अमेरिका में बढ़ते तापमान का सीधा असर लोगों की खानपान की आदतों पर दिख रहा है। नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक नई स्टडी के अनुसार, गर्मी बढ़ने पर खासकर कम आय और कम शिक्षित वर्ग के लोग ज्यादा शुगरी ड्रिंक्स और फ्रोजन डेज़र्ट्स का सेवन करने लगे हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अब से 15 साल पहले की तुलना में हर साल लगभग 100 मिलियन पाउंड (358 मिलियन किलोग्राम) अतिरिक्त चीनी का उपभोग किया जा रहा है। यह ट्रेंड न सिर्फ मीठे उत्पादों की बिक्री को बढ़ा रहा है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी चिंता का कारण बन रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रेंड जहां एक ओर मीठे और ठंडे उत्पादों की बिक्री बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा भी बन रहा है।

गर्मी बढ़ने के साथ बढ़ी अमेरिकियों की चीनी खपत:
शोधकर्ताओं ने 2004 से 2019 तक घरेलू खाद्य खरीदारी के आंकड़ों का अध्ययन किया और उन्हें तापमान व आर्द्रता जैसे मौसम संबंधी डाटा से जोड़ा। इसका मकसद यह समझना था कि बदलते मौसम का खानपान पर क्या असर पड़ता है।
नतीजों में पाया गया कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ा, लोगों ने सोडा और जूस जैसे मीठे पेय अधिक मात्रा में खरीदने और पीने शुरू कर दिए।
हर 1.8°F तापमान वृद्धि पर प्रतिदिन 0.7 ग्राम अधिक चीनी की खपत दर्ज:
अध्ययन में पाया गया की, हर 1.8 डिग्री फारेनहाइट तापमान वृद्धि पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 0.7 ग्राम अतिरिक्त चीनी की खपत बढ़ गई।
सबसे तेज़ बढ़ोतरी तब देखी गई जब तापमान 68 से 86 डिग्री फारेनहाइट के बीच पहुंचा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान न सिर्फ चीनी की खपत बढ़ा रहा है, बल्कि मोटापा और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों के खतरे को भी और गंभीर बना रहा है।
गर्मी में क्यों बढ़ रहा मीठे पेय का सेवन?
गर्म मौसम में शरीर से पसीने के जरिए पानी तेजी से निकलता है, जिससे डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे समय शरीर को ठंडक और तरल पदार्थों की ज़रूरत होती है।
अमेरिका में लोग इस कमी को पूरा करने के लिए अक्सर सोडा, जूस और आइसक्रीम जैसी मीठी व ठंडी चीज़ों का सहारा लेते हैं। ये चीज़ें तुरंत ठंडक तो देती हैं, लेकिन असली प्यास नहीं बुझातीं और न ही शरीर में पानी की कमी पूरी करती हैं। उल्टा, इनमें मौजूद अधिक चीनी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि कम आय या कम शिक्षा वाले परिवारों पर इसका प्रभाव विशेष रूप से ज्यादा है।
जलवायु परिवर्तन से बढ़ेगी चीनी की खपत, 2095 तक 3 ग्राम तक बढ़ जाएगी खपत:
नई रिसर्च ने चेतावनी दी है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए प्रदूषण पर काबू नहीं पाया गया, तो वर्ष 2095 तक अमेरिकियों की चीनी खपत प्रतिदिन लगभग 3 ग्राम तक और बढ़ सकती है। इस बढ़ोतरी का सबसे ज़्यादा असर कमजोर और वंचित वर्गों पर होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत अधिक चीनी का सेवन मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन पहले ही सलाह दे चुका है कि रोज़ाना ली जाने वाली कुल कैलोरी में अतिरिक्त शुगर की मात्रा 6% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके मुताबिक, पुरुषों के लिए अधिकतम 36 ग्राम और महिलाओं के लिए 26 ग्राम तक की चीनी ही सुरक्षित मानी जाती है।
धरती का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा:
धरती का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण इंसानी गतिविधियों से होने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 200 वर्षों में लगभग सभी वैश्विक तापमान वृद्धि के लिए मानवीय गतिविधियाँ ज़िम्मेदार रही हैं, मुख्यतः तेल, कोयला और गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों के जलने से। इसका नतीजा यह है कि बीते चार दशक इतिहास के सबसे गर्म दशक रहे हैं।
इसके मुख्य कारण:
- मानव-निर्मित समस्या: जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग का लगभग पूरा कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं।
- रिकॉर्ड गर्मी: 2014 से 2023 का दशक अब तक का सबसे गर्म 10 सालों का दौर रहा।
- 5°C सीमा पार: वर्ष 2024 पहला ऐसा पूरा साल रहा, जब वैश्विक तापमान प्री-इंडस्ट्रियल स्तर से 1.5°C ऊपर पहुँच गया।
- तेज़ी से बढ़ता रुझान: हाल के दशकों में गर्मी बढ़ने की रफ्तार और तेज़ हुई है।
- ग्रीनहाउस गैसें: वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसों की अधिकता धरती को और गर्म कर रही है।
इसका क्या असर पड़ेगा?
