सेब उत्पादकों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कश्मीर घाटी के लिए एक अहम कदम उठाया है। रेल मंत्री ने घोषणा की कि 13 सितंबर 2025 से बडगाम (कश्मीर) से दिल्ली के आदर्श नगर स्टेशन तक रोज़ाना समय-सारिणी वाली पार्सल ट्रेन चलाई जाएगी। इस सुविधा से घाटी के सेब उत्पादकों को अपनी उपज बड़े बाज़ारों तक पहुँचाने में आसानी होगी।

रेल मंत्री ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “कश्मीर के सेब उत्पादकों को सशक्त बनाना हमारा लक्ष्य है। जम्मू-श्रीनगर लाइन के चालू होने से बेहतर कनेक्टिविटी मिली है और अब बडगाम से दिल्ली तक सेब ले जाने वाली पार्सल सेवा शुरू हो रही है।”

पहली पार्सल ट्रेन दिल्ली के लिए रवाना : अश्विनी वैष्णव
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी कि कश्मीर के बागानों से ताजे सेब लेकर पहली पार्सल ट्रेन दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी है। जम्मू–श्रीनगर रेल लाइन के शुरू होने के बाद इसे भारतीय रेलवे का एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

कश्मीर (बडगाम से प्रस्थान) और दिल्ली (आदर्श नगर स्टेशन) तक:
रेल मंत्रालय के अनुसार, यह पार्सल ट्रेन रोज़ाना सुबह बडगाम से प्रस्थान करेगी और अगले दिन सुबह दिल्ली के आदर्श नगर स्टेशन पहुँचेगी। शुरुआत में ट्रेन में दो पार्सल वैन लगाए जा रहे हैं, जिनकी कुल वहन क्षमता लगभग 46 टन होगी। आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में वैन की संख्या बढ़ाई भी जा सकेगी।
इस सेवा से कश्मीर घाटी के बागवानों को अपनी उपज सीधे दिल्ली की थोक मंडियों तक पहुँचाने में सुविधा मिलेगी। समयबद्ध ट्रेन होने के कारण सेब और अन्य उत्पाद ताजगी के साथ बाज़ार तक पहुँचेंगे, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।
क्या होगा फायदा:
यह नई पार्सल ट्रेन सेवा कश्मीर की लॉजिस्टिक्स व्यवस्था में बदलाव का संकेत है। अब बागवानों को अपनी उपज दिल्ली तक पहुँचाने के लिए संवेदनशील सड़क मार्गों पर अधिक निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इससे न केवल बागवानी क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, बल्कि घाटी की अर्थव्यवस्था में भी नया उत्साह आएगा।
पहले कई बार भूस्खलन और भारी बारिश के कारण जब जम्मू–श्रीनगर हाईवे बंद हो जाता था, तो सेब से लदे ट्रक फँस जाते थे और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता था। इस नई सेवा से ऐसे नुकसान में अब काफी कमी आने की उम्मीद है।
हाईवे बंद से कश्मीर के बागवानों को 700 करोड़ रुपये का नुकसान, सेब ट्रकों में सड़े:
हाल ही में श्रीनगर–जम्मू नेशनल हाईवे भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से करीब नौ दिन तक बंद रहा। इस दौरान हजारों ट्रक, जिनमें से कई फल-लदे वाहन थे, हाईवे पर फँस गए। परिणामस्वरूप बागवानों और व्यापारियों को लगभग 600 से 700 करोड़ रुपये तक का नुकसान झेलना पड़ा।
सेब उत्पादकों का कहना है कि “उत्पाद ट्रकों के अंदर सड़ रहे हैं। यह हमारी कटाई का सबसे महत्वपूर्ण समय है, और राजमार्ग बंद होने से हम नुकसान के कगार पर पहुँच गए हैं।”
कश्मीर का बागवानी क्षेत्र करीब 30 लाख लोगों की आजीविका से सीधा और परोक्ष रूप से जुड़ा हुआ है और जम्मू-कश्मीर के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में 10% तक का योगदान करते हैं।
ऐसे में हाईवे बंद होने से हुई यह क्षति न केवल किसानों बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बनकर सामने आई है।
