भारत ने AI डेटा सेंटर बूम के लिए SMR आधारित परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने का संकेत दिया, ऊर्जा स्वायत्तता और स्वच्छ शक्ति पर जोर

केंद्र सरकार भारत में तेजी से बढ़ते डेटा सेंटर सेक्टर को ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग पर विचार कर रही है। यह प्रवृत्ति अमेरिका जैसे देशों में पहले से देखने को मिल रही है, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रयोग के कारण डेटा सेंटरों की मांग लगातार बढ़ रही है।

सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय डेटा सेंटर नीति तैयार करने के तहत आईटी मंत्रालय ने उद्योग जगत को संकेत दिया है कि वह उन्हें स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) लगाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इसका उद्देश्य डेटा सेंटरों को दीर्घकालिक, विश्वसनीय और कार्बन-फ्री ऊर्जा आपूर्ति उपलब्ध कराना है, ताकि ऊर्जा मिश्रण में स्वच्छ विकल्पों की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके।

India hints at boosting SMR-based nuclear power for AI data center boom

डेटा सेंटरों की ऊर्जा खपत में तेजी:

 

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, 2026 तक डेटा सेंटरों की बिजली खपत दोगुनी हो सकती है। इस बढ़ती खपत के चलते कंपनियों के लिए 2030 तक नेट ज़ीरो या कार्बन निगेटिव लक्ष्य हासिल करना बेहद कठिन हो रहा है।

 

यही कारण है कि गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज टेक कंपनियां, जिनका AI सेक्टर में बड़ा निवेश है, अपने डेटा सेंटरों को ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के साथ सीधे समझौते कर रही हैं।

 

भारत में डेटा सेंटर बाजार की लागत और संभावनाएं:

डेटा सेंटरों की स्थापना में ऊर्जा खपत और संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे बड़ी लागत होती है। CareEdge Ratings के अनुसार,

  • ऐसे केंद्रों की 40% कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) केवल इलेक्ट्रिकल सिस्टम्स पर खर्च होती है।
  • 65% ऑपरेटिंग कॉस्ट बिजली की खपत से जुड़ी होती है।
  • भारत में 1 मेगावॉट डेटा सेंटर क्षमता स्थापित करने की लागत लगभग 60-70 करोड़ रुपये आती है।

वर्तमान में भारत का डेटा सेंटर बाजार करीब 10 अरब डॉलर का आंका गया है। FY24 में इस क्षेत्र से 1.2 अरब डॉलर का राजस्व हासिल हुआ।

रियल एस्टेट फर्म JLL के अनुसार, भारत 2027 तक 795 मेगावॉट नई क्षमता जोड़ेगा, जिससे देश की कुल डेटा सेंटर क्षमता 1.8 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी।

 

नीति प्रोत्साहन और ऊर्जा विकल्पों पर मंथन:

यह विचार ऐसे समय में आया है जब सरकार के भीतर यह बहस तेज है कि क्या डेटा सेंटर क्षेत्र को विशेष नीति प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इसकी वजह है इस सेक्टर की ऊर्जा-गहन प्रकृति, साथ ही उच्च पूंजीगत निवेश लेकिन सीमित रोजगार सृजन

अब तक कंपनियों की पहली पसंद नवीकरणीय ऊर्जा रही है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां हैं—

  • सौर और पवन ऊर्जा की अनियमितता (सूरज न निकलने या हवा न चलने पर बिजली उत्पादन रुकना)
  • स्टोरेज सुविधाओं की कमी, जिससे कमी को पूरा करना मुश्किल
  • तेजी से बढ़ते AI अनुप्रयोगों के लिए ग्रिड पर अतिरिक्त भार

इन चुनौतियों के बीच परमाणु ऊर्जा एक स्वच्छ, भरोसेमंद और 24×7 समाधान के रूप में सामने आ रही है, जो नवीकरणीय स्रोतों की सीमाओं को पार कर सकती है और डेटा सेंटरों की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकती है।

 

भारत में कानूनी और नीतिगत सुधार:

  1. परमाणु दायित्व क़ानून में संशोधन:
  • वर्तमान कानून: सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 परमाणु हादसे में मुआवज़े और ज़िम्मेदारी तय करता है।
  • समस्या: इसमें ऑपरेटर को सप्लायर पर दायित्व डालने का अधिकार (Right of Recourse) है, जिसकी वजह से विदेशी कंपनियाँ जैसे वेस्टिंगहाउस (अमेरिका) और फ्रेमाटोम (फ्रांस) हिचकिचाती हैं।
  • संशोधन प्रस्ताव: इस प्रावधान को नरम करना ताकि विदेशी कंपनियाँ शामिल हो सकें।
  1. निजी क्षेत्र की एंट्री:
  • भारत निजी कंपनियों को परमाणु संयंत्र चलाने की अनुमति देने पर काम कर रहा है।
  • इससे भविष्य में विदेशी कंपनियाँ भी अल्पांश (Minority) हिस्सेदारी ले सकेंगी।

 

परमाणु ऊर्जा सुधारों पर सरकार की प्रतिबद्धता

भारतीय सरकार ने दोनों विधेयकों (परमाणु देनदारी कानून में संशोधन और निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम करने वाला बिल) को पास कराने की प्रतिबद्धता जताई है। इस संबंध में एक स्पष्ट आश्वासन इस साल की शुरुआत में पेश किए गए केंद्रीय बजट में भी दिया गया था।

हालाँकि, इनमें से कम से कम एक विधेयक को संसद से पारित कराने का रास्ता कठिन और लंबा माना जा रहा है, लेकिन सरकार ने इन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया है।

 

भारतीय डेटा सेंटर बाजार के प्रमुख खिलाड़ी:

वर्तमान में भारत के तेजी से बढ़ते डेटा सेंटर सेक्टर में कई बड़े घरेलू और वैश्विक खिलाड़ी सक्रिय हैं। इनमें शामिल हैं:

  • CTRLS Datacentres Ltd.
  • Arshiya Limited
  • NTT Global Data Centres & Cloud Infrastructure India Pvt. Ltd.
  • Sify Technologies Limited
  • Cisco Systems India Pvt. Ltd.
  • Microsoft Corporation
  • Reliance Communications Ltd. (Reliance Datacentre)

ये कंपनियां देशभर में डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार कर रही हैं और भारत को वैश्विक डेटा हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

 

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) क्या हैं?

SMRs यानी Small Modular Reactors ऐसे परमाणु रिएक्टर हैं जिनकी क्षमता 30 MWe से 300 MWe प्रति यूनिट तक होती है। ये छोटे, सुरक्षित और लागत-प्रभावी हैं, इसलिए भविष्य में परमाणु ऊर्जा को व्यावसायिक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएँगे।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग और डेटा सेंटर्स से बढ़ती बिजली की मांग ने SMRs की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है।

 

शब्द SMR के तीन भाग:

  • Small (छोटा): SMRs का आकार पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों की तुलना में बहुत छोटा होता है। इसका कॉम्पैक्ट डिज़ाइन इन्हें स्थापित करने और प्रबंधित करने में सरल बनाता है।
  • Modular (मॉड्यूलर): SMRs का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि इनके सिस्टम और कंपोनेंट्स फैक्ट्री में तैयार (factory-assembled) होते हैं और फिर इन्हें एक यूनिट के रूप में स्थापना स्थल तक पहुंचाकर आसानी से इंस्टॉल किया जा सकता है।
  • Reactors (रिएक्टर): इन रिएक्टरों का मूल उद्देश्य न्यूक्लियर फिशन (Nuclear Fission) की प्रक्रिया से ऊष्मा उत्पन्न करना है, जिससे विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy) का उत्पादन किया जाता है।

 

वैश्विक स्थिति:

  • रूस: अकादमिक लोमोनोसोव (Akademik Lomonosov) नामक फ्लोटिंग SMR में 35 MWe के दो मॉड्यूल हैं। यह मई 2020 से व्यावसायिक रूप से चालू है।
  • चीन: HTR-PM नामक डेमोंस्ट्रेशन प्रोजेक्ट दिसंबर 2021 में ग्रिड से जुड़ा और दिसंबर 2023 से व्यावसायिक संचालन में आ गया।