ग्लोबल टेम्परेचर राइज़ के कारण आर्कटिक और अंटार्कटिक की बर्फ पिघल रही है, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, महासागर अम्लीय हो रहे हैं और तूफ़ान व हीटवेव जैसी चरम मौसमी घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- इसका सीधा प्रभाव न सिर्फ़ पर्यावरण और जीव-जंतुओं पर बल्कि इंसानी समाज और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है।
आइए जानते है, ज्यादा चीनी खाने से होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ:
मीठा हर किसी को पसंद होता है, लेकिन ज़्यादा चीनी का सेवन शरीर के लिए कई बीमारियों का कारण बन सकता है। शुगर न केवल मोटापा बढ़ाती है, बल्कि डायबिटीज़ और हार्ट डिज़ीज़ जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम भी बढ़ाती है।
शुगर से जुड़ी मुख्य स्वास्थ्य समस्याएँ:
- मोटापा और वज़न बढ़ना: अतिरिक्त चीनी सिर्फ कैलोरी देती है, पोषक तत्व नहीं। इससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होती है और वज़न बढ़ता है।
- टाइप-2 डायबिटीज़: बहुत ज़्यादा शुगर इंसुलिन रेज़िस्टेंस और सूजन (inflammation) बढ़ाकर डायबिटीज़ का खतरा बढ़ाती है।
- दिल की बीमारियाँ: चीनी की अधिक मात्रा ब्लड प्रेशर बढ़ाती है, धमनियों को मोटा करती है और सूजन पैदा करती है, जिससे हार्ट डिज़ीज़ का खतरा होता है।
- दाँतों की सड़न: मुँह के बैक्टीरिया शुगर से एसिड बनाते हैं, जो दाँतों को नुकसान पहुँचाकर कैविटी और डिके का कारण बनते हैं।
- फैटी लिवर डिज़ीज़: अतिरिक्त शुगर शरीर में फैट में बदलकर लिवर में जमा हो जाती है, जिससे फैटी लिवर की समस्या होती है।
- मुहाँसे (Acne): शुगर इंसुलिन लेवल को बढ़ाकर स्किन में ऑयल प्रोडक्शन तेज़ करती है, जिससे पिंपल्स की समस्या बढ़ सकती है।
- एनर्जी क्रैश और मूड स्विंग्स: रिफाइंड शुगर से ब्लड शुगर अचानक बढ़ता है और फिर तेज़ी से गिरता है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स होते हैं।
भारत में चीनी खपत रिकॉर्ड स्तर पर:
भारत में चीनी की खपत लगातार नए रिकॉर्ड बना रही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड (2024) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की नेट शुगर कंज़म्पशन (Ethanol डायवर्ज़न को छोड़कर) 2024-25 के सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में पहली बार 30 मिलियन टन तक पहुँच सकती है। फिलहाल, 2023-24 का शुगर सीजन जो सितंबर में घरेलू खपत पहले ही 29 मिलियन टन तथी। यह बढ़ोतरी एक ओर जहां तेज़ गर्मी और लू के कारण सॉफ्ट ड्रिंक्स व मिठाइयों की डिमांड बढ़ने से हुई।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की सालाना शुगर कंज़म्पशन ग्रोथ रेट 2.2% है, जो कि वैश्विक औसत (लगभग 1%) से कहीं अधिक है। यह रुझान दिखाता है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देशों में से एक बना रहेगा।
चीनी और मोटापा: कैसे बढ़ रहा है खतरा:
दुनियाभर में मोटापे की बड़ी वजहों में से एक है ज्यादा चीनी का सेवन। विशेषज्ञ मानते हैं कि शुगर शरीर को केवल “खाली कैलोरी” देती है, यानी ऊर्जा तो देती है लेकिन ज़रूरी पोषक तत्व जैसे विटामिन, मिनरल और फाइबर नहीं देती। यही वजह है कि अधिक मात्रा में चीनी खाने से वज़न बढ़ता है और मोटापा, डायबिटीज़ व हार्ट डिज़ीज़ जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
भारत जैसे देशों में शुगर-युक्त पेय और प्रोसेस्ड फूड्स की बढ़ती खपत ने इस समस्या को और गहरा बना दिया है।
शुगर और मोटापे के बीच संबंध:
