ग्रैंडमास्टर वैशाली रमेशबाबू ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में खेले गए FIDE विमेंस ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट का खिताब जीतकर न सिर्फ अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि अगले साल होने वाले FIDE विमेंस कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026 के लिए भी क्वालीफाई कर लिया।
यह जीत इसलिए और खास है क्योंकि टूर्नामेंट के छोटे से इतिहास में पहली बार किसी खिलाड़ी ने ग्रैंड स्विस खिताब दूसरी बार अपने नाम किया है। इस उपलब्धि के साथ वैशाली, कोनेरू हम्पी और दिव्या देशमुख के बाद कैंडिडेट्स के लिए जगह बनाने वाली भारत की तीसरी महिला खिलाड़ी बन गई हैं। इस प्रतियोगिता में शामिल भारतीयों में से कोई भी पुरुष “कैंडिडेट्स” में जगह नहीं बना सका.

वैशाली ने जुटाए 11 राउंड में 8 अंक:
वैशाली ने 10वें राउंड में यूक्रेन की पूर्व विश्व चैंपियन मारिया मुज़ीचुक को हराकर संयुक्त बढ़त हासिल की। इसके बाद आखिरी यानी 11वें राउंड में चीन की पूर्व महिला विश्व चैंपियन तान झोंगयी के खिलाफ काले मोहरों से शानदार और मज़बूत खेल दिखाते हुए मुकाबला ड्रॉ किया। कुल मिलाकर उन्होंने 11 राउंड में 8 अंक जुटाए, जो कैटरीना लागनो के बराबर थे, लेकिन टाई-ब्रेक में आगे रहते हुए उन्होंने खिताब अपने नाम कर लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैशाली रमेशबाबू को उनकी इस ऐतिहासिक जीत पर बधाई देते हुए अपने आधिकारिक X हैंडल पर लिखा कि यह एक शानदार उपलब्धि है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैशाली की लगन और समर्पण प्रेरणादायक हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने भी दी बधाई:
आनंद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वैशाली का प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ है। हमें गर्व है कि WACA (WestBridge-Anand Chess Academy) ने उन्हें विश्व खिताब तक पहुंचने के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण दिया। उनकी मेहनत और लगन वाकई प्रशंसनीय है। साथ ही आनंद ने कहा कि FIDE ग्रैंड स्विस को दो बार जीतना एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे बहुत कम खिलाड़ी हासिल कर पाते हैं।
टूर्नामेंट में वैशाली का प्रदर्शन:
इस टूर्नामेंट में वैशाली का प्रदर्शन शानदार रहा। उन्होंने 6 बाजियां जीतीं, केवल 1 में हार मिली और बाकी 4 बाजियां ड्रॉ रहीं। कुल अंकों में वह कैटरीना लागनो से एक अंक आगे रहीं और खिताब जीत लिया। इस जीत की खास बात यह है कि अब वैशाली और उनके भाई आर. प्रज्ञानानंदा दोनों ही कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में खेलेंगे और विश्व चैंपियन को चुनौती देने का मौका पाएंगे।
वैशाली का हालिया प्रदर्शन नहीं था उतना अच्छा:
हाल ही में हुए चेन्नई ग्रैंडमास्टर्स चैलेंजर्स में वह केवल 1.5 अंक ही जुटा सकीं। इससे पहले महिला विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में उन्हें टैन झोंगयी के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इन नतीजों के बाद वैशाली ने ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट का खिताब जीतकर अपनी खोई हुई फॉर्म शानदार तरीके से वापस पा ली।
पुरुषों में अनीश गिरी का रहा दबदबा, कैंडिडेट्स के लिए भी किया क्वालीफाई:
नीदरलैंड के अनीश गिरी ने टूर्नामेंट में लगातार शानदार प्रदर्शन किया और अंतिम राउंड में जीत दर्ज कर पहला स्थान हासिल किया। उनके साथ ही जर्मनी के ग्रैंडमास्टर मैथियास ब्लूबाम ने फ्रांस के अलीरेजा फिरोजा के खिलाफ ड्रॉ खेला और 7.5/11 अंकों के साथ टाई-ब्रेक में बेहतर रहते हुए दूसरा कैंडिडेट्स स्थान अपने नाम किया। फिरोजा को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
