भारत-यूरोप के 4 देशों में फ्री ट्रेड समझौता लागू: 15 साल में 10 लाख रोजगार, 9 लाख करोड़ का निवेश

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के चार देशों, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन ने 1 अक्टूबर 2025 को एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किए, जो 1 अक्टूबर 2025 से लागू हुआ है. इस समझौते से भारत में 15 साल में 100 अरब डॉलर का निवेश आने का अनुमान है, जिससे लगभग 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

India-European free trade agreement comes into effect between four countries

समझौते के मुख्य बिंदु:

  1. निवेश: EFTA समूह (स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टाइन) ने भारत में अगले 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर निवेश करने का वादा किया है। इससे भारत में लगभग 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
  2. शुल्क में कमी: समझौते के तहत EFTA समूह भारत के6% निर्यात को कवर करते हुए 92.2% टैरिफ लाइनों पर शुल्क कम करेगा। बदले में भारत भी EFTA के 82.7% टैरिफ लाइनों पर रियायत देगा।
  3. सस्ते विदेशी उत्पाद: इस समझौते के लागू होने के बाद स्विट्जरलैंड की चॉकलेट, घड़ियां, और मशीनरी जैसे कई उत्पाद भारतीय बाजार में पहले से सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे।
  4. भारतीय उद्योगों को फायदा: भारत के इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, केमिकल्स, और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को EFTA देशों में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी।
  5. टिकाऊ व्यापार पर जोर: यह समझौता टिकाऊ व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रावधानों को शामिल करता है।
  6. कला और मनोरंजन को नया बाजार: भारतीय फिल्म, ओटीटी, संगीत और गेमिंग कंपनियों के लिए अब यूरोपीय बाजार के दरवाजे खुल गए हैं, जिससे इन सेक्टरों को वैश्विक पहचान और कमाई के नए अवसर मिलेंगे।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ऐतिहासिक दिन बताया-

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और चार यूरोपीय देशों के समूह ईएफटीए के बीच मुक्त व्यापार समझौता एक अक्तूबर से लागू हो गया है। इस समझौते से व्यापार, निवेश और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे और लोगों तथा व्यवसायों को फायदा होगा।

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह सच में एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि भारत-चार यूरोपीय देशों (EFTA) के बीच हुआ व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (TEPA) लागू हो गया है। वहीं, स्विट्जरलैंड के आर्थिक मामलों, शिक्षा और अनुसंधान विभाग के प्रमुख गाइ पारमेलीन ने कहा कि आज ईएफटीए और भारत के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते का लागू होने का दिन है।

भारत–EFTA समझौता: किन-किन सेक्टर में पड़ेगा असर:

  1. भारतीय बाज़ार में सस्ते होंगे यूरोपीय प्रोडक्ट्स: आयात पर लगने वाले शुल्क (टैरिफ) घटने से कई यूरोपीय उत्पाद भारतीय बाजार में पहले से सस्ते दामों पर मिलने लगेंगे।

इनमें शामिल हैं: स्विट्जरलैंड की वाइन, चॉकलेट, बिस्किट, कपड़े, अंगूर, ड्राय फ्रूट्स, सब्जियां, कॉफी, घड़ियां

  1. भारतीय उत्पादों को यूरोपीय बाजार में बढ़ावा: समझौते से भारतीय निर्यातकों, किसानों और छोटे उद्योगों को बड़ा फायदा होगा। निम्नलिखित उत्पादों की यूरोप में बिक्री बढ़ेगी:
  • चावल, दालें, फल (आम, अंगूर)
  • कॉफी, चाय
  • समुद्री उत्पाद
  • कपड़ा, खिलौने
  • इंजीनियरिंग सामान
  1. यूरोपीय तकनीक से भारत को लाभ: समझौते से यूरोप की उन्नत तकनीक भारत में आएगी, जिनमें शामिल हैं: नवीकरणीय ऊर्जा, मेडिकल रिसर्च, स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स। इससे भारत का जीवन स्तर सुधरेगा और देश तकनीकी रूप से अधिक मज़बूत बनेगा।
  2. भारतीय उद्योगों के लिए नए अवसर: भारत के इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, केमिकल्स और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को EFTA समझौते से यूरोप में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी।
  3. धीरे-धीरे हटेंगी ड्यूटी (आयात शुल्क)
  • 5 साल में: कॉड लिवर ऑयल, फिश बॉडी ऑयल, स्मार्टफोन पर ड्यूटी खत्म
  • 7 साल में: ऑलिव ऑयल, कोको, कॉर्न फ्लेक्स, इंस्टेंट टी, मशीनरी, साइकिल पार्ट्स, घड़ियों आदि पर ड्यूटी समाप्त
  • 10 साल में: एवोकाडो, एप्रिकॉट, कॉफी, चॉकलेट और मेडिकल इक्विपमेंट्स पर शुल्क हटेगा
  1. मार्केट एक्सेस: भारत ने EFTA को 105 सब-सेक्टर्स में बाज़ार पहुंच दी है। बदले में भारत को मिला:
  • स्विट्जरलैंड: 128 सेक्टरों में एक्सेस
  • नॉर्वे: 114 सेक्टर
  • लिकटेंस्टीन: 107 सेक्टर
  • आइसलैंड: 110 सेक्टर
  1. भारतीय क्रिएटिव इंडस्ट्री को यूरोपीय दरवाज़े: समझौते से भारतीय फिल्म, ओटीटी, संगीत और गेमिंग सेक्टर को यूरोपीय बाजार में प्रवेश मिलेगा।
  • बॉलीवुड और भारतीय डिजिटल कंटेंट की ग्लोबल पहुंच और राजस्व बढ़ेगा।
  • कलाकारों और प्रोडक्शन हाउसेज़ के लिए नए अवसरों के दरवाज़े खुलेंगे।

