वेदांता ने डिमर्जर की समयसीमा फिर बढ़ाई: अब 31 मार्च 2026 तक पूरी होगी पुनर्गठन प्रक्रिया, सरकारी मंजूरियों में देरी बनी वजह-

अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांता लिमिटेड ने अपने बहुप्रतीक्षित डिमर्जर (विभाजन योजना) की समयसीमा एक बार फिर बढ़ा दी है। अब यह प्रक्रिया मार्च 2026 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। कंपनी ने एक नियामकीय फाइलिंग (regulatory filing) में बताया कि यह देरी राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) और अन्य सरकारी अनुमोदनों के लंबित रहने के कारण हुई है।

 

इससे पहले यह समयसीमा 31 मार्च 2025 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 की गई थी। डिमर्जर का उद्देश्य वेदांता के विभिन्न व्यवसायों जैसे धातु, तेल एवं गैस, और ऊर्जा क्षेत्र को अलग-अलग सूचीबद्ध इकाइयों के रूप में स्थापित कर शेयरधारकों के लिए मूल्य सृजन (value unlocking) करना है।

Vedanta extends demerger deadline again

वेदांता लिमिटेड की एक्सचेंज फाइलिंग से अहम जानकारी:

वेदांता लिमिटेड ने अपनी नियामकीय फाइलिंग (regulatory filing) में बताया कि कंपनी के निदेशक मंडल (Board of Directors) ने पहले ही डिमर्जर की समयसीमा 31 मार्च 2025 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 कर दी थी। फाइलिंग में कहा गया कि योजना के कार्यान्वयन के लिए जरूरी कुछ वैधानिक मंज़ूरियां और सरकारी अनुमोदन (statutory and regulatory approvals) अभी भी लंबित हैं। कंपनी ने स्पष्ट किया कि NCLT (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) और कुछ अन्य सरकारी प्राधिकरणों की मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया अभी जारी है। इन परिस्थितियों को देखते हुए, कंपनी के बोर्ड और प्रस्तावित परिणामी कंपनियों ने डिमर्जर योजना की समयसीमा को अब 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।

 

वेदांता डिमर्जर में देरी के कारण:

  • विवाद और कानूनी अड़चनें: वेदांता की डिमर्जर स्कीम शुरुआत से ही कई कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियों का सामना कर रही है। प्रारंभिक चरण में NCLT (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) ने इस योजना को EPC कॉन्ट्रैक्टर SEPCO के साथ विवाद और कुछ अन्य आपत्तियों के कारण खारिज कर दिया था।
  • मामले का पुनः विचार: बाद में जब NCLAT (राष्ट्रीय कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण) में दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ, तो मामला पुनः NCLT को सुनवाई के लिए भेजा गया।
  • लंबित अनुमोदन: वर्तमान में भी मंत्रालय और NCLT दोनों में सुनवाई लंबित है। इन देरी के कारण कंपनी अब तक सभी आवश्यक “conditions precedent” (पूर्व शर्तें) पूरी नहीं कर सकी है।
  • डेडलाइन बढ़ाने का कारण: इन्हीं लंबित अनुमोदनों और प्रक्रियात्मक देरी के चलते कंपनी को अपनी डिमर्जर डेडलाइन को 6 महीने आगे, यानी मार्च 2026 तक, बढ़ाना पड़ा।

 

वेदांता का मर्जर प्लान क्या है?

वेदांता ने पहली बार अपना डिमर्जर प्लान सितंबर 2023 में पेश किया था। इसके तहत कंपनी के कारोबार को चार अलग-अलग लिस्टेड कंपनियों में बांटने का प्रस्ताव रखा गया। इसमें एल्युमिनियम, ऑयल एंड गैस, पावर और बेस मेटल्स शामिल हैं।

 

डीमर्जर क्या है?

डीमर्जर एक कॉर्पोरेट पुनर्गठन प्रक्रिया है, जिसमें एक कंपनी अपने एक या अधिक व्यावसायिक डिवीजनों को अलग कर देती है और उन्हें नई, स्वतंत्र कानूनी संस्थाओं के रूप में स्थापित करती है।

डीमर्जर के मुख्य कारण और लाभ:

  1. फोकस में सुधार: अलग-अलग व्यवसायों को अलग कंपनियों में विभाजित करने से प्रबंधन प्रत्येक व्यवसाय पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
  2. मूल्य में वृद्धि: डीमर्जर से निवेशकों के लिए अक्सर कंपनी के मूल्य में वृद्धि होती है, क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से प्रत्येक व्यवसाय के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकते हैं।
  3. निवेशकों को लाभ: टाटा मोटर्स के हालिया डीमर्जर में, मौजूदा शेयरधारकों को 1:1 के अनुपात में नई कमर्शियल वाहन कंपनी में शेयर प्राप्त होंगे।
  4. ज्यादा पारदर्शिता: अलग-अलग संस्थाओं की वित्तीय रिपोर्टिंग निवेशकों के लिए अधिक स्पष्टता और पारदर्शिता प्रदान करती है।

 

वेदांता लिमिटेड के लिए डिमर्जर का उद्देश्य:

वेदांता लिमिटेड के डिमर्जर (विभाजन) का मुख्य उद्देश्य कंपनी के विभिन्न बिजनेस वर्टिकल्स (व्यावसायिक क्षेत्रों) को अलग-अलग स्वतंत्र कंपनियों में बदलना है। यह कदम कंपनी की संरचनात्मक परिवर्तन प्रक्रिया में एक बड़ा और रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है।

