ब्रिटेन की डिप्टी पीएम एंजेला रेनर ने पद से दिया इस्तीफा, जांच में टैक्स घोटाले का खुलासा होने पर छोड़ा पद

ब्रिटेन की उप-प्रधानमंत्री और हाउसिंग मिनिस्टर एंजेला रेनर ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने माना कि नए घर की खरीद के दौरान प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने में उनसे गलती हुई और तय राशि से करीब 44 लाख रुपए कम टैक्स भर दिया गया।

Britain's Deputy PM Angela Rayner resigned from her post after investigation revealed a tax scam

त्यागपत्र में क्या कहा रेनर ने?

 

प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर को लिखे अपने इस्तीफे में रेनर ने लिखा- मैं इस गलती की पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करती हूं।”

जवाब में स्टार्मर ने कहा कि उन्हें रेनर का इस्तीफा स्वीकार करना दुखद है, लेकिन उन्होंने सही निर्णय लिया है। उन्होंने आगे लिखा –आपकी उपलब्धियों और समर्पण के लिए मेरे मन में गहरा सम्मान और प्रशंसा है।”

एंजेला रेनर ने डिप्टी-लीडर का पद भी छोड़ा:

 

एंजेला रेनर ने न सिर्फ उप-प्रधानमंत्री का पद छोड़ा, बल्कि लेबर पार्टी की डिप्टी-लीडर की जिम्मेदारी भी त्याग दी। अब इस पद के लिए पार्टी में जल्द नया चुनाव कराया जाएगा।

प्रधानमंत्री के सलाहकार लॉरी मैग्नस ने कहा कि रेनर ने इस्तीफा देकर ईमानदारी दिखाई, लेकिन टैक्स से जुड़े नियम तोड़े हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, फ्लैट खरीदते समय रेनर ने वकील की राय ली थी, लेकिन टैक्स एक्सपर्ट की सलाह नहीं ली, जो कानूनी तौर पर जरूरी थी।

 

एक साल में आठ मंत्री हुए बाहर:

रेनर का इस्तीफा केवल एक व्यक्तिगत झटका नहीं, बल्कि सरकार के लिए भी बड़ा नुकसान माना जा रहा है। पिछले एक साल में कीर स्टार्मर की कैबिनेट से 8 मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। खास बात यह है कि जब रेनर पर पहले टैक्स गबन का आरोप लगा था, तब खुद स्टार्मर ने उनका बचाव किया था।

 

रेनर ने बचाए 40,000 पाउंड

ब्रिटेन में संपत्ति की खरीद पर स्टांप ड्यूटी टैक्स लगाया जाता है और महंगे घरों पर यह कर और अधिक होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एंजेला रेनर ने अपनी 800,000 पाउंड (लगभग 1 मिलियन डॉलर) की प्रॉपर्टी डील पर टैक्स का पूरा भुगतान नहीं किया। इससे उन्होंने करीब 40,000 पाउंड (लगभग 44 लाख रुपए) बचा लिए।

गौर करने वाली बात यह है कि लेबर सरकार में आवास मामलों की मंत्री रहते हुए रेनर अक्सर उन लोगों की आलोचना करती रही हैं, जो जानबूझकर टैक्स कम चुकाते हैं। यही वजह है कि उनके मामले ने और ज्यादा सुर्खियां बटोरीं।

 

टैक्स विवाद की जड़ क्या है?

एंजेला रेनर के टैक्स विवाद की जड़ इस बात से जुड़ी है कि उन्होंने होव में तीन बेडरूम वाला फ्लैट खरीदते समय सही टैक्स विशेषज्ञ की सलाह ली थी या नहीं। जब उन्होंने यह फ्लैट खरीदा, तो इसे अपनी एकमात्र संपत्ति घोषित किया और इसी आधार पर केवल £30,000 का स्टाम्प ड्यूटी टैक्स चुकाया। जबकि अगर यह दूसरी संपत्ति मानी जाती तो उन्हें £70,000 देना पड़ता।

 

रेनर का तर्क था कि उन्होंने अपने गृहक्षेत्र ग्रेटर मैनचेस्टर के ऐश्टन-अंडर-लाइन स्थित परिवारिक घर में अपनी हिस्सेदारी पहले ही छोड़ दी थी, इसलिए यह उनका एकमात्र घर है। लेकिन मामला जटिल इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने अपनी हिस्सेदारी एक ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दी थी। यह ट्रस्ट 2020 में अदालत के निर्देश पर उनके विकलांग बेटे के लिए बनाया गया था, ताकि मुआवजे की राशि और घर का प्रबंधन किया जा सके।

 

2023 में जब उनका तलाक हुआ, तो उन्होंने और उनके पूर्व पति मार्क ने घर का कुछ हिस्सा बेटे के ट्रस्ट में डाल दिया। इसका उद्देश्य यह था कि बच्चे उसी घर में रह सकें और माता-पिता बारी-बारी से वहाँ आकर रह सकें। इस साल की शुरुआत में रेनर ने घर में अपनी शेष 25% हिस्सेदारी भी बेटे के दूसरे ट्रस्ट को बेच दी और £162,500 प्राप्त किए। यह रकम उन्होंने होव में नया फ्लैट खरीदने में लगा दी।