 

मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreements – FTAs) क्या है?

मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreements – FTAs) दो या दो से अधिक देशों के बीच होने वाले अंतरराष्ट्रीय समझौते होते हैं, जिनका उद्देश्य आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यापार बाधाओं को कम करना या खत्म करना होता है। इन समझौतों के तहत, आयात-निर्यात पर लगने वाले शुल्क, और अन्य नियमों में ढील दी जाती है, जि”ससे व्यापार आसान और सस्ता हो जाता है। 

 

मुक्त व्यापार समझौते की मुख्य विशेषताएँ:

  • व्यापार बाधाओं में कमी: FTA के तहत, सदस्य देशों के बीच माल और सेवाओं के व्यापार पर लगने वाले शुल्क, जैसे कस्टम ड्यूटी को घटाया या समाप्त किया जाता है।
  • गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाना: इनमें व्यापार को बाधित करने वाली अन्य बाधाओं को भी दूर किया जाता है, जैसे व्यापारिक मानक और नियामक प्रक्रियाएँ।
  • व्यापक कवरेज: आधुनिक FTA केवल सामान तक सीमित नहीं होते, बल्कि सेवाओं, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकारों, सरकारी खरीद और प्रतिस्पर्द्धा नीतियों जैसे क्षेत्रों को भी कवर करते हैं।
  • पारदर्शिता: ये समझौते व्यापार और निवेश के लिए एक अधिक पारदर्शी और अनुमानित वातावरण बनाते हैं, जिससे कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करने में आसानी होती है।
  • निवेश को बढ़ावा: FTAs विदेशी निवेश को आकर्षित करने और उसे सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी प्रावधान करते हैं। 

 

मुक्त व्यापार समझौतों के लाभ:

  • आर्थिक विकास को प्रोत्साहन: FTAs आर्थिक विकास को गति देते हैं, क्योंकि इससे देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बढ़ता है।
  • बाज़ार तक पहुँच में वृद्धि: इन समझौतों से कंपनियों को दूसरे देशों के बाज़ारों में पहुँच मिलती है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है।
  • कम कीमतें: आयात शुल्क कम होने से उपभोक्ता के लिए सामान सस्ता हो जाता है, जिससे उन्हें अधिक वैराइटी मिलती है।
  • रोज़गार के अवसर: बढ़ा हुआ व्यापार और निवेश नए रोज़गार के अवसर पैदा करता है। 

 

भारत के FTA से जुड़ी प्रमुख चिंताएँ:

  1. व्यापार घाटा: भारत के कई FTA समझौतों के बाद आयात में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जबकि निर्यात की वृद्धि सीमित रही है।
  • उदाहरण: भारत–आसियान मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के कारण वित्त वर्ष 2022–23 में आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और यह 44 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। इससे व्यापार घाटा बढ़ा है।
  1. विकसित बाज़ारों तक सीमित पहुँच: भारत को कई विकसित देशों के बाज़ारों में गैर-टैरिफ बाधाओं (Non-Tariff Barriers) का सामना करना पड़ता है।
  • उदाहरण: बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और आँकड़ों से जुड़ी समस्याओं के कारण यूरोपीय संघ (EU) के साथ व्यापार समझौते में देरी हो रही है।
  1. छोटे किसान और MSME पर दबाव: FTA के बाद सस्ते आयात से प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है, जिससे छोटे किसान और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) प्रभावित होते हैं।
  • उदाहरण: आसियान FTA के तहत सस्ते रबड़ आयात ने भारत के रबड़ उत्पादक किसानों पर असर डाला है।
  1. श्रम और पर्यावरण से जुड़ी बाध्यकारी शर्तें: यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) जैसी पर्यावरणीय शर्तें भारतीय निर्यात के लिए बाधा बन सकती हैं। इन प्रावधानों को पूरा करना भारतीय उद्योगों के लिए महंगा और जटिल हो सकता है।
  2. कमज़ोर विवाद समाधान तंत्र: भारत के कई FTA में विवाद समाधान की प्रक्रिया धीमी और असंतुलित मानी जाती है।
  • उदाहरण: पाम ऑयल और मशीनरी शुल्क को लेकर भारत–आसियान विवादों में लंबी कानूनी प्रक्रिया और समाधान में देरी देखी गई।

