LIC का अदाणी समूह में निवेश विवाद

अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारत की विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने कुछ समय पहले अदाणी समूह में लगभग 3.9 अरब डॉलर का निवेश किया था, जिससे अदाणी कंपनी को सीधा लाभ हुआ है। विपक्ष का कहना है कि यह निवेश पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। इसी को देखते हुए विपक्ष ने संसद की लोक लेखा समिति (PAC) से इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है ताकि निवेश प्रक्रिया और उसके उद्देश्य की सच्चाई सामने आ सके।

LIC investment in Adani Group dispute

LIC–अदाणी समूह निवेश विवाद के प्रमुख बिंदु

 

  • अक्टूबर 2025 में अमेरिकी समाचार पत्र द वॉशिंगटन पोस्ट ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें यह दावा किया गया कि भारतीय सरकार ने मई 2025 में एक योजना तैयार की, जिसके तहत भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) से लगभग 3.9 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब ₹33,000 करोड़) की राशि अदाणी समूह की कंपनियों में निवेश की जानी थी। रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना वित्तीय सेवा विभाग (DFS) और नीति आयोग के आंतरिक दस्तावेजों में दर्ज थी, जिन्हें वित्त मंत्रालय के समन्वय से तैयार किया गया था।
  • रिपोर्ट में बताया गया कि इस प्रस्ताव के तहत LIC को लगभग 3.4 अरब डॉलर अदाणी समूह के कॉरपोरेट बॉन्ड्स में और करीब 507 मिलियन डॉलर अदाणी की कुछ सहायक कंपनियों के शेयरों में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए लगाने की सलाह दी गई थी। यह निवेश उस समय सुझाया गया जब अदाणी समूह अपने कर्जों के पुनर्वित्तन के दबाव में था।
  • रिपोर्ट में यह भी उल्लेख था कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने तर्क दिया कि 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड्स से मिलने वाला लाभ सीमित था, जबकि अदाणी समूह के बॉन्ड्स उस समय 7.5 से 8.2 प्रतिशत की उच्च वृद्धि (yield) प्रदान कर रहे थे। इस आधार पर अदाणी बॉन्ड्स को अधिक आकर्षक निवेश माना गया।
  • हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वित्तीय विशेषज्ञों और निवेश विश्लेषकों ने इस निर्णय को “असामान्य” करार दिया। उनका मानना था कि किसी सरकारी बीमा संस्था द्वारा एक निजी औद्योगिक समूह में इतनी बड़ी राशि निवेश करना सामान्य नीति से हटकर है। 
  • रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया कि बाहरी दबाव या प्रभाव इस निवेश निर्णय में भूमिका निभा सकते हैं, जिससे एलआईसी की निर्णय लेने की स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं।
  • विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट को गंभीर बताते हुए कहा कि यदि यह जानकारी सही है, तो यह मामला लोक हित और वित्तीय जवाबदेही से जुड़ा है। उन्होंने संसद की लोक लेखा समिति (PAC) से आग्रह किया है कि वह इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करे।

 

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC)

  • भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) देश की सबसे बड़ी और सबसे विश्वसनीय जीवन बीमा संस्था है, जिसने लाखों भारतीय परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है।
  • इसकी स्थापना 1 सितंबर 1956 को हुई थी, जब भारतीय संसद ने “भारतीय जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956” पारित किया। उस समय सरकार ने 245 निजी बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर उन्हें एकीकृत कर एक सार्वजनिक संस्था के रूप में एलआईसी की स्थापना की। 
  • LIC एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSU) है जो प्रारंभ से ही भारत सरकार के स्वामित्व में रही है। हालांकि, मई 2022 में LIC ने भारतीय शेयर बाजार में अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) जारी किया और एक सूचीबद्ध कंपनी (Listed Company) बन गई। इसके बावजूद, सरकार इसका प्रमुख शेयरधारक बनी हुई है।
  • LIC का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है और इसका संचालन वित्त मंत्रालय तथा भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की देखरेख में होता है। 
  • LIC का प्रमुख उद्देश्य लोगों को जीवन बीमा के माध्यम से वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। यह नागरिकों को भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए तैयार रहने की आर्थिक क्षमता देता है। LIC का मिशन है — सभी नागरिकों को सुलभ, विश्वसनीय और किफायती जीवन बीमा प्रदान करना तथा पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना।
  • संरचना की दृष्टि से, LIC का संगठनात्मक नेटवर्क बहुत विशाल है। इसमें 8 जोनल कार्यालय, 113 मंडलीय (डिविजनल) कार्यालय, और 2000 से अधिक शाखा कार्यालय शामिल हैं। इसके साथ ही, LIC के पास लगभग 1.12 लाख स्थायी कर्मचारी और करीब 13 लाख से अधिक बीमा एजेंटों की मजबूत टीम है, जो देश के हर कोने में ग्राहकों तक बीमा सेवाएँ पहुँचाती है।
  • LIC अपने ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की योजनाएँ प्रदान करता है। इनमें टर्म इंश्योरेंस, एंडोमेंट प्लान, पेंशन योजना, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) और माइक्रो इंश्योरेंस योजनाएँ शामिल हैं। 

