APEC शिखर सम्मेलन 2025: दक्षिण कोरिया कर रहा सम्मलेन की मेजबानी, वर्तमान में APEC का पर्यवेक्षक है भारत..

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने फ़ोन पर बात की है जिसके अनुसार दोनों जल्दी ही मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात अक्टूबर के अंत में दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में होने वाले APEC शिखर सम्मेलन के दौरान होगी। साथ ही ट्रंप ने यह भी घोषणा की कि वह अगले साल की शुरुआत में चीन जाएंगे, जबकि शी जिनपिंग भी उचित समय पर अमेरिका का दौरा करेंगे।

apec summit 2025

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पर लिखा,

वह शी जिनपिंग से दक्षिण कोरिया में होने वाले APEC शिखर सम्मेलन में मिलेंगे। वह अगले साल चीन जाएंगे और शी भी सही समय पर अमेरिका आएंगे। उन्होंने कहा कि बातचीत अच्छी रही, वे फिर फोन पर बात करेंगे और टिकटॉक सौदे की मंजूरी का स्वागत किया।

 

चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार,

चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, शी जिनपिंग ने ट्रंप से कहा कि उन्हें चीन पर एकतरफा व्यापार प्रतिबंध लगाने से बचना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि ट्रंप प्रशासन अमेरिका में चीनी कंपनियों के लिए खुला, निष्पक्ष और बिना भेदभाव वाला कारोबारी माहौल प्रदान करेगा।

 

शी और ट्रम्प के बीच इस वर्ष की दूसरी बातचीत:

जून में ट्रंप और शी ने चीन के दुर्लभ मृदा खनिजों के निर्यात पर बात की थी। इसके बाद चीन ने तय संख्या में अमेरिकी कंपनियों को निर्यात परमिट देने और उनसे बने रूकावट की मंजूरी देने पर सहमति जताई। हाल के महीनों में दोनों देशों के अधिकारियों की चार बार बातचीत हो चुकी है, जिससे बहुत ऊंचे टैरिफ और सख्त निर्यात नियंत्रण को फिलहाल रोक दिया गया है। यह इस साल ट्रंप और शी की दूसरी बातचीत है।

 

APEC शिखर सम्मेलन 2025 का स्थान और तैयारी, जहाँ मिलेंगे दोनों राष्ट्रपति:

  • मार्च 2024 में दक्षिण कोरिया ने मेज़बान शहर चुनने के लिए समिति बनाई थी। ग्योंगजू, इंचियोन और जेजू को अंतिम दावेदारों में चुना गया, और जून में ग्योंगजू को मेज़बान शहर के रूप में पुष्टि मिली।
  • अगस्त में विदेश मंत्री और उनकी टीम ने ग्योंगजू का दौरा कर सम्मेलन सुविधाओं का निरीक्षण किया। मुख्य कार्यक्रम ह्वाबेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र के मुख्य हॉल में आयोजित होगा।

 

आइये जानते है APEC शिखर सम्मेलन का उद्देश्य:

  • एशिया-प्रशांत देशों के बीच आर्थिक सहयोग और समृद्धि बढ़ाना।
  • व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना।
  • वस्तुएँ, सेवाएँ और पूंजी के प्रवाह को बढ़ावा देना।
  • निजी निवेश को प्रोत्साहित करना और ‘खुले क्षेत्रवाद’ का समर्थन करना।
  • सदस्यों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना।

 

APEC के 21 सदस्य देश:

ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, चीन, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, पेरू, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, ताइवान, थाईलैंड, वियतनाम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

  • भारत वर्तमान में APEC का पर्यवेक्षक है।

 

APEC का महत्व:

  • मुक्त व्यापार और आर्थिक उदारीकरण को बढ़ावा देना।
  • प्रशांत क्षेत्र में उदार मुक्त व्यापार क्षेत्र का निर्माण करना।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसका योगदान बड़ा है: वैश्विक GDP का लगभग 62% और वैश्विक व्यापार का लगभग आधा।
  • सदस्य देशों के बीच सहयोग और विकास को मजबूत करना।

 

APEC का इतिहास:

  • 1989 में ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में 12 एशिया-प्रशांत देशों ने पहली बैठक कर APEC की स्थापना की।
  • सिंगापुर में सचिवालय स्थापित हुआ, जो गतिविधियों का समन्वय करता है।
  • 1994 में इंडोनेशिया के बोगोर में लक्ष्य तय किए गए: मुक्त और खुला व्यापार और निवेश।
  • 1995 में ABAC और 2001 में डेटा पहल (JODI) जैसी पहलें शुरू की गईं।

 

 

APEC में शामिल होने की भारत की इच्छा:

  • भारत वर्तमान में एपीईसी का पर्यवेक्षक है और पूर्ण सदस्य बनने के लिए उत्सुक है।
  • भारत ने 1991 में औपचारिक रूप से इसमें शामिल होने का अनुरोध किया था।
  • भारत की भौगोलिक स्थिति, बढ़ती अर्थव्यवस्था और एशिया-प्रशांत के साथ व्यापारिक संपर्क इसे समूह में शामिल होने के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

 

भारत को APEC की आवश्यकता क्यों है?

  • समूह की ताकत: एपीईसी विश्व की एक तिहाई से अधिक जनसंख्या, वैश्विक व्यापार का 47% और विश्व GDP का 60% प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारत की आकांक्षा: भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहता है और बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत है।
  • यह भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति का स्वाभाविक परिणाम भी है।

 

भारत APEC का हिस्सा अब तक क्यों नहीं है:

  • शुरू में कुछ सदस्य भारत को शामिल करने के पक्ष में थे, लेकिन कुछ ने विरोध किया, यह कहते हुए कि भारत में आर्थिक सुधार अधूरे हैं और इसमें संरक्षणवादी प्रवृत्ति है।
  • एपीईसी का उद्देश्य सदस्यों की संरक्षणवादी नीतियों का विरोध करना और व्यापार उदारीकरण व आर्थिक सहयोग बढ़ाना है, इसलिए कुछ का मानना था कि भारत इसमें फिट नहीं बैठता।
  • भारत के आर्थिक सुधारों और WTO में भागीदारी को लेकर कुछ देशों का असंतोष बना मुख्य बाधा
  • 1997 में भारत की सदस्यता पर अस्थायी रोक लगी थी, जो 2012 में आगे नहीं बढ़ाई गई।

 

निष्कर्ष:

दक्षिण कोरिया द्वारा APEC शिखर सम्मेलन 2025 की मेजबानी न केवल क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग और व्यापार को बढ़ावा देने का अवसर है, बल्कि यह सदस्य देशों के बीच सतत विकास और साझा समृद्धि को मजबूत करने का भी महत्वपूर्ण मंच साबित होगा। इस सम्मेलन से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग, निवेश और तकनीकी साझेदारी को नई दिशा मिलने की संभावना है।