गन्ने से एथेनॉल उत्पादन पर लगी रोक हटाई गई: शुगर मिलों को राहत, किसानों को मिलेगा सीधा फायदा

भारत सरकार ने सोमवार को एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर गन्ने का रस, सीरप और सभी प्रकार के मोलासेस से एथेनॉल उत्पादन पर लगी सीमाएं हटा दी हैं। यह निर्णय वित्त वर्ष 2025-26 से लागू होगा।

देश, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है, ने पहले गन्ने की आपूर्ति में कमी के कारण चालू विपणन वर्ष में उत्पादन पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे। अब इन प्रतिबंधों के हटने से गन्ना किसान और एथेनॉल उद्योग दोनों को लाभ होगा, क्योंकि इससे उत्पादन में वृद्धि और बाजार में स्थिरता आने की उम्मीद है।

ban on ethanol production from sugarcane lifted

1 नवंबर से शुगर मिलों के लिए रास्ता आसान:

 

चीनी उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। पहले भले ही एथेनॉल उत्पादन पर कुछ रोक लगाई गई थी, लेकिन अब शुगर मीलों के लिए रास्ता आसान हो गया है। इसका मतलब है कि कंपनियां अब जितना चाहे उतना एथेनॉल उत्पादन कर सकेंगी।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह छूट 1 नवंबर से लागू होगी। साथ ही यह भी कहा गया कि देश में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर इस नीति की समीक्षा की जाती है और शुगर सीरप से एथेनॉल उत्पादन पर रोक लगाई जाती है।

 

पहले रोक क्यों लगी थी?

एथेनॉल उत्पादन पर पहले मात्रा की सीमा तय थी, खासकर उन वर्षों में जब गन्ने की फसल कम होती थी। सरकार इस पर खास नजर रखती थी। लेकिन इस साल लगातार अच्छे मानसून और गन्ने की बढ़ी हुई पैदावार के कारण, सरकार ने इस पाबंदी को हटाने का निर्णय लिया है।

 

भारत की चीनी मिलें बढ़ा रही हैं एथेनॉल उत्पादन, पेट्रोल में 20% मिलावट का लक्ष्य 2025/26 तक:

पिछले कुछ वर्षों में भारत की प्रमुख चीनी मिलों जैसे ईआईडी पैरी, बलरामपुर चीनी मिल्स, श्री रेणुका शुगर, बजाज हिन्दुस्तान और द्वारिकेश शुगर ने अपनी एथेनॉल उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की है।

तेल उत्पादों का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता होने के नाते, भारत ने यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2025/26 तक पेट्रोल में एथेनॉल की मिलावट को 20% तक बढ़ाया जाएगा। यह कदम न केवल ईंधन सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि हरित ऊर्जा उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा।

 

बाजार की प्रतिक्रिया

नीति बदलाव के बाद बीएसई पर शुगर स्टॉक्स में तेज तेजी देखी गई। राजश्री शुगर एंड केमिकल्स ने रैली का नेतृत्व किया, इसके बाद श्री रेणुका शुगर ने मजबूती दिखाई।

अन्य प्रमुख शुगर कंपनियों ने भी मजबूत बढ़त दर्ज की। बलरामपुर चीनी मिल्स और श्री रेणुका शुगर में भारी खरीदारी हुई, जबकि बजाज हिंदुस्थान शुगर और गोदावरी बायोरिफाइनरीज ने भी बढ़त दिखाई। उत्तम शुगर मिल्स, धामपुर शुगर मिल्स, मगध शुगर एंड एनर्जी, त्रिवेणी इंजीनियरिंग और द्वारकेश शुगर में भी अच्छी तेजी देखने को मिली।

 

सुप्रीम कोर्ट ने E20 पेट्रोल पर चुनौती वाली याचिका खारिज की:

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को 20% एथेनॉल-मिश्रित ईंधन (E20) के रोलआउट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि E20 वाहन ईंधन का रोलआउट एक विचारपूर्ण और संतुलित निर्णय है, जो गन्ना उगाने वाले किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।

