प्रधानमंत्री मोदी 25 सितंबर को रखेंगे बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की आधारशिला, राजस्थान को मिलेगा दूसरा न्यूक्लियर प्लांट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह राजस्थान के माही बांसवाड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट की आधारशिला रखेंगे। यह अवसर इसलिए भी खास होगा क्योंकि इसके साथ ही भारत की सबसे बड़ी एकीकृत ऊर्जा कंपनियों में से एक, एनटीपीसी (NTPC) का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश होगा।

यह परियोजना भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) और एनटीपीसी लिमिटेड के संयुक्त उद्यम के रूप में विकसित की जा रही है। बांसवाड़ा के माही स्थल पर बनने वाले इस प्लांट में 700-700 मेगावाट क्षमता के चार स्वदेशी प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWRs) लगाए जाएंगे। इस संयुक्त उद्यम में एनटीपीसी की हिस्सेदारी 49% होगी, जबकि एनपीसीआईएल बहुलांश साझेदार रहेगा।

PM Modi to lay foundation stone for Banswara Nuclear Power Plant on September 25

2036 तक पूरी तरह ऑपरेशनल होगा माही न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट:

 

बांसवाड़ा में प्रस्तावित माही न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। इस परियोजना की पहली यूनिट से बिजली उत्पादन वर्ष 2032 में शुरू होगा, जबकि दूसरी यूनिट 6 माह बाद, तीसरी 11 माह बाद और चौथी यूनिट उसके बाद स्थापित की जाएगी।

इस क्रम में परियोजना की सभी चारों यूनिटें वर्ष 2036 तक पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएंगी।

 

कुल क्षमता 2800 मेगावाट:

बांसवाड़ा न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट की कुल उत्पादन क्षमता 2800 मेगावाट होगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब ₹45,000 करोड़ आँकी गई है। इसका निर्माण लगभग 623 हेक्टेयर भूमि पर किया जाएगा।

परियोजना से रोजगार सृजन की दृष्टि से भी बड़ी उम्मीदें हैं। अनुमान है कि इसके चलते करीब 5,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 20,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि जब यह परियोजना सुचारू रूप से चालू हो जाएगी, तो यह न सिर्फ राजस्थान की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी, बल्कि राज्य की आर्थिक प्रगति और औद्योगिक विकास की दिशा भी बदल देगी।

 

1.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की देंगे सौगात:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 सितंबर को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले का दौरा करेंगे। इस दौरान वे देशभर के लिए ₹1.21 लाख करोड़ से अधिक की विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।

इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण होगा माही-बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी रखेंगे। करीब ₹45,000 करोड़ की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट राजस्थान को परमाणु ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में नई पहचान देगा।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री राज्य को दो वंदे भारत ट्रेनों और एक अन्य एक्सप्रेस ट्रेन की भी सौगात देंगे, जिससे रेल यातायात और तेज़ तथा सुगम होगा।

सीएम ने की तैयारियों की समीक्षा:

पीएम मोदी के दौरे को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरुवार को सचिवालय में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी विभाग आपसी तालमेल से काम करें और निर्धारित समय सीमा में व्यवस्थाएं पूरी करें। सीएम ने कहा कि कार्यक्रम में किसी तरह की कमी नहीं रहनी चाहिए।

 

राजस्थान का पहला परमाणु ऊर्जा केंद्र – रावतभाटा परमाणु ऊर्जा स्टेशन:

राजस्थान का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र रावतभाटा (चित्तौड़गढ़ जिला) में स्थित है, जिसे प्रायः ‘परमाणु नगरी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह संयंत्र 1965 में कनाडा के सहयोग से स्थापित किया गया था और इसे Rajasthan Atomic Power Station (RAPS) या Rajasthan Atomic Power Project (RAPP) कहा जाता है।

वर्तमान में रावतभाटा में 6 यूनिटें संचालित हो रही हैं, जिनसे लगभग 1180 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसके अतिरिक्त यहाँ यूनिट-7 और यूनिट-8 का भी निर्माण किया गया है। इन दोनों से कुल 1400 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता जुड़ जाएगी।

 

क्षमता में बढ़ोतरी:

यूनिट-7 और यूनिट-8 शुरू होने के बाद रावतभाटा की कुल परमाणु बिजली उत्पादन क्षमता 2580 मेगावाट हो जाएगी। इससे यह संयंत्र देश के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा केंद्रों में शुमार होगा।

 

भारत में परिचालित परमाणु ऊर्जा संयंत्र:

भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम लगातार विस्तार कर रहा है और स्वच्छ ऊर्जा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अप्रैल 2025 तक देश में:

  • 25 परिचालित रिएक्टर
  • 8 परमाणु ऊर्जा केंद्रों में स्थापित
  • कुल 8,880 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ कार्यरत हैं।

इन सभी नागरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का स्वामित्व और संचालन न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा किया जाता है।

प्रमुख परमाणु ऊर्जा केंद्र:

  • तारापुर परमाणु ऊर्जा केंद्र (महाराष्ट्र): भारत का पहला वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र।
  • कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा केंद्र (तमिलनाडु): देश का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र।
  • राजस्थान परमाणु ऊर्जा केंद्र (रावतभाटा, राजस्थान)
  • कैगा जनरेटिंग स्टेशन (कर्नाटक)
  • काकरापार परमाणु ऊर्जा केंद्र (गुजरात)
  • मद्रास परमाणु ऊर्जा केंद्र (कलपक्कम, तमिलनाडु)
  • नरोरा परमाणु ऊर्जा केंद्र (उत्तर प्रदेश)
  • गोरखपुर हरियाणा अनु विद्युत परियोजना (हरियाणा): निर्माणाधीन।

भविष्य की योजनाएँ: भारत में वर्तमान में 11 और रिएक्टर निर्माणाधीन हैं। इनके चालू होने से आने वाले वर्षों में देश की परमाणु बिजली उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

 

भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता:

वर्तमान में भारत की स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 8,880 मेगावाट है। इसके अतिरिक्त लगभग 6,600 मेगावाट क्षमता निर्माणाधीन है और करीब 8,000 मेगावाट क्षमता योजना के चरण में है। इन सबको मिलाकर आने वाले वर्षों में भारत की परमाणु बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 23,480 मेगावाट तक पहुँचने की उम्मीद है।

हालाँकि यह प्रगति निरंतर है, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बड़ी हैं। वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट (1,00,000 मेगावाट) परमाणु क्षमता का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को अभी लगभग 76,520 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता जोड़नी होगी।

 

भारत की परमाणु ऊर्जा महत्वाकांक्षा:

भारत द्वारा वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता विकसित करने की घोषणा देश की दीर्घकालिक ऊर्जा रणनीति में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में भारत जब अपनी स्वच्छ ऊर्जा आधारशिला को मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है, तब परमाणु ऊर्जा को भविष्य की बिजली मांग पूरी करने और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने के लिए एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में स्थापित किया जा रहा है।

 

सरकार का बड़ा परमाणु ऊर्जा अभियान:

वर्तमान में NPCIL (न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) देश में संचालित सभी 24 वाणिज्यिक परमाणु रिएक्टरों का संचालन कर रहा है, जिनकी स्थापित क्षमता 8,880 मेगावाट है। मौजूदा रिएक्टर बेड़े में शामिल हैं:

  • 2 बॉयलिंग वॉटर रिएक्टर (BWRs)
  • 20 प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWRs) – जिनमें राजस्थान का 100 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर भी शामिल है, जो परमाणु ऊर्जा विभाग के स्वामित्व में है।
  • 2 वीवीईआर (VVER) रिएक्टर – प्रत्येक की क्षमता 1,000 मेगावाट।

सरकार ने देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता को 8,880 मेगावाट से बढ़ाकर 22,480 मेगावाट तक (वित्तीय वर्ष 2031-32 तक) पहुंचाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। इसके तहत 10 नए रिएक्टरों का निर्माण और कमीशनिंग की जा रही है, जिनकी संयुक्त क्षमता 8,000 मेगावाट होगी। ये रिएक्टर गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में स्थापित किए जाएंगे।

परमाणु ऊर्जा मिशन: केंद्रीय बजट 2025-26

 

केंद्रीय बजट 2025-26 में सरकार ने परमाणु ऊर्जा मिशन के लिए विशेष रूप से ₹20,000 करोड़ का प्रावधान किया है, जो स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) के अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर केंद्रित रहेगा। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना है।