वेदांता रिसोर्सेज की CEO देशनी नायडू ने पहले ही संकेत दिया था कि डिमर्जर चालू वित्तीय वर्ष में पूरा हो सकता है और वर्तमान में उनका फोकस कंपनी के पुनर्गठन पर है। लेकिन इसे फिर से एक बार बढ़ा दिया गया है।

 

डिमर्जर योजना में बदलाव:

शुरुआत में कंपनी के छह स्वतंत्र इकाइयाँ बनाने की योजना थी- वेदांता एल्यूमीनियम, वेदांता ऑयल एंड गैस, वेदांता पावर, वेदांता स्टील एंड फेरस मैटेरियल्स, वेदांता बेस मेटल्स और वेदांता लिमिटेड में बांटा जाएगा।  लेकिन बाद में कंपनी ने योजना में संशोधन करते हुए बेस मेटल यूनिट को पेरेंट कंपनी (Vedanta Ltd) में ही बनाए रखने का निर्णय लिया।

 

वेदांता लिमिटेड के बारे में-

वेदांता लिमिटेड एक भारतीय बहुराष्ट्रीय खनन और प्राकृतिक संसाधन कंपनी है, जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। यह कंपनी तेल और गैस, धातु और खनिजों के खनन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में कार्यरत है और दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक संसाधन समूहों में शामिल है।

संस्थापक और स्वामित्व:

  • संस्थापक: कंपनी की शुरुआत 1980 के दशक में डीपी अग्रवाल ने की थी।
  • स्वामित्व: वेदांता लिमिटेड, वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की सहायक कंपनी है, जो मुख्य रूप से अनिल अग्रवाल परिवार के स्वामित्व में है।

 

भारत में महत्व:

वेदांता भारत की सबसे बड़ी खनन और धातु कंपनियों में से एक है और देश के कुल राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

 

मुख्य व्यवसाय क्षेत्र:

  1. एल्युमीनियम: दुनिया के प्रमुख उत्पादकों में से एक और भारत की सबसे बड़ी उत्पादक।
  2. जिंक-सीसा-चाँदी (Zinc, Lead, Silver): खनन और प्रसंस्करण।
  3. तेल और गैस (Oil & Gas): खोज, निष्कर्षण और प्रसंस्करण।
  4. लौह अयस्क और इस्पात (Iron Ore & Steel): खनन और उत्पादन।
  5. तांबा (Copper): उत्पादन और प्रसंस्करण।
  6. बिजली (Power): उत्पादन और आपूर्ति।
  7. अर्धचालक और डिस्प्ले (Semiconductors & Display): विनिर्माण क्षेत्र में कदम।

 

कंपनी की वैश्विक उपस्थिति:

वेदांता लिमिटेड, वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की सहायक कंपनी है और यह विश्व की प्रमुख प्राकृतिक संसाधन, ऊर्जा और तकनीकी कंपनियों में से एक है। कंपनी की उपस्थिति भारत, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, लाइबेरिया, UAE, सऊदी अरब, कोरिया, ताइवान और जापान जैसे देशों में है। इसके प्रमुख क्षेत्र हैं-

  • तेल और गैस (Oil & Gas)
  • जिंक, सीसा, चांदी (Zinc, Lead, Silver)
  • तांबा, स्टील और एल्यूमिनियम (Copper, Steel, Aluminium)

 

वेदांता लिमिटेड एल्यूमिनियम उत्पादन बढ़ाने के लिए 13,226 करोड़ रुपये निवेश करेगी:

अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाली वेदांता लिमिटेड ने अपने एल्यूमिनियम उत्पादन (Aluminium Production) को बढ़ाने के लिए एक बड़े निवेश की योजना बनाई है। कंपनी अगले कुछ वर्षों में 13,226 करोड़ रुपये निवेश करेगी, जिससे इसकी एल्यूमिनियम क्षमता वर्तमान 2.4 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़कर FY28 तक 3.1 MTPA हो जाएगी।

 

विस्तृत योजना:

  • FY26 तक: क्षमता बढ़ेगी 2.75 MTPA
  • FY28 तक: क्षमता पहुंच जाएगी 3.1 MTPA
  • रणनीति: एल्यूमिनियम को कंपनी की ग्रोथ स्ट्रेटेजी (growth strategy) का केंद्र बनाया गया है।

 

एल्यूमिनियम का महत्व: दुनिया में स्टील के बाद दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला धातु है, इसका उपयोग इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर और एयरोस्पेस में होता है

 

वेदांता की बाजार स्थिति:

  • भारत में एल्यूमिनियम उत्पादन में 50% से अधिक हिस्सेदारी।
  • कंपनी का लक्ष्य है कि FY28 तक ग्रुप स्तर पर 8-10 बिलियन डॉलर EBITDA में अल्यूमीनियम सबसे बड़ा योगदानकर्ता बने।

 

आगे का रास्ता:

वेदांता लिमिटेड की डिमर्जर प्रक्रिया अब NCLT (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) के आदेश और मंत्रालय की अंतिम मंजूरी पर निर्भर है। कंपनी के अनुसार, ये दोनों मंजूरियाँ योजना के कार्यान्वयन के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं। डिमर्जर को पूरा करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की क्लियरेंस (clearance) भी एक आवश्यक शर्त है। यह मंजूरी कंपनी की नई इकाइयों के लिस्टिंग और शेयरधारकों के हितों की सुरक्षा से जुड़ी है।

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