UNTCC Chiefs’ Conclave 2025 का समापन: भविष्य के UN शांति अभियानों के लिए समावेशी और तकनीकी-सक्षम सुधारों पर जोर

नई दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर 2025 तक भारतीय सेना द्वारा आयोजित UN Troop Contributing Countries (UNTCC) Chiefs’ Conclave 2025 का तीन दिवसीय सम्मेलन साझा संकल्प और सहयोग की भावना के साथ समाप्त हुआ। सम्मेलन का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र मिशनों में योगदान देने वाले देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना और वैश्विक शांति स्थापना प्रयासों को और प्रभावी बनाना था।

 

तीन दिवसीय सम्मेलन में उच्चस्तरीय विचार-विमर्श, औपचारिक समारोह और साझा प्रतिबद्धताओं का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे UN शांति स्थापना अभियानों को अधिक प्रभावी और उभरती चुनौतियों के अनुकूल बनाने के लिए सामूहिक प्रयास जारी रखेंगे।

UNTCC Chief Conclave 2025

सम्मेलन के मुख्य कार्यक्रम और चर्चा:

 

  • सैन्य संचालन और प्रशिक्षण: शांति स्थापना अभियानों में आने वाली चुनौतियों, प्रशिक्षण और तकनीक पर विचार-विमर्श।
  • प्रौद्योगिकी सत्र: उद्योग जगत के नेताओं के साथ तकनीक के इस्तेमाल और नवाचार पर इंटरैक्टिव सत्र।
  • द्विपक्षीय बैठकें: भारतीय सेना प्रमुख और अन्य देशों के सेना प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय वार्तालाप।
  • रक्षा प्रदर्शनी: भारत के स्वदेशी हथियार प्रणालियों और तकनीकों का प्रदर्शन।
  • सांस्कृतिक पहल: मेनकशॉ केंद्र में वृक्षारोपण समारोह।

यह सम्मेलन भारत की वैश्विक शांति स्थापना में सक्रिय भूमिका और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने UN Troop Contributing Nations के प्रमुखों से की मुलाकात, वैश्विक शांति में भारत की भूमिका को सराहा:

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में UN Troop Contributing Nations के प्रमुखों और प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंने भारतीय शांति सैनिकों की अमूल्य भूमिका को स्वीकार करते हुए, सभी प्रतिभागी देशों की वैश्विक शांति और समृद्धि बनाए रखने में प्रतिबद्धता की सराहना की।

राष्ट्रपति ने सम्मेलन की सहयोगात्मक भावना पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि ऐसे आयोजन भविष्य के शांति स्थापना अभियानों के लिए एक प्रभावी ढांचा विकसित करने में मदद करते हैं, खासकर जटिल वैश्विक परिप्रेक्ष्य में। उन्होंने सभी हितधारकों को शामिल करने और तकनीक का उपयोग कर सहयोग को गहरा करने, मित्रताएं मजबूत करने और शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

 

विदेश मंत्री जयशंकर ने UNTCC Chiefs’ Conclave 2025 में वैश्विक शांति स्थापना की चुनौतियों पर जोर दिया:

 

UNTCC Chiefs’ Conclave 2025 में अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक संघर्षों के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला, जिसमें गैर-राज्य अभिनेता और असममित युद्ध की बढ़ती भूमिका शामिल है। उन्होंने सभी हितधारकों, विशेषकर ट्रूप योगदान देने वाले और मेजबान देशों के साथ परामर्श कर शांति स्थापना के जनादेशों को पुनर्संतुलित करने के महत्व को रेखांकित किया।

जयशंकर ने कहा कि जबकि संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं, उन्हें वास्तविक जनादेश, तकनीकी अपनाने की अधिकता और शांति सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाने वाले उपायों के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए।

