7 अगस्त को कीमती धातुओं की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल देखा गया, जब संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस के साथ व्यापारिक गतिविधियों पर दंडस्वरूप टैरिफ को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। इस वैश्विक घटनाक्रम के प्रभाव से भारतीय घरेलू वायदा बाजार में सोना और चांदी दोनों की कीमतों में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई।
सोने-चांदी की वर्तमान कीमतें
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, 24 कैरेट सोना 7 अगस्त को ₹1,01,780 प्रति 10 ग्राम की रिकॉर्ड ऊँचाई पर खुला, जबकि इससे पूर्व 6 अगस्त को इसका मूल्य ₹1,00,452 था। चांदी की कीमत में भी ₹1,765 की तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे इसका भाव ₹1,15,590 प्रति किलोग्राम हो गया, जो पहले ₹1,13,485 था।
कीमतों में वृद्धि के कारण
इस मूल्यवृद्धि के पीछे कई कारण सामने आए हैं। वैश्विक स्तर पर डॉलर में कमजोरी, व्यापार युद्ध और भू-राजनीतिक तनावों ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है, जिसे वे एक ‘सुरक्षित निवेश विकल्प’ मानते हैं। साथ ही भारत में त्योहारों और विवाह के मौसम में बढ़ती घरेलू मांग तथा कई केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की सतत खरीद ने भी कीमतों को ऊँचाई पर पहुँचाया।

निवेशकों की प्रतिक्रिया और निवेश के नए माध्यम
कीमतों में इस तेज़ बढ़ोतरी को लेकर निवेशकों की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है। वे आर्थिक अनिश्चितता के इस दौर में फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड और गोल्ड ETF जैसे साधनों के माध्यम से सोने में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे इन विकल्पों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
गोल्ड और सिल्वर क्यों हैं ‘सेफ हेवन’ संपत्तियाँ?
पिछले दो दशकों में सोने ने लगभग 1,200 प्रतिशत का रिटर्न दिया है — वर्ष 2005 में ₹7,638 प्रति 10 ग्राम से बढ़कर 2025 के जून तक ₹1,00,000 से अधिक हो गया। इनमें से 16 वर्षों में इसने सकारात्मक रिटर्न प्रदान किया है। वर्ष 2025 में अब तक इसकी कीमत में 31 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है, जिससे यह वर्ष की सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों में शामिल हो गया है।
चांदी ने भी अपनी मजबूती दिखाई है; पिछले तीन सप्ताह से इसकी कीमत ₹1 लाख प्रति किलोग्राम से ऊपर बनी हुई है। वर्ष 2005 से 2025 के बीच इसमें कुल 668.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरताएँ बनी रहती हैं, तो यह मूल्यवृद्धि आगे भी जारी रह सकती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ निवेशकों को जल्दबाज़ी में निर्णय लेने से बचने और सतर्कता के साथ अपनी निवेश रणनीति निर्धारित करने की सलाह देते हैं।
आम जनता पर प्रभाव
सोने और चांदी की कीमतों में इस बढ़ोतरी का सीधा असर आम लोगों पर पड़ रहा है, विशेषकर उन परिवारों पर जो शादी-विवाह के अवसरों के लिए गहनों की खरीदारी की योजना बना रहे थे। उच्च कीमतों के कारण कई लोगों को अपना बजट सीमित करने या खरीदारी को स्थगित करने के लिए विवश होना पड़ा है।
सोने की तुलना में चांदी की कीमतों में अधिक तीव्र वृद्धि दर्ज की जा रही है
हाल के दिनों में चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, जिसने निवेशकों का ध्यान पारंपरिक पीली धातु यानी सोने से हटाकर ‘सफेद धातु’ की ओर आकर्षित किया है। यह बदलाव न केवल निवेश की रणनीतियों में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक औद्योगिक रुझानों और आर्थिक अनिश्चितताओं की भी एक स्पष्ट अभिव्यक्ति है।
इस तेजी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक जिम्मेदार हैं। चांदी केवल एक कीमती धातु नहीं, बल्कि एक बहुपयोगी औद्योगिक संसाधन भी है। वैश्विक मांग का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा औद्योगिक उपयोगों से आता है। विशेष रूप से सौर ऊर्जा पैनलों, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरियों और अन्य हरित प्रौद्योगिकियों (Green Technologies) में चांदी की खपत तेजी से बढ़ रही है। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) क्षेत्र में हो रहे बड़े निवेश और सौर ऊर्जा के विस्तार ने भी घरेलू मांग को अत्यधिक प्रभावित किया है।
वहीं, वैश्विक स्तर पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते डॉलर में कमजोरी आई है। ऐसे वातावरण में निवेशक अपने पूंजी की सुरक्षा के लिए सोने और चांदी जैसे पारंपरिक ‘सेफ-हेवन’ विकल्पों की ओर रुख करते हैं। डॉलर के कमजोर होने से डॉलर-संवेदनशील वस्तुएँ अन्य मुद्राओं वाले खरीदारों के लिए अधिक किफायती हो जाती हैं, जिससे इनकी मांग और अधिक बढ़ जाती है।
भविष्य की संभावनाएँ
विश्लेषकों का अनुमान है कि निकट भविष्य में सोने की कीमत ₹1.05 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुँच सकती है, परंतु यह कई कारकों पर निर्भर करेगा, जैसे वैश्विक आर्थिक स्थिति, डॉलर की मजबूती, भू-राजनीतिक तनाव और घरेलू मांग। यदि व्यापार युद्ध और अनिश्चितताएँ और गहराती हैं, तो कीमतें और अधिक बढ़ सकती हैं; वहीं स्थिरता आने पर कुछ सुधार की भी संभावना बनी रहेगी।
निष्कर्ष
7 अगस्त को सोने और चांदी की कीमतों में हुई रिकॉर्ड वृद्धि न केवल निवेशकों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी महत्वपूर्ण रही है। वैश्विक अस्थिरता, डॉलर में कमजोरी, घरेलू मांग और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी ने सोने को एक ‘सेफ हेवन’ के रूप में सुदृढ़ किया है। आने वाले समय में यह प्रवृत्ति जारी रह सकती है, लेकिन निवेशकों को विवेकपूर्ण और रणनीतिक निर्णय लेने की आवश्यकता है।