अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो आज से लागू हो गया। अमेरिका पहले से ही भारतीय प्रोडक्ट्स पर 25% टैरिफ वसूल रहा था। इसके साथ ही रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है।
45 अरब डॉलर के निर्यात पर असर:
इस फैसले से भारत के लगभग 45 अरब डॉलर के निर्यात पर भारी असर पड़ने की आशंका है।
SBI की एक रिपोर्ट के अनुसार इस कदम से भारत का व्यापार अधिशेष घाटे में बदल सकता है और देश की GDP पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 50% टैरिफ के चलते अमेरिका में बिकने वाले कपड़े, जेम्स-ज्वैलरी, फर्नीचर और सी फूड जैसे भारतीय प्रोडक्ट्स महंगे हो जाएंगे, जिससे इनकी मांग में करीब 70% तक गिरावट आने का खतरा है।
वहीं, चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे कम टैरिफ वाले देश इन प्रोडक्ट्स को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराकर अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा और भी कठिन हो जाएगी।
भारत पर ट्रंप का टैरिफ वॉर: रूसी तेल खरीद बनी वजह
भारत, चीन के बाद रूस से तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से केवल 0.2% (लगभग 68 हजार बैरल प्रतिदिन) तेल आयात करता था। लेकिन मई 2023 तक यह हिस्सा बढ़कर 45% (20 लाख बैरल प्रतिदिन) तक पहुंच गया। वर्तमान स्थिति में 2025 के जनवरी से जुलाई तक भारत रोज़ाना 17.8 लाख बैरल तेल रूस से खरीद रहा है। पिछले दो वर्षों से भारत लगातार हर साल 130 अरब डॉलर (करीब 11.33 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का रूसी तेल आयात कर रहा है।
सबसे अधिक प्रभावित होने वाले सेक्टर:
इस हाई टैरिफ से भारत के कई प्रमुख सेक्टरों पर बड़ा असर पड़ सकता है। रत्न-आभूषण, चमड़ा, फर्नीचर, झींगा और कपड़ा उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि इनकी बड़ी हिस्सेदारी अमेरिकी बाजार पर निर्भर है। इससे इन सेक्टरों की निर्यात क्षमता और रोजगार पर सीधा असर पड़ सकता है।
वहीं राहत की बात यह है कि इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोलियम उत्पाद और फार्मास्युटिकल सेक्टर इस टैरिफ की चपेट में नहीं आएंगे। ये सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था और विदेशी व्यापार के लिहाज से मजबूत बने रहेंगे।
अमेरिका के नए टैरिफ और भारत पर संभावित असर
- मशीनरी और ऑटो पार्ट्स: भारत ने 2024 में अमेरिका को बड़ी मात्रा में इंजीनियरिंग गुड्स और ऑटो पार्ट्स निर्यात किए। नए टैरिफ से करीब ₹30,000 करोड़ का एक्सपोर्ट प्रभावित होगा। छोटे और मंझोले उद्योग (SMEs), जो निर्यात का 40% हिस्सा हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
- इलेक्ट्रॉनिक्स पर संभावित असर– भारत से अमेरिका को $14 बिलियन के इलेक्ट्रॉनिक्स, खासतौर पर iPhone, का निर्यात होता है। अभी इन पर छूट है, लेकिन सेक्शन 232 टैरिफ लागू होने पर 50% तक शुल्क लग सकता है। इससे भारतीय स्मार्टफोन्स अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। कंपनियां उत्पादन को दूसरे देशों में शिफ्ट करने पर मजबूर हो सकती हैं।
- फार्मा: अमेरिका भारतीय जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आयातक है। 2024 में भारत ने वहां $10.5 बिलियन की दवाएं भेजीं। फिलहाल छूट है, लेकिन ट्रम्प ने 150% से 250% तक टैरिफ की धमकी दी है। इससे दवाओं की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी और भारतीय कंपनियों जैसे सन फार्मा व सिप्ला को भारी नुकसान हो सकता है।
- जेम्स एंड ज्वेलरी: भारत अमेरिका के डायमंड और ज्वेलरी निर्यात का प्रमुख सप्लायर है। 2024 में यह आंकड़ा लगभग $10 बिलियन रहा। लेकिन नए टैरिफ से शुल्क 50% हो गया है। इससे भारतीय आभूषण अमेरिका में महंगे होंगे और निर्यात में 15-30% तक गिरावट आ सकती है। भारतीय कंपनियां अब दुबई और मेक्सिको जैसे देशों में उत्पादन केंद्र बनाने की योजना पर काम कर रही हैं।
- टेक्सटाइल: भारत ने अमेरिका को $10 बिलियन मूल्य के टेक्सटाइल एक्सपोर्ट किए, जिसमें रेडीमेड गारमेंट्स से लेकर कारपेट तक शामिल हैं। नए टैरिफ से भारतीय कपड़ों की कीमत 50% तक बढ़ सकती है। नतीजतन मांग में 20-25% की गिरावट और अमेरिकी बाजार में भारत की हिस्सेदारी में कमी का खतरा है।