सम्मेलन में आयोजित Leveraging Technology in UN Peacekeeping” सत्र में UNTCC के प्रमुख और प्रतिनिधि 15 उद्योग नेताओं के साथ शामिल हुए। इसमें स्वदेशी नवाचार और तकनीक के उपयोग के माध्यम से संचालन क्षमता, स्थिति की जानकारी, लॉजिस्टिक्स और सैनिकों की सुरक्षा को बढ़ाने पर गहन चर्चा हुई।

 

सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने UNTCC Chiefs’ Conclave में द्विपक्षीय बैठकें कीं, रक्षा सहयोग और शांति स्थापना मिशनों पर जोर

 

UNTCC Chiefs’ Conclave 2025 के दौरान सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने बुरुंडी, तंज़ानिया, पोलैंड, इथियोपिया, नेपाल और युगांडा के सेना प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। इन बैठकों में रक्षा सहयोग को मजबूत करना, इंटरऑपरेबिलिटी सुधारना और भविष्य के शांति स्थापना अभियानों में समन्वय बढ़ाना शामिल था, जो सम्मेलन की साझेदारी और वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को दर्शाता है।

 

डिफेंस एक्सपो में भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन:

UNTCC Chiefs’ Conclave 2025 के दौरान डिफेंस एक्सपो का आयोजन किया गया, जिसमें नौ परिचालन डोमेन और 41 प्रदर्शक शामिल हुए। प्रदर्शनी में स्वदेशी हथियार प्रणालियों, प्लेटफॉर्म और अत्याधुनिक तकनीकों की व्यापक श्रृंखला का प्रदर्शन किया गया। यह आयोजन भारत की रक्षा निर्माण और नवाचार में आत्मनिर्भरता (Aatmanirbharta) के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को सामने लाने का प्रमुख मंच साबित हुआ।

 

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (UN Peacekeeping):

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (UN Peacekeeping) एक महत्वपूर्ण तंत्र है, जो संघर्षग्रस्त देशों में स्थायी शांति स्थापित करने और उन्हें स्थिरता की ओर ले जाने में मदद करता है। शांति सैनिक, जिन्हें आमतौर पर ब्लू हेलमेट्स” कहा जाता है, सदस्य राष्ट्रों की सैन्य, पुलिस और नागरिक टीमों से आते हैं और संयुक्त राष्ट्र के कमांड के तहत कार्य करते हैं।

मुख्य सिद्धांत:UN शांति स्थापना अभियानों के संचालन में तीन मौलिक सिद्धांतों का पालन किया जाता है:

  • पक्षों की सहमति: मिशन के लिए मुख्य संघर्षरत पक्षों की सहमति अनिवार्य होती है।
  • निष्पक्षता: शांति सैनिक सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष और संतुलित व्यवहार करते हैं।
  • बल का प्रयोग केवल आत्म-रक्षा या जनादेश की रक्षा में: बल का प्रयोग केवल आत्म-रक्षा या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित विशेष जनादेश को लागू करने के लिए किया जा सकता है।

 

भूमिका और कार्य: आधुनिक शांति स्थापना मिशनों में केवल युद्धविराम की निगरानी तक सीमित नहीं हैं। इनके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:

  • सिविलियनों की सुरक्षा
  • राजनीतिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाना
  • कानून और सुरक्षा संस्थानों का निर्माण
  • हथियार बंदी और पुनः एकीकरण का समर्थन
  • चुनावों में सहायता प्रदान करना
  • मानवाधिकारों को बढ़ावा देना
  • मानवीय सहायता प्रदान करना

UN Peacekeeping आज वैश्विक शांति, सुरक्षा और मानवीय सहयोग का महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है।

 

भारत का नेतृत्व और योगदान: UN शांति स्थापना में प्रमुख भूमिका

भारत ने 1948 में पहली UN मिशन के बाद से लगातार शांति स्थापना में योगदान दिया है और यह सदैव सबसे बड़े और स्थिर योगदानकर्ताओं में से एक रहा है। अब तक 2,70,000 से अधिक भारतीय सैनिक ने 50 UN मिशनों में सेवा दी है, जो विभिन्न महाद्वीपों में फैले हैं।

