अज़रबैजान: इतिहास, संस्कृति और भारत के साथ संबंध

अज़रबैजान, काकेशस क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख राष्ट्र है, जो पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के संगम पर अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता के लिए जाना जाता है।  यह देश प्राचीन परंपराओं, ऊर्जा संसाधनों और बदलते राजनीतिक परिदृश्य का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है।  

“आग की भूमि” अज़रबैजान देश को दिया गया एक उपनाम है, जो प्राकृतिक गैस के रिसाव से होने वाली स्वतःस्फूर्त आग के कारण है। यह देश प्राकृतिक गैस और तेल के विशाल भंडारों के लिए भी जाना जाता है।

हाल ही में नागोर्नो-कराबाख़ संघर्ष के बाद युद्धविराम और पुनर्निर्माण के प्रयासों के बीच, अज़रबैजान वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित कर रहा है।

आइए, इस आर्टिकल में अज़रबैजान की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भारत-अज़रबैजान संबंध से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ के बारे में जानते है।

 

भौगोलिक स्थिति और विशेषताएं

अज़रबैजान लगभग 38°17’ से 41°54’ उत्तर अक्षांश और 44°46’ से 50°37’ पूर्व देशांतर के बीच स्थित है। इसकी सीमाएं कैस्पियन सागर, रूस, जॉर्जिया, आर्मेनिया और ईरान से मिलती हैं। कैस्पियन सागर के किनारे स्थित यानार दाग़, एक ऐसा स्थान है जहां प्राकृतिक गैसों के कारण आग पिछले 65 वर्षों से लगातार जल रही है, जिससे इसे “आग की भूमि” की उपाधि मिली है।

  • राजधानी: बाकू
  • क्षेत्रफल: 86,600 वर्ग किलोमीटर
  • जनसंख्या: 1.02 करोड़ (2024)
  • भाषा: अज़रबैजानी
  • औसत आयु: 74.43 वर्ष (2023)
  • मुद्रा: अज़रबैजानी मनात

अज़रबैजान का इतिहास:

अज़रबैजान का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधताओं से भरपूर है, जिसमें प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक कई शासकों, साम्राज्यों और संस्कृतियों का प्रभाव रहा है। इसकी भौगोलिक स्थिति ने इसे सदियों से एशिया और यूरोप के बीच एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और रणनीतिक केंद्र बनाए रखा।

प्राचीन काल
अज़रबैजान को विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक माना जाता है। पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है कि यहां मानव बसावट का इतिहास 5,000 वर्ष से भी पुराना है। प्रारंभिक दौर में इस क्षेत्र पर फारस का प्रभाव रहा, जिसने यहां न केवल शासन किया बल्कि इस्लाम का प्रसार भी किया।

मध्यकाल
7वीं शताब्दी में अरब आक्रमणों के बाद अज़रबैजान इस्लामी प्रभाव के अधीन आ गया। इसके बाद इस्लामी संस्कृति, शिक्षा और कला का विकास हुआ। 16वीं और 17वीं शताब्दी में यह क्षेत्र सफ़वीद और उस्मानी साम्राज्यों के बीच लंबे समय तक संघर्ष का केंद्र रहा, जिसने यहां राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी जन्म दिया।

आधुनिक काल
19वीं शताब्दी में अज़रबैजान रूसी साम्राज्य का हिस्सा बन गया।

  • 1828: तुर्कमन्चाय संधि के तहत आधुनिक अज़रबैजान का उत्तरी भाग रूस के अधीन आया, जबकि दक्षिणी हिस्सा फारस (ईरान) का भाग बना रहा।
  • 1848-49: बाकू के दक्षिण में दुनिया का पहला तेल कुआँ खोदा गया, जिससे यह क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा केंद्र के रूप में उभरा।
  • 1918: स्वतंत्र अज़रबैजानी गणराज्य की घोषणा हुई, लेकिन 1920 में रेड आर्मी के आक्रमण के बाद यह सोवियत संघ में शामिल हो गया।

स्वतंत्रता और समकालीन घटनाक्रम:

  • 1988: नागोर्नो-कराबाख़ ने आर्मेनिया में शामिल होने की मांग की, जिससे जातीय तनाव शुरू हुआ।
  • 1991: सोवियत संघ के विघटन के बाद अज़रबैजान ने स्वतंत्रता की घोषणा की।
  • 1992-94: आर्मेनिया के साथ युद्ध में कराबाख़ और आस-पास का क्षेत्र आर्मेनियाई नियंत्रण में चला गया।
  • 1994: संघर्षविराम के साथ “सदी का करार” नामक तेल समझौता अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ हुआ।
  • 2020: अज़रबैजान ने कराबाख़ और आसपास का क्षेत्र पुनः हासिल किया; रूस ने शांति सैनिक तैनात किए।
  • 2022: सीमा संघर्ष में दोनों पक्षों के लगभग 50 सैनिक मारे गए।
  • 2023: लाचिन कॉरिडोर नाकेबंदी के बाद कराबाख़ पर अज़रबैजान का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हुआ; अधिकांश आर्मेनियाई वहां से पलायन कर गए।
  • 2024: नागोर्नो-कराबाख़ को औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया।
  • 2025: कराबाख़ पर पूर्ण नियंत्रण के बाद अज़रबैजान ने पुनर्निर्माण कार्यों को गति दी और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कूटनीतिक प्रयास बढ़ाए।
  • 9अगस्त 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 35 साल पुरानी जंग को खत्म कराने के लिए समझौता करा दिया है।

 

जलवायु:

अज़रबैजान में कोप्पेन जलवायु वर्गीकरण की 11 में से 9 प्रकार की जलवायु पाई जाती हैं, जिनमें अर्ध-रेगिस्तानी, शुष्क स्टेपी, सूखी गर्मियों वाली गर्म जलवायु, ठंडी व बरसात वाली पहाड़ी जलवायु और अल्पाइन टुंड्रा शामिल हैं।

  • देश की भौगोलिक विविधता के कारण यहाँ गर्म रेगिस्तान से लेकर बर्फीले पर्वतीय क्षेत्रों तक हर प्रकार की जलवायु मिलती है।

संस्कृति और समाज

अज़रबैजान की संस्कृति में तुर्की, फारसी, अरबी-इस्लामी, रूसी और यूरोपीय प्रभाव का संगम है। पारंपरिक नृत्य, कालीन बुनाई, लघुचित्र, रंगमंच और संगीत इसके महत्वपूर्ण पहलू हैं।

  • लगभग 97% जनसंख्या मुस्लिम है, जिनमें अधिकतर शिया मुसलमान हैं।
  • प्रमुख खेल: कुश्ती, मुक्केबाज़ी, जिम्नास्टिक्स, ताइक्वांडो और फुटबॉल।

 

 

भारत-अज़रबैजान संबंध: भारत और अज़रबैजान के संबंध सभ्यतागत जुड़ाव, सांस्कृतिक समानताओं और एक-दूसरे की संस्कृति के प्रति सम्मान पर आधारित हैं।

  • 2024 में भारत से 2.43 लाख से अधिक पर्यटक अज़रबैजान गए, जो 2023 की तुलना में 108% अधिक है, और भारत अज़रबैजान का तीसरा सबसे बड़ा पर्यटक स्रोत बना। दिल्ली और मुंबई से बाकू के लिए कुल 14 सीधी उड़ानें चलती हैं।
  • भारत की ओएनजीसी विदेश लिमिटेड ने अज़रबैजान के प्रमुख तेल और गैस क्षेत्रों और पाइपलाइन में 1.2 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
  • भारत ने 1991 में अज़रबैजान की स्वतंत्रता को मान्यता दी और 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित किए।
  • भारत का दूतावास 1999 में बाकू में खुला और अज़रबैजान का दूतावास 2004 में नई दिल्ली में।

हालाँकि अजरबैजान का संबंध पाकिस्तान के साथ ज्यादा मजबूत होने के कारण युद्ध जैसी स्थिति में वो पाकिस्तान की मदद करता पाया गया है

भारत-अज़रबैजान व्यापारिक संबंध:

पिछले वर्षों में भारत और अज़रबैजान के बीच द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2005 में लगभग 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। 2024 में यह बढ़कर 958 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसमें भारत से अज़रबैजान को निर्यात 224 मिलियन डॉलर और अज़रबैजान से भारत को आयात (मुख्यतः कच्चा तेल) 734 मिलियन डॉलर रहा।

निष्कर्ष:

अज़रबैजान एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता, ऐतिहासिक विरासत और ऊर्जा संसाधनों के लिए जाना जाता है। भारत और अज़रबैजान के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व व्यापारिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं, हालाँकि पाकिस्तान के साथ अज़रबैजान की नजदीकी भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती बन सकती है। फिर भी, द्विपक्षीय सहयोग की संभावनाएं व्यापक हैं, जिन्हें आपसी समझ और संवाद के ज़रिए आगे बढ़ाया जा सकता है।