रूसी कंपनियों, विशेष रूप से मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में, भारतीय नागरिकों को रोजगार देने में बढ़ती रुचि दिखा रही हैं। हालिया आंकड़ों के अनुसार, रूस में काम करने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ने के कारण वाणिज्य दूतावास की सेवाओं पर दबाव भी बढ़ रहा है।
पश्चिमी देशों, जैसे अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में आव्रजन पर कड़ी निगरानी के बीच रूस में भारतीय पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में रूसी नियमों और कानूनों के तहत कंपनियां भारतीय कुशल श्रमिकों को रोजगार दे रही हैं। अधिकांश भारतीय निर्माण और वस्त्र क्षेत्रों में कार्यरत हैं, लेकिन मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में भी उनकी मांग में वृद्धि हो रही है।
इसके अलावा, रूस में भारतीय श्रमिकों की बढ़ती संख्या से वाणिज्य दूतावास की संसाधन क्षमताओं पर दबाव पड़ रहा है, जैसे पासपोर्ट नवीनीकरण, जन्म प्रमाणपत्र और खोया हुआ पासपोर्ट जैसी कंसुलर सेवाओं की बढ़ती जरूरत।
रूस में कुशल श्रमिकों की गंभीर कमी और भारतीय श्रमिकों की मांग
रूस में विभिन्न उद्योगों को कुशल श्रमिकों की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर स्वेर्दलोव्स्क रीजन में, जिसकी राजधानी येकातेरिनबर्ग है और यह उरल माउंटेन रेंज में स्थित है। यह रीजन रूस की हैवी इंडस्ट्री और मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स की रीढ़ माना जाता है। स्वेर्दलोव्स्क रीजन के उद्योगों को उत्पादन बढ़ाने की सख्त जरूरत है, लेकिन वहां योग्य कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं। कुछ श्रमिक यूक्रेन में सैन्य अभियान में तैनात हैं, जबकि युवा कारखानों में काम करने की ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं।
प्रतिष्ठित कंपनियां जैसे उरलमाश और उरलवागनजावोड इसी रीजन में स्थित हैं और टी-90 सीरीज के बैटल टैंक का उत्पादन करती हैं। रूसी श्रम मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, 2030 तक देश में स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी 31 लाख तक पहुंच सकती है। इस अंतर को पाटने के लिए, मंत्रालय ने 2025 तक योग्य विदेशी श्रमिकों का कोटा 1.5 गुना बढ़ाकर 2.3 लाख करने की योजना बनाई है।
रूस में कुशल भारतीय श्रमिकों की मांग में वृद्धि
हाल ही में रूस में भारतीय श्रमिकों की बढ़ती मांग पर ध्यान दिया गया है, विश्लेषकों के अनुसार, रूस में विभिन्न उद्योगों में कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है, और भारत के पास इस जरूरत को पूरा करने के लिए योग्य और प्रशिक्षित कार्यबल मौजूद है।
वर्तमान में, रूसी कंपनियां नियमों, कानूनों और कोटा प्रणाली के भीतर भारतीय श्रमिकों को नियुक्त कर रही हैं। अधिकांश भारतीय निर्माण और वस्त्र क्षेत्रों में कार्यरत हैं, लेकिन मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उच्च तकनीकी क्षेत्रों में भी उनकी मांग बढ़ रही है।

रूस में भारतीय समुदाय की बढ़ती उपस्थिति
आंकड़ों के अनुसार, रूस में भारतीय समुदाय की अनुमानित संख्या लगभग 14,000 है। इसके अलावा, रूस में भारतीय मूल के करीब 1,500 अफगान नागरिक भी रहते हैं। पुराने आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि लगभग 4,500 भारतीय छात्र रूस के चिकित्सा और तकनीकी संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट
पिछले साल भारत से लगभग 3.3 लाख छात्र अमेरिका गए थे, लेकिन अब इस आंकड़े में भारी गिरावट देखी जा रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 70 से 80 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। इसका मुख्य कारण वीज़ा अपॉइंटमेंट स्लॉट्स में रुकावट और वीज़ा रिजेक्शन में अचानक वृद्धि है।
हैदराबाद स्थित ओवरसीज़ कंसल्टेंट के अनुसार, यह बीते कई वर्षों में सबसे खराब स्थिति मानी जा रही है। छात्र हर दिन वीज़ा स्लॉट्स खुलने की उम्मीद में पोर्टल रिफ्रेश कर रहे हैं, जबकि आम तौर पर इस समय तक छात्र अपने वीज़ा इंटरव्यू पूरा कर अमेरिका जाने की तैयारी में होते हैं।
अमेरिकी दूतावास की वीज़ा प्रक्रिया में आ रही दिक्कतों के कारण कई छात्र अब अन्य देशों में पढ़ाई के विकल्प तलाश रहे हैं। कई छात्रों ने स्लॉट बुक तो कर लिया है, लेकिन उन्हें कन्फर्मेशन नहीं मिला है।
कई छात्रों के वीजा रिजेक्ट:
कई छात्रों के वीज़ा रिजेक्ट हो रहे हैं, जिनमें ज्यादातर को सेक्शन 214B के आधार पर रिजेक्शन का सामना करना पड़ रहा है। यूएस इमीग्रेशन और नेशनलिटी एक्ट की यह धारा वीज़ा रिजेक्शन का सामान्य कारण है, जब आवेदक यह साबित नहीं कर पाता कि यात्रा के बाद वह अपने देश लौट आएगा। अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास ने स्पष्ट किया है कि आवेदकों की जांच इस बात को सुनिश्चित करने के लिए की जाती है कि उनका अमेरिका या अमेरिकी हितों को नुकसान पहुँचाने का इरादा नहीं है।
रूस में 10 लाख विदेशी श्रमिकों के आने की योजना
रूस स्किल्ड वर्कफोर्स की गंभीर कमी का सामना कर रहा है और इस साल के अंत तक लगभग 10 लाख विदेशी पेशेवरों को लाने की योजना बना रहा है, जिसमें भारतीय भी शामिल हैं। उरल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख के अनुसार, इस वर्ष भारत समेत अन्य देशों से 10 लाख कुशल श्रमिक रूस आएंगे, जिनमें स्वेर्दलोव्स्क रीजन भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, येकातेरिनबर्ग में भारत का नया वाणिज्य दूतावास खोला जा रहा है, जो इन मुद्दों और भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा और समन्वय को संभालेगा।
रूस में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता
रूस में काम कर रहे भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता उठी है। पहले कई भारतीयों को सहायक के रूप में ले जाने के बाद सेना में युद्ध के मोर्चे पर तैनात कर दिया गया, जिससे यह मामला सुर्खियों में आया। इसके बाद भारत सरकार ने इस मुद्दे को सीधे राष्ट्रपति पुतिन के सामने उठाया और भारतीयों को सुरक्षित लौटाने की प्रक्रिया शुरू की।
अभी भी कई भारतीय रूस में सेना से जुड़े कार्यों में हैं, और कुछ का आरोप है कि उन्हें झूठ बोलकर वहां ले जाया गया और युद्ध के मोर्चे पर भेजा गया। इस स्थिति को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत सरकार रूस से भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा और उनके कार्यक्षेत्र को लेकर स्पष्ट रूप से बातचीत करे, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और किसी भी प्रकार की अनवांछित परिस्थिति से बचा जा सके।