राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका परमाणु परीक्षण करेगा, क्योंकि पाकिस्तान, रूस, चीन और उत्तर कोरिया सहित अन्य देश भी परमाणु परीक्षण करते रहते हैं। उन्होंने यह दावा CBS न्यूज को दिए साक्षात्कार 60 Minutes में किया। साक्षात्कार के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अन्य देश भी परमाणु परीक्षण कर रहे हैं, “रूस और चीन परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते। हम एक खुला समाज हैं। हम अलग हैं। हम इसके बारे में बात करते हैं क्योंकि वरना आप लोग रिपोर्ट करेंगे। उनके पास ऐसे पत्रकार नहीं हैं जो इसके बारे में लिखें।
हम दुनिया को 150 बार उड़ा सकते हैं: डोनाल्ड ट्रंप
उन्होंने कहा, हमारे पास किसी भी अन्य देश से ज़्यादा परमाणु हथियार हैं। रूस दूसरे नंबर पर है। चीन फिलहाल पीछे है (तीसरे नंबर पर है) पर चीन पाँच साल में वे बराबरी कर लेगा; वे तेज़ी से हथियार बना रहे हैं। मुझे लगता है हमें निःपरमाणुकरण (परमाणु हथियार घटाने) के लिए कुछ करना चाहिए। निःपरमाणुकरण बहुत बड़ी बात है। हमारे पास इतने परमाणु हथियार हैं कि हम दुनिया को 150 बार नष्ट कर सकते हैं। रूस के पास भी बहुत सारे हथियार हैं। चीन के पास अब कुछ हैं, और आने वाले समय में उनके पास और भी होंगे उनके पास कुछ हथियार पहले से ही पर्याप्त हैं।”
अमेरिका फिर करेगा परमाणु परीक्षण? ट्रंप का बड़ा बयान–
डोनाल्ड ट्रम्प ने ये बातें तब कहीं जब उनसे रूस की ओर से हाल ही में पोसाइडन अंडरवॉटर ड्रोन सहित उन्नत परमाणु-समर्थ प्रणालियों के परीक्षणों के बारे में पूछा गया। उन्होंने कहा कि परीक्षणों की तैयारियाँ पहले से ही चल रही हैं, हालांकि उन्होंने किसी समय या स्थान का ज़िक्र नहीं किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या नए सिरे से परीक्षण विश्व को अस्थिर कर सकते हैं, तो उनका जवाब था: “मुझे लगता है कि हमने इसे अच्छी तरह से बंद कर दिया है।”
चीन और पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण के आरोपों को किया खारिज:
चीन ने गुप्त रूप से परमाणु हथियारों के परीक्षण करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को सख्ती से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को कहा कि बीजिंग ने दशकों से चले आ रहे परमाणु परीक्षण पर अनौपचारिक रोक का कभी उल्लंघन नहीं किया है।
इसी बीच, एक पाकिस्तानी अधिकारी ने भी ट्रंप के इस बयान को खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि रूस, चीन और पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किए हैं। अधिकारी ने कहा “पाकिस्तान ने पहले कभी परमाणु परीक्षण शुरू नहीं किए थे और अब भी सबसे पहले परीक्षण दोबारा शुरू नहीं करेगा।”
वैश्विक परमाणु परीक्षणों और वर्तमान स्थिति का विश्लेषण-
पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण:
उपलब्ध जानकारी के अनुसार पाकिस्तान ने 28 मई 1998 को चगाई-I (एक साथ पाँच परीक्षण) और 30 मई 1998 को चगाई-II (एक परीक्षण) नाम से परमाणु विस्फोट किए। ये परीक्षण बलूचिस्तान के चगाई ज़िले और खारन रेगिस्तान की रास कोह पहाड़ियों में किए गए थे।
बलूचिस्तान के स्थानीय लोग खुद को इन परीक्षणों का पीड़ित मानते हैं। उनका कहना है कि बिना किसी पूर्व चेतावनी के उनके क्षेत्र को न्यूक्लियर टेस्ट साइट बना दिया गया। रिपोर्टों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में बलूचिस्तान में हर साल औसतन 29 भूकंप दर्ज किए जाते हैं।
पाकिस्तान ने तब से एक “एकतरफा परमाणु परीक्षण रोक” (Unilateral Moratorium on Nuclear Testing) लागू कर रखी है, हालांकि वह अंतरराष्ट्रीय CTBT (Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty) का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण:
