विदेशों से फंड लेने वाले NGO पर सरकार सख्त: गृह मंत्रालय का निर्देश, समय खत्म होने से 4 महीने पहले ही लाइसेंस रिन्यूअल के लिए करें अप्लाई..

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को सभी गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को चेतावनी दी है कि वे अपने FCRA रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण समय पर करें। मंत्रालय ने कहा है कि रिन्यूअल के लिए आवेदन रजिस्ट्रेशन की वैधता खत्म होने से कम से कम चार महीने पहले जमा किया जाना चाहिए, ताकि प्रक्रिया में देरी न हो और NGO की गतिविधियों में कोई रुकावट न आए।

Government strict on NGOs taking funds from abroad

गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा,

अमूमन यह देखा गया है कि कई NGO अपनी सर्टिफिकेट की अवधि खत्म होने से 90 दिन से भी कम समय के अंदर रिन्यूअल के लिए आवेदन पत्र जमा कर रहे हैं, और इस तरह की देरी से आवेदन जमा करने से वैधता खत्म होने से पहले जांच और सुरक्षा एजेंसियों से जरूरी जानकारी हासिल करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है.

 

90 दिनों के भीतर आवेदन प्रमाणपत्र होता है नवीनीकृत:

विदेशी योगदान पाने वाले सभी NGO के लिए FCRA 2010 के तहत पंजीकरण अनिवार्य है। यह पंजीकरण आमतौर पर पांच साल के लिए वैध होता है और इसके खत्म होने के बाद नवीनीकरण के लिए नया आवेदन देना होता है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि कानून (FCRA 2010 की धारा 16(1) और FCRA 2011 की धारा 12) के तहत NGO को अपने प्रमाणपत्र की वैधता खत्म होने से कम से कम छह महीने पहले नवीनीकरण के लिए आवेदन करना जरूरी है। इसके बाद केंद्र सरकार को आवेदन मिलने के 90 दिनों के भीतर प्रमाणपत्र नवीनीकृत करना होता है।

 

रिन्यूअल नहीं होने पर क्या पड़ेगा असर?

अगर किसी NGO का प्रमाणपत्र रिन्यू नहीं होता और उसकी वैधता खत्म हो जाती है, तो वह अमान्य हो जाता है। ऐसे में, रिन्यूअल के लिए दिया गया आवेदन लंबित रह जाता है और NGO विदेशी योगदान प्राप्त नहीं कर सकता या उसका उपयोग नहीं कर सकता। इससे उनकी गतिविधियाँ प्रभावित और बाधित हो सकती हैं।

नोटिस में कहा गया है कि इसलिए NGO को सलाह दी जाती है कि वे रिन्यूअल के लिए समय से पहले आवेदन करें और कम से कम चार महीने पहले आवेदन जमा कर दें। इससे उनका आवेदन समय पर निपट जाएगा और उनकी गतिविधियों में कोई रुकावट नहीं आएगी।

 

हाल के वर्षों में देश में कई लाइसेंस रद्द किए गए:

हाल के वर्षों में कई NGO के FCRA लाइसेंस रद्द किए गए हैं। इसमें छोटे संगठनों से लेकर बड़े नामी संस्थानों तक शामिल रहे हैं। सरकार का कहना है कि विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग राष्ट्रीय हित के खिलाफ हो सकता है। वहीं, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नियम इतने कड़े हैं कि इससे काम कर रहे संगठनों का काम प्रभावित होता है।

 

विदेशी चंदा लेने के नियम क्या हैं?

  • NGO को FCRA के तहत पंजीकृत होना जरूरी है
  • केवल अप्रूव्ड बैंक खाते में ही विदेशी चंदा आ सकता है
  • फंड का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए होगा, जिसके लिए रजिस्टर्ड है
  • सरकार को नियमित रूप से खर्च और आय की रिपोर्ट देनी होती है
  • फंड का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों या लाभ कमाने में नहीं होगा

 

FCRA क्या है?

