लोकसभा ने मात्र 3 मिनट में नया आयकर विधेयक 2025 पारित कर 1961 के आयकर अधिनियम को प्रतिस्थापित कर दिया। इस विधेयक में टीडीएस रिफंड, देर से दाखिल आयकर रिटर्न पर राहत, और करदाताओं के अधिकारों को सशक्त बनाने जैसे प्रावधान शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे कर कानून को सरल एवं पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव टैक्स प्रशासन में सुधार और वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, जिससे आम करदाताओं को लाभ मिलेगा।
राज्यसभा से पारित होने और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह बिल नए कानून के रूप में लागू होगा।
60 साल पुराने कानून की जगह लेगा नया आयकर बिल
मौजूदा आयकर कानून, जिसे 1961 में लागू किया गया था, में अब तक सैकड़ों संशोधन किए जा चुके हैं। नया विधेयक इस पुराने कानून की जगह लेगा और आकार में लगभग आधा होगा।
पुराने कानून में कुल 5.12 लाख शब्द और 819 धाराएं थीं, जबकि नए बिल में केवल 2.6 लाख शब्द और 536 धाराएं शामिल हैं। इसे तैयार करने में लोकसभा की प्रवर समिति की 285 सिफारिशों को पूरी तरह सम्मिलित किया गया है।
संशोधित आयकर विधेयक 2025: प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें शामिल
लोकसभा की प्रवर समिति ने संशोधन के लिए लगभग 285 सिफारिशें दी थीं, पिछले महीने संसद को 4,500 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी गई थी, प्रवर समिति ने सुझाव दिया कि ऐसे करदाताओं को भी टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाए, जो निर्धारित समयसीमा के बाद रिटर्न दाखिल करते हैं
मूल विधेयक फरवरी में हुआ था पेश, अगस्त में संशोधन
सरकार ने 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया था. इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया, जिसकी अध्यक्षता भाजपा सांसद बैजयंत पांडा ने की. समिति ने कई बदलाव सुझाए, जिन्हें सरकार ने लगभग पूरी तरह स्वीकार किया. 8 अगस्त को पुराना विधेयक वापस लेकर नया संशोधित संस्करण पेश किया गया.
अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में संशोधित आयकर (संख्यांक 2) विधेयक, 2025 पेश किया। इसमें प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशें शामिल कर आयकर कानून में संशोधन और मजबूती के प्रावधान किए गए हैं।

नए आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 की प्रमुख विशेषताएं
टैक्स ढांचे को सरल बनाने की पहल:
नया विधेयक दशकों पुराने जटिल टैक्स ढांचे को लगभग 50% तक सरल बनाने का दावा किया गया है। 1961 के आयकर अधिनियम में अब तक 4,000 से अधिक संशोधन और 5 लाख से ज्यादा शब्द हो चुके थे, जिससे यह अत्यधिक जटिल हो गया था।
नया बिल व्यक्तिगत करदाताओं और MSME को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचाने में मदद करेगा। इसमें भाषा को सरल, कटौतियों को स्पष्ट और क्रॉस-रेफरेंसिंग को मजबूत किया गया है। गृह संपत्ति से संबंधित कर नियमों में भी अस्पष्टताओं को दूर किया गया है।
मुख्य प्रावधान और बदलाव
- टैक्स रिफंड पर राहत: टैक्सपेयर्स देर से रिटर्न दाखिल करने पर भी रिफंड का दावा कर सकेंगे। टीडीएस देर से फाइल करने पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
- Nil-TDS प्रमाणपत्र: जिन टैक्सपेयर्स पर टैक्स देनदारी नहीं है, वे अग्रिम रूप से Nil-TDS सर्टिफिकेट का दावा कर सकेंगे। यह भारतीय और अनिवासी दोनों पर लागू होगा।
- Commuted पेंशन पर स्पष्ट कटौती: विशिष्ट फंड (जैसे एलआईसी पेंशन फंड) से पेंशन प्राप्त करने वालों के लिए एकमुश्त पेंशन भुगतान पर स्पष्ट टैक्स कटौती का प्रावधान।
- गृह संपत्ति पर टैक्स की गणना में बदलाव–
- पुराने कानून में किराये की संपत्ति के वार्षिक मूल्य का निर्धारण ‘उचित अपेक्षित किराए’ या वास्तविक प्राप्त किराए (जो भी कम हो) पर होता था।
- नए कानून में यह मूल्यांकन ‘उचित अपेक्षित किराए’ और वास्तविक प्राप्त/प्राप्त होने वाले किराए में से जो अधिक हो, उस पर आधारित होगा।
MSME परिभाषा में सामंजस्य: MSME अधिनियम (संशोधन जुलाई 2020) के अनुरूप वर्गीकरण:
- सूक्ष्म उद्यम: निवेश ₹1 करोड़ से कम और वार्षिक कारोबार ₹5 करोड़ से कम।
- लघु उद्यम: निवेश ₹10 करोड़ से कम और वार्षिक कारोबार ₹50 करोड़ से कम।
नए आयकर विधेयक के संभावित लाभ
- नए आयकर विधेयक में सेलेक्ट कमेटी की सिफारिशों को शामिल करने से करदाताओं और व्यवसायों दोनों को कई तरह के लाभ मिलने की संभावना है।
- लचीले टैक्स रिफंड प्रावधान के कारण देर से रिटर्न दाखिल करने वालों को भी रिफंड का अधिकार मिलेगा, जिससे करदाताओं का वित्तीय बोझ कम होगा।
- इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर ₹80 लाख की कटौती की पुन: शुरुआत कंपनियों के बीच पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देगी।
- NIL-TDS प्रमाणपत्र की सुविधा उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी होगी जिनकी कर देनदारी नहीं है, जबकि खाली मकानों पर काल्पनिक किराये पर कर लगाने की बाध्यता हटाने से संपत्ति मालिकों को राहत मिलेगी।
- इसके अलावा, मकान संपत्ति पर मानक कटौती और किराये की संपत्ति पर ब्याज कटौती को स्पष्ट करने से भ्रम कम होगा और अनुपालन प्रक्रिया आसान होगी। MSME की परिभाषा को MSME अधिनियम के अनुरूप लाने से छोटे और मध्यम उद्यमों को समान लाभ मिलेगा।
- पेंशन कटौती का दायरा बढ़ाकर गैर-कर्मचारियों को भी लाभ देना सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करेगा।
इन सभी सुधारों से कर प्रणाली अधिक पारदर्शी, सरल और करदाता-अनुकूल बनने की उम्मीद है, जो आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगा।