सबरीमाला मंदिर पहुंची राष्ट्रपति मुर्मू, भगवान अयप्पा के दर्शन करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति बनीं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को केरल के सबरीमाला में भगवान अय्यप्पा के मंदिर में पूजा-अर्चना कर इतिहास रच दिया। वे इस पवित्र पहाड़ी मंदिर में दर्शन करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति बन गईं।  इसी के साथ मुर्मु भारत की दूसरी राष्ट्रपति बन गई है, जिन्होंने इस मंदिर का दौरा किया। इससे पहले 1970 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने यहाँ दर्शन किए थे।

president murmu reached sabarimala temple

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर केरल पहुंचीं:

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु मंगलवार शाम को चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर तिरुवनंतपुरम, केरल पहुंचीं। उनके दौरे का उद्देश्य राज्य के सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना है।

 

दौरे के प्रमुख कार्यक्रम:

 

  • गुरुवार, राज भवन: पूर्व राष्ट्रपति के.आर. नारायणन की प्रतिमा का अनावरण।
  • वर्कला, शिवगिरी मठ: श्री नारायण गुरु की महासमाधि शताब्दी समारोह का उद्घाटन।
  • कोट्टायम जिले के पाला: सेंट थॉमस कॉलेज के प्लेटिनम जयंती समारोह का समापन।
  • 24 अक्टूबर, एर्नाकुलम: सेंट टेरेसा कॉलेज के शताब्दी समारोह में शामिल होकर दौरे का समापन करेंगी।

राष्ट्रपति का यह दौरा राज्य के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों को सम्मान देने और उनकी उपलब्धियों को सराहने के उद्देश्य से किया गया है।

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सबरीमाला मंदिर में किया भगवान अयप्पा का दर्शन:

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला भगवान अयप्पा मंदिर में पूजा-अर्चना की। वे विशेष काफिले के साथ सुबह करीब 11 बजे पंबा पहुंचीं और मंदिर के पारंपरिक मार्ग से सन्निधानम तक पहुंचीं।

 

मुख्य कार्यक्रम और गतिविधियां:

 

  • राष्ट्रपति ने पंबा नदी के पानी से पैर धोए और आसपास के मंदिरों में पूजा-अर्चना की।
  • गणपति मंदिर के मेलशंती विष्णु नंबूदरी ने ‘केट्टुनिरा मंडपम’ में काली साड़ी पहनाकर मुर्मू की पवित्र पोटली (इरुमुदिकेट्टू) भरी।
  • राष्ट्रपति ने 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़ीं; उनके साथ एडीसी सौरभ एस नायर, पीएसओ विनय माथुर और दामाद गणेश चंद्र होम्ब्रम को भी पवित्र पोटली दी गई।
  • उन्होंने मंदिर के पास पत्थर की दीवार पर नारियल फेंके और सिर पर पवित्र गठरियां रखकर विशेष चार पहिया वाहन से 4.5 किलोमीटर लंबे पारंपरिक ट्रैकिंग मार्ग से सन्निधानम तक पहुंचीं।
  • सन्निधानम में देवस्वओम मंत्री वी एन वासवन और त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड के अध्यक्ष पी एस प्रशांत ने उनका स्वागत किया।
  • राष्ट्रपति ने सिर पर पवित्र गठरी रखकर भगवान अयप्पा के दर्शन किए और अपनी पवित्र पोटली मंदिर की सीढ़ियों पर रख दी।

राष्ट्रपति के दौरे के दौरान श्रद्धालुओं के दर्शन पर प्रतिबंध लगाया गया था, ताकि सुरक्षा और पारंपरिक नियमों का पालन किया जा सके।

 

Irumudi Kettu क्या होता है?

 

सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन से पहले श्रद्धालुओं द्वारा किया जाने वाला Irumudi Kettu अनुष्ठान श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस परंपरा का पालन करते हुए मंदिर की निष्ठा और सम्मान को जाहिर किया।

 

इरुमुदिकेट्टू का महत्व और प्रक्रिया:

  • श्रद्धालु यात्रा के अंतिम चरण में सिर पर कपड़े का बंडल (गठरी) रखते हैं।
  • यह भगवान अयप्पा के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
  • गठरी में भगवान को चढ़ाने के लिए प्रसाद और यात्रा के दौरान आवश्यक सामान रखा जाता है।
  • नारियल में घी भरकर रखने की भी परंपरा है।
president murmu reached sabarimala temple

सबरीमाला मंदिर के बारे में:

 

केरल के पथानामथिट्टा जिले में स्थित सबरीमाला मंदिर भगवान अय्यप्पा को समर्पित एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर पेरियार टाइगर रिजर्व की पहाड़ियों पर स्थित है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।

 

मंदिर से जुड़ी प्रमुख जानकारी:

 

  • भगवान अय्यप्पा: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान अय्यप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (भगवान विष्णु का स्त्री अवतार) का पुत्र माना जाता है। उन्हें ब्राह्मचारी देवता के रूप में पूजा जाता है।
  • वार्षिक तीर्थयात्रा: यह दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक तीर्थ स्थलों में से एक है, जहाँ हर साल लगभग 10–15 मिलियन श्रद्धालु आते हैं।
  • तीर्थयात्रा का समय: मंदिर मुख्य रूप से मंडल पूजा (नवंबर–जनवरी), मकरविलक्कु (15 जनवरी) और अन्य विशेष अवसरों पर खुलता है। वर्ष के अधिकांश समय यह बंद रहता है।
  • भक्तों की परंपराएं: श्रद्धालु दर्शन से पहले 41 दिनों की कठिन तपस्या (मंडलम व्रथम) करते हैं, जिसमें ब्रह्मचर्य, सादा भोजन और पैदल पहाड़ी चढ़ना शामिल है।
  • मंदिर का नाम: इसे शबरी नामक पौराणिक पात्र के नाम पर रखा गया है, जो रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है।

