RBI: एसेट टोकनाइजेशन के लिए एकीकृत बाजार इंटरफेस

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्बाध परिसंपत्ति टोकनीकरण और निपटान को सक्षम करने के लिए एकीकृत बाजार इंटरफेस (Unified Markets Interface – UMI) की शुरुआत की है। यह पहल देश के वित्तीय परिदृश्य को आधुनिक और डिजिटल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। RBI का मुख्य उद्देश्य UMI के माध्यम से संपत्तियों का डिजिटल रूपांतरण और तत्काल निपटान करना है, जिससे भविष्य में बाजार में पारदर्शिता, दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

Unified Market Interface for Asset Tokenisation

एकीकृत बाजार इंटरफेस (UMI) क्या है?

 

  • एकीकृत बाजार इंटरफेस (Unified Markets Interface – UMI) भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा अक्टूबर 2025 में पेश किया गया एक अभिनव वित्तीय ढांचा है। यह पहल भारत के डिजिटल तकनीक और पारंपरिक वित्तीय संचालन को एकीकृत करती है।
  • UMI का मुख्य उद्देश्य वित्तीय परिसंपत्तियों का टोकनीकरण करना और उन्हें व्होलसेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के माध्यम से निपटाना है। 
  • UMI एक ऐसा मंच है, जहाँ वाणिज्यिक पत्र, बॉन्ड और जमा प्रमाणपत्र जैसी पारंपरिक वित्तीय साधनों को डिजिटल टोकन में परिवर्तित किया जा सकता है। इससे निवेशक और संस्थाएँ छोटे इकाइयों में लेन-देन कर सकती हैं, जिससे सुलभता और लिक्विडिटी बढ़ती है।
  • यह प्लेटफ़ॉर्म भविष्य की नवाचार योजनाओं के लिए एक मूल आधार है। जिसमें संभावित रूप से वैश्विक बाजारों में विस्तार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का समावेश और विस्तृत परिसंपत्ति वर्गों का समर्थन शामिल है। 
  • यह भारत के वित्तीय ढांचे को आधुनिक और डिजिटल बनाने के साथ-साथ निवेशकों, संस्थाओं और बाजार प्रतिभागियों के लिए अधिक पारदर्शी, कुशल और सुरक्षित लेन-देन सुनिश्चित करता है।

 

एकीकृत बाज़ार इंटरफ़ेस (UMI) की विशेषताएँ

  • परिसंपत्ति टोकनीकरण: UMI का प्रमुख उद्देश्य पारंपरिक वित्तीय परिसंपत्तियों को डिजिटल टोकन में परिवर्तित करना है। इस प्रक्रिया से परिसंपत्तियाँ अधिक सुलभ, लिक्विड और व्यापार योग्य बन जाती हैं। जिससे निवेशक के लिए बाज़ार में भागीदारी और निवेश अवसर बढ़ सकते हैं।
  • ब्लॉकचेन एकीकरण: UMI में ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे लेन-देन का विकेंद्रीकृत और अपरिवर्तनीय बहीखाता तैयार किया जा सकता है। यह एकीकरण सुरक्षा, पारदर्शिता और डेटा अखंडता सुनिश्चित करता है।
  • निर्बाध निपटान: UMI में थोक CBDC का उपयोग करके लेन-देन के तत्काल और सुरक्षित निपटान को सुनिश्चित किया जा सकता है। इससे विलंबित निपटान से जुड़े जोखिम कम हो जाते हैं। साथ ही, स्व-निष्पादित अनुबंध (स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट) बिचौलियों की आवश्यकता, लागत में कमी और लेन-देन में गति बढ़ती है।
  • बाज़ार दक्षता: इसके माध्यम से स्मार्ट अनुबंधों के माध्यम से लेन-देन प्रक्रियाओं को स्वचालित और त्वरित बनाया जाता है। इससे व्यापार समाधान और निपटान की प्रक्रिया तेज़ होती है और बाज़ार में प्रभावी संचालन और जोखिम प्रबंधन की संभावना बढ़ती है।
  • नियामक अनुपालन: UMI एक सुव्यवस्थित ढाँचा प्रदान करता है कि जिससे टोकनकृत संपत्तियाँ मौजूदा नियमों और विनियमों का पालन करने के लिए बाध्य होती है। 
  • अकाउंट एग्रीगेटर (AA) प्रणाली: UMI भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और अकाउंट एग्रीगेटर (AA) प्रणाली के साथ भी एकीकृत है। यह व्यक्तियों और संस्थानों को विनियमित संस्थाओं के साथ वित्तीय डेटा सुरक्षित रूप से साझा करने की अनुमति देता है।

 

थोक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC)

