नंदनी गाँव, ज़िला कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में स्थित एक प्राचीन जैन मठ में 33 वर्षों से रह रही हथिनी महादेवी को हाल ही में गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा वन्यजीव पुनर्वास केंद्र में स्थानांतरित किया गया। यह स्थानांतरण 28 जुलाई 2025 को हुआ, जिसने कोल्हापुर में व्यापक जनआक्रोश और भावनात्मक विरोध को जन्म दिया। 1200 साल पुराने नंदनी मठ से जब महादेवी को ले जाया गया, तो हजारों लोग भावुक होकर वहाँ एकत्र हुए।
एनजीओ ने दी सफाई , अदालती आदेश के बाद हुआ स्थानांतरण
इस स्थानांतरण के संबंध में एक एनजीओ द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि महादेवी को स्थानांतरित करने की पहल वंतारा ने नहीं की थी। वंतारा केवल न्यायालय द्वारा नियुक्त प्राप्ति केंद्र था और पूरी कार्रवाई न्यायिक व सरकारी निगरानी में की गई। 16 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने महादेवी के बिगड़ते स्वास्थ्य और मानसिक तनाव को देखते हुए उनके स्थानांतरण का आदेश दिया था। यह मुद्दा मूल रूप से एक पशु अधिकार संगठन द्वारा महाराष्ट्र वन विभाग और उच्चतम न्यायालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) के समक्ष उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और अब 11 अगस्त को अनुपालन रिपोर्ट पेश की जाएगी।

पशु संगठनों और पर्यावरण मंत्रालय की शिकायतों के बाद लिया गया निर्णय
महादेवी को गुजरात स्थानांतरित करने का निर्णय कई पशु अधिकार संगठनों, जिनमें PETA भी शामिल है, की शिकायतों और पर्यावरण मंत्रालय की दखल के बाद लिया गया। अदालत के आदेश का सम्मान करते हुए मठ के पुजारियों और स्थानीय लोगों ने महादेवी को विदाई दी। हालाँकि अब ग्रामीणों द्वारा उनकी वापसी की माँग की जा रही है और कुछ लोगों ने रिलायंस समूह पर उनके हटाने का आरोप लगाया है।
परंपरा जरूरी, लेकिन जानवर की सेहत पहली प्राथमिकता: अदालत
कोल्हापुर स्थित नंदनी मठ का दावा है कि वह वर्ष 1992 से महादेवी की देखभाल कर रहा था और धार्मिक आयोजनों में उसकी उपस्थिति एक पारंपरिक आस्था का हिस्सा रही है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी धार्मिक परंपरा किसी पशु के स्वास्थ्य और कल्याण से ऊपर नहीं हो सकती। अदालत के अनुसार, महादेवी की बिगड़ती शारीरिक और मानसिक स्थिति को देखते हुए, उसकी सुरक्षा और पुनर्वास को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
तीन वर्ष की उम्र में महादेवी को लाया गया था कोल्हापुर, 33 वर्ष कंक्रीट के शेड में जंजीरों में रही
तीन वर्ष की उम्र में महादेवी को कर्नाटक से कोल्हापुर लाया गया था और उसके बाद के 33 वर्ष उसने एक कंक्रीट के शेड में जंजीरों में बिताए। उसे नुकीली लोहे की छड़ों से नियंत्रित किया जाता था, धार्मिक जुलूसों में चलवाया जाता था, सड़कों पर भीख मंगवाई जाती थी और बच्चों को सूंड से उठाकर मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लगातार कठोर ज़मीन पर खड़े रहने से उसे गंभीर शारीरिक बीमारियाँ हो गईं, जैसे पैर सड़ना (फुट रॉट), नाखून टूटना, गद्दी घिस जाना और गठिया (आर्थराइटिस)। दिसंबर 2017 में महादेवी ने मठ के मुख्य पुजारी पर घातक हमला कर दिया था। इस घटना के बाद 2018 में मठ ट्रस्टियों ने वन विभाग को पत्र लिखकर महादेवी को रखने में असमर्थता जताई और उन्हें सौंपने की इच्छा जताई।
कानूनों का उल्लंघन कर बार-बार की गई अवैध राज्य पार यात्राएं-