आइए जान लेते है, वैशाली रमेशबाबू के बारे में-
वैशाली रमेशबाबू का जन्म 21 जून 2001 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। उनके पिता रमेशबाबू TNSC बैंक में शाखा प्रबंधक हैं और उनकी माँ नागलक्ष्मी गृहिणी हैं। वैशाली के छोटे भाई आर. प्रज्ञानानंदा भी शतरंज के ग्रैंडमास्टर हैं। खास बात यह है कि वैशाली और प्रज्ञानानंदा इतिहास में ऐसे पहले भाई-बहन हैं जिन्होंने दोनों ने ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया है।
वैशाली रमेशबाबू का शुरुआती करियर:
वैशाली रमेशबाबू का शुरुआती करियर काफी प्रेरणादायक रहा है। वह दो बार की युवा चैंपियन रही हैं- 2012 में गर्ल्स अंडर-12 और 2015 में गर्ल्स अंडर-14 वर्ग में उन्होंने खिताब जीता। जब वह सिर्फ 12 साल की थीं और उनकी FIDE रेटिंग लगभग 2000 थी, तब उन्होंने दुनिया के दिग्गज ग्रैंडमास्टर मैग्नस कार्लसन के खिलाफ एक प्रदर्शनी मैच खेला और जीत दर्ज की। दिलचस्प बात यह है कि उसी के तुरंत बाद कार्लसन विश्व चैंपियन बने।
कैंडिडेट्स टूर्नामेंट तक पहुंचे थे भाई-बहन:
उन्होंने 2023 FIDE विमेंस ग्रैंड स्विस में 8.5/11 अंक बनाकर खिताब जीता और 2024 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया। उसी साल उनके भाई प्रज्ञानानंदा ने 2023 FIDE विश्व कप के जरिए कैंडिडेट्स में जगह बनाई।
FIDE विमेंस ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट के बारे में:
FIDE महिला ग्रां स्विस टूर्नामेंट एक बड़ा शतरंज आयोजन है, जो हर दो साल में होता है। यह 11-राउंड का स्विस-प्रणाली (Swiss-system) टूर्नामेंट है। यह महिला विश्व शतरंज चैम्पियनशिप के क्वालिफिकेशन चक्र का अहम हिस्सा है। यहाँ शीर्ष खिलाड़ी कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में प्रवेश पाती हैं।
इतिहास
पहला FIDE ग्रां स्विस टूर्नामेंट 2019 में हुआ था, लेकिन महिलाओं के लिए पहला टूर्नामेंट वर्ष 2021 में आयोजित किया गया।
यह आयोजन अपने खुले और अप्रत्याशित स्वभाव के लिए जाना जाता है, जिससे इसे जीतना सबसे कठिन प्रतियोगिताओं में से एक माना जाता है।
अब तक के नतीजे:
- 2021 (रीगा, लातविया) – विजेता: लेई टिंगजी (चीन)
- 2023 (डगलस, आइल ऑफ मैन) – विजेता: वैशाली रमेशबाबू (भारत)
- 2025 (समरकंद, उज्बेकिस्तान) – विजेता: वैशाली रमेशबाबू (भारत)
कैंडिडेट्स टूर्नामेंट क्या है ?
कैंडिडेट्स टूर्नामेंट FIDE (अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ) द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित प्रतियोगिता है। इसका उद्देश्य विश्व शतरंज चैम्पियनशिप के लिए आधिकारिक चुनौती देने वाले खिलाड़ी का चयन करना होता है। यह टूर्नामेंट विश्व चैंपियनशिप चक्र की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण प्रतियोगिता मानी जाती है। इसके विजेता को मौजूदा विश्व चैंपियन से खिताबी मुकाबला खेलने का अधिकार मिलता है।
मुख्य बिन्दु:
- इसे 1950 से FIDE आयोजित कर रही है।
- 1993 से पहले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट हर तीन साल में होता था।
- 1990 के दशक में विश्व चैम्पियनशिप के विभाजन और 2006 में पुनर्मिलन के बाद इसका चक्र बाधित रहा।
- 2013 से इसे दो साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
- 2020 का टूर्नामेंट COVID-19 के कारण स्थगित होकर 2021 में खेला गया, जबकि 2022 से टूर्नामेंट समयानुसार हुआ।
निष्कर्ष:
ग्रैंडमास्टर वैशाली रमेशबाबू की यह जीत उनके करियर और भारतीय शतरंज दोनों के लिए गर्व का विषय है। लगातार दूसरी बार FIDE विमेंस ग्रैंड स्विस जीतकर उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026 के लिए क्वालीफाई किया और साबित किया कि मेहनत और लगन से बड़े मुकाम हासिल किए जा सकते हैं।