कर्नाटक बनाम RSS: सिद्धारमैया कैबिनेट का बड़ा फैसला, सार्वजनिक और सरकारी संस्थानों में RSS की गतिविधियों पर लगेगी रोक..

कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को सार्वजनिक और सरकारी स्थानों पर निजी और गैर-सरकारी संगठनों की गतिविधियों को विनियमित करने का फैसला किया है। इसके तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उसके संबद्ध संगठनों द्वारा आयोजित मार्च और कार्यक्रमों पर नए नियम लागू होंगे। यह कदम सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे गए पत्र के बाद उठाया गया, जिसमें उन्होंने RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की थी। वही, कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव से यह आकलन करने को कहा है कि पड़ोसी राज्य तमिलनाडु ने RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंधों को कैसे लागू किया।

karnataka vs rss

कैबिनेट बैठक के बाद खड़गे ने कहा,

हम जो नियम लाना चाहते हैं, वो सार्वजनिक जगहों, सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी परिसरों, सरकारी संस्थानों और सहायता प्राप्त संस्थानों से संबंधित हैं। हम गृह विभाग, विधि विभाग और शिक्षा विभाग द्वारा जारी पिछले आदेशों को एक साथ लाकर एक नया नियम बनाएंगे। अगले दो-तीन दिनों में, कानून और संविधान के दायरे में नया नियम लागू हो जाएगा।

 

लग सकता है 1 लाख रुपये का जुर्माना:

लॉ डिपार्टमेंट के ड्राफ्ट के अनुसार, सरकारी परिसरों में किसी भी धार्मिक या राजनीतिक कार्यक्रम के लिए अनिवार्य अनुमति लेनी होगी। अनुमति डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और पुलिस सुपरिटेंडेंट देंगे। उल्लंघन करने पर सख्त सजा होगी: पहली बार में दो साल जेल और 50,000 रुपये का जुर्माना, दोबारा उल्लंघन पर तीन साल जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना, और लगातार उल्लंघन करने पर हर दिन 5,000 रुपये की पेनल्टी लग सकती है।

 

पुराने कानून स्पष्ट नहीं: मंत्री एच.के. पाटिल

सार्वजनिक स्थानों के इस्तेमाल के लिए कानून तो हैं, लेकिन वे स्पष्ट नहीं हैं। इसलिए स्पष्टता लाने और कुछ नियम तय करने के लिए हमने नया आदेश जारी करने का फैसला किया है। यह आदेश सार्वजनिक संपत्ति के प्रबंधन और अतिक्रमण रोकने पर केंद्रित होगा। आयोजनों की अनुमति और उल्लंघन करने वालों को दंडित करने का निर्णय संपत्ति का स्वामित्व रखने वाला विभाग करेगा।

 

अब सरकार की अनुमति लेना आवश्यक:

सरकार अब किसी भी संगठन को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकती, लेकिन सार्वजनिक स्थानों या सड़कों पर कोई भी गतिविधि सरकार की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती। अनुमति देना सरकार के विवेक पर होगा। इसके कुछ नियम होंगे- जैसे सिर्फ अधिकारियों को सूचना देकर सड़क पर मार्च नहीं किया जा सकता और पथ संचलन जैसी चीजें भी केवल नए नियमों के अनुसार ही हो सकेंगी।

 

RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर रोक:

प्रियांक खड़गे ने कहा कि RSS के कार्यक्रम संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं। उन्होंने 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक अन्य पत्र लिखकर मांग की कि सरकारी कर्मचारियों को RSS की गतिविधियों में भाग लेने से रोका जाए। पत्र में उन्होंने कर्नाटक सिविल सेवा (आचरण) नियम, 2021 का हवाला दिया, जो सरकारी कर्मचारियों को किसी राजनीतिक दल या संगठन की गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है। उन्होंने यह भी कहा कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देने वाला परिपत्र जारी किया जाए। प्रियांक खड़गे ने RSS पर “युवा दिमागों का ब्रेनवॉश” करने और “संविधान के खिलाफ दर्शन” को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया था।

 

RSS की तुलना तालिबान से:

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने हाल ही में कर्नाटक में RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। 14 अक्टूबर को उन्होंने कहा कि RSS की विचारधारा तालिबान जैसी है, और यह हिंदू धर्म को उसी तरह लागू करना चाहता है जैसे तालिबान इस्लामी कानून लागू करता है। यतींद्र ने सुझाव दिया कि RSS को कानूनी रूप से पंजीकृत किया जाए और नियामक निगरानी में लाया जाए, क्योंकि वर्तमान में स्वैच्छिक समूह होने के कारण इसे अनुचित कानूनी छूट मिलती है।

 

प्रियांक ने शेयर किया 2013 का एक सर्कुलर:

गुरुवार को प्रियांक खड़गे ने एक्स पर 2013 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा जारी एक सर्कुलर साझा किया। इसमें कहा गया था कि स्कूल परिसर और उसके खेल के मैदान केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाएं। उन्होंने सवाल उठाया, “यह आदेश 2013 में भाजपा सरकार ने जारी किया था। क्या पार्टी को अपने ही आदेश और नियमों की जानकारी नहीं है? या यह आदेश RSS पर लागू नहीं होता?”

2013 के परिपत्र में स्पष्ट कहा गया था कि विद्यालय परिसर का उपयोग केवल पाठ्यक्रम, पाठ्येतर कार्यक्रम, खेलकूद, शारीरिक शिक्षा और छात्रों के व्यायाम से संबंधित गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए। इसलिए किसी भी गैर-शैक्षणिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाएगी।

भाजपा ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की:

भाजपा ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने इसे कांग्रेस सरकार की नाकामियों को छिपाने की कोशिश बताया,

जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस RSS के प्रति अपनी पुरानी दुश्मनी को दोबारा दिखा रही है। उन्होंने याद दिलाया कि आज़ादी के एक साल बाद ही कांग्रेस ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया। और 1975 में इंदिरा गांधी ने भी RSS पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। करंदलाजे ने कहा कि सिर्फ़ एक दिन के रूट मार्च से कांग्रेस इतना घबरा गई, जबकि RSS एक विशाल संगठन है और इसे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोग RSS से प्यार और सम्मान करते हैं और प्रियांक खड़गे जैसे लोग उसे कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

 

मांड्या में चला ‘I Love RSS’ अभियान:

15 अक्टूबर को कर्नाटक के मांड्या में कार्यकर्ताओं ने “I LOVE RSS” अभियान चलाया। इसका उद्देश्य कांग्रेस सरकार द्वारा आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की योजना का विरोध करना था। भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी समूहों के समर्थक बैनर लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, जिन पर लिखा था, “जो भारत से प्रेम करते हैं, वे आरएसएस से प्रेम करते हैं।” कार्यकर्ता शहर के डाकघर के पास नारे लगा रहे थे और बैनर दिखा रहे थे।

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बारे में:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक भारतीय दक्षिणपंथी हिंदुत्व स्वयंसेवक संगठन है। इसे 27 सितंबर 1925 में ब्रिटिश भारत के नागपुर शहर में एक डॉक्टर केबी हेडगेवार ने की थी।  RSS संघ परिवार नामक हिंदुत्व संगठनों के समूह का प्रमुख संगठन है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी शामिल है।

संगठन का मुख्य उद्देश्य हिंदू समुदाय को एकजुट करना, हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए चरित्र प्रशिक्षण देना और हिंदू अनुशासन स्थापित करना है। आरएसएस भारतीय संस्कृति और इसके मूल्यों को बनाए रखने को बढ़ावा देता है। मोहन भागवत वर्तमान में संघ के सरसंघचालक और दत्तात्रेय होसबले सरकार्यवाह के पद पर हैं।

 

निष्कर्ष:

यह निर्णय कांग्रेस द्वारा सार्वजनिक और सरकारी स्थानों पर RSS की गतिविधियों को लेकर व्यक्त की गई चिंताओं के मद्देनजर लिया गया है और यह राज्य सरकार की सार्वजनिक प्रदर्शनों को विनियमित करने तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने की मंशा को रेखांकित करता है।

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