पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिका की धरती से भारत के खिलाफ परमाणु धमकी दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस्लामाबाद को भारत से अस्तित्व का खतरा महसूस हुआ, तो वह “आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेगा।” यह अपने प्रकार का पहला मामला है, जब किसी देश के सेना प्रमुख ने अमेरिकी धरती से किसी तीसरे देश के खिलाफ इस तरह की परमाणु धमकी दी हो।
इसके अतिरिक्त, मुनीर ने यह भी कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि एक अधूरा अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है। उनके अनुसार, कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र में लंबित है और पाकिस्तान उसका समर्थन करता है।
आसिम मुनीर की दूसरी अमेरिका यात्रा-
फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिका का दो महीनों में दूसरा दौरा किया। इस बार वे फ्लोरिडा में आयोजित अमेरिका की मध्य कमान (CENTCOM) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला के सेवानिवृत्ति समारोह में शामिल हुए, इससे पहले, 14 जून को वे वॉशिंगटन डी.सी. पहुंचे थे, जहां उन्होंने अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के समारोह में शिरकत की थी। उसी यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से व्हाइट हाउस में दो घंटे की बंद कमरे में लंच मीटिंग की थी, जो पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ की मेजबानी की।
परमाणु बम क्या होते हैं?
परमाणु बम एक अत्यंत शक्तिशाली विस्फोटक हथियार होते हैं, जो अपनी विनाशकारी शक्ति नाभिकीय अभिक्रियाओं से प्राप्त करते हैं। इन अभिक्रियाओं में या तो नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) या नाभिकीय विखंडन और संलयन (Fusion) का संयोजन शामिल होता है। नाभिकीय विखंडन में भारी परमाणु नाभिक, जैसे यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239, टूटकर दो या अधिक छोटे नाभिकों में विभाजित हो जाते हैं, जिससे अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा और विकिरण उत्सर्जित होता है। वहीं, संलयन प्रक्रिया में हल्के परमाणु नाभिक, जैसे हाइड्रोजन के समस्थानिक, आपस में जुड़कर एक भारी नाभिक का निर्माण करते हैं, और इस प्रक्रिया में भी भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
वैश्विक परमाणु हथियार के रुझान:
अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इसराइल ये नौ देश लगातार अपने परमाणु भंडारों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। कई देशों ने नए परमाणु हथियार तैनात किए हैं या फिर परमाणु हथियार डिलीवरी के नए सिस्टम विकसित किए हैं।
दुनिया के प्रमुख परमाणु हथियार संपन्न देश-
- रूस (पहले स्थान पर): फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार, रूस के पास कुल 5,449 परमाणु हथियार हैं। रूस का परमाणु कार्यक्रम 1949 में शुरू हुआ था और इसके पास दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु मिसाइलें मौजूद हैं।
- अमेरिका (दूसरा स्थान पर): अमेरिका के पास कुल 5,277 परमाणु हथियार हैं, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाते हैं। अमेरिका ने 1945 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। हिरोशिमा और नागासाकी पर हमले के बाद अमेरिका ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज गति से विकसित किया।
- चीन (तीसरे स्थान पर): भारत के पड़ोसी देश चीन के पास 600 से अधिक परमाणु हथियार हैं। FAS के अनुसार, चीन ने 1964 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था और यह दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
- फ्रांस (चौथा स्थान): फ्रांस के पास 290 परमाणु हथियार हैं। इसने 1960 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था और परमाणु हथियारों की संख्या में यह दुनिया में चौथे स्थान पर आता है।
- यूनाइटेड किंगडम (पांचवां स्थान): यूनाइटेड किंगडम के पास 225 परमाणु हथियार हैं। ब्रिटेन ने 1952 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था और यह दुनिया में पांचवें स्थान पर है।
भारत के पास पाकिस्तान से अधिक परमाणु हथियार:
स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास पाकिस्तान से अधिक परमाणु हथियार हैं, जबकि चीन इन दोनों देशों से कहीं आगे है।