 

उच्च जोखिम वाले तैनाती क्षेत्र: भारतीय बलों ने कांगो, लेबनान, सूडान और सोमालिया जैसे सबसे अस्थिर संघर्ष क्षेत्रों में संचालन किया है।

मानवीय और लिंग नेतृत्व:

  • भारत ने 2023 में साउथ सूडान में पहली ऑल-वुमेन शांति सैनिक टुकड़ी तैनात की, जो शांति अभियानों में लिंग समानता का वैश्विक उदाहरण स्थापित करती है।
  • भारतीय शांति सैनिकों को उनकी अनुशासन, सहानुभूति और नागरिक सुरक्षा एवं स्थानीय समुदायों के समर्थन के लिए व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।

 

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भारतीय सशस्त्र बल (29 मई, 2024 तक):

 

Mission Name

Location

India’s Contribution

UN Disengagement Observer Force (UNDOF)

Golan Heights

Logistics Battalion with 188 personnel for logistics security

UN Interim Force in Lebanon (UNIFIL)

Lebanon

Infantry battalion group with 762 personnel and 18 staff officers

UN Truce Supervision Organization (UNTSO)

Middle East

Military observers and support staff

UN Peacekeeping Force in Cyprus (UNFICYP)

Cyprus

Deployment of officers as staff and military observers

UN Organization Stabilization Mission in the Democratic Republic of the Congo (MONUSCO)

Democratic Republic of the Congo

Infantry battalions, medical units, and support staff

UN Mission in South Sudan (UNMISS)

South Sudan

Infantry battalion, medical personnel, and engineering units

UN Interim Security Force for Abyei (UNIFSA)

Abyei

Military observers and staff officers

UN Multidimensional Integrated Stabilization Mission in the Central African Republic (MINUSCA)

Central African Republic

Formed Police Units (FPUs) and military observers

UN Mission for the Referendum in Western Sahara (MINURSO)

Western Sahara

Deployment of military observers

 

भारत की भागीदारी वाले पिछले संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन:

 

Mission Name

Location

Duration

India’s Contribution

UN Commission in Korea (UNCURK)

Korea

1950–1954

Provided a medical unit and chaired the UN Commission for Korea

UN Operation in the Congo (ONUC)

Congo

1960–1964

Deployed infantry brigades and aircraft; Captain Gurbachan Singh Salaria awarded the Param Vir Chakra posthumously

UN Transitional Authority in Cambodia (UNTAC)

Cambodia

1992–1993

Supervised ceasefire, elections, and related operations

UN Mission in Liberia (UNMIL)

Liberia

2007–2016

Deployed the first all-female Formed Police Unit, along with officers and observers

International Control Commission (ICC) in Indo-China

Vietnam, Laos, Cambodia

1954–1970

Oversaw ceasefire agreements and peace implementation

First UN Emergency Force (UNEF I)

Egypt and Israel (Sinai)

1956–1967

Provided logistics, medical, and infantry support

UN Angola Verification Mission (UNAVEM)

Angola

1989–1999

Deployed military observers, infantry, and logistics units

UN Operation in Somalia (UNOSOM)

Somalia

1993–1994

Contributed infantry troops, logistics, and medical support

UN Assistance Mission for Rwanda (UNAMIR)

Rwanda

1993–1996

Provided medical and support staff, military observers

UN Mission in Sierra Leone (UNAMSIL)

Sierra Leone

1999–2005

Deployed infantry battalions and observers

UN Stabilization Mission in Haiti (MINUSTAH)

Haiti

2004–2017

Contributed police personnel and support officers

UN Mission in Ethiopia and Eritrea (UNMEE)

Ethiopia and Eritrea

2000–2008

Deployed observers and engineering personnel

 

