UK, ऑस्‍ट्रेलिया और कनाडा ने दी फिलिस्‍तीन को मान्‍यता, इजरायल-अमेरिका के विरोध के बीच बड़ा फैसला

ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस घोषणा के साथ स्पष्ट किया कि यह फैसला फिलिस्तीनी और इजराइली नागरिकों के लिए शांति और उम्मीद की संभावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।

 

ब्रिटेन के इस कदम के साथ ही कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी है। कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने उम्मीद जताई कि इससे इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति की राह खुलेगी। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने इसे दो-राज्य समाधान की दिशा में लंबे समय से चली आ रही प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में बताया। दुनिया के 140 से अधिक देशों ने फिलिस्तीन को पहले ही मान्यता दी है, जबकि अमेरिका ने फिलिस्तीन को मान्यता देने से इनकार किया है।

UK Australia and Canada recognize Palestine a major decision amid opposition from Israel and America

कनाडा, फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला G7 देश:

कनाडा फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने वाला पहला G7 देश बन गया है। कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने उम्मीद जताई कि इस कदम से इजराइल और फिलिस्तीन दोनों के लिए शांतिपूर्ण भविष्य की राह खुलेगी। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा कि फिलिस्तीन को राज्य की मान्यता देना कनाडा और ब्रिटेन के साथ मिलकर किया गया एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है, जिसका उद्देश्य दो अलग-अलग देशों के समाधान की दिशा में प्रगति करना है।

 

ब्रिटेन ने फिलिस्तीन को मान्यता देने का निर्णय गाजा में हालात सुधारने की नैतिक जिम्मेदारी के तौर पर लिया

ब्रिटेन की स्टारमर सरकार का कहना है कि गाजा में हालात अत्यधिक बिगड़ गए हैं और आम नागरिकों की स्थिति असहनीय हो गई है। ऐसे में लंबे समय तक टिकने वाले शांति समझौते की उम्मीद को जीवित रखने के लिए फिलिस्तीन को देश के रूप में मान्यता देना ब्रिटेन की नैतिक जिम्मेदारी बन गई है।

स्टारमर ने जुलाई में ही गाजा में आम लोगों पर इजराइल के हमलों पर कड़ी नाराजगी जताई थी और कहा था कि इजराइल को गाजा में युद्धविराम करते हुए स्थायी शांति की दिशा में कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इजराइल दो-राष्ट्र समाधान और शांति समझौते को नहीं मानता है, तो ब्रिटेन फिलिस्तीन के प्रति अपना रुख और अधिक निर्णायक बना देगा।

 

इजरायल ने क्या कहा?

इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि फिलिस्तीन को आजाद देश मानना आतंकवाद को इनाम देना है। जॉर्डन नदी के पश्चिम में फिलिस्तीनी देश नहीं बनेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों को दोगुना कर दिया है और इसे और बढ़ाएंगे। नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि वह इस मान्यता का जवाब अमेरिका से लौटने के बाद देंगे।

उन्होंने कहा, “मेरा उन नेताओं को स्पष्ट संदेश है जो 7 अक्टूबर के भयावह नरसंहार के बाद फिलिस्तीनी देश को मान्यता दे रहे हैं: आप आतंक को बड़ा पुरस्कार दे रहे हैं. और मेरे पास आपके लिए एक और संदेश है: ऐसा नहीं होने वाला है. जॉर्डन नदी के पश्चिम में कोई फिलिस्तीनी देश नहीं होगा।

 

संयुक्त राष्ट्र में हो चुका प्रस्ताव पेश: भारत ने भी किया था समर्थन-

फ्रांस ने 13 सिंतबर को संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें फिलिस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान और दो-देश (टू-स्टेट) योजना का समर्थन किया गया था. प्रस्ताव को भारत समेत 142 देशों ने समर्थन दिया. 10 देशों ने विरोध में वोट दिया और 12 देश मतदान से दूर रहे. अमेरिका, अर्जेंटीना, हंगरी, इजराइल, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया

फिलिस्तीन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता और संयुक्त राष्ट्र में स्थिति

 

फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से करीब 75% देशों ने मान्यता दे दी है। संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को ‘परमानेंट ऑब्जर्वर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि इसे संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों में शामिल होने की अनुमति है, लेकिन वोटिंग का अधिकार नहीं है।

 

फ्रांस की मान्यता मिलने के बाद फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पांच स्थाई देशों में से चार का समर्थन मिल जाएगा। चीन और रूस ने 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता दी थी। इस तरह अमेरिका फिलिस्तीन को मान्यता नहीं देने वाला इकलौता प्रमुख देश रह गया है; उसने केवल फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) को मान्यता दी है।

फिलिस्तीनी अथॉरिटी 1994 में बनाई गई थी ताकि फिलिस्तीनियों के पास अपनी स्थानीय सरकार जैसी व्यवस्था हो और भविष्य में यह पूर्ण राज्य बनने की नींव तैयार कर सके।

 

अमेरिका के करीबी देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने का निर्णय क्यों लिया:

पश्चिमी देशों ने लंबे समय तक यह तर्क दिया था कि फिलिस्तीन को मान्यता तब दी जाएगी जब परिस्थितियां अनुकूल हों और केवल मान्यता देने से वास्तविक स्थिति में बदलाव नहीं आएगा। लेकिन हालात में तेजी से बढ़ती गंभीरता ने इन देशों को निर्णय लेने पर मजबूर कर दिया है।

गाजा में दो साल से जारी संघर्ष, व्यापक भुखमरी और बर्बादी की स्थिति, साथ ही इजराइल की लगातार सैन्य कार्रवाइयों ने वैश्विक स्तर पर स्थिति की गंभीरता को उजागर किया है। इन दबावों और मानवीय संकट के चलते कई अमेरिका समर्थित देशों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में औपचारिक मान्यता देने का फैसला किया है।

 

अब तक किन- किन देशों ने दी फिलिस्तीन को मान्यता?

संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 140 से अधिक देश पहले ही फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे चुके हैं।

यूरोप में:

  • स्वीडन, स्लोवेनिया, आयरलैंड और स्पेन जैसे देश पहले ही मान्यता दे चुके हैं।
  • फ्रांस भी अब ऐसा करने जा रहा है और यह ऐसा करने वालापहला G-7 देश होगा।
  • हालांकि G-7 के अन्य सदस्य (अमेरिका, जर्मनी, इटली और जापान) ने अभी तक मान्यता नहीं दी है।

भारत की भूमिका: भारत 1988 में ही फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।

 

यूरोपीय संघ (EU):

  • 27 सदस्य देशों में से 10 देश पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।
  • बुल्गारिया, साइप्रस, हंगरी, पोलैंड और रोमानिया ने तो1988 में ही मान्यता दे दी थी, जब वे EU के सदस्य भी नहीं थे।

संयुक्त राष्ट्र में स्थिति:

  • वर्तमान में फिलिस्तीन कोस्थायी पर्यवेक्षक राज्य” (Permanent Observer State) का दर्जा प्राप्त है।
  • इससे उसेबहस में भाग लेने की अनुमति है, लेकिन मतदान का अधिकार नहीं है।

 

क्या सिर्फ मान्यता देना काफी  है?

फिलिस्तीन को लेकर अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या वह अंतरराष्ट्रीय कानून के मानकों पर एक स्वतंत्र राज्य कहलाने का हकदार है। इस संदर्भ में 1933 का मोंटेवीडियो कन्वेंशन महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें किसी भी राज्य की परिभाषा के चार बुनियादी मानदंड बताए गए थे।

1933 के मोंटेवीडियो कन्वेंशन के अनुसार किसी भी राज्य के लिए चार बुनियादी मानदंड तय किए गए थे:

  1. स्थायी आबादी (Permanent Population)
  2. परिभाषित क्षेत्र (Defined Territory)
  3. एक प्रभावी सरकार (Effective Government)
  4. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संलग्न होने की क्षमता

 

फिलिस्तीन की स्थिति:

फिलिस्तीन के पास स्थायी आबादी और परिभाषित क्षेत्र हैं- वेस्ट बैंक, गाज़ा और पूर्वी येरूशलम। लेकिन इन क्षेत्रों पर इज़रायल का अलग-अलग स्तर पर नियंत्रण है।

  • पूर्वी येरूशलम पर इज़रायल ने प्रभावी कब्ज़ा कर लिया है।
  • गाज़ा हमास के शासन में है और लगातार संघर्ष से प्रभावित है।

फिलिस्तीन के पास अंतरराष्ट्रीय संबंध बनाने की क्षमता है और वह कई देशों से मान्यता भी पा चुका है।

 

इजराइल के हमलों के बीच तीनों देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी:

तीनों देशों ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता देने के बावजूद इजराइल ने गाजा में अपने हमले जारी रखे और उन्हें और तेज कर दिया। गाजा में बढ़ता मानवीय संकट और लगातार सैन्य कार्रवाई के बीच ब्रिटेन ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया। ब्रिटेन लंबे समय से फिलिस्तीनी राज्य का समर्थक रहा है और टू-स्टेट समाधान को बढ़ावा देता रहा है।

ब्रिटेन के इस कदम की इजराइल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार, गाजा में हमास के बंधक लोगों के परिवार और ब्रिटेन के कुछ कंज़र्वेटिव नेताओं ने आलोचना की है। इजराइली प्रधानमंत्री ने पहले ही चेतावनी दी थी कि फिलिस्तीन को मान्यता देने से हमास का हौसला बढ़ेगा। बावजूद इसके, स्टारमर ने आलोचनाओं और नाराजगी को नजरअंदाज करते हुए फिलिस्तीन को मान्यता देने का फैसला लिया।

 

निष्कर्ष:

फिलिस्तीन को समर्थन देने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी है, जबकि फ्रांस भी जल्द ऐसा करने की संभावना जता चुका है। इसके साथ ही दुनिया के 140 से अधिक देश पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। हालांकि, अमेरिका अभी तक फिलिस्तीन को मान्यता देने से इनकार कर रहा है।

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