अभिनेत्री से नेता बनी कंगना रनौत ने एक साल पहले सांसद (MP) के रूप में अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। शुरुआत में उन्होंने इस जिम्मेदारी को अपेक्षाकृत आसान माना था। उन्हें बताया गया था कि संसद की उपस्थिति 60–70 दिन ही अपेक्षित होगी और बाकी समय वे अपने अन्य कार्य कर सकती हैं।
हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में कंगना ने स्वीकार किया कि सांसद का काम बेहद चुनौतीपूर्ण है और उनकी उम्मीदों से कहीं अधिक समर्पण और मेहनत की मांग करता है। उन्होंने कहा, “मैंने नहीं सोचा था कि यह इतना डिमांडिंग होगा।” अब वह इस भूमिका को लेकर गंभीर आत्ममंथन कर रही हैं और राजनीति की वास्तविकताओं से रूबरू हो रही हैं।

आइए लोकसभा सांसद के बारे में जानते है-
लोकसभा सांसद (MP) भारत की संसद के निचले सदन, लोकसभा, में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं। इन्हें सीधे चुनाव के माध्यम से चुना जाता है और यह अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
संख्या और संरचना:
- लोकसभा में अधिकतम 550 सांसद हो सकते हैं।
- इनमें से 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- और 20 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाते हैं।
- वर्तमान में लोकसभा की निर्वाचित सदस्य संख्या 543 है।
- 1952 से 2020 तक 2 सीटें एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए नामित होती थीं, जिन्हें अब समाप्त कर दिया गया है।
राजनीतिक महत्व: लोकसभा में जिस पार्टी या गठबंधन के पास बहुमत होता है, वही प्रधानमंत्री का चयन करता है। इस प्रकार लोकसभा सांसद न केवल जनप्रतिनिधि, बल्कि सरकार के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
यह प्रणाली भारतीय लोकतंत्र की प्रतिनिधित्व आधारित व्यवस्था और जनता की सीधी भागीदारी को सशक्त बनाती है।
पात्रता मानदंड: लोकसभा सांसद बनने के लिए आवश्यक शर्तें
पृष्ठभूमि:
भारत की लोकसभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को संविधान और चुनाव कानूनों द्वारा निर्धारित कुछ न्यूनतम योग्यता शर्तों को पूरा करना होता है।
आवश्यक पात्रताएँ: लोकसभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित सभी शर्तें पूरी करनी होंगी:
- भारतीय नागरिकहोना अनिवार्य है।
- उम्मीदवार कीआयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए।
- व्यक्तिमानसिक रूप से सक्षम (sound mind) होना चाहिए।
- घोषित अपराधी(proclaimed criminal) नहीं होना चाहिए।
- भारत के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र कापंजीकृत मतदाता (voter) होना चाहिए।
- यदि उम्मीदवार किसीमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल से है, तो उसे अपने क्षेत्र से कम से कम एक प्रस्तावक (proposer) की आवश्यकता होती है।
- व्यक्तिकर्जदार नहीं होना चाहिए और उसमें अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने की क्षमता होनी चाहिए।
- उम्मीदवार किसी भीसरकारी लाभ के पद (office of profit) पर नहीं होना चाहिए।
- नामांकन भरते समय उम्मीदवार को ₹25,000 का सुरक्षा जमा(security deposit) देना होता है।
ये मानदंड यह सुनिश्चित करते हैं कि लोकसभा के सदस्य जिम्मेदार, स्वस्थ, आर्थिक रूप से सक्षम, और कानून का पालन करने वाले नागरिक हों, ताकि वे जनता का उचित और प्रभावी प्रतिनिधित्व कर सकें।
लोकसभा सांसद का कार्यकाल:
लोकसभा सांसद का कार्यकाल भारत के लोकतंत्र की स्थायित्व और नियमित चुनाव प्रणाली का आधार है। सामान्य परिस्थिति में सांसद एक निर्धारित अवधि के लिए चुना जाता है, लेकिन आपातकाल जैसी विशेष परिस्थितियों में इसमें परिवर्तन संभव है।
कार्यकाल की अवधि: लोकसभा सांसद का कार्यकाल उसकी पहली बैठक की तारीख से पांच वर्षों तक होता है। यह अवधि समाप्त होते ही लोकसभा स्वतः भंग (dissolve) हो जाती है और नए चुनाव कराए जाते हैं।
आपातकाल में विस्तार: यदि देश में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) घोषित किया गया हो, तो संसद एक कानून द्वारा लोकसभा का कार्यकाल अधिकतम एक वर्ष तक बढ़ा सकती है। आपातकाल समाप्त होने के बाद कार्यकाल की यह वृद्धि छह महीने से अधिक नहीं हो सकती।
लोकसभा सांसद की जिम्मेदारियाँ क्या-क्या होती है:
एक सांसद अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के अलावा जनता से जुड़े मुद्दे और सवालों को संसद में उठाता है. संसद में जब कोई कानून पास होना होता है तो सांसद वोटिंग करता है. इसके अलावा वह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में सीधी भूमिका निभाता है. वह कई समितियों में रहकर भी देश और लोगों की भलाई के लिए काम करता है.
