU में भर्ती थीं। जब चिंगारी निकली, तो मैंने डॉक्टरों को चार-पांच बार बताया कि चिंगारी वहां से आ रही है, लेकिन उन्होंने इसे सामान्य मानकर टाल दिया।

ओम प्रकाश, जिनके 25 वर्षीय मौसी के बेटे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, ने इस घटना का वर्णन करते हुए कहा, “रात लगभग 11:20 बजे धुआँ फैलने लगा, और मैंने डॉक्टरों को आगाह किया कि इससे मरीज़ों को परेशानी हो सकती है। जब तक धुआँ बढ़ता, डॉक्टर और कंपाउंडर भाग चुके थे।

 

इस हादसे में इन आठ लोगों की हुई मौत:

  1. पिंटू (सीकर)
  2. दिलीप (जयपुर)
  3. सर्वेश (आगरा)
  4. रुकमणी (भरतपुर)
  5. कुशमा (भरतपुर)
  6. बहादुर (जयपुर)
  7. दिगंबर वर्मा (सवाई माधोपुर)
  8. श्रीनाथ (भरतपुर)

 

आग तेज़ी से फैलने के कारण:

इस घटना के बाद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, आग लगने के शुरुआती मिनटों में फायर अलार्म सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा था और ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने में भी देरी हुई। कर्मचारियों के पास पर्याप्त अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं थे, जिससे आग तेज़ी से फैल गई।

 

चिंगारी के पास सिलेंडर था: मरीज के रिश्तेदार

समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, एक मरीज के रिश्तेदार पूरन सिंह ने बताया, “जब चिंगारी लगी, उसके पास एक सिलेंडर रखा था। धुआँ पूरे ICU में फैल गया, जिससे सब लोग डरकर भाग गए। कुछ लोग अपने मरीजों को बचाने में सफल रहे, लेकिन मेरा मरीज कमरे में अकेला रह गया। जैसे ही गैस फैल गई, उन्होंने गेट बंद कर दिया।”

 

ICU के मरीज सड़क पर लेटे रहे:

ICU की दूसरी मंजिल में अचानक आग लग गई, जिससे अफरातफरी मच गई। धुआँ और लपटों के बीच मरीजों को उनके बिस्तरों समेत बाहर निकाला गया। परिजन अपने मरीजों को सड़क पर ले आए। हालत यह थी कि एसएमएस अस्पताल के बाहर सड़क पर मरीज बिस्तर पर लेटे रहे। वहां मौजूद लोगों ने कहा कि उन्होंने आज तक इतनी भयंकर आग नहीं देखी।

 

धरने पर बैठे परिजनों को पुलिस ने हटाया:

हादसे में मृतकों के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि उनके घरों पर पुलिस भेजी जा रही है और उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है। इस बीच अस्पताल में धरने पर बैठे और नारेबाजी कर रहे लोगों को पुलिस ने खदेड़ दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी अस्पताल आए और मरीजों से बात की।

 

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा पहुंचे घटनास्थल पर:

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को घटना की जानकारी मिलते ही वे देर रात अस्पताल पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने घायलों के इलाज के लिए तुरंत सभी ज़रूरी संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा, “यह बहुत दुखद और गंभीर घटना है। इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने चिकित्सा शिक्षा सचिव, पुलिस आयुक्त, कलेक्टर और SMS मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

मंत्रियों ने भी लिया जायजा:

संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने ट्रॉमा सेंटर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। मौके पर मौजूद मरीजों के परिजनों ने बताया कि आग लगने के समय अस्पताल का स्टाफ वहां से भाग गया था। उन्होंने यह भी कहा कि स्टाफ मरीजों की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा था।

 

राजस्थान में शॉर्ट सर्किट से कई मामले सामने आए है-

राजस्थान में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिनमें अस्पताल, घर, दुकान और फसलें प्रभावित हुई हैं।

कुछ प्रमुख मामले:

