हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा GST 2.0 की घोषणा की गयी, जिसमे सरकार ने दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी घटाने और जीवन रक्षक दवाओं को पूरी तरह कर से छूट देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस कदम से मरीजों और उनके परिवारों को सीधी राहत मिलेगी और इलाज का खर्च कम होगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उद्योग जगत के दिग्गजों ने इसे साहसिक और मानवीय निर्णय बताया है, जो आम लोगों को किफायती और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम है।

दवाओं पर जीएसटी शून्य, आम दवाएं भी होंगी सस्ती:
दवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है, वहीं जीवन रक्षक दवाओं को पूरी तरह कर से छूट दी गई है। इसके अलावा चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक किटों पर कर में कटौती की गई है और स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा प्रीमियम पर से भी कर हटा दिया गया है। इन कदमों से मरीजों और उनके परिवारों पर इलाज का आर्थिक बोझ कम होगा तथा गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और आसान बनेगी।
- जीवनरक्षक दवाएं: ये वे दवाएं होती हैं जो सीधे तौर पर किसी व्यक्ति के जीवन को बचाने या गंभीर, जानलेवा स्थिति को रोकने में काम आती हैं। जैसे: कैंसर की दवाएं, एंटीबायोटिक्स, इंसुलिन, एंटी-वेनम आदि।
- आम दवाएं: इनका उपयोग साधारण या कम गंभीर बीमारियों में किया जाता है। ये राहत तो देती हैं लेकिन जीवनरक्षक नहीं कहलातीं, क्योंकि इनके बिना तुरंत जान का खतरा नहीं होता। जैसे: बुखार, सिरदर्द, खांसी-जुकाम, बदन दर्द या एलर्जी।
विशेषज्ञों ने इस निर्णय का किया स्वागत, कहा अब आवश्यक उपचार होंगे और अधिक किफायती:
Organisation of Pharmaceutical Producers of India (OPPI) के महानिदेशक अनिल माताई ने इस फैसले को ऐतिहासिक और मानवीय बताया। उन्होंने कहा कि 33 जरूरी दवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर शून्य और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की तीन दवाओं पर 5% से शून्य करना मरीजों और परिवारों का खर्च काफी कम करेगा।
वहीं, पॉली मेडिकेयर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हिमांशु बैद ने कहा कि डायग्नोस्टिक किट और सर्जिकल उपकरणों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% करना एक प्रगतिशील सुधार है। इससे इलाज सस्ता होगा, जरूरी मेडिकल तकनीकों तक पहुंच आसान बनेगी और किफायती स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
इसी तरह फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. हर्ष महाजन ने भी इस प्रयास की तारीफ की लेकिन उन्होंने एक मांग भी रखी है की उपकरण रखरखाव सेवा अनुबंधों पर कर दर को भी 18% से घटाकर 5% किया जाना चाहिए, क्योंकि अस्पतालों और डायग्नोस्टिक केंद्रों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता, जिससे अतिरिक्त कर भार बढ़कर मरीजों तक पहुंचता है।
रोग का जल्द पता लगाने में मददगार कदम:
NATHEALTH की अध्यक्ष अमीरा शाह ने कहा कि इस फैसले से इलाज की लागत घटेगी, जिससे लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से मिलेंगी और बीमारियों का जल्दी पता लगाने में मदद मिलेगी।
- NATHEALTH (Healthcare Federation of India):
- यह भारत का एक प्रमुख हेल्थकेयर उद्योग निकाय है।
- इसमें अस्पताल, डायग्नोस्टिक चेन, मेडिकल टेक्नोलॉजी प्रदाता, बीमा कंपनियां और अन्य स्वास्थ्य सेवा कंपनियां शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करना, नीतिगत संवाद में भाग लेना और गुणवत्तापूर्ण व किफायती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाना है।
वहीं, अपोलो हेल्थ कंपनी लिमिटेड की चेयरपर्सन शोभना कामिनेनी ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीरो जीएसटी को मास्टरस्ट्रोक बताते हुए कहा कि यह कदम सुरक्षा को हर व्यक्ति का अधिकार बनाएगा और मध्यवर्गीय परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को आसान करेगा।
GST 2.0 के बारे में:
GST 2.0 में बड़े बदलाव किए गए हैं। अब केवल दो दरें होंगी, आवश्यक वस्तुओं पर 5% और बाकी पर 18%, जबकि तंबाकू जैसी वस्तुओं पर 40% कर लगेगा। जीवन व स्वास्थ्य बीमा, दूध, पनीर और कई जरूरी दवाओं को जीएसटी से छूट मिली है। छोटी कारों, टीवी, एसी, सीमेंट, कृषि व नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर भी कर घटाया गया है।
जीएसटी दरों में बदलाव का उद्देश्य:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि जीएसटी 2.0 का मुख्य लक्ष्य टैक्स प्रणाली को आसान बनाना, आम उपभोक्ताओं पर कर का दबाव घटाना और छोटे कारोबारों को प्रोत्साहित करना है। इसके साथ ही सरकार का फोकस इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करने पर भी है।
GST क्या है?
GST एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है, जिसे 2017 में 101वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए लागू किया गया। यह वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला कर है, जिसने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पहले लगाए जाने वाले अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों (जैसे वैट, सेवा कर, उत्पाद शुल्क आदि) को समाप्त कर एक ही कर व्यवस्था बना दी।
विशेषताएँ:
- दोहरी GST संरचना: केंद्र जीएसटी (CGST), राज्य जीएसटी (SGST) और अंतरराज्यीय लेनदेन पर आईजीएसटी (IGST)।
- जीएसटी परिषद: नीति और दर तय करने वाला निकाय, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं।
- संयुक्त मंच: इसमें केंद्र व राज्यों के मंत्री शामिल होते हैं।
- GST नेटवर्क (GSTN): करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने, भुगतान और अनुपालन में मदद करता है।
- सीमा छूट: छोटे कारोबारियों को एक तय सीमा तक जीएसटी से छूट, जिससे अनुपालन आसान होता है।
GST के लाभ:
- व्यापार में आसानी: तकनीक-आधारित प्रणाली, जिससे रिफंड और पंजीकरण सरल।
- मेक इन इंडिया को बढ़ावा: घरेलू उत्पाद राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी।
- निर्यात लाभ: एसईजेड आपूर्ति पर शून्य-रेटेड जीएसटी और त्वरित रिफंड।
- राजस्व और विकास: कर आधार का विस्तार, पारदर्शिता, राजस्व वृद्धि और GDP में 1.5-2% तक बढ़ोतरी।
GST की उपलब्धियां (2024-25):
- कुल संग्रह: 22.08 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे ज्यादा संग्रह।
- वृद्धि दर: पिछले वर्ष की तुलना में 9.4% की वृद्धि।
- औसत मासिक संग्रह: 1.84 लाख करोड़ रुपये प्रति माह।
निष्कर्ष:
GST 2.0 के तहत दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और बीमा पर कर में की गई कटौती आम जनता के लिए बड़ी राहत है। जीवन रक्षक दवाओं को पूरी तरह करमुक्त करना एक मानवीय व दूरदर्शी निर्णय है, जिससे न केवल इलाज का खर्च घटेगा बल्कि अधिक लोगों को सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। यह कदम मरीजों, उनके परिवारों और पूरे समाज के स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।