OLA-UBER जैसी पहली सरकारी कैब “भारत टैक्सी” की शुरुआत: पूरी कमाई ड्राइवर को मिलेगी, पायलट परियोजना नवंबर से दिल्ली में शुरू होगी..

केंद्र सरकार देश में टैक्सी सेवाओं में बड़ा बदलाव लाने जा रही है। ओला और उबर जैसी निजी कंपनियों के दबदबे को चुनौती देने के लिए सरकार जल्द ही ‘भारत टैक्सी’ नाम से देश की पहली सहकारी टैक्सी सेवा शुरू करने वाली है। भारत टैक्सी का औपचारिक लॉन्च दिसंबर 2025 में होगा।

 

इस सेवा का उद्देश्य ड्राइवरों को न केवल टैक्सी चलाने का अधिकार देना है, बल्कि कंपनी के मुनाफे में भी उनकी साझेदारी सुनिश्चित करना है। शुरुआत में यह योजना दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगी, जिसके बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।

First government cab like OLA-UBER Bharat Taxi launched

भारत टैक्सी क्या है?

भारत टैक्सी एक नई सहकारी टैक्सी सेवा है, जिसे सरकार ने ड्राइवरों और यात्रियों दोनों के हित में शुरू करने की तैयारी की है। यह योजना राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD), डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड के सहयोग से बनाई गई है।

जिसका उद्देश्य देश के लिए एक सुरक्षित, सुविधाजनक और नागरिक-केंद्रित टैक्सी प्लेटफॉर्म तैयार करना है, जहाँ ड्राइवरों को सम्मान और यात्रियों को भरोसेमंद सेवा मिले।

 

नागरिकों के लिए कितना फायदेमंद?

भारत टैक्सी नागरिकों के लिए एक सुरक्षित, आसान और भरोसेमंद सेवा होगी। इसे डिजीलॉकर, उमंग और एपीआई सेतु जैसे सरकारी प्लेटफॉर्म्स से जोड़ा जाएगा, जिससे पहचान की जांच और बुकिंग की प्रक्रिया तेज़ और सुरक्षित बनेगी। यह ऐप सरकार के डेटा सुरक्षा नियमों का पालन करेगा, जिससे आपकी निजी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। साथ ही, इसमें कई भाषाओं में विकल्प और आसान डिज़ाइन होंगे, ताकि देश के हर नागरिक के लिए इसका इस्तेमाल सरल और सुविधाजनक हो।

 

पूँजी और संस्थागत सहायता:

भारत टैक्सी परियोजना के लिए ₹300 करोड़ की अधिकृत पूँजी रखी गई है। इस योजना को देश की आठ बड़ी सहकारी संस्थाओं का समर्थन मिला है, जिनमें अमूल, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और इफको जैसी संस्थाएँ शामिल हैं। अमूल के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता को सहकारी टैक्सी संगठन का अध्यक्ष बनाया गया है। इस ऐप को इस साल के अंत तक देशभर में लॉन्च किए जाने की संभावना है।

 

8 प्रमुख सहायक सहकारी समितियाँ:

  • राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)
  • भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO)
  • गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF – अमूल)
  • कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (KRIBHCO)
  • राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)
  • राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB)
  • राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL)
  • अन्य क्षेत्रीय सहकारी संगठन

 

महत्व के प्रमुख क्षेत्र:

  • ड्राइवर सशक्तिकरण और गरिमा: इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ड्राइवर अब प्लेटफ़ॉर्म के सह-स्वामी और हितधारक बनेंगे। यह मॉडल मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड के तहत संचालित होगा, जिससे उन्हें स्वामित्व और सम्मान दोनों मिलेगा।
  • न्यायसंगत आय: पारंपरिक निजी एग्रीगेटर (जैसे ओला और उबर) जहां 20–30% तक कमीशन लेते हैं, वहीं भारत टैक्सी शून्य या न्यूनतम कमीशन मॉडल पर कार्य करेगी। इससे ड्राइवर अपनी 100% कमाई अपने पास रख सकेंगे, जिससे उनकी आय अधिक स्थिर और निष्पक्ष होगी।
  • निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी: ड्राइवरों को अब प्लेटफ़ॉर्म की शासन व्यवस्था और नीति निर्धारण में सीधा योगदान मिलेगा। इससे वे निजी कंपनियों की एल्गोरिद्म-आधारित अपारदर्शी प्रबंधन प्रणाली से मुक्त होकर निर्णयों में अपनी आवाज़ रख सकेंगे।
  • यात्रियों के लिए सस्ती और पारदर्शी सेवाएं: यह सहकारी मॉडल यात्रियों को सस्ती, पारदर्शी और विश्वसनीय किराया व्यवस्था प्रदान करेगा। इसमें सर्ज प्राइसिंग समाप्त होगी, जिससे पीक ऑवर्स में भी किराए नियंत्रित रहेंगे।
  • निजी एकाधिकार को चुनौती: प्रमुख सहकारी संस्थाओं और पूंजी समर्थन के साथ भारत टैक्सी, वैश्विक निजी एग्रीगेटरों के एकाधिकार को चुनौती देगी, जिससे बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता हितों की रक्षा संभव होगी।
  • डिजिटल इंडिया’ के विज़न के अनुरूप: यह परियोजना राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से चलाई जा रही है। यह DigiLocker और UMANG जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स से एकीकृत होगी, जिससे डेटा सुरक्षा और नागरिक-केंद्रित सेवाएं सुनिश्चित होंगी।
  • समावेशी पहुंच: निजी एग्रीगेटर जहां मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों तक सीमित रहते हैं, वहीं यह सहकारी मॉडल शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में विस्तार करेगा, जिससे आर्थिक लोकतंत्र और डिजिटल गतिशीलता का लाभ देश के हर हिस्से तक पहुंचेगा।
  • गिग इकॉनमी के लिए उदाहरण: भारत टैक्सी एक लाइव एक्सपेरिमेंट” की तरह कार्य करेगी, जो दिखाएगी कि प्लेटफ़ॉर्म आधारित कामकाज को कैसे न्याय, समावेशन और साझा समृद्धि के सिद्धांतों पर आधारित किया जा सकता है-  केवल निवेशकों के लाभ पर नहीं।

 

ओला, उबर और भारत टैक्सी में अंतर:

ओला, उबर और भारत टैक्सी में सबसे बड़ा फर्क यह है कि भारत टैक्सी में ड्राइवर सिर्फ कर्मचारी नहीं, बल्कि कंपनी के सह-मालिक होंगे। इसका मतलब है कि उन्हें न केवल अपनी कमाई पर पूरा अधिकार मिलेगा, बल्कि मुनाफे में भी उनका हिस्सा होगा। ओला और उबर की तरह यहां ड्राइवरों से कोई भारी कमीशन नहीं लिया जाएगा, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।

त्योहारों या भीड़भाड़ के समय जब निजी ऐप्स सर्ज प्राइसिंग (यानी बढ़ा हुआ किराया) वसूलते हैं, वहीं भारत टैक्सी में ऐसा नहीं होगा। इस ऐप पर यात्रियों को हमेशा पारदर्शी और किफायती दरों पर टैक्सी सेवा मिलेगी। ओला-उबर के विपरीत, सरकार द्वारा निगरानी वाली यह सेवा सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान करती है।

 

इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य: 

भारत टैक्सी के पायलट प्रोजेक्ट में शुरुआत में 650 ड्राइवर शामिल किए गए हैं। दिसंबर तक इस सेवा को 5,000 ड्राइवरों और महिला ‘सारथी’ के साथ पूरे देश में विस्तार देने की योजना है। ड्राइवरों को सिर्फ एक छोटा शुल्क देना होगा और वे अपनी पूरी कमाई खुद रख सकेंगे। यह ऐप हिंदी, गुजराती, मराठी और अंग्रेजी में उपलब्ध है। महिला ड्राइवरों के लिए मुफ्त प्रशिक्षण और विशेष बीमा सुविधा दी जाएगी। 2030 तक इस सेवा का लक्ष्य 15,000 महिला ड्राइवरों को जोड़ने का है।

 

भारत के बाकी हिस्सों में विस्तार:

  • दिसंबर 2025 से मार्च 2026: मुंबई, पुणे और राजकोट में सेवा शुरू होगी, जिसमें 5,000 ड्राइवर शामिल होंगे।
  • अप्रैल से दिसंबर 2026: भोपाल, लखनऊ और जयपुर में शुरुआत होगी, 15,000 ड्राइवरों और 10,000 गाड़ियों का लक्ष्य रखा गया है।
  • 2027-2028 तक: ऐप को 20 शहरों तक पहुंचाने का लक्ष्य है, इसमें 50,000 ड्राइवर शामिल होंगे और ऐप को FASTag से भी जोड़ा जाएगा।
  • 2028-2030 तक: सेवा जिला मुख्यालयों और गांवों तक फैलाई जाएगी, जिसमें 1 लाख ड्राइवर शामिल होंगे।

 

भारत का राइड-हेलिंग उद्योग:

पिछले दस सालों में भारत में राइड-हेलिंग उद्योग बहुत तेजी से बढ़ा है। 2024 में इसका कारोबार 20.5 अरब डॉलर था और 2033 तक यह 61.5 अरब डॉलर से भी ऊपर जाने की उम्मीद है। इससे शहरों में रहने वाले लोगों को सुविधाजनक और किफ़ायती परिवहन मिलेगा।

लेकिन ड्राइवरों के लिए हालात आसान नहीं रहे। उन्हें अक्सर ‘पार्टनर’ कहा जाता है, लेकिन उन्हें उच्च कमीशन, अस्पष्ट नियम, कमाई में अनिश्चितता और सीमित सामाजिक सुरक्षा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

 

ओला के बारे में:

ओला कंज्यूमर, पहले ओला कैब्स, एक भारतीय राइड-हेलिंग कंपनी है जो टैक्सी, वित्तीय सेवाएँ और क्लाउड किचन जैसी सेवाएँ देती है। इसका मुख्यालय बैंगलोर में है और यह 250+ शहरों में काम करती है।

ओला की शुरुआत 2010 में भाविश अग्रवाल ने की थी और 2011 में ओला कैब्स शुरू हुई। 2012 में इसका मोबाइल ऐप लॉन्च हुआ। ओला ने कई कंपनियों का अधिग्रहण किया, जैसे टैक्सीफॉरश्योर और फूडपांडा इंडिया। ओला ने 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और यूके में अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन 2024 में सभी विदेशी बाजारों से भारत पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। इसी साल इसे ओला कंज्यूमर के नाम से रीब्रांड किया गया।

 

उबर के बारे में:

उबर टेक्नोलॉजीज, एक अमेरिकी राइड-हेलिंग कंपनी है जो टैक्सी, कूरियर, खाद्य वितरण और माल परिवहन सेवाएँ देती है। इसका मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में है और यह 70 देशों और 15,000 शहरों में सक्रिय है। इसके पास 180 मिलियन उपयोगकर्ता और 6 मिलियन ड्राइवर हैं।

उबर की स्थापना 2009 में गैरेट कैंप और ट्रैविस कलानिक ने की। 2010 में ऐप लॉन्च हुआ और शुरुआत में यह लक्जरी कार सेवा थी। बाद में उबरएक्स और अन्य सेवाएँ जोड़ी गईं। उबर ने कई अधिग्रहण और साझेदारियाँ की हैं, जैसे उबर ईट्स, पोस्टमेट्स और रोबोटैक्सी। कंपनी तकनीक और पर्यावरण में भी निवेश कर रही है और अब यह दुनिया की सबसे बड़ी राइडशेयरिंग सेवा बन चुकी है।

 

निष्कर्ष:

भारत टैक्सी सिर्फ एक राइड-हेलिंग ऐप नहीं, बल्कि ड्राइवर सशक्तिकरण और पारदर्शी परिवहन की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। यह ओला और उबर के एकाधिकार को चुनौती देते हुए ड्राइवरों को स्वामित्व और मुनाफे में हिस्सा देगी और यात्रियों को सुरक्षित व किफायती सेवा प्रदान करेगी। पायलट प्रोजेक्ट के बाद इसका विस्तार पूरे देश में होगा, और अगर यह सफल रहा, तो भारत टैक्सी भारतीय परिवहन की नई पहचान बन सकती है।

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