भारतीय महिलाएं UN शांति स्थापना में:

भारत ने UN शांति स्थापना में महिलाओं की भागीदारी को हमेशा प्रोत्साहित किया है, यह मानते हुए कि महिलाएं संघर्ष समाधान और शांति निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं। भारतीय महिला शांति सैनिक सैन्य, पुलिस और नागरिक भूमिकाओं में अग्रिम पंक्ति में हैं, स्थानीय समुदायों के साथ संवाद करती हैं, कमजोर समूहों की सुरक्षा करती हैं और शांति प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाती हैं।

 

इतिहास और पहल:

  • भारत ने 1960 के दशक में कांगो में भारतीय महिला चिकित्सा अधिकारियों को भेजकर महिला शांति सैनिकों के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई।
  • 2007 में, भारत ने लाइबेरिया में पहली ऑल-फीमेल फॉर्म्ड पुलिस यूनिट (FPU) तैनात की, जिसने न केवल स्थानीय सुरक्षा को मजबूत किया, बल्कि लाइबेरियाई महिलाओं को अपने देश के सुरक्षा क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया।

 

वर्तमान स्थिति:

  • फरवरी 2025 तक, भारत के 150 से अधिक महिला शांति सैनिक छह महत्वपूर्ण मिशनों में तैनात हैं, जिनमें शामिल हैं: डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, साउथ सूडान, लेबनान, गोलन हाइट्स, वेस्टर्न सहारा और अबीई।
  • यह तैनाती भारत की लिंग समानता के प्रति प्रतिबद्धता और महिलाओं की वैश्विक शांति और सुरक्षा में भूमिका को दर्शाती है।

 

सम्मान और पहचान: मेजर राधिका सेन को UN मुख्यालय ने “Military Gender Advocate of the Year 2023” नामित किया, जो भारतीय महिलाओं के UN शांति स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है।

 

UNTCC 2025 की मेज़बानी का महत्व:

  • रणनीतिक कूटनीति: भारत की छवि को जिम्मेदार वैश्विक हितधारक और Global South का विश्वसनीय प्रतिनिधि के रूप में मजबूत करना।
  • संचालनात्मक प्रभाव: भारत को भविष्य के UN शांति स्थापना सुधारों, जैसे तकनीक, प्रशिक्षण और बोझ साझा करने की नीति पर प्रभाव डालने का अवसर प्रदान करना।
  • सॉफ्ट पावर का प्रदर्शन: भारत के शांति, सहयोग और समावेशिता के मूल्य प्रदर्शित करना, जो “वसुधैव कुटुम्बकम- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

 

UNTCC Chiefs’ Conclave 2025 का समापन:

UNTCC Chiefs’ Conclave 2025 का समापन सर्वसम्मत सहमति के साथ हुआ, जिसमें यह तय किया गया कि UN शांति स्थापना अभियानों को निम्नलिखित तरीकों से विकसित किया जाना चाहिए:

  • समावेशी निर्णय-निर्माण: ट्रूप योगदान देने वाले देशों की भूमिका को मजबूत करना।
  • वास्तविक जनादेश: शांति सैनिकों की सुरक्षा और कल्याण को प्राथमिकता देना।
  • स्वदेशी और लागत-कुशल तकनीक: मिशन के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए स्थानीय नवाचार और तकनीक का उपयोग।
  • इंटरऑपरेबिलिटी और प्रशिक्षण सुधार: जटिल संचालन वातावरण के लिए सैनिकों को तैयार करना।
  • स्थायी साझेदारियां: भरोसा, सहयोग और साझा जिम्मेदारी पर आधारित दीर्घकालिक सहयोग को बढ़ावा देना।

सम्मेलन ने इस संदेश को स्पष्ट किया कि भविष्य के UN शांति स्थापना मिशनों की सफलता के लिए साझा जिम्मेदारी, तकनीकी अपनापन और समावेशी रणनीति अनिवार्य हैं।