  • थोक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Wholesale CBDC) एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई डिजिटल मुद्रा है, जिसका उपयोग विशेष रूप से वित्तीय संस्थाओं और बड़े बाजार सहभागियों द्वारा किया जाता है। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अपनी डिजिटल रुपया पहल के तहत थोक CBDC को सक्रिय रूप से विकसित कर रहा है। इस दिशा में 2024-25 के दौरान पायलट प्रोजेक्ट चलाए गए है, जिनका उद्देश्य इस प्रणाली की दक्षता और व्यवहार्यता का परीक्षण करना है।
  • थोक CBDC का मुख्य लक्ष्य वित्तीय बाजार लेन-देन की गति, सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाना है। इसके माध्यम से लेन-देन का तत्काल और सुरक्षित निपटान संभव है, जिससे प्रतिपक्ष जोखिम (Counterparty Risk) को कम होता है। यह प्रणाली एक केंद्रीकृत सुरक्षित डिजिटल लेज़र पर काम करती है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन अपरिवर्तनीय रूप से दर्ज होता है।
  • वैश्विक परिदृश्य में, सिंगापुर, हांगकांग और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने 2020 से डिजिटल मुद्रा का उपयोग करके सीमा पार निपटान और अंतर-बैंक हस्तांतरण के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाए हैं।

एसेट टोकनाइजेशन

  • एसेट टोकनाइजेशन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से भौतिक या वित्तीय संपत्तियों को ब्लॉकचेन या वितरित लेज़र सिस्टम पर मौजूद डिजिटल टोकन में परिवर्तित किया जाता है। इसमें नवाचार बॉन्ड, स्टॉक, रियल एस्टेट या कमोडिटी जैसी संपत्तियों के स्वामित्व अधिकारों को डिजिटल रूप से दर्शाने और आसानी से हस्तांतरणीय लेन-देन करने की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • इस प्रक्रिया में पारंपरिक संपत्ति को डिजिटल इकाइयों या टोकन में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक टोकन उस संपत्ति के आंशिक स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, यदि ₹10 करोड़ मूल्य की व्यावसायिक संपत्ति को 10,000 टोकन में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक का मूल्य ₹1 लाख होगा।
  • RBI और अन्य वित्तीय नियामक संस्थाएँ सरकारी प्रतिभूतियों, वाणिज्यिक पत्रों और कॉर्पोरेट बॉन्ड को टोकनाइज करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।

 

RBI द्वारा शुरू नए डिजिटल भुगतान नवाचार

भारत के डिजिटल वित्तीय ढांचे को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2025 में चार नए डिजिटल भुगतान नवाचार किए गए। 

  • UPI HELP: UPI HELP एक AI-संचालित डिजिटल सहायक है, जिसे RBI ने 2025 में लॉन्च किया। इसका उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को डिजिटल भुगतान से संबंधित समस्याओं के समाधान में सहायता प्रदान करना है। प्रारंभ में यह अंग्रेज़ी भाषा में उपलब्ध होगा, किंतु धीरे-धीरे क्षेत्रीय भाषाओं में भी इसका विस्तार किया जाएगा, जिससे अधिक उपयोगकर्ताओं तक इसकी पहुँच सुनिश्चित हो सके। यह प्रणाली वास्तविक समय में लेन-देन संबंधी त्रुटियों को कम करने में सक्षम है।
  • UPI के साथ IoT भुगतान: RBI ने 2025 में IoT (Internet of Things) आधारित भुगतान सुविधा को UPI प्लेटफ़ॉर्म से एकीकृत किया। इस नवाचार से स्मार्ट डिवाइस, जैसे पहनने योग्य उपकरण, घरेलू गैजेट्स और कनेक्टेड वाहन, स्वचालित रूप से भुगतान करने में सक्षम हो गए हैं। इस प्रकार की सुविधाएं मानवीय हस्तक्षेप के बिना उपयोगिता बिल, सब्सक्रिप्शन सेवाओं और नियमित भुगतानों को सरल बनाते है। 
  • बैंकिंग कनेक्ट: बैंकिंग कनेक्ट एक इंटरऑपरेबल नेट बैंकिंग प्रणाली है, जिसे RBI ने ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया को तेज़, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने के लिए लॉन्च किया है। इसमें विभिन्न बैंकों और वित्तीय प्लेटफ़ॉर्मों को एक ही नेटवर्क पर जोड़ा गया है, जिससे उपयोगकर्ता बिना किसी एप्लिकेशन परिवर्तन के सहजता से लेन-देन कर सकते हैं।
  • UPI रिज़र्व पे: UPI रिज़र्व पे एक नवीन भुगतान सुविधा है, जिसमें उपयोगकर्ताओं को भविष्य की खरीदारी के लिए एक विशिष्ट क्रेडिट सीमा ब्लॉक करने की अनुमति दी जाती है। यह विशेष रूप से ई-कॉमर्स और मोबाइल ऐप्स में आवर्ती भुगतानों के लिए उपयोगी है। इससे उपभोक्ताओं को अपने वित्तीय प्रबंधन पर नियंत्रण मिलता है और इससे पूर्व-अधिकृत धनराशि के माध्यम से लेन-देन तेज़ व सुरक्षित हो जाते हैं।

 

निष्कर्ष:
आने वाले समय में, यूनिफाइड मार्केट्स इंटरफ़ेस (UMI), Wholesale CBDC के माध्यम से निर्बाध टोकनयुक्त परिसंपत्ति लेन-देन और रीयल-टाइम निपटान को सक्षम बनाते हुए, भारत के वित्तीय ढांचे को नई दिशा प्रदान करेगा। यह पहल पारंपरिक और डिजिटल प्रणालियों के बीच एक सशक्त सेतु बनाते हुए बाजार दक्षता, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ करेगी, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की वित्तीय नेतृत्व क्षमता को और सुदृढ़ बनाया जा सकेगा।

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