उत्तर कोरिया ने 2006, 2009, 2013, 2016 (दो बार) और 2017 में परमाणु परीक्षण किए हैं। यह एशिया का एकमात्र देश है जिसने 21वीं सदी में कई बार परमाणु परीक्षण जारी रखे हैं।
चीन और रूस की स्थिति:
- चीन ने 1996 के बाद से कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है।
- रूस (तब का सोवियत संघ) ने 1990 के बाद कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया, हालांकि हाल ही में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु-संचालित ड्रोन और क्रूज़ मिसाइल के सफल परीक्षण का दावा किया है।
चीन की बढ़ती परमाणु क्षमता:
CSIS (Center for Strategic and International Studies) के अनुसार, चीन का परमाणु भंडार 2020 में लगभग 300 हथियारों से बढ़कर 2025 में 600 हथियारों तक पहुँच गया- यानी पाँच वर्षों में दोगुना वृद्धि।
अमेरिकी रक्षा विभाग (Pentagon) का अनुमान है कि 2030 तक चीन के पास 1,000 से अधिक परमाणु हथियार होंगे। सितंबर 2025 की विक्ट्री डे परेड में चीन ने पाँच नई परमाणु क्षमताएँ प्रदर्शित कीं, जो अमेरिकी मुख्यभूमि तक मार करने में सक्षम हैं।
हाल ही में रूस ने किए दो सफल परीक्षण:
रूस ने हाल ही में दो परमाणु-सक्षम हथियारों बुरेवस्तनिक क्रूज़ मिसाइल और पोसाइडन अंडरवाटर ड्रोन के सफल परीक्षणों की घोषणा की है।
- बुरेवस्तनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण:
रूस ने दुनिया की पहली न्यूक्लियर पावर्ड यानी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल बुरेवस्तनिक-9M739 का सफल परीक्षण किया है। दावा किया जा रहा है कि यह मिसाइल अनलिमिटेड रेंज वाली है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मिसाइल दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है।
रूसी सेना के प्रमुख वैलेरी गेरेसिमोव ने बताया कि मिसाइल का सफल टेस्ट 21 अक्टूबर को किया गया। इस टेस्ट में बुरेवस्तनिक ने करीब 15 घंटे तक उड़ान भरी। इस दौरान मिसाइल ने 14 हजार किलोमीटर की दूरी तय की। पुतिन ने कहा कि यह मिसाइल “दुनिया में बेजोड़” है और उन्होंने इसके सशस्त्र बलों में तैनाती से पहले के अंतिम चरण को पूरा करने का निर्देश दिया।
- पोसाइडन अंडरवाटर ड्रोन:
पोसाइडन एक लंबी दूरी वाला, परमाणु-संचालित स्वायत्त जल-तल वाहन है, जिसे अक्सर टॉरपीडो कहा जाता है।
परीक्षण विवरण: बुधवार, 29 अक्टूबर 2025 को पुतिन ने घोषणा की कि रूस ने पोसाइडन का सफल परीक्षण भी पूरा कर लिया है। पोसाइडन की खास बात यह है कि इसके अंदर अपनी खुद की न्यूक्लियर फ्यूल यूनिट लगी होती है। यानी इसे ईंधन भरने की जरूरत नहीं पड़ती और यह लगभग अनलिमिटेड दूरी तक चल सकता है।
रूस के परीक्षण के बाद ट्रंप ने कहा था: “हम भी बराबरी के आधार पर परमाणु परीक्षण करेंगे”
पिछले सप्ताह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा- “अमेरिका के पास किसी भी अन्य देश से अधिक परमाणु हथियार हैं। मेरे पहले कार्यकाल के दौरान इन हथियारों का पूर्ण रूप से आधुनिकीकरण और नवीनीकरण किया गया था। इनकी अत्यधिक विनाशकारी शक्ति के कारण, मैं ऐसा नहीं करना चाहता था, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। रूस दूसरे स्थान पर है, जबकि चीन काफी पीछे है, लेकिन अगले 5 वर्षों में वह बराबरी पर पहुंच सकता है। अन्य देशों के परमाणु परीक्षण कार्यक्रमों को देखते हुए, मैंने युद्ध विभाग जो हमारी सरकार में रक्षा विभाग के लिए प्रयुक्त नाम है- को निर्देश दिया है कि वह हमारे परमाणु हथियारों का परीक्षण बराबरी के आधार पर शुरू करे। यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी।”
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी सेना वास्तव में कब या क्या कोई परमाणु परीक्षण करेगी, या राष्ट्रपति ट्रंप के “बराबरी के आधार पर परीक्षण” वाले बयान का सटीक अर्थ क्या है।
आइए जान लेते है, किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं?
