शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री को मोदी सरकार की 69,725 करोड़ की मंजूरी, 30 लाख रोजगार और आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बढ़ावा

भारत ने समुद्री क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा दांव लगाया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को शिपिंग और पोर्ट सेक्टर के लिए 69,725 करोड़ रुपये (लगभग 8 अरब डॉलर) का मेगा प्रोत्साहन पैकेज घोषित किया।

 

इस पहल का मकसद देश में जहाज निर्माण, मरम्मत और ब्रेकिंग उद्योग में निवेश को बढ़ावा देना और घरेलू जहाज स्वामित्व को मजबूत करना है। इसके अलावा, बंदरगाहों के बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ कर भारत को वैश्विक शिपिंग नेटवर्क में मजबूती से स्थापित करने की योजना है। सरकार का अनुमान है कि इस पैकेज से लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और देश का समुद्री उद्योग एक नई दिशा में आगे बढ़ेगा।

modi government approves rs 69725 crore for the shipbuilding industry

केंद्र ने चार स्तंभों पर आधारित 69,725 करोड़ रुपये का शिपिंग और जहाज निर्माण सुधार पैकेज मंजूर किया

 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जहाज निर्माण और समुद्री विकास के लिए 69,725 करोड़ रुपये के सुधार पैकेज को मंजूरी दी है, जो चार स्तंभों पर आधारित है: वित्तीय सहायता, दीर्घकालिक वित्तपोषण, क्लस्टर विकास और कानूनी सुधार।

 

पहला स्तंभ: इसमें 24,736 करोड़ रुपये की शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस (SBFA) योजना शामिल है, जिसमें वित्तीय सहायता, शिप-ब्रेकिंग क्रेडिट नोट और राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन शामिल हैं। इस योजना के तहत ₹100 करोड़ से कम मूल्य वाले जहाजों पर 15% प्रोत्साहन, ₹100 करोड़ से अधिक मूल्य वाले जहाजों पर 20%, और हाइब्रिड/ग्रीन जहाजों पर 25% प्रोत्साहन मिलेगा।

  • SBFA स्कीम भारतीय यार्ड में स्क्रैप किए गए जहाज के 40% मूल्य का क्रेडिट नोट भी प्रदान करेगी, जिसे नए जहाज निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह योजना 31 मार्च 2036 तक बढ़ा दिया गया है और भारतीय शिपिंग उद्योग को प्रतिस्पर्धी, टिकाऊ और वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने में सहायक होगी।

 

दूसरा स्तंभ: इसमें 25,000 करोड़ रुपये का मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड (MDF) शामिल है, जिसमें 20,000 करोड़ रुपये का निवेश कोष और 5,000 करोड़ रुपये का ब्याज प्रोत्साहन कोष है। पहला फंड बड़े पैमाने पर परियोजनाओं में इक्विटी निवेश और दीर्घकालिक वित्तपोषण देगा, जबकि दूसरा फंड सभी ऋणों पर 3% ब्याज सब्सिडी प्रदान करेगा।

 

तीसरा स्तंभ: तीसरे स्तंभ में 19,989 करोड़ रुपये का शिपबिल्डिंग डेवलपमेंट फंड शामिल है, जो शिपिंग और जहाज निर्माण क्लस्टरों के विकास को बढ़ावा देगा।

 

चौथा स्तंभ: चौथे स्तंभ में कानूनी और प्रक्रिया सुधार शामिल हैं, जो विवाद समाधान और मध्यस्थता के लिए हितधारकों को एक मंच पर लाएंगे।

 

शिप-ब्रेकिंग क्रेडिट नोट योजना: पुराने जहाजों पर नई प्रोत्साहन:

सरकार ने शिप-ब्रेकिंग क्रेडिट नोट योजना शुरू की है, जिसका मकसद भारतीय यार्ड में पुराने जहाजों को स्क्रैप करने को बढ़ावा देना है। योजना के तहत, किसी पुराने जहाज को स्क्रैप करने पर उसकी वैल्यू का 40% क्रेडिट नोट दिया जाएगा, जिसे नए जहाज के निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह क्रेडिट नोट 3 साल तक वैलिड रहेगा और इसे ट्रांसफर भी किया जा सकेगा, जिससे उद्योग में नई जहाज निर्माण गतिविधियों को गति मिलेगी और पुरानी जहाजों का पुनर्चक्रण भी बढ़ेगा।

 

अश्विनी वैष्णव ने समुद्री सुधारों के लाभों का किया खुलासा: 30 लाख नौकरियां, 4.5 ट्रिलियन रुपये निवेश:

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हाल ही में घोषित समुद्री सुधारों का उद्देश्य भारत के शिपिंग और पोर्ट सेक्टर को वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित करना है। उन्होंने बताया कि इन सुधारों से लगभग 30 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा होंगी और 4.5 ट्रिलियन रुपये का निवेश आकर्षित होगा।