- सी फूड: भारत का सी फूड निर्यात अमेरिका पर काफी निर्भर है, जहां कुल निर्यात का 40% जाता है। हर साल लगभग ₹60,000 करोड़ का कारोबार होता है, लेकिन 50% टैरिफ से ₹24,000 करोड़ तक का नुकसान हो सकता है। इक्वाडोर, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों को कम शुल्क का फायदा मिलेगा और भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी घट सकती है।

निर्यात में 70% तक गिरावट का खतरा
ट्रम्प टैरिफ का असर भारत के प्रमुख उत्पादन केंद्रों—तिरुपुर, नोएडा, सूरत, विशाखापत्तनम और जोधपुर में पहले से दिखने लगा है। प्रोडक्शन पर बुरा असर पड़ा है और CRISIL Ratings ने चेतावनी दी है कि कुछ उत्पादों के निर्यात में 70% तक की भारी गिरावट हो सकती है। अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में अमेरिका को भारत का कुल निर्यात 43% तक घट सकता है।
प्रतिस्पर्धी देशों को फायदा: भारत के निर्यात में आई गिरावट से वियतनाम, बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन, तुर्की, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे प्रतिस्पर्धी देश लाभ उठा सकते हैं। इन पर टैरिफ भारत की तुलना में काफी कम है, जिससे ये देश अमेरिकी बाजार में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं।
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
नए टैरिफ लागू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष रूप से अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा कि भारत किसी भी आर्थिक दबाव का मुकाबला करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, “आज दुनिया में आर्थिक स्वार्थ वाली राजनीति है, सब अपने-अपने हित साधने में लगे हैं। इसे हम भलीभांति देख रहे हैं।”
पीएम मोदी ने संकेत दिया कि भारत अपनी आर्थिक लचीलापन और आत्मनिर्भरता को मजबूत करके इन चुनौतियों का सामना करेगा।
भारत के प्रयास: निर्यात चुनौतियों से निपटने और आत्मनिर्भरता की ओर कदम
भारत सरकार एक्सपोर्ट से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए कई अहम कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक बयान में स्पष्ट किया है कि भारत अपने किसानों और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी तरह के दबाव को सहने के लिए तैयार है। उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने की अपील की है, जिससे न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी बल्कि घरेलू मांग भी बढ़ेगी। इसके साथ ही सरकार गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में संशोधन की योजना पर काम कर रही है। इस संशोधन के तहत अब चार स्लैब की जगह 5% और 18% के दो नए स्लैब लागू करने की तैयारी की जा रही है।
सरकार का बड़ा कदम: 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात प्रोत्साहन मिशन, एक्सपोर्टर्स को मिलेगी राहत
केंद्र सरकार निर्यातकों को सहूलियत देने के लिए एक नई पहल पर काम कर रही है। इसके तहत सितंबर से लगभग 20,000 करोड़ रुपये का एक व्यापक निर्यात प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है। इस योजना में खासतौर पर पांच अहम क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी- ट्रेड फाइनेंस, अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक आसान पहुंच, ‘ब्रांड इंडिया’ को मजबूत पहचान, आधुनिक ई-कॉमर्स हब और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उपाय।
योजना के तहत एक्सपोर्टर्स को टेस्टिंग फीस में छूट, कस्टम्स प्रक्रियाओं में सरलता और बेहतर लॉजिस्टिक समर्थन भी उपलब्ध कराया जाएगा।
साथ ही, सरकार अमेरिकी बाजार पर अत्यधिक निर्भरता कम करने के लिए दक्षिण एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते हुए बाजारों को टारगेट कर रही है। इसके अलावा हाल ही में यूरोपीय संघ के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को भी भारत के निर्यात विस्तार के लिए बड़ा अवसर माना जा रहा है।