संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 9 सितंबर से न्यूयॉर्क में शुरू हो चुका है। इसमें दुनिया के नेता हिस्सा ले रहे हैं। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर उच्च स्तरीय बैठक में भाग ले रहे हैं और 27 सितंबर को महासभा के मंच से भारत की तरफ से भाषण देंगे। इस साल मुख्य चर्चा शांति, विकास और मानवाधिकारों पर होगी, साथ ही गाजा और यूक्रेन के युद्ध और फिलिस्तीन को अलग देश के रूप में मान्यता जैसे मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
हाई लेवल जनरल डिबेट 23 सितंबर से शुरू होगा, जिसका विषय है: “एक साथ बेहतर: शांति, विकास और मानवाधिकारों के लिए 80 वर्ष और उससे अधिक।”

क्या है इस बार का एजेंडा?
- वैश्विक संकट और सहयोग: गाजा और यूक्रेन जैसे संघर्षों के बीच शांति और सुरक्षा बनाए रखना, साथ ही जलवायु परिवर्तन, असमानता और तकनीकी जोखिम जैसे वैश्विक संकटों से निपटने के लिए देशों के बीच सहयोग बढ़ाना।
- संयुक्त राष्ट्र में सुधार: संगठन को भविष्य में अधिक प्रभावी और प्रासंगिक बनाने के लिए सुधारों की जरूरत, जैसे सुरक्षा परिषद में बदलाव, ‘ग्लोबल साउथ’ की भूमिका बढ़ाना और फंडिंग मॉडल सुधारना।
- सतत विकास लक्ष्य: गरीबी, भुखमरी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में प्रगति और कार्रवाई।
- आतंकवाद: आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर जोर।
- बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था: दुनिया की शक्ति कई देशों में वितरित हो, न कि केवल एक या दो देशों के पास, इस दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।
सिबी जॉर्ज ने उच्च-स्तरीय खंड में लिया भाग:
भारत के सचिव (पश्चिम) और राजदूत सिबी जॉर्ज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की 80वीं वर्षगांठ के उच्च-स्तरीय खंड में हिस्सा लिया। उन्होंने पूर्व चेतावनी और अत्यधिक गर्मी पर आयोजित संवाद में भारत की पहलें साझा कीं। इसमें राष्ट्रीय ताप कार्य योजनाएं, अलर्ट देने के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग और कम लागत वाले कूलिंग उपाय शामिल थे।
सिबी जॉर्ज ने कहा कि भारत हमेशा साझेदार देशों के साथ मिलकर पूर्व चेतावनी प्रणाली, जोखिम कम करने और आपदा प्रबंधन पर काम करने के लिए तैयार है, ताकि बढ़ते तापमान से होने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटा जा सके।
बैठक में वर्ल्ड लीडर्स का भाषण:
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में विश्व के कई नेता अपने-अपने भाषण देंगे। सबसे पहले ब्राजील अपना विचार रखेगा, इसके बाद अमेरिका की बारी होगी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मुख्य भाषण देंगे। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास वीडियो कॉन्फ़्रेंस के जरिए महासभा को संबोधित करेंगे। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामीन नेतन्याहू शुक्रवार को भाषण देंगे, जबकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोद्योमीर ज़ेलेन्स्की आम चर्चा और द्विपक्षीय बैठकों दोनों में हिस्सा लेंगे। भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर करेंगे।
इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा महासभा को संबोधित करेंगे, जो 1967 के बाद किसी सीरियाई राष्ट्रपति का पहला भाषण होगा।
ट्रंप भी देंगे भाषण, क्या है इसके मायने?
23 सितंबर 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पुनर्निर्वाचन के बाद पहली बार UNGA में भाषण देंगे। यह भाषण खास है क्योंकि ट्रंप बहुपक्षीय संस्थाओं से दूरी रखने वाली नीतियों के लिए जाने जाते हैं।
8 महीने की अपनी उपलब्धियों पर करेंगे चर्चा:
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप UNGA में एक बड़ा भाषण देंगे। इसमें वे सिर्फ 8 महीनों में हासिल की गई अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों का ज़िक्र करेंगे, जिसमें सात वैश्विक युद्धों और संघर्षों को खत्म करना भी शामिल है। माना जा रहा है कि अपने भाषण में वे वैश्विक संस्थाओं पर भी सवाल उठा सकते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि मौजूदा विश्व व्यवस्था काफी हद तक बिगड़ चुकी है।
UNGA क्या है?
