फ्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को सुपर-अमीरों पर कर लगाने का महत्वपूर्ण निर्णय लेना है। प्रस्तावित “ज़ुकमैन टैक्स” धन असमानता और इसके आर्थिक प्रभाव पर बहस छेड़ रहा है।
अर्थशास्त्री गेब्रियल ज़ुकमैन द्वारा विकसित इस कर का उद्देश्य धन असमानता को कम करना है। अनुमान है कि यह कर देश के शीर्ष 0.01% अमीरों, यानी लगभग 1,800 परिवारों से सालाना 20 बिलियन यूरो जुटा सकता है।
आलोचकों का कहना है कि यह कदम पूंजी पलायन और स्टार्टअप निवेश को नुकसान पहुँचा सकता है। वहीं, Ifop पोल के अनुसार जनता में इस प्रस्ताव का 86% समर्थन है।
लेकोर्नू व्यवसायिक संपत्तियों को शामिल कर नौकरी देने वालों को दंडित करने से सावधान हैं। प्रस्ताव संवैधानिक चुनौतियों का सामना कर सकता है, लेकिन समर्थकों का तर्क है कि यह समान कराधान के सिद्धांत के अनुरूप है।

धन कर (Wealth Tax) क्या है?
धन कर एक प्रत्यक्ष कर है जो किसी व्यक्ति की कुल संपत्ति पर लगाया जाता है, जिसमें नकद, संपत्ति और निवेश शामिल हैं। यह कर केवल सालाना आय पर बल्कि व्यक्ति के संचित कुल धन पर लागू होता है, जो इसे आयकर से अलग बनाता है।
वैश्विक स्तर पर धन कर नया नहीं है, लेकिन अब बहुत कम देशों में यह लागू है। भारत में 1957 में ऐसे व्यक्तियों के लिए धन कर लागू किया गया था जिनकी संपत्ति ₹30 लाख से अधिक थी। यह कर 2016 तक लागू रहा, जब तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि इस कर प्रणाली को लागू करने की लागत इससे मिलने वाली राजस्व राशि से अधिक थी।
अर्थशास्त्री गेब्रियल ज़ुकमैन लंबे समय से सबसे अमीर वर्ग पर 2% धन कर लगाने की बात करते आए हैं। उनका मानना है कि अरबपतियों को उनकी कुल संपत्ति का कम से कम 2% देना चाहिए, केवल वार्षिक आय पर नहीं। यह प्रस्ताव 2024 के G20 शिखर सम्मेलन में ब्राजील द्वारा समर्थन किया गया और फ्रांस, स्पेन और साउथ अफ्रीका द्वारा भी इसे मंजूरी मिली, जबकि अमेरिका ने इसका विरोध किया।
फ्रांस में प्रस्तावित धन कर:
फ्रांस में प्रस्तावित धन कर €100 मिलियन (लगभग $118 मिलियन) से अधिक संपत्ति वाले व्यक्तियों को लक्षित करेगा। अर्थशास्त्री के अनुसार, यह कर देश के शीर्ष 1,800 घरों पर प्रभाव डालेगा और सालाना लगभग €20 बिलियन राजस्व जुटा सकता है। यह राशि उस पूर्व पीएम फ्रांस्वा बेयरू द्वारा पेश किए गए दुर्भाग्यपूर्ण कठोरता बजट में प्रस्तावित बचत का लगभग आधा हिस्सा है, जिसे उनकी सरकार पर विश्वास मत के बाद अस्वीकार कर दिया गया था।
अरबपतियों पर 2% कर क्यों जरूरी?
अर्थशास्त्री गेब्रियल ज़ुकमैन ने Le Monde को बताया कि 2% की दर सिर्फ़ यादृच्छिक नहीं चुनी गई है। यह दर कर को पीछे हटने वाला (regressive) बनने से रोकती है, यानी गरीब वर्ग पर अमीरों की तुलना में अधिक बोझ नहीं पड़े। उन्होंने कहा, “2% पर, अरबपति उतना ही देंगे “लेकिन उससे अधिक नहीं” जितना उनके सीधे नीचे वाले सामाजिक वर्ग, यानी वरिष्ठ प्रबंधक (senior executives) देते हैं। मैं इसे कराधान में समानता का न्यूनतम दृष्टिकोण मानता हूँ।”
Global Tax Evasion Report 2024, जिसे EU Tax Observatory ने प्रकाशित किया, दर्शाता है कि अत्यधिक संपन्न व्यक्ति (ultra-high-net-worth individuals) वर्तमान में अपनी आय के अनुपात में अन्य वर्गों की तुलना में कम कर देते हैं। ज़ुकमैन का कहना है कि अत्यंत अमीर अपने धन को इस तरह संरचित करते हैं कि वे कर भुगतान से बच सकें।
रिपोर्ट यह भी रेखांकित करती है कि प्रगतिशील कराधान (progressive taxation) की आवश्यकता है, जिससे उच्च आय वालों पर अधिक कर बोझ पड़े। अर्थशास्त्रियों ने लंबे समय से इस तरह के कर का समर्थन किया है ताकि धन का पुनर्वितरण अमीरों से गरीबों की ओर हो और आर्थिक असमानता कम हो सके। ज़ुकमैन ने कहा कि 2% से कम दर अरबपतियों के लिए कर लाभ को बनाए रखेगी।
अति अमीरों पर कर बोझ कम है?
IPP के एक अध्ययन के अनुसार, सामान्य लोग जैसे-जैसे अपनी आय बढ़ाते हैं, उन्हें अधिक कर देना पड़ता है, लेकिन यह अमीरों के सबसे ऊपरी वर्ग पर लागू नहीं होता।
- शीर्ष 1% कमाई करने वाले लगभग 46% अपनी आय कर के रूप में देते हैं।
- जबकि सबसे अमीर 0002% (अरबपति) केवल 26.2% अपनी आय कर के रूप में देते हैं।
इसका कारण है कि अत्यधिक संपन्न लोग (ultra-high-net-worth individuals) होल्डिंग कंपनियों का उपयोग करते हैं, जो सामान्य आय की तुलना में काफी कम कराधान के दायरे में आती हैं और इस तरह वे अपना धन सुरक्षित रखते हैं।
प्रस्तावित धन कर पर जनता की प्रतिक्रिया:
प्रस्तावित धन कर फ्रांसीसी जनता के बीच लोकप्रिय साबित हुआ है। French Institute of Public Opinion (Ifop) के एक अध्ययन के अनुसार, 86% लोगों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की रेनैसां पार्टी के 92% सदस्य भी शामिल थे।
राष्ट्रपति मैक्रॉन ने चुनाव जीतने के बाद इस कर का फोकस सामान्य संपत्ति से केवल रियल एस्टेट पर स्थानांतरित कर दिया, ताकि फ्रांस को बिज़नेस-फ्रेंडली देश के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। हालांकि, इस कदम के कारण उन्हें “अमीरों के राष्ट्रपति” के रूप में लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा।
पूर्व पीएम बेरो और मिशेल बार्नियर द्वारा प्रस्तावित कठोरता बजट (austerity budgets) सभी क्षेत्रों में खर्च में कटौती पर केंद्रित थे और व्यापक रूप से अलोकप्रिय रहे। दोनों सरकारें एक साल भी पूरा किए बिना गिर गईं, जबकि देशव्यापी विरोध प्रदर्शन भी हुए।
अति अमीर नाराज: ‘फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था को खतरा’
फ्रांस के अति अमीर वर्ग को प्रस्तावित 2% धन कर पसंद नहीं आया। यूरोप के सबसे अमीर व्यक्ति बर्नार्ड अर्नॉल्ट ने चेतावनी दी कि यह कर फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था को नष्ट कर सकता है।
अर्नॉल्ट, जिनकी कुल संपत्ति लगभग $169 बिलियन (₹148.95 लाख करोड़) है, ने कहा कि यह कदम “लिबरल अर्थव्यवस्था को नष्ट करने का प्रयास है, जो सभी के हित में काम करती है।”
उन्होंने जारी बयान में कहा, “यह स्पष्ट रूप से कोई तकनीकी या आर्थिक बहस नहीं है, बल्कि फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने की एक स्पष्ट इच्छा है। मुझे विश्वास नहीं है कि देश में शासन करने वाली या पहले शासन करने वाली राजनीतिक ताकतें इस हमले को वैधता दे सकती हैं, जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए घातक है।”