 

अदाणी निवेश विवाद पर LIC का आधिकारिक बयान

  • अदाणी समूह में निवेश से संबंधित आरोपों के बाद, भारतीय जीवन बीमा निगम ने एक विस्तृत आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी कर सभी दावों को सख्ती से खारिज किया। 
  • LIC ने स्पष्ट कहा है कि जिस तरह की रिपोर्ट अमेरिकी मीडिया द्वारा प्रकाशित की गई है, वह तथ्यों से परे और भ्रामक है। निगम ने बताया कि उसके पास या वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के पास ऐसा कोई दस्तावेज़, प्रस्ताव या सरकारी निर्देश मौजूद नहीं है, जिसके तहत अदाणी समूह में निवेश की कोई विशेष योजना बनाई गई हो।
  • LIC ने अपने बयान में दोहराया कि उसकी निवेश नीतियाँ पूर्णतः पारदर्शी, नियम-आधारित और बोर्ड द्वारा अनुमोदित ढाँचे के अनुसार संचालित होती हैं। निगम ने कहा कि उसके सभी निवेश निर्णय स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं, और इन निर्णयों में किसी भी प्रकार का बाहरी प्रभाव या सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता। 
  • LIC ने स्पष्ट किया कि उसकी निवेश समिति (Investment Committee) में विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते हैं, जो हर निवेश से पहले विस्तृत वित्तीय विश्लेषण, जोखिम मूल्यांकन और उचित परिश्रम (Due Diligence) की प्रक्रिया पूरी करते हैं। इन प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ही किसी भी कंपनी या परियोजना में निवेश का निर्णय लिया जाता है।
  • LIC ने यह भी बताया कि उसके सभी वित्तीय लेनदेन और निवेश गतिविधियाँ वैधानिक लेखा परीक्षकों (Statutory Auditors) द्वारा जांची जाती हैं। इसके साथ ही, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) समय-समय पर इन निवेशों की निगरानी करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी कार्यवाही विनियामक मानकों और बीमा अधिनियम, 1938 के अनुरूप हो।
  • निगम ने अपने बयान में पारदर्शिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि वह हर वित्तीय वर्ष में अपने वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Reports) और निवेश खुलासे (Investment Disclosures) सार्वजनिक करता है। ये दस्तावेज़ न केवल नियामकीय आवश्यकता हैं, बल्कि संस्था की जवाबदेही और पारदर्शिता का प्रमाण भी हैं।

 

अदाणी समूह पर लगाए गए अन्य प्रमुख आरोप

  • अनुचित निजीकरण: आलोचकों का कहना है कि कई सार्वजनिक परिसंपत्तियाँ जैसे हवाई अड्डे, बंदरगाह और ऊर्जा परियोजनाएँ ऐसे तरीके से निजी हाथों में दी गईं जिससे अदाणी समूह को सीधा लाभ हुआ। इन परियोजनाओं की बोली प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी और प्रतिस्पर्धा सीमित रही। इसमें कई समझौते बाजार मूल्य से कम दरों पर पूरे किए गए, जिससे सार्वजनिक संस्थानों को आर्थिक नुकसान हुआ।
  • विदेशी अनुबंध: कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में दावा किया गया कि भारत के राजनयिक भूमिकाओं का उपयोग कर अदाणी समूह ने बांग्लादेश और श्रीलंका में ऊर्जा के बड़े और बुनियादी ढांचे संबंधी अनुबंध हासिल किए। भारतीय राजनयिक प्रभाव का इस्तेमाल कंपनी की बोलियों को अनुकूल माहौल देने के लिए किया गया, जिससे समूह को विदेशों में लाभदायक समझौते प्राप्त हुए।
  • कोयला आयात: Financial Times और Organized Crime and Corruption Reporting Project (OCCRP) की संयुक्त रिपोर्टों में आरोप लगाया गया कि 2019 से 2021 के बीच अदाणी समूह ने इंडोनेशिया से कम गुणवत्ता वाला कोयला सस्ती दरों पर खरीदा, लेकिन भारत में उसे अधिक कीमत पर बेचा। जनवरी 2014 में खरीदा गया कोयला लगभग 28 अमेरिकी डॉलर प्रति टन था, जबकि इसे तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन (TANGEDCO) को 91.91 डॉलर प्रति टन में बेचा गया। यह अंतर बड़े पैमाने पर मूल्य हेरफेर और चालान गड़बड़ी का संकेत माना गया।
  • हिन्डनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट (Hindenburg Report): इस रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयर बाजार में हेरफेर, मनी लॉन्ड्रिंग और लेखांकन में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए। यह रिपोर्ट उस समय सामने आई जब अदाणी एंटरप्राइजेज ₹20,000 करोड़ के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) की तैयारी कर रहा था। हालांकि समूह ने सभी आरोपों को “झूठा और दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए सख्ती से खारिज किया, लेकिन इसका प्रभाव निवेशकों की धारणा पर पड़ा। 

 

वित्तीय अनुशासन में लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) की भूमिका

  • परिचय: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) भारत की सबसे पुरानी और प्रभावशाली संसदीय समितियों में से एक है, जिसका मुख्य उद्देश्य सरकार के वित्तीय कार्यों पर निगरानी रखना है। इसकी स्थापना वर्ष 1921 में Government of India Act, 1919 के अंतर्गत की गई थी। स्वतंत्रता के बाद, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 तथा लोकसभा के नियम 308 से 312 के अंतर्गत यह समिति कार्यरत है।
  • संरचना और गठन: लोक लेखा समिति में कुल 22 सदस्य होते हैं — जिनमें से 15 सदस्य लोकसभा से और 7 सदस्य राज्यसभा से चुने जाते हैं। इन सदस्यों का चुनाव हर वर्ष एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) के माध्यम से अनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation) के सिद्धांत पर किया जाता है। समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। आमतौर पर यह परंपरा रही है कि अध्यक्ष का पद विपक्ष दल के वरिष्ठ सांसद को दिया जाता है ताकि समिति का कार्य निष्पक्ष रहे।
  • मुख्य कार्य और दायित्व: लोक लेखा समिति का सबसे प्रमुख कार्य भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General – CAG) की रिपोर्टों की गहन समीक्षा करना होता है। यह समिति जांचती है कि संसद द्वारा स्वीकृत बजटीय धनराशि का उपयोग सही उद्देश्यों के लिए हुआ या नहीं। 
    • समिति का एक महत्वपूर्ण दायित्व यह भी है कि वह वित्तीय अनुशासन (financial discipline) को बनाए रखने में सरकार की सहायता करे। समिति यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी विभाग द्वारा धन का दुरुपयोग, अनियमितता या भ्रष्टाचार न हो। 
  • कार्यप्रणाली और अधिकार: PAC को किसी भी दस्तावेज की मांग करने, सरकारी अधिकारियों को बुलाने और गवाही के लिए शपथ पर पूछताछ करने का अधिकार प्राप्त है। यह समिति सरकारी लेखा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत बनाती है। हालांकि इसके पास किसी को दंडित करने का अधिकार नहीं है, लेकिन इसकी रिपोर्टें संसद में अत्यधिक नैतिक और राजनीतिक प्रभाव (Moral and Political Weight) रखती हैं। 

 

अदाणी समूह

  • अदाणी समूह (Adani Group) भारत की सबसे प्रभावशाली और बहुआयामी औद्योगिक कंपनियों में से एक है। इसकी स्थापना वर्ष 1988 में गौतम अदाणी द्वारा गुजरात के अहमदाबाद शहर में एक छोटे व्यापारिक उद्यम के रूप में की गई थी। 
  • यह समूह ऊर्जा, बंदरगाह, बुनियादी ढांचा, परिवहन, खाद्य उत्पाद, खनिज संसाधन तथा अक्षय ऊर्जा जैसे अनेक क्षेत्रों में सक्रिय है। 
  • इस समूह की मूल कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Adani Enterprises Limited – AEL) है, जिसे समूह की फ्लैगशिप कंपनी माना जाता है। 
  • गौतम अदाणी इसके चेयरमैन हैं, जबकि उनके भाई राजेश अदाणी और पुत्र करण अदाणी समूह की विभिन्न इकाइयों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभा रहे हैं। 
  • मुख्य कंपनियाँ और कार्यक्षेत्र: अदाणी समूह के अंतर्गत कई प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियाँ कार्यरत हैं —
  • अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (Adani Ports and SEZ)
  • अदाणी पावर (Adani Power)
  • अदाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy)
  • अदाणी एनर्जी सॉल्यूशन्स (Adani Energy Solutions)
  • अदाणी टोटल गैस (Adani Total Gas)
  • अदाणी विलमार (Adani Wilmar)
  • इनमें से अदाणी पोर्ट्स भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह संचालक (Private Port Operator) है, जो देश के समुद्री व्यापार में अहम भूमिका निभाता है।
  • वहीं, अदाणी ग्रीन एनर्जी दुनिया की अग्रणी अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) कंपनियों में से एक बन चुकी है, जो सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी से विस्तार कर रही है।
  • भारत ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, और अदाणी समूह इस लक्ष्य की प्राप्ति में एक मुख्य सहयोगी के रूप में उभरा है। 
  • कंपनी न केवल सौर ऊर्जा संयंत्रों में निवेश कर रही है, बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन, विंड एनर्जी और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन परियोजनाओं पर भी ध्यान दे रही है। इस दिशा में कार्य करते हुए अदाणी समूह भारत के सतत विकास एजेंडा (Sustainable Development Agenda) के अनुरूप अपनी व्यावसायिक रणनीति को आगे बढ़ा रहा है।
  • वर्तमान में यह समूह लगभग 50 देशों में कार्य कर रहा है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल, श्रीलंका, और सिंगापुर जैसे देशों में इसके प्रोजेक्ट शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया में इसकी कारमाइकल कोयला खदान परियोजना (Carmichael Coal Project) है। हाल ही में समूह द्वारा इज़राइल में हाइफा पोर्ट का अधिग्रहण भी किया गया है।