15 अगस्त को अलास्का में मिलेंगे ट्रंप और पुतिन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 15 अगस्त को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे, जिसका मुख्य उद्देश्य यूक्रेन में पिछले साढ़े तीन वर्षों से जारी युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों को आगे बढ़ाना है। यह बैठक ऐतिहासिक होगी, क्योंकि दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात अमेरिकी भूमि पर होगी। प्रारंभिक चरण में रूस ने इस मुलाकात के लिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अंततः राष्ट्रपति ट्रम्प ने बैठक के स्थान के रूप में अलास्का को चुना।

 

बैठक स्थल के रूप में अलास्का का चयन:

अलास्का को बैठक स्थल चुनने का मुख्य कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) से जुड़ी कानूनी अड़चनों से बचना था। पुतिन पर यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों के लिए आईसीसी ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, जिसके तहत सदस्य देशों को उन्हें हिरासत में लेना अनिवार्य होता है। चूंकि अमेरिका आईसीसी का सदस्य नहीं है और इसके अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता, इसलिए वहां पुतिन की गिरफ्तारी का कोई कानूनी दायित्व नहीं बनता।

 

ज़ेलेंस्की का विरोध: कब्ज़े की भूमि लौटाने पर कोई समझौता नहीं

बैठक से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे रूस को युद्ध के दौरान कब्ज़ा किए गए यूक्रेनी क्षेत्रों को सौंपने के किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे।

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषकों और यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, तीन वर्ष से अधिक समय से चल रहे इस संघर्ष में रूसी सेना यूक्रेन के 20 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर चुकी है। इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी संकेत दिया है कि कब्ज़ा किए गए यूक्रेनी क्षेत्रों को रूस को सौंपने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।

 

रूस का यूक्रेन के पांचवें हिस्से पर नियंत्रण

रूसी रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में दावा किया कि उसकी सेना ने डोनेट्स्क क्षेत्र के ज़ोरिया नामक कस्बे पर कब्ज़ा कर लिया है। इस सफलता के साथ रूस ने लगभग 1,12,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया है। यह क्षेत्रफल यूक्रेन के कुल भूभाग का लगभग पांचवां हिस्सा है, जिसमें क्रीमिया, डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज़्झिया के बड़े हिस्से शामिल हैं।

सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की यह ताज़ा सैन्य उपलब्धि अचानक नहीं हुई है। रूसी सेना अब पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। ज़ोरिया जैसे छोटे शहरों पर कब्ज़ा इसी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। यह कस्बा अवदीवका और चासिव यार के बीच स्थित है, जो दोनों पक्षों के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

 

आइए अब जान लेते है अलास्का के बारे में, कैसे कभी रूस का हुआ करता था अलास्का:

अलास्का अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है, जो रूस से केवल तीन मील की दूरी पर स्थित है। यह राज्य कनाडा के उत्तर-पश्चिम में, मुख्य भूमि अमेरिका से अलग है। क्षेत्रफल में विशाल होने के बावजूद यह जनसंख्या के लिहाज से 48वें स्थान पर है। अगर दिल्ली के बराबर जनसंख्या घनत्व यहां होता, तो पूरे क्षेत्र में केवल 16 लोग रहते है। कठोर जलवायु, बर्फीले पहाड़, घने जंगल, नदियां और सालाना लगभग 5,000 भूकंप यहां जनसंख्या वृद्धि को सीमित रखते हैं।

रूस द्वारा अलास्का की खोज और अधिग्रहण:

18वीं सदी में रूसी साम्राज्य, फर व्यापार और प्राकृतिक संसाधनों की खोज में साइबेरिया से आगे बढ़ा। 1741 में रूसी नाविक विटस बेरिंग ने अलास्का की खोज की। यह इलाका ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों, बर्फीली घाटियों और घने जंगलों से भरा था, तथा समुद्री ऊदबिलाव की कीमती खालें ‘सफेद सोना’ मानी जाती थीं। रूस ने इस क्षेत्र को तुरंत अपना घोषित कर प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू किया।

 

मूल निवासियों पर प्रभाव और शुरुआती उपनिवेशीकरण

रूसियों के आगमन से पहले यहां एस्किमो और इनुइट समुदाय रहते थे, जिनकी बड़ी आबादी बीमारियों और संघर्षों में खत्म हो गई। 1801 तक इनकी लगभग 80% आबादी लुप्त हो गई। रूस ने यहां छोटे-छोटे कॉलोनियां बसाईं, लेकिन कृषि की अनुपलब्धता के कारण खाद्य उत्पादन में कठिनाइयां थीं, जिसके समाधान के लिए उन्होंने स्पेन से मदद ली।

 

रूस के लिए अलास्का बोझ बनने के कारण

19वीं सदी में रूस के लिए अलास्का को बनाए रखना कठिन हो गया। इसके प्रमुख कारण थे—

  • रूस और अलास्का के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी, जिससे प्रशासन और रक्षा कठिन हो गई।
  • समुद्री ऊदबिलाव की तेज़ी से घटती संख्या, जिसके कारण फर व्यापार ठप हो गया।
  • 1853-56 के क्रीमिया युद्ध में रूस की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित होना।

 

क्रीमिया युद्ध और अलास्का की बिक्री का निर्णय

क्रीमिया युद्ध के दौरान रूस को भारी आर्थिक हानि हुई। अलास्का की रक्षा में अतिरिक्त खर्च, मुख्य रूस से दूरी और ब्रिटेन से संभावित खतरे ने ज़ार अलेक्ज़ेंडर द्वितीय को इसे बेचने के लिए प्रेरित किया।

 

अमेरिका और रूस की कूटनीतिक नजदीकियां

अमेरिका, जिसने 1823 में ‘मनरो सिद्धांत’ के तहत यूरोपीय हस्तक्षेप को अस्वीकार किया था, क्रीमिया युद्ध में रूस के पक्ष में रहा। ब्रिटेन को अलास्का न देने की नीति और प्रशांत महासागर में अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति के तहत अमेरिकी विदेश मंत्री विलियम सिवार्ड ने 1867 में रूस से यह सौदा किया।

 

अमेरिका में सौदे पर उपहास और वास्तविक लाभ

72 लाख डॉलर में हुई इस खरीद पर अमेरिका में शुरू में मजाक उड़ाया गया, इसे ‘सिवार्ड्स फॉली’ और ‘जॉनसन का पागलपन’ कहा गया। लेकिन यह सौदा इतिहास के सबसे बड़े रियल एस्टेट सौदों में से एक साबित हुआ, सिर्फ 2 सेंट प्रति एकड़ में यूरोप के एक-तिहाई आकार के बराबर जमीन हासिल हुई। अगले सौ वर्षों में अमेरिका ने इसकी कीमत का हजारों गुना वसूल किया।

 

आधुनिक अलास्का: संसाधन और सामरिक महत्व:

करीब 17,17,856 वर्ग किलोमीटर में फैला अलास्का आज अमेरिका के सबसे अमीर और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों में है। यहां से देश की पेट्रोलियम आवश्यकता का लगभग 20% पूरा होता है, साथ ही सोना, हीरा, प्राकृतिक गैस, मछली पकड़ना और पर्यटन बड़े आर्थिक स्रोत हैं। इसके अतिरिक्त, यहां स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकाने और परमाणु मिसाइल तैनाती इसे सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील बनाते हैं।