हालाँकि, इस पत्र के बावजूद महादेवी का शोषण जारी रहा। 2012 से 2023 के बीच उसे कम से कम 13 बार बिना वैध अनुमति के राज्य सीमाओं के पार ले जाया गया, जिनमें तेलंगाना में धार्मिक जुलूस भी शामिल थे। यह ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972’ की धारा 48A का स्पष्ट उल्लंघन था, जो वन्यजीवों की अंतर्राज्यीय आवाजाही को प्रतिबंधित करता है। 30 जुलाई 2023 को तेलंगाना वन विभाग ने इस पर वन्यजीव अपराध दर्ज कर महादेवी को जब्त कर लिया। बाद में उनकी अभिरक्षा महाराष्ट्र वन विभाग को सौंप दी गई और न्यायालय ने भी महादेवी को सरकार की संपत्ति घोषित कर दिया।
वंतारा में अब दी जा रही चिकित्सा सहायता
वंतारा में अब महादेवी को विशेष चिकित्सा सहायता दी जा रही है। उसकी टूटी हड्डियों और क्षतिग्रस्त पैरों का इलाज हो रहा है। उसे ज़ंजीरों से मुक्त कर दिया गया है, पोषक आहार दिया जा रहा है और वह खुले वातावरण में रह पा रही है। साथ ही, उसकी मानसिक स्थिति को सुधारने के लिए विशेष मनोवैज्ञानिक देखभाल भी की जा रही है। संस्था के अनुसार, अब वह उस स्वतंत्रता और देखभाल का अनुभव कर रही है, जिससे वह तीन दशकों तक वंचित रही।
महादेवी को वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र के कोल्हापुर से गुजरात के वनतारा ले जाई गई नंदनी मठ की हथिनी महादेवी को वापस लाने के लिए अब राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करेगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि महादेवी की वापसी की मांग को देखते हुए राज्य सरकार मठ के साथ पूरी तरह खड़ी है। सरकार इस मामले में एक पुनर्विचार याचिका भी दाखिल करेगी और सुप्रीम कोर्ट में हाथी की वापसी के लिए मजबूती से अपना पक्ष रखेगी।
आइए अब वंतारा के बारे में जान लेते है:
रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन ने 26 फरवरी 2024 को “वनतारा” (Vantara) प्रोजेक्ट की शुरुआत की। यह एक अत्याधुनिक पशु बचाव, उपचार और पुनर्वास केंद्र है, जिसका उद्देश्य भारत और विदेशों में संकटग्रस्त जानवरों को बचाकर उन्हें सुरक्षित जीवन प्रदान करना है। “वनतारा” शब्द दो संस्कृत शब्दों “वन” (जंगल) और “तारा” (सितारा) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “जंगल का तारा” (यानी वह जो जंगल में चमकता है और सभी प्राणियों के लिए आशा की किरण है)।
स्थान और संरचना: वनतारा गुजरात के जामनगर में रिलायंस की रिफाइनरी के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में स्थित है और यह करीब 3,000 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। इस विशाल परिसर को प्राकृतिक जंगल जैसा बनाया गया है, जहां जानवरों को न केवल चिकित्सा देखभाल, बल्कि मानसिक और सामाजिक पुनर्वास का भी अवसर मिलता है।
अद्वितीय चिकित्सा सुविधाएं: वनतारा में एक 1 लाख वर्गफुट में फैला हुआ पशु अस्पताल और अनुसंधान केंद्र है, जहां अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण और तकनीक उपलब्ध हैं। इनमें शामिल हैं: ICU (गहन चिकित्सा इकाई), MRI और CT स्कैन, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड, डायलिसिस, एंडोस्कोपी, डेंटल स्केलर, लिथोट्रिप्सी मशीन, OR1 तकनीक (जिससे सर्जरी का लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस किया जा सकता है), ब्लड प्लाज्मा सेपरेटर।
यह सुविधाएँ इस बात को सुनिश्चित करती हैं कि किसी भी घायल या बीमार जानवर को इंसानों जैसी उन्नत चिकित्सा मिल सके।
संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए पुनर्वास कार्यक्रम: वनतारा में सात संकटग्रस्त भारतीय और विदेशी प्रजातियों के लिए संरक्षण प्रजनन (Conservation Breeding) कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य इन प्रजातियों की संख्या को उनके मूल आवास में पुनर्स्थापित करना और उन्हें विलुप्त होने से बचाना है।