उपराष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष की एकता और दक्षिण भारत पर रणनीतिक नज़र

INDIA गठबंधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और गोवा के पहले लोकायुक्त जस्टिस (रिटा.) बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। वह सत्ता पक्ष के उम्मीदवार और भाजपा नेता सीपी राधाकृष्णन को चुनौती देंगे। 18 अगस्त 2025 को मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई बैठक में उनके नाम पर सहमति बनी और 19 अगस्त को खरगे ने इसकी आधिकारिक घोषणा की।

9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति पद का चुनाव:

9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति पद का चुनाव राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है। यह चुनाव इसलिए आवश्यक हुआ क्योंकि पिछले महीने तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त तय की गई है। इस चुनाव के परिणाम आने के बाद देश को नया उपराष्ट्रपति मिलेगा।

NDA की तरफ से राधाकृष्णन को चुना गया-

एनडीए की तरफ से महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वो तमिलनाडु से आते हैं और उनका संबंध RSS से भी है। राधाकृष्णन 19 अगस्त की शाम तक अपना नॉमिनेशन फाइल करेंगे। राधाकृष्णन झारखंड के राज्यपाल भी रह चुके हैं और कोयंबटूर से दो बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य 9 सितंबर को अगले उपराष्ट्रपति के लिए मतदान करेंगे। 

सीपी राधाकृष्णन के बारे में- https://ankitinspiresindia.com/c-p-radhakrishnan/

आइए जानते है, कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?

बी. सुदर्शन रेड्डी भारत के सबसे सम्मानित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक हैं। लंबा और शानदार कानूनी करियर उन्हें इस उपराष्ट्रपति पद की रेस में एक गैर-राजनीतिक और मजबूत चेहरा बनाता है। उनका जन्म 8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के रंगा रेड्डी जिले के अकुला मायलारम गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की पढ़ाई की।

करियर यात्रा:

  • 1971: आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकन।
  • 1988–90: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में सरकारी वकील।
  • 1990: केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील।
  • 1993: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज।
  • 1995: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज।
  • 2005: गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश।
  • 2007–11: सुप्रीम कोर्ट के जज।
  • 2013: गोवा के पहले लोकायुक्त बने, लेकिन निजी कारणों से इस्तीफा दिया।

प्रमुख उपलब्धियां:

  • सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले दिए।
  • गरीबों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा में हमेशा आगे रहे।
  • उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।

विपक्ष की नई चाल:

 

  • संवैधानिक मूल्यों की जंग: INDIA गठबंधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में एक बड़ा दांव खेलते हुए बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ कहा कि यह चुनाव संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की लड़ाई” है। रेड्डी का गैर-राजनीतिक अतीत और न्यायपालिका में दिया गया योगदान उन्हें NDA के राधाकृष्णन के मुकाबले एक मज़बूत विकल्प बनाता है।
  • दक्षिण भारत में पकड़ मजबूत करने की रणनीति: तेलंगाना से आने वाले रेड्डी की उम्मीदवारी विपक्ष के लिए दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास मानी जा रही है। यह कदम NDA की तमिलनाडु-केंद्रित रणनीति का सीधा जवाब है।
  • विपक्षी एकता का प्रदर्शन: रेड्डी के नाम पर विपक्षी खेमे में एकजुटता भी दिखाई दी है। तृणमूल कांग्रेस, आप, समाजवादी पार्टी और डीएमके जैसे दलों ने उनके नाम का समर्थन कर विपक्षी एकता को मजबूत किया है।
  • भविष्य की तैयारी: रेड्डी की उम्मीदवारी केवल उपराष्ट्रपति चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि 2026 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तैयारी का हिस्सा भी मानी जा रही है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगियों को इससे राजनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद है।

भारत के उपराष्ट्रपति के बारे में:

भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, जो राष्ट्रपति के बाद सर्वोच्च गरिमा रखता है। संविधान ने उपराष्ट्रपति के कार्यालय को इस तरह परिभाषित किया है कि इसमें विधायी और कार्यपालिका की जिम्मेदारियों का संयोजन हो, ताकि संसदीय व्यवस्था और शासन सुचारू रूप से चल सके।

 

उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित तथा मनोनीत सदस्यों द्वारा किया जाता है।

  • चुनाव प्रोपोर्शनल रिप्रजेंटेशन सिस्टम और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होता है।
  • मतदान गुप्त मतदान (Secret Ballot) से कराया जाता है।
  • चुनाव से जुड़े किसी भी विवाद पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट का होता है।

 

उपराष्ट्रपति के अधिकार और कार्य

  • उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman) होते हैं, और इस रूप में उनके अधिकार लोकसभा के स्पीकर के समान होते हैं।
  • राष्ट्रपति के इस्तीफे, निधन, महाभियोग या अन्य कारणों से पद रिक्त होने पर, उपराष्ट्रपति कार्यकारी राष्ट्रपति की भूमिका निभाते हैं।
  • वे अधिकतम महीने तक कार्यकारी राष्ट्रपति बने रह सकते हैं, जिसके भीतर नए राष्ट्रपति का चुनाव होना आवश्यक है।
  • इस अवधि में राज्यसभा की अध्यक्षता उपराष्ट्रपति नहीं करते, बल्कि यह जिम्मेदारी राज्यसभा के उपसभापति निभाते हैं।

 

कार्यकाल और पद से हटाने की प्रक्रिया

  • कार्यकाल: उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक उत्तराधिकारी पदभार ग्रहण नहीं कर लेता। वे पुनः चुने जाने के पात्र भी होते हैं।
  • त्यागपत्र: उपराष्ट्रपति अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंपकर पद छोड़ सकते हैं।
  • हटाने की प्रक्रिया:
    • अनुच्छेद 67(ख) के तहत, उपराष्ट्रपति को राज्यसभा में प्रभावी बहुमत (सभी वर्तमान सदस्यों का बहुमत) से पारित प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।
    • इस प्रस्ताव को लोकसभा में साधारण बहुमत से मंजूरी देना आवश्यक है।
    • प्रस्ताव लाने से कम से कम 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है।

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