वैष्णव ने आगे कहा कि इन सुधारों से देश की जहाज निर्माण क्षमता बढ़कर 4.5 मिलियन सकल टन तक जाएगी, और आने वाले कुछ वर्षों में यह 8.2 मिलियन सकल टन तक पहुँचने की संभावना है। वर्तमान में भारत की जहाज निर्माण क्षमता केवल 0.1 मिलियन सकल टन से थोड़ी अधिक है।

इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि सुधारों से 250 मिलियन टन प्रति वर्ष अतिरिक्त बंदरगाह क्षमता पैदा होगी और 2,500 से अधिक जहाज जोड़े जाएँगे। वर्तमान में भारत की बंदरगाह क्षमता 2,600 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जो इन सुधारों से और सुदृढ़ होगी।

 

मोदी सरकार का विजन: “Chips or Ships, Make in India”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 सितंबर 2025 को गुजरात में ₹34,200 करोड़ की पोर्ट और मेरीटाइम परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए कहा कि “चिप्स हो या शिप्स, हमें इन्हें भारत में ही बनाना है।” इसके साथ ही सरकार की मैरीटाइम सेक्टर को लेकर प्रो-एक्टिव अप्रोच दिखाई दे रही है।

2014 के बाद से भारत ने अपनी पोर्ट क्षमता दोगुनी कर दी है, जबकि औसत शिप टर्नअराउंड टाइम 2 दिन से घटकर 1 दिन से भी कम हो गया है। वर्तमान में भारत का ग्लोबल मेरीटाइम ट्रेड में हिस्सा 10% है, जिसे 2047 तक 30% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

 

प्रधानमंत्री ने शिपबिल्डिंग को “Mother of All Industries” बताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने शिपबिल्डिंग को “Mother of All Industries” बताया। इसका कारण यह है कि इसमें स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, टेक्सटाइल और MSMEs जैसे सभी सेक्टरों को काम और डिमांड मिलती है। शिपबिल्डिंग में निवेश का मल्टीप्लायर इफ़ेक्ट होता है, यानी हर ₹1 का निवेश कई गुना आर्थिक गतिविधि पैदा करता है। घरेलू शिप्स बढ़ने से विदेशी शिप्स पर निर्भरता घटेगी, बैलेंस ऑफ पेमेंट सुधरेगा, और देश के स्ट्रैटेजिक इंटरेस्ट सुरक्षित होंगे।

 

भारत में शिपिंग उद्योग और बंदरगाह

भारत में 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 से अधिक सूचित लघु और मध्यवर्ती बंदरगाह हैं। सागरमाला राष्ट्रीय दृष्टिकोण योजना के तहत देश में छह नए मेगा पोर्ट विकसित किए जाने हैं, ताकि समुद्री ढांचे को और मजबूत किया जा सके। भारतीय बंदरगाह और शिपिंग क्षेत्र देश के व्यापार और वाणिज्य को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यह लगभग 95% व्यापार मात्रा और 70% व्यापार मूल्य के लिए समुद्री परिवहन का उपयोग करता है।

7,516.6 किमी तटरेखा के साथ भारत दुनिया का 16वां सबसे बड़ा समुद्री राष्ट्र है। सरकार इस क्षेत्र का समर्थन करती है, जैसे कि बंदरगाह और हार्बर निर्माण एवं रखरखाव परियोजनाओं के लिए 100% FDI की स्वचालित मंजूरी और बंदरगाह, आंतरिक जलमार्ग और इनलैंड पोर्ट्स को विकसित, संचालित और बनाए रखने वाले उद्यमों के लिए 10 साल का कर अवकाश

वित्त वर्ष 2025 (FY25) में भारत के प्रमुख बंदरगाहों ने 853.56 मिलियन टन (MT) माल लोड और अनलोड किया, जो FY24 में 819 MMT था, जबकि माल निर्यात ₹37,34,255 करोड़ (US$ 437.42 बिलियन) तक पहुंचा। संचालन दक्षता बढ़ाने के लिए मशीनरीकरण, गहरे ड्राफ्ट और तेज माल निकासी जैसे उपाय लागू किए गए हैं।

Image credit: IBEF

 

निष्कर्ष:

यह सुधार पैकेज केवल भारतीय शिपिंग और जहाज निर्माण उद्योग के लिए आर्थिक प्रोत्साहन नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने, भारत की भू-राजनीतिक मजबूती बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर व वैश्विक प्रतिस्पर्धी शक्ति बनाने का भी माध्यम है। यह “Atmanirbhar Bharat” दृष्टिकोण को साकार करते हुए भारत को वैश्विक शिपिंग और जहाज निर्माण मानचित्र पर अग्रणी स्थान दिलाने का एक रणनीतिक कदम है।