भारत के 10 अमीर मंदिर जिनके पास पाकिस्तान की जीडीपी से ज्यादा धन है ~ blog image

भारत जिसे हिंदू आस्था की भूमि साथ साथ मंदिरों की भूमि भी कहा जाता है,यहाँ हजारों मंदिर आपको कदम -कदम पर देखने को मिलते हैं और प्रत्येक मंदिर के साथ जुड़ी होती है कोई ना कोई कहानी !

 

भारत में ज्यादातर मंदिरों का निर्माण राजाओं द्वारा करवाया गया है

विशेष रूप से, विभिन्न राजवंशों जैसी चोल,पल्लव,चालुक्य,और होयसल के शासकों ने अपने अपने क्षेत्रों में मंदिरों के निर्माण को प्रोत्साहित किया,कुछ इतिहासकार के अनुसार मंदिरों का निर्माण सेना के कमांडरों या राजाओं के प्रति वफ़ादार द्वारा भी किया गया॰

मंदिरों का निर्माण अलग अलग वास्तुकला शैली के अनुसार किया गया जैसे -

  • 1.नागर वास्तुकला शैली- उत्तर भारत के ज़्यादा मंदिर इसी शैली पर बनाये गए हैं

    2.द्रविड़ वास्तुकला शैली-दक्षिण भारत के मंदिर आपको इस शैली के अनुसार मिलते हैं

    3.बेसर वास्तुकला शैली – इसका विकास चालुक्य काल के अंतर्गत होता है है और ये नागर और द्रविड़ का मिश्रित रूप है

    आज मंदिरों के इतिहास और शैली से इतर एक दूसरे मुद्दे पर हम बात करना चाहते हैं और वो है की ये मंदिर श्रद्धा के साथ साथ अपार संपत्ति के लिए भी जाने जाते हैं ॰

    ये मंदिर भक्तों के चढ़ावे,सोना,गहनों और अन्य भेटो के माध्यम से अरबों की संपत्ति अर्जित करते हैं

    आइए कुछ १० सबसे अमीर मंदिरों की बात करते हैं-

    श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल

    कुल संपत्ति: ₹3 लाख करोड़ (अनुमानित)

    यह दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। मंदिर में छिपे तहखानों से अपार संपत्ति निकली जिसमें सोना, हीरे और प्राचीन मूर्तियाँ शामिल हैं।

     

    1. तिरुपति बालाजी मंदिर (वेंकटेश्वर स्वामी), आंध्र प्रदेश

     

    कुल संपत्ति: ₹1.3 लाख करोड़ (अनुमानित)

    यह मंदिर प्रति दिन करोड़ों का चढ़ावा प्राप्त करता है और देश-विदेश के भक्त बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं।

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    1. श्री सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई

     

    कुल संपत्ति: ₹180 करोड़ (केवल नकद और जमा)

    यह गणेश मंदिर मुंबई के सबसे अमीर मंदिरों में शामिल है और बॉलीवुड से लेकर राजनेताओं तक सभी भक्त यहां दर्शन को आते हैं।

     

    1. श्री वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर

     

    कुल संपत्ति: ₹1,800 करोड़ (अनुमानित)

    यह उत्तर भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

     

    1. श्री साईंबाबा मंदिर, शिर्डी

     

    कुल संपत्ति: ₹3,000 करोड़ (अनुमानित)

    शिर्डी साईंबाबा के इस मंदिर को प्रतिवर्ष हजारों करोड़ का दान मिलता है।

     

    1. स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब), अमृतसर

     

    कुल संपत्ति: ₹500 करोड़ से अधिक

    सिख धर्म का यह सबसे पवित्र स्थल पूरी तरह सोने से मढ़ा हुआ है, जो इसकी विशाल संपत्ति का प्रतीक है।

     

    1. जगन्नाथ मंदिर, पुरी

     

    कुल संपत्ति: ₹250 करोड़ से अधिक

    यह मंदिर उड़ीसा में स्थित है और रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है।

     

     

    1. मीनाक्षी मंदिर, मदुरै

     

    कुल संपत्ति: ₹500 करोड़ से अधिक

    द्रविड़ स्थापत्य का उदाहरण यह मंदिर भी अपार संपत्ति रखता है।

     

    1. सोमनाथ मंदिर, गुजरात

     

    कुल संपत्ति: ₹11 करोड़ (केवल सोने के भंडार का मूल्य)

    यह मंदिर कई बार विध्वंस के बाद पुनः निर्मित हुआ, फिर भी इसकी भव्यता बनी रही।

     

    1. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी

     

    कुल संपत्ति: ₹6 करोड़ से अधिक (केवल सोने-चांदी की संपत्ति)

    यह शिव मंदिर वाराणसी का प्रमुख आकर्षण है और देशभर से भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।

     

    भारत में मंदिरों के पास  एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति है। इनमें सोना, चांदी, जमीन और नकदी जैसी मूल्यवान संपत्तियां शामिल हैं। यह संपत्ति सदीयों  से भक्तों के दान और श्रद्धा के माध्यम से एकत्र हुई है ।

     

    एक रोचक तथ्य ये भी इसके साथ जुड़ा हुआ है कि इन मंदिरों को मिलने वाले चढ़ावे को यदि जोड़ा जाए तो वो पाकिस्तान जैसे देश की जीडीपी से अधिक पाया जाता है ।

     

    लेकिन एक बड़ा सवाल। यह है कि सरकार या प्रशासन इस अपार धन का उचित उपयोग क्यों नहीं कर पा रहे? इस संपत्ति का? एक बड़ा हिस्सा बिना किसी पारदर्शी लेखा जोखा के रखा जाता है। इस संपत्ति का उपयोग जनहित एवं राष्ट्रहित में साथ ही गरीब कल्याण में किया जा सकता है साथ ही कुछ पारदर्शिता को बनाये रखने के लिए सरकार द्वारा नियमों में बदलाव भी अपेक्षित है ।

     

    बिना किसी की आस्था को ठेस पहुँचाते हुए इस कार्य को किया जा सकता है

    अभी ओडिशा के पुरी शहर में जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है 27 जून से 8 जुलाई तक ये आयोजन चलने वाला है।

     

    दुनिया भर से लोग आकर इसमें शामिल होंगे प्रशासन और सरकार पर बड़ी जिम्मेदारी होती है ऐसे आयोजन को सफल करवाना।

    जय जगन्नाथ के साथ इस लेख को यहीं विराम देते हैं इस पर आप अपनी राय जरूर बताइए !

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