भारत-चीन संबंधों में सकरात्मकता देखने को मिली है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान वांग यी ने भारत की तीन प्रमुख चिंताओं रेयर अर्थ मिनरल, फर्टिलाइज़र और टनल बोरिंग मशीन का समाधान निकालने में मदद का आश्वासन दिया।
इसी के साथ नई दिल्ली में एनएसए डोभाल के साथ विशेष प्रतिनिधियों की 24वीं बैठक में सीमा पर विश्वास बहाली और व्यापार संबंधों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में डोभाल ने जोर दिया कि पिछले साल अक्टूबर से सैन्य तनाव कम होने के बाद सीमा पर शांति बनी हुई है, जिससे दोनों देशों को लाभ हुआ है।
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान वांग यी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का संदेश और तियानजिन में होने वाले आगामी SCO शिखर सम्मेलन के लिए निमंत्रण सौंपा। पीएम मोदी ने भी सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि भारत सीमा विवाद के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
यह मुलाकात भारत-चीन रिश्तों को नए सिरे से संतुलित करने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
भारत-चीन रिश्तों पर वांग यी का बयान:
LAC पर तनाव घटने के बाद भारत आए पहले चीनी मंत्री वांग यी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जो नुकसान हुआ, वह दोनों देशों और उनके लोगों के हित में नहीं था। उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दी और सीमा विवाद के उचित समाधान की राह खोली।
सीमाओं पर स्थिरता पर जोर देते हुए वांग यी ने कहा, “हमें यह देखकर खुशी है कि अब सीमाओं पर शांति और स्थिरता बहाल हो चुकी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत-चीन संबंध अब सुधार और विकास के एक अहम अवसर के दौर में हैं। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा और SCO शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी को बेहद महत्वपूर्ण बताया।
चीन ने रेयर अर्थ मिनरल, फर्टिलाइज़र और टनल बोरिंग मशीन निर्यात रोक हटाई:
चीन ने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर लगी रोक हटा दी है। इस फैसले से भारत के कई अहम सेक्टर्स को राहत मिलेगी, जिनमें ऑटोमोबाइल, रिन्यूएबल एनर्जी, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, एयरोस्पेस और हेल्थकेयर शामिल हैं।
भारत की आत्मनिर्भरता की रणनीति–
भारत ने रेयर अर्थ सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के लिए ठोस रणनीति बनाई है, लेकिन चीन की बराबरी करना फिलहाल चुनौतीपूर्ण है। चीन का दबदबा इतना मजबूत है कि भारत को दीर्घकालिक योजनाओं और बड़े निवेश की आवश्यकता होगी।
पिछली पाबंदियां और असर:
- जुलाई 2025 में चीन ने भारत को जरूरी मशीनों और पार्ट्स की डिलीवरी रोक दी थी, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रभावित हुआ।
- इसी दौरान, भारत में आईफोन बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने अपने 300 से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियन्स को वापस बुला लिया, जिससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर दबाव पड़ा।
- अप्रैल 2025 में चीन ने सात रेयर अर्थ मटेरियल के एक्सपोर्ट पर सख्त पाबंदियां लगाई थीं और आयात के लिए स्पेशल लाइसेंस जरूरी कर दिया था, जिसके चलते भारत को सप्लाई बाधित हुई।
दुनिया में चीन का दबदबा:
दुनिया में रेयर अर्थ मेटल्स की माइनिंग का लगभग 70% चीन में होता है। वैश्विक स्तर पर लगभग 90% रेयर अर्थ मैग्नेट चीन में ही बनते हैं। इनकी लोकप्रियता पिछले 6-8 वर्षों में तेजी से बढ़ी है क्योंकि ये छोटे, हल्के, अधिक प्रभावी होते हैं और सामान्य मैग्नेट की तुलना में ज्यादा गर्मी सह सकते हैं।
चीन का दबदबा इसलिए भी है क्योंकि उसके पास पूरी सप्लाई चेन पर नियंत्रण है माइनिंग, रिफाइनिंग (जो पर्यावरण के लिए हानिकारक और जटिल है), अलॉय प्रोडक्शन और मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग।
भारत की जरूरतें:
- 2025-26 में भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को लगभग 870 टन रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करने की आवश्यकता होगी। देश की अनुमानित कुल मांग करीब 3,600 टन है, जो आयात पर निर्भरता को स्पष्ट करती है।

भारत-चीन संबंधों में सुधार के संकेत: सहयोग की नई दिशा
G20 समिट से रिश्तों में सकारात्मकता:
पिछले साल रूस के कज़ान में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने भारत-चीन संबंधों में सकारात्मकता का नया दौर शुरू किया। इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग को आगे बढ़ाने का माहौल बना।