मिशन की मुख्य विशेषताएँ

  • बजटीय प्रावधान: ₹20,000 करोड़ का आवंटन, मुख्यतः SMR प्रौद्योगिकी के अनुसंधान एवं विकास के लिए।
  • लक्ष्य (2033 तक):ब कम से कम पांच स्वदेशी डिज़ाइन वाले और परिचालनात्मक स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) स्थापित करना।
  • समग्र लक्ष्य (2047 तक): देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता को 100 गीगावाट तक बढ़ाना, जिससे भारत की ऊर्जा संक्रमण प्रक्रिया और जलवायु लक्ष्यों को मजबूती मिले।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने हेतु परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और सिविल न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 में संशोधन का प्रस्ताव।
  • प्रौद्योगिकी पर फोकस: स्वदेशी भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR) समेत SMR प्रौद्योगिकी के विकास और तैनाती पर जोर, ताकि इसे जीवाश्म ईंधन के स्वच्छ और टिकाऊ विकल्प के रूप में स्थापित किया जा सके।

 

न्यूक्लियर पावर प्लांट के बारे मे:

न्यूक्लियर पावर प्लांट (परमाणु ऊर्जा संयंत्र) एक प्रकार का थर्मल पावर स्टेशन होता है, जहाँ बिजली का उत्पादन न्यूक्लियर रिएक्टरों से उत्पन्न गर्मी द्वारा किया जाता है।

यह कैसे काम करता है?

  • न्यूक्लियर फिशन (परमाणु विखंडन): रिएक्टर में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 जैसे परमाणुओं का विखंडन किया जाता है। इसमें परमाणु का नाभिक टूटकर छोटे हिस्सों में बंट जाता है और भारी मात्रा में ऊर्जा (गर्मी) निकलती है।
  • गर्मी से भाप बनाना: उत्पन्न गर्मी से पानी को गरम करके भाप (Steam) बनाई जाती है।
  • भाप से टर्बाइन चलाना: यह भाप टर्बाइनों को घुमाती है, जो जनरेटर से जुड़ी होती हैं।
  • बिजली का उत्पादन: घूमती हुई टर्बाइन जनरेटर को चलाती है और इस प्रक्रिया से बिजली पैदा होती है।

 

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लाभ:

  • कम कार्बन उत्सर्जन: परमाणु ऊर्जा से बहुत ही कम ग्रीनहाउस गैस निकलती है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलती है।
  • ऊर्जा दक्षता: परमाणु रिएक्टर थोड़े से ईंधन से बहुत अधिक बिजली पैदा करते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन अधिक कुशल बनता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: परमाणु ऊर्जा से आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है और देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
  • बेस लोड पावर (निरंतर आपूर्ति): यह स्थिर और लगातार बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करता है, जबकि सौर और पवन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत अस्थिर होते हैं।
  • दीर्घकालिक लागत प्रभावशीलता: शुरुआती लागत अधिक होती है, लेकिन समय के साथ संचालन और ईंधन की लागत बहुत कम हो जाती है।
  • तकनीकी प्रगति को बढ़ावा: अनुसंधान, नवाचार और उन्नत रिएक्टरों (जैसे थोरियम आधारित सिस्टम) के विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
  • रोजगार के अवसर: परमाणु संयंत्रों के निर्माण, संचालन और रखरखाव में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
  • स्वदेशी संसाधनों का उपयोग: भारत अपने थोरियम भंडार का उपयोग करता है, जो उसके तीन-चरणीय परमाणु कार्यक्रम से जुड़ा है।

 

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की चुनौतियाँ:

  • उच्च प्रारंभिक लागत: परमाणु संयंत्रों के निर्माण और आवश्यक तकनीकी निवेश बहुत महंगे होते हैं।
  • जन विरोध: सुरक्षा संबंधी चिंताओं और पर्यावरणीय जोखिमों के कारण स्थानीय स्तर पर विरोध और प्रतिरोध देखने को मिलता है।
  • परमाणु ईंधन आपूर्ति: भारत यूरेनियम के आयात पर निर्भर है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा को खतरा रहता है।
  • कचरा प्रबंधन: रेडियोधर्मी कचरे को सुरक्षित ढंग से संग्रहित और निपटाना बेहद जटिल और संवेदनशील कार्य है।
  • परियोजना में देरी: नीतिगत अड़चनों और नियामकीय प्रक्रियाओं की जटिलता के कारण परियोजनाएँ अक्सर तय समय पर पूरी नहीं हो पातीं।

निष्कर्ष:

बांसवाड़ा में प्रस्तावित माही न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट का शिलान्यास राजस्थान की ऊर्जा क्षमता को नई दिशा देगा। यह राज्य का दूसरा परमाणु ऊर्जा संयंत्र होगा, जो आने वाले वर्षों में न केवल प्रदेश की बिजली जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में भी अहम योगदान देगा।