प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कोलकाता स्थित विजय दुर्ग (पूर्व में फोर्ट विलियम) में भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय में तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन (CCC) का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का मुख्य फोकस सुधार, परिवर्तन और सशस्त्र बलों की तैयारियों पर है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस अहम बैठक में मौजूद रहे। यह सम्मेलन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आयोजित होने वाला पहला संयुक्त कमांडर सम्मेलन है, जिसे सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

तीन दिन तक चलेगा सम्मेलन:
15 से 17 सितंबर तक आयोजित होने वाले इस तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन (CCC) में देश के शीर्ष रक्षा नेतृत्व की मौजूदगी रहेगी। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडर भी भाग लेंगे।
- पिछला संयुक्त कमांडर सम्मेलन 2023 में भोपाल में आयोजित किया गया था।
संयुक्त कमांडर सम्मेलन (CCC) में क्या-क्या होगा?
इस वर्ष का संयुक्त कमांडर सम्मेलन (CCC) का थीम है “सुधारों का वर्ष – भविष्य के लिए परिवर्तन”।
- तीनों सेनाओं के शीर्ष कमांडर विभिन्न सामरिक और रणनीतिक मुद्दों पर मंथन करेंगे।
- सम्मेलन में सभी रैंकों के सैनिकों और अधिकारियों के साथ वार्ता सत्र भी होंगे, ताकि जमीनी अनुभव और चुनौतियाँ भी चर्चा का हिस्सा बन सकें।
- रक्षा मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों के सचिव और तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल रहेंगे।
इस साल कोलकाता में होने वाला यह सम्मेलन मुख्य रूप से सुधार, परिवर्तन और ऑपरेशनल तैयारियों पर केंद्रित होगा।
इसका प्रमुख लक्ष्य है, कि भारतीय सेनाएँ और अधिक चुस्त, निर्णायक और आधुनिक बन सकें, ताकि जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत की सुरक्षा को और मज़बूती मिले।
क्या है संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन?
संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन (CCC) भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च विचार-मंथन मंच है। यह वह मंच है जहाँ देश का शीर्ष नागरिक नेतृत्व और सैन्य नेतृत्व एक साथ बैठकर वैचारिक और रणनीतिक स्तर पर विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
अधिकारियों के अनुसार, इस सम्मेलन में मुख्य रूप से:
- सशस्त्र बलों में सुधार और परिवर्तन पर चर्चा,
- संचालन संबंधी तैयारियों की समीक्षा,
- और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए रणनीति तय करना प्रमुख उद्देश्य होता है।
यानी यह सम्मेलन भारतीय सेनाओं को समयानुकूल और भविष्य के अनुरूप बनाने की दिशा में एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करता है।
इस महत्वपूर्ण कांफ्रेंस के लिए कोलकाता को चुना जाना क्यों है खास?
संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन (CCC) के लिए कोलकाता को चुना जाना विशेष महत्व रखता है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, दशकों बाद पहली बार कोलकाता में इतना बड़ा सम्मेलन आयोजित हो रहा है।
पूर्वी भारत का सामरिक महत्व: पूर्वी भारत लगातार बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य का केंद्र बन गया है। बंगाल की खाड़ी से लेकर भारत-चीन सीमा तक की स्थिति इस क्षेत्र को बेहद संवेदनशील बनाती है। इसी कारण सम्मेलन के लिए कोलकाता का चुनाव रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
ईस्टर्न कमांड की चुनौतियाँ:
भारतीय सेना की पूर्वी कमान (Eastern Command) को कई भूगोल और भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्रमुख हैं:
- चीन सीमा और LAC विवाद: भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख की सीमाओं को लेकर विवाद चल रहा है, जो सालों पुराना है, इसी वजह से भारतीय सेना की पूर्वी कमान (Eastern Command) पर ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। इस कमान को न सिर्फ़ चीन की सीमा पर निगरानी और जवाबी तैयारी रखनी होती है, बल्कि पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा और स्थिरता भी सुनिश्चित करनी होती है। ।
- चीनी इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़त: चीन ने सीमा पर तेज़ी से सड़क और निगरानी ढाँचा तैयार किया है, जिससे उसकी तैनाती और लॉजिस्टिक्स क्षमता भारत पर दबाव बनाती है।
- सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा: यह संकरा “चिकन नेक” इलाका पूर्वोत्तर भारत को मुख्य भूमि से जोड़ता है। इस पर कोई भी खतरा भारत की अखंडता के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।
- बहु-सीमा जिम्मेदारी: पूर्वी कमान को चीन के साथ-साथ बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार की सीमाओं की सुरक्षा भी करनी होती है।
- पूर्वोत्तर में उग्रवाद: पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववाद और उग्रवाद की समस्या अभी भी एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है।
बांग्लादेश का बदलता समीकरण:
पिछले साल शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में भारत-विरोधी भावनाएँ बढ़ी हैं। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जैसे—
- भारत पर आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप का आरोप
- नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
- साझा नदियों पर जल विवाद
इसके साथ ही बांग्लादेश की चीन के साथ बढ़ती नज़दीकी और हाल ही में पाकिस्तान की बढ़ती दिलचस्पी भारत के लिए चिंताजनक है।
क्षेत्रीय समीकरण और सुरक्षा:
- चीन का उभरता दबदबा और पड़ोसी देशों में उसकी बढ़ती दखलंदाजी भारत के लिए सीधी चुनौती है।
- इन परिस्थितियों में पूर्वी भारत न केवल सामरिक दृष्टि से बल्कि भू-राजनीतिक संतुलन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो गया है।
निष्कर्ष:
कोलकाता में आयोजित यह सम्मेलन केवल सैन्य रणनीति पर विचार-विमर्श का मंच नहीं है, बल्कि यह पूर्वी भारत की बदलती परिस्थितियों को ध्यान में रखकर भविष्य की रक्षा नीति और सुरक्षा रणनीति तय करने का अवसर भी है।