 

भारत के अब तक 16 मुक्त व्यापार समझौते:

भारत ने अब तक कुल 16 मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूनाइटेड किंगडम (UK), मॉरीशस और आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन) के 10 देशों के साथ किए गए समझौते शामिल हैं।

2014 के बाद, भारत ने व्यापारिक साझेदारी को मज़बूत करने के लिए पांच नए समझौते किए हैं- मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA), यूनाइटेड किंगडम (UK)।

 

इन देशो से FTA के लिए चल रही वार्ता:

इसके अलावा भारत अमेरिका, ओमान, न्यूजीलैंड, इजराइल, पेरू और चिली के साथ भी FTA के लिए बातचीत कर रहा है.

साथ ही, भारत यूरोपीय संघ (EU) के साथ भी एक FTA पर बातचीत की प्रक्रिया में है। वर्तमान में लगभग 6,000 यूरोपीय कंपनियां भारत में कार्यरत हैं। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है- 2022-23 में दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 135 अरब डॉलर तक पहुंचा, जो पिछले एक दशक में लगभग दोगुना हुआ है।

इन समझौतों का उद्देश्य न केवल भारत के निर्यात को बढ़ावा देना है, बल्कि निवेश, बाज़ार पहुंच और तकनीकी सहयोग को भी नई दिशा देना है।

 

आइए जान लेते है- यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बारे मे:

यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) चार देशों- आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड का एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 1960 में स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत की गई थी।

इसका उद्देश्य उन यूरोपीय देशों के लिए एक वैकल्पिक व्यापार मंच प्रदान करना था जो यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) जो बाद में यूरोपीय संघ (EU) बना में शामिल नहीं हो पाए या नहीं होना चाहते थे।

सदस्य देश:

  • नॉर्वे: संस्थापक सदस्य (1960)
  • स्विट्जरलैंड: संस्थापक सदस्य (1960)
  • आइसलैंड: 1970 में शामिल हुआ
  • लिकटेंस्टीन: 1991 में शामिल हुआ

 

EFTA बनाम यूरोपीय संघ (EU):

EFTA एक कस्टम्स यूनियन (Customs Union) नहीं है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक सदस्य देश को गैर-EFTA देशों के प्रति अपने कस्टम्स टैरिफ और व्यापार नीतियाँ स्वयं तय करने की स्वतंत्रता है।

मुख्य कार्य और भूमिका: EFTA निम्नलिखित क्षेत्रों का प्रबंधन करती है:

  • सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
  • यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (EEA) में भागीदारी सुनिश्चित करना – इसमें EU और EFTA के तीन देश (आइसलैंड, लिकटेंस्टीन और नॉर्वे) शामिल हैं; स्विट्जरलैंड इसमें शामिल नहीं है।
  • विश्वभर में मुक्त व्यापार समझौतों के नेटवर्क का संचालन और प्रबंधन करना।

 

भारत–EFTA व्यापार संतुलन की स्थिति:

पिछले वर्ष भारत का EFTA देशों से कुल आयात लगभग 32.4 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें से सबसे बड़ा हिस्सा स्विट्जरलैंड का था- यह कुल आयात का लगभग एक-तिहाई था।
इस कुल आयात में सोने का आयात लगभग 18 अरब डॉलर का रहा। हालांकि, भारत–EFTA व्यापार समझौते के तहत सोने पर लगने वाले शुल्क में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

इसी अवधि में भारत का EFTA देशों को कुल निर्यात केवल 2 अरब डॉलर रहा, जिसमें से 98% हिस्सा औद्योगिक उत्पादों का था। चूंकि इन औद्योगिक उत्पादों पर पहले से ही शून्य शुल्क (Zero Duty) लागू है, इसलिए इस समझौते से भारत को टैरिफ के रूप में कोई अतिरिक्त लाभ मिलने की संभावना नहीं है।

 

निष्कर्ष:

भारत–EFTA मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत के वैश्विक व्यापारिक नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक और ऐतिहासिक कदम है। यह समझौता न केवल निर्यात वृद्धि, विदेशी निवेश आकर्षण और आर्थिक एकीकरण को गति देगा, बल्कि भारत को यूरोपीय बाज़ारों में गहरी पैठ बनाने का अवसर भी प्रदान करेगा।