विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना पर विचार-विमर्श किया। यह बैठक राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कक्ष में आयोजित हुई, जिसमें कई प्रमुख विपक्षी दलों के नेता मौजूद रहे।
बैठक में नेताओं ने उस प्रेस कॉन्फ्रेंस पर चर्चा की, जिसे मुख्य चुनाव आयुक्त ने रविवार को संबोधित किया था। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि CEC ने उनके सवालों के जवाब दिए बिना केवल एकतरफा बयान दिया। कुछ सांसदों ने इस लड़ाई को आगे बढ़ाने और CEC के खिलाफ महाभियोग लाने का सुझाव दिया।
विवाद की पृष्ठभूमि:
रविवार को चुनाव आयोग ने एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें CEC ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तुत आंकड़े चुनाव आयोग के आधिकारिक नहीं हैं। उन्होंने विपक्षी नेताओं को चुनौती देते हुए कहा—
- “वोट चोरी के आरोपों पर हलफनामा दें या फिर देश से माफी मांगें। तीसरा कोई विकल्प नहीं है।”
- उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि सात दिन के भीतर हलफनामा नहीं मिला, तो लगाए गए आरोपों को निराधार माना जाएगा।

बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर विवाद:
बिहार में मतदाता सूचियों के हालिया ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) को लेकर शुरू हुआ विवाद गहराता जा रहा है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली की कड़ी आलोचना की है। वहीं, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि आयोग के अधिकारी SIR को पूरी तरह सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए हमेशा खुले हैं और संस्था पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य कर रही है।
निर्वाचन आयोग: नियुक्ति, सेवा शर्तें और पद से हटाने की प्रक्रिया के बारे में-
नियुक्ति:
- भारत के राष्ट्रपति मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं।
- यदि आयोग बहु-सदस्यीय है, तो मुख्य निर्वाचन आयुक्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
- किसी भी मतभेद की स्थिति में निर्णय बहुमत से लिया जाता है।
- राष्ट्रपति, आयोग से परामर्श के बाद, आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय आयुक्तों की भी नियुक्ति कर सकते हैं।
सेवा शर्तें
- सेवा की शर्तें और कार्यकाल राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
- इन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान दर्जा, वेतन और सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।
- कार्यकाल छह वर्ष या अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक, जो पहले हो, निर्धारित है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त या आयुक्त कभी भी राष्ट्रपति को संबोधित करके त्यागपत्र दे सकते हैं या कार्यकाल से पहले भी हटाए जा सकते हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त को कैसे हटाया जा सकता है?
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के समान है। संविधान के अनुच्छेद 324(5) के तहत, उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
- इस प्रस्ताव पर दोनों सदनों में बहस होती है।
- यदि प्रस्ताव के समर्थन में सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत होता है, तभी मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाया जा सकता है।
- प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना आवश्यक है।
- महत्वपूर्ण नियम यह है कि प्रस्ताव जिस सत्र में लाया जाए, उसी सत्र में पारित होना अनिवार्य है।
कठिन समीकरण और विपक्ष की दुविधा:
व्यवहारिक दृष्टि से देखा जाए तो किसी मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना बेहद जटिल और कठिन प्रक्रिया है, क्योंकि इसके लिए संसद के दोनों सदनों में भारी बहुमत की आवश्यकता होती है। मौजूदा संख्याबल को देखते हुए विपक्ष के लिए इतना समर्थन जुटाना लगभग असंभव प्रतीत होता है। यही कारण है कि विपक्षी दल अभी तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर खुलकर अपना रुख अपनाने से बच रहे हैं।