 

रेनर ने क्या कहा:

 

रेनर का कहना है कि वकीलों की सलाह पर उन्हें बताया गया था कि इस परिस्थिति में उन्हें सामान्य दर से ही स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी। उनका तर्क था कि ऐश्टन स्थित घर में उनकी कोई वित्तीय हिस्सेदारी नहीं बची थी। उनके अनुसार, वही उनका मुख्य निवास था, जबकि वह समय-समय पर लंदन के एडमिरल्टी आर्च स्थित सरकारी फ्लैट में भी रहती थीं।

 

टैक्स विशेषज्ञों की राय: टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि रेनर को मिली कानूनी सलाह गलत थी। टैक्स कानून के अनुसार, अगर माता-पिता अपने नाबालिग बच्चों के लिए किसी ट्रस्ट में संपत्ति डालते हैं, तो टैक्स के लिहाज से वह संपत्ति माता-पिता की मानी जाती है।

 

स्टाम्प ड्यूटी लैंड टैक्स (SDLT) क्या है?

स्टाम्प ड्यूटी लैंड टैक्स (SDLT) वह टैक्स है जो इंग्लैंड और नॉर्दर्न आयरलैंड में किसी प्रॉपर्टी या ज़मीन की तय सीमा से अधिक कीमत पर खरीद के समय देना पड़ता है।

 

किसे देना पड़ता है SDLT?

यह टैक्स चुकाना होता है जब-

  • कोई फ्रीहोल्ड प्रॉपर्टी खरीदते हैं
  • कोई नया या पुराना लीज़होल्ड खरीदते हैं
  • शेयरड ओनरशिप स्कीम के तहत प्रॉपर्टी खरीदते हैं
  • मॉर्गेज लेते हैं या घर में हिस्सा (शेयर) खरीदते हैं

 

टैक्स की राशि इन बातों पर निर्भर करती है:

यह टैक्स प्रॉपर्टी की कीमत, प्रॉपर्टी का उपयोग (आवासीय या गैर-आवासीय) या फिर खरीदार के पास पहले से दूसरी प्रॉपर्टी है या नहीं, इन सब पर निर्भर करती है।

 

सरकार को कितनी कमाई होती है?

  • 2023–24 में SDLT से सरकार को £11.6 बिलियन की कमाई हुई।
  • यह 2022–23 की तुलना में कम है, जब कुल कमाई £15.4 बिलियन थी।
  • केवल रेज़िडेंशियल प्रॉपर्टी से ही 2023–24 में £8.6 बिलियन की आय हुई (2022–23 में यह £11.7 बिलियन थी)।

 

टैक्स कब चुकाना होता है?

इंग्लैंड और नॉर्दर्न आयरलैंड में प्रॉपर्टी खरीद पूरी होने के 14 दिनों के भीतर और स्कॉटलैंड और वेल्स में खरीद के 30 दिनों के भीतर टैक्स चुकाना पड़ता है। तय समय पर टैक्स न चुकाने पर जुर्माना या ब्याज लगता है।

 

एंजेला रेनर कौन है?

एंजेला रेनर (जन्म 28 मार्च 1980) एक ब्रिटिश राजनीतिज्ञ और ट्रेड यूनियनिस्ट हैं। उन्होंने जुलाई 2024 से सितंबर 2025 तक यूनाइटेड किंगडम की उप-प्रधानमंत्री और आवास, समुदाय एवं स्थानीय सरकार की राज्य सचिव के रूप में कार्य किया।

रेनर 2020 से 2025 तक लेबर पार्टी की उप-नेता रहीं और 2015 से एश्टन-अंडर-लाइन से लेबर और को-ऑपरेटिव पार्टी की सांसद (MP) के रूप में संसद में प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वैचारिक रूप से उन्हें एक समाजवादी माना जाता है और वह लेबर पार्टी के सॉफ्ट लेफ्ट गुट का हिस्सा मानी जाती हैं।

 

रेनर का इस्तीफा पार्टी और सरकार दोनों के लिए बड़ा झटका:

रेनर मिडिल वर्किंग क्लास से उठकर ब्रिटेन की राजनीति के शीर्ष पदों तक पहुंचीं और लेबर पार्टी के अंदर वामपंथी और मध्यमार्गी गुटों को जोड़कर रखने में अहम भूमिका निभाती थीं। कई लोगों की नजर में उनकी अपील पार्टी नेता कीर स्टार्मर से भी ज्यादा थी और उन्हें उनका संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा था।

लेबर सरकार में आवास मामलों की मंत्री रहीं रेनर अपने सीधे-सपाट बोलने के अंदाज के लिए जानी जाती थीं. वे अक्सर उन लोगों के खिलाफ बोलती थीं, जो जानबूझकर कम टैक्स देते थे, खासकर पुराने कंजर्वेटिव प्रशासन के लोगों के खिलाफ। यही कारण है कि उनका इस्तीफा न केवल सरकार बल्कि पार्टी की एकता के लिए भी एक बड़ा झटका माना जा रहा है।