  • एसएमएस अस्पताल, जयपुर (अक्टूबर 2025): जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, जिसमें कम से कम 6 मरीजों की मौत हुई। उच्च-स्तरीय जांच का आदेश दिया गया है।
  • कोटा (सितंबर 2025): कोटा के एक अपार्टमेंट में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, जिसमें दो भाइयों की मौत हुई।
  • फसलों में आग (अप्रैल 2025): राज्य के कई हिस्सों में शॉर्ट सर्किट और आकाशीय बिजली गिरने से किसानों की तैयार फसलें जल गईं, जिससे भारी नुकसान हुआ।
  • जालौर (नवंबर 2024): जिले में एक एयर कंडीशनर में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, जिसमें एक मां और उसके दो बच्चों की मौत हुई।
  • चाकसू, जयपुर (दिसंबर 2024): किराने की दुकान में आग लगी, लाखों का सामान जलकर खाक हुआ।
  • भरतपुर और धौलपुर (मई 2024): शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने 9 परिवारों के घर जला दिए।

 

शॉर्ट सर्किट क्या है और कैसे होता है?

हर इलेक्ट्रिक डिवाइस या उपकरण के साथ उसका ऑपरेटिंग करंट लिखा होता है, जो एम्पियर में मापा जाता है। जब तारों में इस निर्धारित करंट से अधिक विद्युत प्रवाहित होने लगता है, तो तार गर्म होने लगते हैं। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह आग का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आपके गीजर का ऑपरेटिंग करंट 15 एम्पियर है और उसमें 16 एम्पियर का करंट चला जाए, तो शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ जाता है।

घर में शॉर्ट सर्किट का खतरा कहां रहता है:

  • मल्टीपल सॉकेट का इस्तेमाल: एक ही सॉकेट में कई उपकरण जोड़ने से लोड बढ़ता है और शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ जाता है।
  • पुरानी वायरिंग: अगर तार बहुत पुराने हैं या कट चुके हैं, तो तुरंत अच्छे क्वालिटी के तारों से रिप्लेस करें।
  • एसी का कनेक्शन: एसी को सामान्य स्विच से चलाना शॉर्ट सर्किट का कारण बन सकता है। एसी के लिए अलग एमसीबी स्विच का उपयोग करें।
  • अधूरी या कमजोर वायरिंग: खराब क्वालिटी के तार भी शॉर्ट सर्किट का कारण बन सकते हैं, इसलिए ब्रांडेड और उच्च गुणवत्ता वाले तार ही इस्तेमाल करें।
  • बेड के पास स्विच: आजकल बिस्तर के पास स्विच लगाने का चलन है, जिससे शॉर्ट सर्किट होने पर आग तुरंत कपड़ों के माध्यम से पूरे घर में फैल जाती है।

हालांकि अभी कन्फ़र्म नही हुआ है की अस्पताल मे आग किस माध्यम से लगी है, लेकिन आशंका लगाई जा रही है की शॉर्ट सर्किट के जरिये ही आग लगी है।

 

सवाई मान सिंह अस्पताल के बारे में:

सवाई मान सिंह अस्पताल जयपुर, राजस्थान का प्रमुख अस्पताल है। इसका निर्माण 1934 में शुरू हुआ था और इसका नाम जयपुर के राजा सवाई मान सिंह द्वितीय के नाम पर रखा गया है।

यह अस्पताल सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण भी देता है। पूरे राज्य से बहुत सारे मरीज और दुर्लभ बीमारियों वाले मरीज यहां आते हैं, इसलिए SMS अस्पताल पर हमेशा दबाव रहता है। यह कुछ सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में से एक है।

 

निष्कर्ष:

जयपुर के SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में यह हादसा अस्पताल सुरक्षा और आपात तैयारी की आवश्यकता को दिखाता है। 8 लोगों की मौत और कई मरीजों की गंभीर हालत इस बात को उजागर करती है कि समय पर बचाव और पर्याप्त स्टाफ कितनी जरूरी है। जांच समिति इस घटना के कारण और भविष्य में रोकथाम के उपाय बताएगी।