  • भारत में NGO विदेशी फंड लेने के लिए सीधे धन प्राप्त नहीं कर सकते, इसके लिए FCRA कानून बनाया गया।
  • FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) पहली बार 1976 में लागू हुआ और 2010 में संशोधित किया गया।
  • कोई भी NGO अगर विदेशी फंड लेना चाहता है, तो उसे सरकार से FCRA पंजीकरण कराना जरूरी है।

 

FCRA की आवश्यकता: विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) का उद्देश्य भारत में विदेशी दान के दुरुपयोग को रोकना और देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा की रक्षा करना है। इसके तहत गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को विदेशी धन प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से लाइसेंस या पूर्व अनुमति लेना जरूरी है। इसकी आवश्यकता मुख्य रूप से इस प्रकार है:

  • विनियमन: यह सुनिश्चित करता है कि विदेशी दान जिम्मेदारी से इस्तेमाल हो और इसका गलत उपयोग न हो।
  • राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा: ऐसे योगदानों को रोका जाता है जो भारत की सुरक्षा, अखंडता या संप्रभुता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • उपयोग पर निगरानी: विदेशी दान का स्वीकृति और इस्तेमाल लाइसेंस प्रणाली के जरिए निगरानी में रहता है।
  • अनिवार्य लाइसेंसिंग: NGO को कानूनी रूप से विदेशी धन स्वीकार करने के लिए FCRA पंजीकरण या गृह मंत्रालय की अनुमति लेनी होती है।

 

FCRA का प्रभाव:

  • गैर-अनुपालन: नियमों का पालन न करने, रिपोर्ट न देने या विदेशी धन का दुरुपयोग करने पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
  • हानिकारक गतिविधियों में संलिप्तता: यदि कोई एनजीओ भारत के राष्ट्रीय हित या सुरक्षा के खिलाफ काम करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है।
  • परिचालन संबंधी चुनौतियाँ: लगातार दो साल तक गतिविधि न करने या निष्क्रिय रहने पर लाइसेंस रद्द हो सकता है।
  • कड़े नियम: झूठे दस्तावेज़ या प्रमाण पत्र की शर्तों का उल्लंघन करने पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, जिससे कई NGO को काम करने में कठिनाई होती है।
  • लाइसेंस रद्दीकरण: 1976 से अब तक 20,701 से अधिक NGO लाइसेंस, जिनमें ऑक्सफैम इंडिया का लाइसेंस भी शामिल है, उल्लंघन के कारण रद्द कर दिए गए।

 

FCRA पंजीकरण की प्रक्रिया:

  • ऑनलाइन आवेदन: NGOs को जरूरी दस्तावेज और जानकारी के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होता है।
  • खुफिया जांच: गृह मंत्रालय खुफिया ब्यूरो के माध्यम से NGOs की पृष्ठभूमि और उद्देश्यों की जांच करता है।
  • पात्रता: NGOs किसी अवैध या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए, जैसे धर्म परिवर्तन, सांप्रदायिक हिंसा, धन का दुरुपयोग या राजद्रोह।
  • समय सीमा: आवेदन पर 90 दिनों के अंदर निर्णय लिया जाना चाहिए या देरी का कारण बताया जाना चाहिए।
  • वैधता: पंजीकरण सामान्यतः 5 साल के लिए वैध होता है।
  • नवीनीकरण: नवीनीकरण के लिए कम से कम 6 महीने पहले आवेदन करना जरूरी है। नवीनीकरण न होने पर पंजीकरण समाप्त मान लिया जाएगा।
  • अपील: यदि 4 महीने के भीतर आवेदन में देरी होती है, तो NGOs गृह मंत्रालय में वैध कारण बताते हुए अपील कर सकते हैं।

 

NGO किसे कहते है?

NGO(गैर-सरकारी संगठन) ऐसे स्वैच्छिक समूह होते हैं, जिन्हें किसी सरकार से संबंधित न होकर सामाजिक सेवाएँ देने या सार्वजनिक नीतियों के पक्ष में काम करने के लिए बनाया जाता है। अधिकांश एनजीओ लाभकारी नहीं होते, यानि ये अलाभकारी संगठन होते हैं।

 

NGO निम्नलिखित तरीकों से हो सकते हैं:

  • गतिविधियों के प्रकार: यह बताता है कि NGO किस क्षेत्र में काम करता है, जैसे मानव अधिकार, उपभोक्ता संरक्षण, पर्यावरण, स्वास्थ्य या विकास।
  • संचालन का स्तर: यह दर्शाता है कि NGO किस पैमाने पर काम करता है – स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय।

 

निष्कर्ष:

केंद्रीय गृह मंत्रालय का यह निर्देश NGO को समय पर रिन्यूअल सुनिश्चित करने के लिए है, जिससे उनकी गतिविधियों में बाधा न आए और विदेशी योगदान का पारदर्शी तथा सुव्यवस्थित उपयोग हो सके। समय पर अनुपालन से न केवल NGO की गतिविधियाँ सुरक्षित रहती हैं, बल्कि कानून के तहत भी उन्हें सुविधा मिलती है।

 
 
 
 
 
 

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