विवादित इलाकों से सेना की वापसी: अक्टूबर 2024 में डेमचोक और डेपसांग जैसे विवादित क्षेत्रों से सेना की वापसी के बाद से भारत-चीन संबंधों में धीरे-धीरे सुधार देखा गया है। इस कदम ने सीमा पर स्थिरता को बढ़ावा दिया और विश्वास बहाली की दिशा में अहम भूमिका निभाई।
अगले महीने चीन के लिए शुरू होगी सीधी उड़ान: सितंबर में भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू हो सकती है।
भारतीय नागरिकों के लिए चीन का वीज़ा सहयोग: भारत में चीनी दूतावास के अनुसार, 1 जनवरी से 9 अप्रैल 2025 के बीच भारतीय नागरिकों को 85,000 से अधिक वीज़ा जारी किए गए। इनमें पर्यटन, व्यवसाय, अध्ययन, काम और पारिवारिक यात्राओं से जुड़े उद्देश्य शामिल हैं। दूतावास ने यह भी बताया कि 2024 की शुरुआत से भारत में वीज़ा प्रक्रिया को और सरल एवं सुविधाजनक बनाया गया है। इसे दोनों देशों के बीच नागरिक और पेशेवर जुड़ाव के बेहतर होते संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
भारत ने चीनी पर्यटकों के लिए वीज़ा फिर से शुरू किया: 24 जुलाई 2025 से भारत ने 5 साल बाद चीनी पर्यटकों के लिए वीज़ा जारी करना फिर से शुरू किया है। यह कदम द्विपक्षीय रिश्तों में विश्वास बहाली और आपसी सहयोग को प्रोत्साहन देने वाला माना जा रहा है।
अमेरिका से तनाव और भारत-चीन की नजदीकी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और चीन दोनों पर एकतरफा टैरिफ लगाए जाने के बाद नई दिल्ली और बीजिंग ने इसका संयुक्त रूप से विरोध किया। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ा। इस स्थिति ने भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब लाने का काम किया। सूत्रों के अनुसार, दोनों देश अब चार बॉर्डर ट्रांजिट पॉइंट्स के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार फिर से शुरू करने की दिशा में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।
भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि:
- वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में भारत–चीन द्विपक्षीय व्यापार 118.40 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो FY23 के 113.83 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 4% की वृद्धि है।
- ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, FY24 में चीन ने दो साल बाद फिर से अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनने का स्थान हासिल किया।
- FY24 में भारत के कुल आयात का 15.06% हिस्सा चीन से आया।
- भारत ने FY24 में विश्व से कुल 675.42 अरब अमेरिकी डॉलर के सामान आयात किए, जिनमें से 101.74 अरब अमेरिकी डॉलर चीन से आए।
व्यापार घाटे का नया रिकॉर्ड:
वित्त वर्ष 2024-25 (31 मार्च 2025 को समाप्त) में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा लगभग 100 अरब अमेरिकी डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुँच गया है। वाणिज्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, यह अब तक का सबसे बड़ा घाटा है।
भारत का चीन को निर्यात घटा:
- 2023-24 में भारत ने चीन को 16.66 अरब अमेरिकी डॉलर का माल निर्यात किया था।
- 2024-25 में यह घटकर केवल 14.25 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, यानी 14.4% की गिरावट दर्ज की गई।
भारत का चीन से आयात बढ़ा:
- 2023-24 में भारत ने चीन से 101.73 अरब अमेरिकी डॉलर का माल आयात किया।
- 2024-25 में यह बढ़कर 113.45 अरब अमेरिकी डॉलर पहुँच गया, यानी 11.5% की वृद्धि दर्ज की गई।
व्यापार घाटा:
- 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
- आयात में तेज़ी और निर्यात में गिरावट ने इस असंतुलन को और गहरा किया।
प्रधानमंत्री मोदी SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन जाएंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर 2025 को चीन का दौरा करेंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह मोदी की 2020 में गलवान घाटी में हुई भारत–चीन सैन्य झड़प के बाद चीन की पहली यात्रा होगी।
प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले 2018 में चीन गए थे। यह उनके प्रधानमंत्री काल का छठा चीन दौरा होगा, जो पिछले 70 वर्षों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की सबसे अधिक चीन यात्राओं का रिकॉर्ड है।
इससे पहले, मोदी 30 अगस्त को जापान जाएंगे और वहां भारत–जापान शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।