 

सबरीमाला मंदिर की वास्तुकला और प्रमुख मंदिर परिसर:

 

केरल के सबरीमाला मंदिर का सन्निधानम (मुख्य मंदिर) लगभग 40 फीट ऊँचे पठार पर स्थित है और यह भगवान अय्यप्पा को समर्पित प्रमुख तीर्थ स्थल है। मंदिर परिसर की वास्तुकला और प्राचीन संरचनाएं भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टि भी प्रदान करती हैं।

 

मुख्य वास्तुकला और मंदिर संरचनाएं:

 

सन्निधानम (मुख्य मंदिर):

  • गर्भगृह में सोने की परत वाली छत और शीर्ष पर चार सुनहरे कलश
  • दो मंडप और बालिकल्पुरा जिसमें वेदी स्थित है।
  • मंदिर की मुख्य सीढ़ियाँ 18 पवित्र सीढ़ियाँ हैं। परंपरा के अनुसार इरुमुदिकेट्टू के बिना तीर्थयात्री इन सीढ़ियों पर चढ़ नहीं सकते। 1985 में इन्हें पंचलोहा से ढक दिया गया।
  • अय्यप्पन के विश्वसनीय सेनापतियों करुप्पन्नस्वामी और कदुथा सामी मुख्य 18 सीढ़ियों के तल पर रक्षक के रूप में स्थित हैं।

 

अय्यप्पन के सौतेले भाई का मंदिर:

  • कन्निमूल गणपति मंदिर गर्भगृह के दक्षिण-पश्चिम में स्थित।
  • भक्त नेयथेंगा (टूटा नारियल) अग्नि में अर्पित करते हैं।

 

मलिकापुरथम्मा मंदिर:

  • सन्निधानम से कुछ दूरी पर स्थित, अय्यप्पन ने इसे अपने बाईं ओर रखने का निर्देश दिया था।
  • मूर्ति देवी शंख, चक्र और वरद अभय मुद्रा धारण करती है।
  • मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया और छत व सोपानम सोने से मढ़े गए।

 

नागराज मंदिर: मलिकापुरथम्मा मंदिर के निकट स्थित, जहाँ तीर्थयात्री नागराजा को प्रसाद अर्पित करते हैं।

 

अन्य प्रमुख मंदिर:

  • पम्पा गणपति मंदिर, निलाकल महादेव मंदिर, पल्लियाराक्कवु देवी मंदिर।
  • निलाकल महादेव और पल्लियाराक्कवु देवी मंदिर अय्यप्पन के माता-पिता के रूप में पूजा जाते हैं।
  • पम्पा गणपति मंदिर में पम्पा महा गणपति और अथी गणपति की मूर्तियाँ स्थित हैं।
  • सबरी पीदम में राम और हनुमान का मंदिर भी मौजूद है।

 

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाने का ऐतिहासिक फैसला:

सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं का प्रवेश सदियों से प्रतिबंधित था, क्योंकि भगवान अयप्पा को चिर ब्रह्मचारी देवता माना जाता था। इस मान्यता के अनुसार, मासिक धर्म की आयु की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती थीं।

 

मुख्य तथ्य:

  • धार्मिक कारण: भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी देवता हैं, इसलिए रजस्वला महिलाओं का दर्शन परंपरा के अनुसार वर्जित था।
  • परंपरा और प्रथा: यह प्रतिबंध सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा था और केरल उच्च न्यायालय ने 1991 में इसे मान्यता दी थी।
  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला: बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी, यह कहते हुए कि मंदिर सार्वजनिक स्थल है।

 

सबरीमाला सोना चोरी विवाद:

2019 में सबरीमाला मंदिर के गर्भगृह के बाहर स्थापित ‘द्वारपालक’ मूर्तियों की सोने की परतों में भारी अंतर मिलने का मामला सामने आया था। मूल सोने की परत के वजन और पॉलिशिंग के बाद लौटाए गए सोने के वजन में लगभग 4.5 किलोग्राम का अंतर पाया गया, जिसे 5 करोड़ रुपये मूल्य का सोना गायब मानते हुए विवाद खड़ा हुआ।

 

मुख्य तथ्य:

  • सोने की मात्रा में अंतर: चेन्नई की कंपनी स्मार्ट क्रिएशंस को नवीनीकरण के लिए सोना सौंपा गया था। भेजे गए सोने का वजन 42.8 किलोग्राम था, लौटने पर केवल 38.2 किलोग्राम रहा।
  • प्रक्रियागत अनियमितताएँ: नियमों के अनुसार यह कार्य मंदिर परिसर में ही होना चाहिए था, लेकिन बाहरी एजेंसी को सौंपा गया। त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) ने दस्तावेज़ीकरण और रिकॉर्ड-कीपिंग में लापरवाही बरती।
  • मुख्य आरोपी और गिरफ्तारी: उन्नीकृष्णन पोट्टी, जो पहले मंदिर में सहायक पुजारी रह चुके हैं, इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। अक्टूबर 2025 में केरल पुलिस की SIT ने उन्हें गिरफ्तार किया।
  • राजनीतिक और कानूनी असर: केरल उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर SIT का गठन किया। भाजपा ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड पर लापरवाही और मिलीभगत का आरोप लगाया।
  • उच्च न्यायालय की टिप्पणी: कोर्ट ने कहा कि मंदिर की संपत्ति का दुरुपयोग भगवान अयप्पा और भक्तों को धोखा देना है और “सोने को तांबे में बदलने का जादुई यथार्थवाद” दोबारा नहीं होना चाहिए।