राजस्थान में बीते दिनों दो बच्चों की मौत और कुछ अन्य के बीमार पड़ने की घटनाओं ने हड़कंप मचा दिया है। आशंका जताई जा रही है कि इसका संबंध राज्य सरकार की ओर से आपूर्ति किए गए एक जेनेरिक कफ सिरप(DEXTROMETHORPHAN HBr Syrup IP 13.5 mg/5ml) से हो सकता है, जिसे सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए बांटा गया था।
PTI के मुताबिक, अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं और एहतियातन संबंधित कफ सिरप के 22 बैचों पर रोक लगा दी गई है।

औषधि नियंत्रक अजय पाठक ने कहा,
औषधि नियंत्रक अजय पाठक ने बताया कि विभाग के औषधि निरीक्षकों ने सीकर, झुंझुनू और भरतपुर से दवा के नमूने लिए हैं और उनकी रिपोर्ट तीन दिन में आने की उम्मीद है। PTI के अनुसार, पाठक ने कहा कि कफ सिरप पीने के बाद बच्चों के बीमार पड़ने की शिकायतें मिली हैं। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह सिरप पाँच साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए।
कहाँ पर हुई है मौतें?
राजस्थान में मौतें दो जगहों पर हुई हैं। सीकर जिले में सोमवार को एक पांच वर्षीय बच्चे की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सिरप लेने के कुछ ही घंटों बाद मौत हो गई। मौत के बाद उसके चाचा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इससे पहले, 22 सितंबर को भरतपुर में दो वर्षीय सम्राट जाटव की भी यही दवा लेने से मौत हुई थी। पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि जुलाई से राज्य में 1.33 लाख से ज्यादा सिरप की बोतलें वितरित की गई हैं, जिनमें से 8,200 अभी जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में सुरक्षित रखी गई हैं।
डॉक्टर भी हो गए बेहोश:
राजस्थान के बयाना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने चिंतित माता-पिता को आश्वस्त करने के लिए दवा की एक खुराक पी। आठ घंटे बाद वह अपनी कार में बेहोश पाए गए। यह खांसी की दवा राज्य में कम से कम दो बच्चों की मौत और कई अन्य के बीमार होने से जुड़ी हुई है, जिससे इसकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
बार-बार फेल हो चुके हैं दवा के सैंपल:
इस कफ सिरप को बनाने वाली कंपनी केयसंस पहले भी विवादों में रही है। पिछले दो सालों में इस दवा के 40 सैंपल फेल हो चुके हैं। 2020 में भी भीलवाड़ा, सीकर, भरतपुर, अजमेर, उदयपुर, जयपुर, बांसवाड़ा और जोधपुर से इसके सैंपल फेल हुए थे।
इसके बावजूद कंपनी हर बार ब्लैकलिस्ट होने के बाद फिर से टेंडर में शामिल होकर दवा सप्लाई करना शुरू कर देती है। 2019 से अब तक मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में 915 सैंपल फेल हो चुके हैं. कोरोना काल में सबसे ज्यादा दवाइयों के सैंपल फेल हुए. सिर्फ 2024 में 101 और 2025 में अब तक 81 सैंपल फेल हो चुके हैं.
मिलीभगत के कारण मिल जाता है टेंडर:
जांच में सामने आया है कि सरकारी ड्रग कंट्रोलर और दवा खरीदने वाली संस्था RMCL की मिलीभगत से कंपनियां बच निकलती हैं. सरकारी लैब्स होने के बावजूद आरएमसीएल प्राइवेट लैब्स से जांच करवाता है. एक लैब अगर दवा को अमानक घोषित करती है तो कंपनी दूसरी लैब से रिपोर्ट सही करवा लेती है और फिर अधिकारियों की मदद से टेंडर बहाल हो जाता है.
मध्य प्रदेश में भी हो चुकी है 6 बच्चों की मौत:
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 4 से 26 सितंबर के बीच किडनी संबंधी जटिलताओं से छह बच्चों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद जांच शुरू कर दी गई है।
शुरुआत में बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार जैसे सामान्य लक्षण दिखे, लेकिन बाद में उनकी हालत बिगड़ गई। परासिया क्षेत्र में 22 अगस्त से ऐसे मामले सामने आने लगे थे। तीन बच्चों की मौत नागपुर में इलाज के दौरान हुई, जबकि बाकी तीन की मौत बाद में हुई। स्थिति को देखते हुए परासिया अस्पताल में 10 बिस्तरों का विशेष वार्ड बनाया गया है। NCDC और IDSP की टीमें नमूने जांच के लिए ले चुकी हैं, हालांकि ज्यादातर रिपोर्ट अभी लंबित हैं और शुरुआती जांच में कोई गंभीर कारण सामने नहीं आया है।
बैतूल, सिवनी और पांढुर्ना में भी ऐसे मामले मिले हैं, जिसके चलते एहतियातन मृत बच्चों के घरों में पाई गई कफ सिरप समेत कुछ दवाओं पर रोक लगाई गई है। फिलहाल पाँच बच्चे नागपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं।
बांसवाड़ा में बच्चों के लिए दवा प्रतिबंधित:
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, बांसवाड़ा के महात्मा गांधी सरकारी अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ ने बताया कि जिस दवा के सेवन से कुछ बच्चों को सांस लेने में तकलीफ़ या उनींदापन महसूस होने का संदेह था, उसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है। डॉक्टर ने कहा कि इन प्रतिक्रियाओं का कारण ओवरडोज़ भी हो सकता है। बांसवाड़ा में ज़्यादातर बच्चे इलाज के बाद ठीक हो गए हैं, जिसमें 6 साल के एक बच्चे की हालत गंभीर थी, लेकिन वह भी सुरक्षित है।
राजस्थान मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड के गुणवत्ता नियंत्रण के कार्यकारी निदेशक ने बताया कि डॉक्टरों को अब यह सिरप लिखना बंद करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि 22 बैचों के नमूनों की जाँच की जा रही है और Kaysons Pharma से इस दवा की आपूर्ति रोक दी गई है।
राजस्थान के औषधि नियंत्रक ने बताया कि इसी कंपनी द्वारा सप्लाई की गई कफ सिरप को 2023 में पहले ही प्रतिबंधित किया गया था, क्योंकि इसमें मेन्थॉल की मात्रा कम थी।
बच्चे की मृत्यु के बाद सरकार ने तत्काल कार्रवाई:
- राज्य स्वास्थ्य मंत्री ने तुरंत जांच का आदेश दिया।
- जांचकर्ताओं ने विशिष्ट बैच के सैंपल लेकर तेज़ रफ्तार प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजे।
- सुरक्षा के दृष्टिकोण से, राजस्थान में दवा के सभी अन्य बैचों की आपूर्ति और वितरण रोक दिया गया।
- तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है जो जांच के निष्कर्षों का मूल्यांकन करेगी।
- निर्माता केसन फार्मा को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
Dextromethorphan क्या है?
Dextromethorphan (DXM) आमतौर पर खांसी कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो सामान्य सर्दी, साँस की एलर्जी, या नींद में खलल डालने वाली खांसी के कारण होती है। इसके अलावा, यह अन्य चिकित्सकीय स्थितियों में भी डॉक्टर के निर्देशानुसार उपयोग किया जा सकता है।
इसके सामान्य दुष्प्रभाव:
- चक्कर आना या उनींदापन
- मतली, उल्टी या पेट दर्द
- हल्की चक्कर या अस्थिरता
- बेचैनी या बेचैनी की भावना
- भ्रम
गंभीर दुष्प्रभाव और जोखिम:
- उच्च मात्रा में या अन्य दवाओं/सार्वजनिक पदार्थों के साथ:
- गंभीर कार्डियक और न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ
- सिरोटोनिन सिंड्रोम: अन्य सिरोटोनिन बढ़ाने वाली दवाओं के साथ, जैसे MAOIs, SSRIs, SNRIs; लक्षण: बेचैनी, तेज़ दिल की धड़कन, अधिक पसीना, हाई बॉडी टेम्परेचर, भ्रम, मांसपेशियों में कठोरता
- हृदय संबंधी: तेज़ दिल की धड़कन, उच्च रक्तचाप
- न्यूरोलॉजिकल: दौरे, असंतुलन, अव्यवस्थित बोलना, साइक़ोसिस
- सांस संबंधी: धीमी या कठिन सांस, चेहरे/जीभ/गले में सूजन
ओवरडोज़ के लक्षण:
- गहरी उनींदापन या बेहोशी (कोमा)
- नीले रंग के नाखून या होंठ
- सांस लेने में कठिनाई
- धुंधली दृष्टि
- उच्च या कम रक्तचाप
- तेज़ दिल की धड़कन
दवा के इंटरैक्शन और सावधानियाँ:
- MAOIs: DXM को पिछले 14 दिनों में ली गई MAOI दवा के साथ नहीं लेना चाहिए।
- शराब: शराब के साथ लेने से चक्कर, उनींदापन और ओवरडोज़ का जोखिम बढ़ जाता है।
- SSRIs, SNRIs, TCAs: सिरोटोनिन सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है।
- अन्य पदार्थ: कुछ सप्लीमेंट्स (जैसे John’s wort) और खाद्य पदार्थ (जैसे अंगूर का रस) DXM के साथ इंटरैक्ट कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
राजस्थान में बच्चों की मौत और बीमार पड़ने की घटनाओं ने स्वास्थ्य सुरक्षा पर चिंता बढ़ा दी है। अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है और 22 बैचों पर रोक लगाई है। यह घटना दवा की सुरक्षा पर सतर्क रहने की जरूरत को दर्शाती है।