मुख्य बिंदु:

  • भारत में पेट्रोल में 20% तक एथेनॉल मिलाया जा रहा है, जिससे गन्ना किसानों को उच्च कीमत में गन्ना बेचने का लाभ मिलता है।
  • हालांकि, कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया कि एथेनॉल मिलाने से वाहनों का माइलेज कम हो सकता है, खासकर 2023 से पहले बनी पुरानी गाड़ियों में।
  • रिपोर्टों में माइलेज में लगभग 6% तक कमी और कुछ वाहनों में तकनीकी गड़बड़ी की चिंता जताई गई थी।
  • सरकार ने इन रिपोर्टों का खंडन करते हुए कहा कि E20 रोलआउट सुरक्षित और टिकाऊ है।

यह फैसला ईंधन सुरक्षा, हरित ऊर्जा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

 

आइए जानते है, इथेनॉल के बारे में-

  1. इथेनॉल क्या है?

इथेनॉल एक प्रकार का ईंधन है जिसका इस्तेमाल वाहनों को चलाने में किया जाता है। यह प्रदूषण को कम करने में मदद करता है और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। इसे एथिल अल्कोहल या अनाज अल्कोहल के रूप में भी जाना जाता है। ईंधन के रूप में इथेनॉल को अक्सर गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है, जैसे E10 में 10% इथेनॉल और 90% गैसोलीन, और E85 में 85% इथेनॉल और 15% गैसोलीन। इसे नवीकरणीय ऊर्जा माना जाता है क्योंकि इसे गन्ना, मक्का या अन्य कृषि फसलों से तैयार किया जा सकता है।

 

  1. इथेनॉल कैसे बनता है?

इथेनॉल मुख्य रूप से गन्ने और अन्य चीनी फसलों से तैयार किया जाता है। चीनी उत्पादन के उप-उत्पाद से भी इथेनॉल बनाया जा सकता है, जो पेट्रोल का किफायती विकल्प है। उत्पादन के बाद इसे गैसोलीन के साथ मिलाकर जैव ईंधन बनाया जाता है, जैसे E10 या E85।

  • इसे घरेलू स्तर पर कृषि फसलों से उत्पादित किया जा सकता है, जिससे कच्चे तेल के आयात की आवश्यकता कम होती है।
  1. गन्ने का इथेनॉल उत्पादन में अहम रोल: गन्ना इथेनॉल उत्पादन का प्रमुख कच्चा माल है। गन्ने में सुक्रोज की अधिकता इसे इथेनॉल उत्पादन के लिए आदर्श बनाती है। मिलिंग और क्रशिंग प्रक्रिया में गन्ने का रस निकालकर उसे इथेनॉल में बदला जाता है। बचा हुआ रेशेदार कचरा (Bagasse) बिजली और भाप उत्पादन के लिए बायोमास ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है।
  2. किसानों को कैसे मिलता है लाभ

इथेनॉल उत्पादन से किसानों के लिए कृषि उत्पादों की मांग बढ़ती है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ती है। पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलावट का रोलआउट किसानों को गन्ना और मक्का जैसी फसलों की बेहतर कीमत दिलाने में मदद करता है। इससे बाजार में स्थिरता आती है और किसानों को अतिरिक्त आय का अवसर मिलता है। इस पहल से कृषि और हरित ऊर्जा दोनों को लाभ मिलता है।

 

निष्कर्ष:

इस घोषणा से स्पष्ट है कि सरकार की नई नीति न केवल शुगर सेक्टर को राहत प्रदान करेगी, बल्कि एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देकर ऊर्जा मिश्रण (energy blending) के लक्ष्य को भी गति देगी। प्रतिबंध हटने से शुगर मिलों और डिस्टिलरियों को अधिक लचीलापन मिलेगा, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और किसानों को भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा। कुल मिलाकर, यह कदम शुगर उद्योग, ऊर्जा क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था—तीनों के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है।