 

भारत की महत्वाकांक्षा: भारत का लक्ष्य है कि वह SMR मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू चेन का हिस्सा बने। यह दो मकसदों से जुड़ा है:

  1. स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन: की दिशा में प्रतिबद्धता।
  2. तकनीक आधारित विदेश नीति को मजबूत बनाना।

 

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) का महत्व 

  • आदर्श आकार और स्थान:एसएमआर पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की तुलना में छोटे होते हैं और डेटा सेंटरों के करीब स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे ऊर्जा की आपूर्ति और विश्वसनीयता में सुधार होता है।
  • स्वयं-पर्याप्त और सुरक्षित:एसएमआर की कॉम्पैक्ट और स्वयं-पर्याप्त प्रकृति उन्हें ग्रिड विफलताओं या साइबर हमलों के प्रति कम संवेदनशील बनाती है, जिससे डेटा सेंटरों के लिए बेहतर सुरक्षा और परिचालन लचीलापन मिलता है।

 

परमाणु ऊर्जा क्यों आकर्षित कर रही है रुचि?

  1. डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्य: परमाणु ऊर्जा, जीवाश्म ईंधन का एक कार्बन-मुक्त विकल्प प्रदान करती है। यह डेटा सेंटरों और कंपनियों को अपने स्थिरता (sustainability) लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करती है।
  2. उच्च ऊर्जा घनत्व: एआई आधारित कार्यभार लगातार अधिक ऊर्जा की मांग कर रहा है। परमाणु ऊर्जा का ऊर्जा घनत्व (Energy Density) इतना अधिक है कि यह बिना विशाल भूमि क्षेत्र घेरते हुए बड़े पैमाने पर ऊर्जा उपलब्ध करा सकती है।
  3. ग्रिड स्थिरता: एआई कार्यभार के उतार-चढ़ाव से बिजली ग्रिड पर दबाव बढ़ रहा है। परमाणु ऊर्जा की 24/7 स्थिर बेसलोड बिजली ग्रिड की विश्वसनीयता और भीड़भाड़ की समस्याओं का समाधान मानी जा रही है।

 

परमाणु ऊर्जा से संचालित डेटा की चुनौतियाँ:

  1. जनधारणा: परमाणु ऊर्जा अब भी अतीत की दुर्घटनाओं की छवि से जुड़ी हुई है। इस वजह से सुरक्षा (safety) और रेडियोधर्मी अपशिष्ट (radioactive waste) को लेकर लोगों में गहरी चिंताएँ बनी रहती हैं।
  2. विनियामक बाधाएँ: SMRs (Small Modular Reactors) अपेक्षाकृत नई तकनीक हैं। इनके लिए लाइसेंस और अनुमोदन (approval) प्राप्त करना लंबी और जटिल प्रक्रिया हो सकती है, जो इनके विस्तार को धीमा कर देती है।
  3. उच्च प्रारंभिक लागत: SMRs के निर्माण और तैनाती के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। हालाँकि, इनसे मिलने वाली विश्वसनीय और स्वच्छ ऊर्जा लंबी अवधि में लागत की भरपाई कर सकती है।

 

निष्कर्ष:

देश में तेजी से बढ़ते डेटा सेंटरों और AI सेवाओं की मांग ने ऊर्जा खपत को बढ़ा दिया है। 2027 तक कुल क्षमता 1.8 GW तक पहुंचने की उम्मीद है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की सीमाओं को देखते हुए, SMRs (Small Modular Reactors) स्थायी, स्वच्छ और 24×7 बिजली का विकल्प पेश कर रहे हैं। भारत SMR निर्माण और संचालन में वैल्यू चेन में शामिल होने के साथ-साथ कानून में संशोधन करके निजी और विदेशी निवेश को आकर्षित करने की दिशा में काम कर रहा है। इससे डिजिटल आत्मनिर्भरता और ऊर्जा स्वायत्तता दोनों साकार होंगी।

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