- अतिरिक्त कैलोरी और वज़न बढ़ना: ज़्यादा चीनी खाने से शरीर में अतिरिक्त कैलोरी जमा होती है, जिससे वज़न धीरे-धीरे बढ़ने लगता है।
- ब्लड शुगर असंतुलन: मीठा खाने से ब्लड शुगर तेज़ी से बढ़ता और घटता है, जिससे थकान और बार-बार खाने की इच्छा पैदा होती है।
- लत जैसी प्रवृत्ति: शुगर का स्वाद ऐसा होता है कि यह आदत बना लेता है, जिसके चलते लोग बार-बार मीठे पेय और जंक फूड की तरफ खिंचते हैं।
- ट्राइग्लिसराइड और फैटी लिवर: अतिरिक्त चीनी शरीर में चर्बी (ट्राइग्लिसराइड) में बदल जाती है, जो लिवर में जमा होकर फैटी लिवर और इंसुलिन रेज़िस्टेंस जैसी दिक्कतें पैदा करती है।
भारत में मोटापे का बढ़ता संकट:
भारत अब सिर्फ कुपोषण ही नहीं बल्कि मोटापे की चुनौती से भी जूझ रहा है। ताज़ा रिपोर्ट्स और अध्ययनों से पता चलता है कि यह समस्या हर उम्र और वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है और आने वाले सालों में और भी गंभीर हो सकती है।
- तेज़ी से बढ़ता मोटापा: एनएफएचएस-5 (2019-21) के अनुसार, भारत में 24% महिलाएँ और 23% पुरुष मोटापे से प्रभावित हैं। यह समस्या अमीर-गरीब सभी वर्गों में समान रूप से देखी जा रही है।
- बच्चों पर खतरा: वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2023 के मुताबिक, 2030 तक भारत में 163 मिलियन लोग मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं। इसमें खासकर 5 से 9 साल की उम्र के 81% बच्चे सबसे अधिक जोखिम में होंगे।
- डायबिटीज़ का बोझ: ICMR-INDIAB स्टडी 2023 के अनुसार, भारत में वर्तमान में 101 मिलियन लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
- शारीरिक निष्क्रियता: द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ 2023 की रिपोर्ट बताती है कि भारत की लगभग 50% आबादी पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं है, जिससे मोटापे का संकट और गहराता जा रहा है।
- बीमारियों से मौत का खतरा: WHO 2023 के मुताबिक, भारत में होने वाली कुल मौतों में 60% गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) के कारण होती हैं, जिनमें मोटापा एक बड़ी वजह है।
- गाँवों तक फैला मोटापा: अब यह समस्या सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रही। ग्रामीण इलाकों में भी प्रोसेस्ड फूड और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर डाइट की वजह से मोटापा तेज़ी से फैल रहा है।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर तुरंत जीवनशैली में सुधार, जागरूकता और नीतिगत बदलाव नहीं किए गए तो आने वाले वर्षों में मोटापा भारत के लिए सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन सकता है।
शुगर के नुकसान कम करने के उपाय:
अत्यधिक चीनी का सेवन शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है, लेकिन थोड़ी जागरूकता और सही आदतों से इसके असर को कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कुछ आसान कदम अपनाने की सलाह देते हैं:
- पूरे फूड्स पर ध्यान दें: कोशिश करें कि आपके आहार की ज़्यादातर कैलोरी फलों, सब्ज़ियों, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर चीज़ों से आएं।
- एडेड शुगर को सीमित करें: मिठाई, केक, मीठे सीरियल और प्रोसेस्ड फूड में छिपी हुई “फ्री शुगर” पर नज़र रखें और उनका सेवन कम करें।
- सक्रिय रहें और वज़न नियंत्रित रखें: नियमित व्यायाम और स्वस्थ वज़न बनाए रखने से शुगर से जुड़ी बीमारियों जैसे डायबिटीज़ और हार्ट डिज़ीज़ का खतरा कम हो जाता है।