मुख्य जिम्मेदारियाँ:
- विधायी जिम्मेदारी: संसद मेंभारत के कानूनों को पारित (pass) करने का कार्य।
- निगरानी जिम्मेदारी: यह सुनिश्चित करना किकार्यपालिका (Executive)—अर्थात सरकार—अपना कार्य संतोषजनक रूप से कर रही है या नहीं।
- प्रतिनिधित्व जिम्मेदारी: अपने निर्वाचन क्षेत्र केजनता की अपेक्षाओं, समस्याओं और विचारों को संसद में प्रस्तुत करना।
- वित्तीय जिम्मेदारी: सरकार द्वारा प्रस्तावितराजस्व (revenue) और व्यय (expenditures) की स्वीकृति और निगरानी करना।
- कार्यपालिका की अतिरिक्त जिम्मेदारी: वे सांसद जोमंत्रिपरिषद (Union Council of Ministers) का हिस्सा होते हैं, उनकी एक अतिरिक्त जिम्मेदारी होती है — नीतियों को लागू करना और शासन करना।
सैलरी: हाल ही में केंद्र सरकार ने सांसदों की सैलरी में 24% की बढ़ोतरी की है। अब सांसदों को ₹1.24 लाख प्रति माह वेतन मिलेगा। पहले यह वेतन ₹1 लाख प्रति माह था।
सांसदों का वेतन समय-समय पर महंगाई दर (Inflation) और कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (CII) को ध्यान में रखते हुए संशोधित किया जाता है। 2018 में केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन और भत्तों की हर 5 साल में समीक्षा का नियम लागू किया था।
सांसदों को मिलने वाली सुविधाएँ:
सांसद न केवल देश की विधायी प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, बल्कि उन्हें जनता के हित में निरंतर सक्रिय रहना पड़ता है। इसी कारण उन्हें वेतन के अलावा कई तरह की सुविधाएं और भत्ते भी प्रदान किए जाते हैं ताकि वे अपने कर्तव्यों को बिना किसी अवरोध के निभा सकें।
मुख्य सुविधाएँ जो सांसदों को मिलती हैं:
यात्रा से जुड़ी सुविधाएँ
- 34 फ्री हवाई यात्राएं प्रति वर्ष, जिनमें से8 यात्राएं सहयोगी या स्टाफ को ट्रांसफर की जा सकती हैं।
- भारतीय रेलवे की सभी क्लास में मुफ्त यात्रा(संसद सत्र के दौरान और उसके बाद भी)।
- सड़क यात्राके लिए ₹16 प्रति किमी तक का भत्ता, जब अन्य साधन उपलब्ध न हों।
- दिल्ली में संसद सत्र के दौरान परिवहन सुविधा।
- पूर्व सांसदोंको रेल और हवाई यात्रा में कुछ हद तक रियायत।
आवास, बिजली-पानी और संचार
- दिल्ली में मुफ्त सरकारी आवास।
- 50,000 यूनिट फ्री बिजली और 4 लाख लीटर मुफ्त पानी सालाना।
- लोकसभा सांसदों को 1,50,000 मुफ्त कॉल, जबकि राज्यसभा सांसदों को 50,000 कॉल सालाना।
मेडिकल सुविधाएँ
- सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज।
- CGHS (Central Government Health Scheme) के तहत मुफ्त मेडिकल सुविधा।
- देश में इलाज संभव न होने पर विदेश में इलाज की अनुमति और खर्च।
- पूर्व सांसदों और उनके जीवनसाथी को भी CGHS के तहत आजीवन मुफ्त चिकित्सा सुविधा।
अन्य विशेष सुविधाएँ: सरकारी गाड़ी की सुविधा, रिसर्च स्टाफ और सहायक की सुविधा, संसद की कैंटीन में सब्सिडी वाला भोजन।