कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियम पर रोक लगा दी है, जिसमें मल्टीप्लेक्स और अन्य सिनेमाघरों में सभी फिल्मों के टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपये तय की गई थी। यह आदेश गांधी जयंती पर रिलीज होने वाली ऋषभ शेट्टी की फिल्म कंटारा: चैप्टर 1 से पहले जारी किया गया।

राज्य सरकार द्वारा क्या घोषणा की गई थी?
12 सितंबर को सरकार ने घोषणा की कि कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014 में संशोधन करके पूरे राज्य में फिल्म टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपये तय की जाएगी। इस संशोधन को कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) (संशोधन) नियम, 2025 नाम दिया गया। हालांकि, यह नियम 75 से कम सीटों वाले मल्टी-स्क्रीन प्रीमियम सिनेमाघरों पर लागू नहीं होगा।
बजट भाषण में हुई घोषणा के बाद आया था फैसला:
कर्नाटक सरकार ने यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बजट भाषण में की गई घोषणा के बाद लिया। इसका मकसद टिकट की ऊँची कीमतों पर रोक लगाना और ज्यादा लोगों को सिनेमाघरों में कन्नड़ व अन्य भाषाओं की फिल्में देखने के लिए प्रोत्साहित करना था। इसके लिए कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014 में संशोधन कर नया उप-नियम जोड़ा गया।
याचिकाकर्ताओं में कौन है शामिल:
याचिकाकर्ताओं में कंटारा: चैप्टर 1 फिल्म के निर्माता और मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया शामिल हैं। ये दोनों राज्य सरकार के नए नियम के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय गए हैं, जिसमें आगामी फिल्मों के लिए टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपये (करों को छोड़कर) तय की गई थी। यह मूल्य सीमा 12 सितंबर को घोषित की गई थी जो कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014 में हाल ही में किए गए संशोधन के बाद लागू की गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि सरकार ने टिकट की कीमतें तय करने के लिए कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) अधिनियम के नियमों को नजरअंदाज किया है। उन्होंने अदालत से तर्क किया कि अगर दर्शक बेहतर सुविधाओं के लिए अधिक कीमत चुकाना चाहते हैं, तो 200 रुपये की सीमा तय करना उचित नहीं है। रोहतगी ने यह भी कहा कि कानून राज्य को टिकट की दरें तय करने का अधिकार नहीं देता, क्योंकि यह सीधे सिनेमाघरों के व्यवसाय में दखल देता है।
पहले भी इस तरह के कानून लिए गए है वापस:
याचिकाकर्ताओं ने 12 सितंबर, 2025 की अधिसूचना को चुनौती दी, जिसके तहत संशोधित नियम लागू किए गए थे। उनका तर्क है कि नियम 55(6) कर्नाटक सिनेमा विनियमन अधिनियम के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(g) का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं ने इसे अनुचित और मनमाना बताया। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले अप्रैल 2017 में इसी तरह के सरकारी आदेश में टिकट की कीमत 200 रुपये तय की गई थी, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती देने के बाद वापस ले लिया गया था।
राज्य सरकार की ओर से क्या कहा गया?
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता इस्माइल ज़बीउल्ला ने कहा कि यह कदम आम जनता को सस्ती दरों पर सिनेमा उपलब्ध कराने और उनकी पहुँच बढ़ाने के लिए उठाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि संविधान राज्यों को थिएटर और मनोरंजन से जुड़े मामलों को विनियमित करने का अधिकार देता है।
KFCC ने भी की इस मामले में हस्तक्षेप की मांग:
कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (KFCC) ने भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन अदालत ने साफ किया कि यह जनहित याचिका नहीं है और संस्था को पहले यह साबित करना होगा कि उसे इस मामले में हस्तक्षेप का अधिकार क्यों मिलना चाहिए। अदालत ने कहा कि केवल संबंधित पक्ष ही अपना पक्ष रख सकते हैं।
अक्टूबर में रिलीज़ होगा कंटारा: चैप्टर 1:
कंटारा: चैप्टर 1, 2 अक्टूबर को दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ के लिए तैयार है। यह फिल्म कन्नड़, हिंदी, तेलुगु, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और बंगाली सहित कई भाषाओं में सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। दक्षिणी सिनेमा के स्टार ऋषभ शेट्टी इस फिल्म के निर्देशक और मुख्य अभिनेता हैं।
कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014:
कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014, राज्य के सिनेमाघरों में टिकटों की कीमतों को विनियमित करने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा बनाया गया एक नियम है. जिसे सितंबर 2025 में संशोधित करने को लेकर विवाद खड़ा हुआ है।
अब आगे क्या होगा?
अंतरिम रोक का मतलब है कि फिलहाल टिकट की कीमतें 200 रुपये तक सीमित नहीं रहेंगी। अब मल्टीप्लेक्स और थिएटर अपनी सुविधाओं और बाज़ार की स्थिति के अनुसार कीमतें तय कर सकेंगे। यह फैसला खास तौर पर त्योहारी सीज़न और 2 अक्टूबर को रिलीज़ होने वाली कंटारा: चैप्टर 1 के लिए महत्वपूर्ण है। उच्च न्यायालय की यह रोक अगले आदेश तक लागू रहेगी और आगे की सुनवाई में इस मामले पर विस्तार से चर्चा होगी। फिल्म उद्योग ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे अपने निवेश और दर्शकों को बेहतर अनुभव देने के लिए ज़रूरी कदम माना है।