ताज़ा परमाणु हथियार संख्या (जनवरी 2025 तक)
- भारत – 180 वॉरहेड
- पाकिस्तान – 170 वॉरहेड
- चीन – 600 वॉरहेड
वर्ष 2024 में भारत के पास 172 और 2023 में 164 वॉरहेड थे, जिससे साफ है कि भारत ने पिछले वर्षों में अपने परमाणु शस्त्रागार को लगातार बढ़ाया है।

भारत की तकनीकी प्रगति:
भारत ने हाल ही में कैनिस्टराइज्ड मिसाइलें विकसित की हैं, जो परमाणु बम को तेज़ी से तैनात कर सकती हैं और एक बार में कई वॉरहेड ले जा सकती हैं। अनुमान है कि इनमें MIRVs (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicles) तकनीक मौजूद है, जिससे एक ही मिसाइल कई टारगेट को निशाना बना सकती है।
सुरक्षा क्षमताओं का विस्तार: भारत ने अपनी परमाणु सुरक्षा क्षमता को जमीन, समुद्र और हवा, तीनों क्षेत्रों में मजबूत किया है। इसमें अग्नि-5 मिसाइल और INS अरिघात पनडुब्बी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
भारत ने अपनाई ‘नो फर्स्ट यूज’ पॉलिसी
भारत ने 1998 में दूसरी बार परमाणु परीक्षण करने के बाद ‘नो फर्स्ट यूज‘ (NFU) रणनीति अपनाई। इसका अर्थ है कि भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, बल्कि केवल हमले के जवाब में ही इसका इस्तेमाल करेगा।
इस पॉलिसी के तहत भारत का फोकस मिनिमम क्रेडिबल डिटरेंस पर रहा, यानी इतने परमाणु हथियार रखना कि जवाबी हमले से दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचे। इस कारण भारत ने परमाणु हथियारों की संख्या सीमित रखने और गुणवत्ता पर जोर दिया।
आइए जान लेते है परमाणु हथियार कितने घातक होते है-
परमाणु हथियार अपनी अत्यधिक विनाश क्षमता और लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी असर के कारण अन्य सभी हथियारों से अलग और अत्यंत खतरनाक माने जाते हैं। एक अकेला परमाणु बम किसी बड़े शहर पर गिरने से लाखों लोगों की तत्काल मौत हो सकती है, जबकि कई बमों का इस्तेमाल वैश्विक जलवायु को बदल सकता है, जिससे अकाल, भुखमरी और पारिस्थितिकी तंत्र का पतन हो सकता है।
परमाणु विस्फोट के तुरंत बाद का प्रभाव: परमाणु हथियार का विस्फोट होने पर आसपास के लोग, चाहे वे सैनिक हों या नागरिक, भारी नुकसान झेलते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए हमलों में 38,000 से अधिक बच्चे मारे गए थे। विस्फोट के 10 सेकंड के भीतर एक विशाल फायरबॉल बनता है, जो धमाके, गर्मी और विकिरण को चारों ओर फैला देता है। घातक विकिरण सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से फैलती है और आसपास की इमारतें, वाहन और लोग नष्ट हो जाते हैं।
आग और विनाश: विस्फोट की गर्मी इतनी तीव्र होती है कि केंद्र के पास की वस्तुएं तुरंत वाष्पीकृत हो जाती हैं। आसपास बड़े पैमाने पर आग लगती है, भूमिगत शरणस्थलों में भी ऑक्सीजन की कमी और जहरीली गैसों के कारण मौत का खतरा होता है।
लंबी अवधि के प्रभाव:
- रेडिएशन और स्वास्थ्य पर असर: परमाणु हथियार से निकलने वाला विकिरण वर्षों तक असर डालता है। यह कैंसर, गंभीर बीमारियों और पीढ़ीगत जेनेटिक क्षति का कारण बनता है। 1945 से 1980 के बीच हुए परमाणु परीक्षणों के कारण दुनिया में लगभग 24 लाख लोगों की मौत कैंसर से होने का अनुमान है।
- जलवायु संकट और अकाल: दुनिया के 1% से भी कम परमाणु हथियारों का उपयोग 2 अरब लोगों को भूखमरी के खतरे में डाल सकता है। पूर्ण पैमाने पर युद्ध से न्यूक्लियर विंटर (परमाणु सर्दी) आ सकती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर देगी।
पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक असर:
- जलवायु पर हमला: परमाणु युद्ध से वैश्विक ठंडक, अकाल और ग्लोबल वार्मिंग के असर बढ़ेंगे।
- आर्थिक नुकसान: विकास, रखरखाव और निस्तारण में खर्च होने वाला पैसा स्वास्थ्य व हरित तकनीकों में लगाया जा सकता था।
- सबसे ज्यादा नुकसान गरीब देशों को: विकासशील और हाशिए पर मौजूद समुदाय सबसे अधिक प्रभावित होंगे, क्योंकि उनके पास आपदा से निपटने के संसाधन और संरचनाएं सीमित होती हैं।
- पर्यावरण प्रदूषण: मिट्टी, पानी और हवा में रेडियोधर्मी कणों के फैलने से पीढ़ियों तक प्रदूषण बना रह सकता है, जिससे कृषि, वन्यजीव और जल स्रोत नष्ट हो सकते हैं।
निष्कर्ष
परमाणु हथियार न केवल युद्ध में बल्कि शांति के समय भी मानवता, पर्यावरण और वैश्विक स्थिरता के लिए एक स्थायी खतरा हैं। इनका अस्तित्व ही मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा जोखिम है, इसलिए इन पर नियंत्रण और निषेध आवश्यक है।