UNGA का पूरा नाम यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली (United Nations General Assembly) है, जिसे हिंदी में संयुक्त राष्ट्र महासभा कहा जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे बड़ा और मुख्य नीति-निर्माण अंग है, जिसमें सभी 193 सदस्य देश बराबरी से शामिल होते हैं और हर देश को एक वोट का अधिकार मिलता है।
यह मंच शांति, सुरक्षा, विकास, मानवाधिकार और पर्यावरण जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने और समाधान सुझाने का काम करता है। हर साल सितंबर में न्यूयॉर्क में इसका उच्च-स्तरीय सत्र होता है, जहां दुनिया के बड़े नेता अपने देशों की नीतियों और वैश्विक चुनौतियों पर भाषण देते हैं।
UNGA का इतिहास:
- शुरुआत: पहला सत्र 10 जनवरी 1946 को लंदन में हुआ, जिसमें 51 देशों ने हिस्सा लिया।
- फिलहाल बैठकें: 1946-1951 तक फ्लशिंग, न्यूयॉर्क में अस्थायी मुख्यालय में बैठकें हुईं।
- महत्वपूर्ण निर्णय: 29 नवंबर 1947 को फिलिस्तीन के लिए विभाजन योजना को अपनाया गया।
- लाइव कवरेज: 1949 में CBS टीवी ने इन सत्रों का लाइव प्रसारण किया।
- स्थायी मुख्यालय: 14 अक्टूबर 1952 से न्यूयॉर्क शहर में स्थायी मुख्यालय में बैठकों की शुरुआत हुई।
- विशेष सत्र: दिसंबर 1988 में यासर अराफात को सुनने के लिए 43वां सत्र जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित किया गया।
हर साल सितंबर में क्यों होती है UNGA की बैठक:
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का सत्र हर साल सितंबर के तीसरे मंगलवार से शुरू होता है, क्योंकि यह समय वर्ष की योजनाओं और एजेंडा तय करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। सितंबर में बैठक होने से सदस्य देश पूरे साल की नीतियों और मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और बाकी साल उन पर काम कर सकते हैं। इस सत्र में सभी 193 सदस्य देश एकत्र होते हैं, जिससे दुनिया के नेता, सरकार के प्रमुख और विदेश मंत्री एक साथ बैठकें कर सकते हैं और द्विपक्षीय या बहुपक्षीय वार्ता कर सकते हैं। यही कारण है कि UNGA का उच्च-स्तरीय सत्र सितंबर में आयोजित किया जाता है।
UNGA को क्यों कहा जाता है विश्व की संसद:
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को वैश्विक मंच इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें दुनिया के सभी 193 सदस्य देश बराबरी से शामिल होते हैं। हर देश, चाहे बड़ा हो या छोटा, एक वोट का अधिकार रखता है। यहाँ राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री जैसे नेता इकट्ठा होकर शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार, विकास और अंतरराष्ट्रीय कानून जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करते हैं। यही नहीं, महासभा संयुक्त राष्ट्र का बजट पास करती है और सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों का चुनाव भी करती है। इसी वजह से इसे “विश्व की संसद” और एक सच्चा वैश्विक मंच कहा जाता है।
विशेष और आपातकालीन सत्र क्या है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा में नियमित वार्षिक सत्र के अलावा दो तरह के सत्र और भी होते हैं:
- विशेष सत्र: जब किसी खास मुद्दे पर गहराई से चर्चा करनी हो, तो महासभा विशेष सत्र बुलाती है।
- आपातकालीन विशेष सत्र: जब सुरक्षा परिषद किसी गंभीर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा मामले पर कार्रवाई करने में विफल हो जाती है, तब महासभा यह सत्र बुलाती है। इसे “शांति के लिए एकजुट” प्रस्ताव के तहत बुलाया जाता है।
इस तरह महासभा न सिर्फ नियमित वार्षिक बैठक करती है, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर विशेष और आपातकालीन सत्र बुलाकर भी वैश्विक कूटनीति और सहयोग का मंच प्रदान करती है।
निष्कर्ष:
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र वैश्विक शांति, विकास और मानवाधिकारों पर चर्चा का महत्वपूर्ण मंच है। भारत की भागीदारी और जयशंकर का भाषण देश की आवाज को मजबूती देगा और सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने में मदद करेगा।