मुख्यमंत्री ने की पार्सल ट्रेन चलाने की मांग: राष्ट्रीय राजमार्ग के बार-बार बंद होने से परेशान होकर कश्मीर घाटी के फल व्यापारियों ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से गुहार लगाई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने तत्काल इंटरनेट मीडिया के माध्यम से केंद्रीय रेल मंत्री से संपर्क कर कश्मीर से दिल्ली तक मालगाड़ी सेवा शुरू करने की मांग उठाई। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का तर्क था कि जब तक रेल के ज़रिये ढुलाई की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी, तब तक किसानों और व्यापारियों के नुकसान को रोकना संभव नहीं है।
सीएम उमर ने फैसले का किया स्वागत:
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रेलवे की इस नई पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों और उनके सचिवालय के बीच लगभग एक हफ्ते तक चले समन्वय प्रयासों का नतीजा है। इस प्रक्रिया में जम्मू-कश्मीर कृषि उत्पादन विभाग की भी अहम भूमिका रही।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि आने वाले दिनों में सेब के साथ अन्य कृषि उत्पाद भी रेल मार्ग से देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाए जा सकेंगे, जिससे प्रदेश के किसानों और बागवानों को व्यापक लाभ मिलेगा।
भारत में सेब उत्पादन के प्रमुख राज्य:
- जम्मू-कश्मीर (सबसे बड़ा उत्पादक राज्य): भारत में सेब उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा जम्मू-कश्मीर से आता है। यहाँ हर साल लगभग42 टन सेब का उत्पादन होता है, जो देश के कुल उत्पादन का 70.54% है। इसका बाजार मूल्य ₹10,000 से ₹12,000 करोड़ तक आँका जाता है। सेब उद्योग इस क्षेत्र में लाखों लोगों की आजीविका का आधार है।
- हिमाचल प्रदेश (दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक): हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। यहाँ हर साल लगभग 85 टन सेब पैदा होता है, जो कुल उत्पादन का 26.42% है।
- उत्तराखंड (तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक): उत्तराखंड तीसरे स्थान पर आता है। यहाँ हर साल लगभग 88 टन सेब का उत्पादन होता है, जो कुल उत्पादन का 2.66% है।
- अरुणाचल प्रदेश (चौथा स्थान): अरुणाचल प्रदेश में हर साल लगभग 34 टन सेब का उत्पादन होता है।
- नागालैंड (पाँचवाँ स्थान): नागालैंड पाँचवें नंबर पर है, जहाँ करीब 80 टन सेब का उत्पादन होता है।
तुर्की से भारत में सेब आयात
भारत हर साल बड़ी मात्रा में तुर्की से सेब आयात करता है। बीते पाँच वर्षों में तुर्की से लगभग पाँच लाख मीट्रिक टन सेब भारत आया है, जिनमें से साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन से अधिक सिर्फ पिछले तीन वर्षों में ही आयात हुआ। औसतन यह सेब भारत में 64 से 70 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुँचता है और इस व्यापार से तुर्की ने हर साल करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया है। भारत में कुल आयातित सेब का सबसे बड़ा हिस्सा, करीब 23 प्रतिशत, तुर्की से आता है।
भारत में सेब आयात का हिस्सा (DGCIS के अनुसार):
- तुर्की: 23% (सबसे ज्यादा)
- ईरान: 21%
- अफगानिस्तान: 10%
- इटली: 8%
- पोलैंड: 7%
- अन्य देश: 31%
भारत चिली, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, बेल्जियम, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, नीदरलैंड, अर्जेंटीना, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड जैसे देशों से भी सेब आयात करता है, लेकिन तुर्की सबसे बड़ा निर्यातक है।
निष्कर्ष:
केंद्र सरकार द्वारा बडगाम (जम्मू-कश्मीर) से दिल्ली के आदर्श नगर स्टेशन तक विशेष पार्सल ट्रेन चलाने का फैसला कश्मीर के बागवानों और व्यापारियों के लिए बड़ी राहत है। इससे उनकी उपज सीधे और सुरक्षित तरीके से दिल्ली की थोक मंडियों तक समय पर पहुँचेगी। सड़क मार्ग पर भूस्खलन और बारिश जैसी समस्याओं के कारण होने वाले नुकसान से अब काफी हद तक बचाव होगा। यह कदम न केवल बागवानी क्षेत्र को मजबूती देगा, बल्कि घाटी की अर्थव्यवस्था को भी नई गति प्रदान करेगा।