SIPRI (रिपोर्ट जनवरी 2025) के अनुमान के आधार पर रूस के पास सबसे अधिक परमाणु हथियार हैं।
- रूस: 5,459 वारहेड।
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): 5,177 वारहेड।
- चीन: 600 वारहेड।
- फ्रांस: 290 वारहेड।
- यूनाइटेड किंगडम (UK): 225 वारहेड।
- भारत: 180 वारहेड (जनवरी 2025 तक का अनुमान)।
- पाकिस्तान: 170 वारहेड
- इज़राइल: 90 वारहेड (अनुमानित)।
- उत्तर कोरिया (North Korea): 50 वारहेड (अनुमानित)
बदलते परमाणु परिदृश्य में भारत कहाँ खड़ा है?
भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 1974 (स्माइलिंग बुद्धा) और दूसरा श्रृंखलाबद्ध परीक्षण 1998 (पोखरण-II) में किया था। भारत की परमाणु नीति “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध” (Credible Minimum Deterrence) और “पहले उपयोग न करने” (No-First-Use) के सिद्धांत पर आधारित है। 1998 के बाद से भारत ने स्वेच्छा से परमाणु परीक्षणों पर रोक बनाए रखी है।
हालाँकि, डोनाल्ड ट्रंप द्वारा परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की घोषणा और रूस व चीन की बढ़ती परमाणु गतिविधियों ने भारत के रणनीतिक समुदाय (strategic community) में यह बहस छेड़ दी है कि क्या भारत को अपनी परमाणु नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।
भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) राज शुक्ला ने एक्स (X) पर लिखा –“ट्रंप ने परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने की घोषणा की है। पुतिन ने परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल बुरेवस्तनिक और पानी के भीतर चलने वाली परमाणु-संचालित मिसाइल पोसाइडन का परीक्षण किया है। क्या भारत को अपनी परमाणु नीति की समीक्षा या पुनर्संरचना करने की आवश्यकता है?”
क्या अमेरिका करेगा एनपीटी का उल्लंघन:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का निर्देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता का विषय बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन हो सकता है, क्योंकि अमेरिका ने 1992 में आधिकारिक रूप से सभी परमाणु परीक्षणों को रोक दिया था। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने चेतावनी दी है कि इस तरह का कदम वैश्विक हथियारों की नई दौड़ को जन्म दे सकता है और अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों को कमजोर करेगा। डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने ट्रंप पर आरोप लगाया कि वे परमाणु युद्ध को “खेल का उपकरण” बना रहे हैं।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, रूस और चीन द्वारा हालिया हथियार परीक्षणों के जवाब में अमेरिका की यह नीति वैश्विक तनाव को और बढ़ा सकती है तथा दशकों से जारी निरस्त्रीकरण की दिशा में हुए प्रयासों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
परमाणु अप्रसार संधि (NPT):
परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty – NPT) एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना, शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देना और परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में कार्य करना है। यह संधि 1968 में हस्ताक्षर के लिए खोली गई और 1970 में लागू हुई।
मुख्य उद्देश्य:
- अप्रसार (Non-Proliferation): परमाणु हथियारों और उनकी तकनीक के गैर-परमाणु देशों में प्रसार को रोकना।
- निरस्त्रीकरण (Disarmament): परमाणु हथियारों में कमी और पूर्ण निरस्त्रीकरण की दिशा में वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देना।
- शांतिपूर्ण उपयोग (Peaceful Use): परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण और विकासात्मक उपयोग में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना।
प्रमुख प्रावधान:
- परमाणु-संपन्न देश (Nuclear-Weapon States): ये देश किसी गैर-परमाणु राष्ट्र को परमाणु हथियार या उनकी तकनीक नहीं सौंपेंगे।
- गैर-परमाणु देश (Non-Nuclear-Weapon States): ये देश परमाणु हथियार विकसित या प्राप्त नहीं करेंगे और अपने परमाणु प्रतिष्ठानों को IAEA की निगरानी में रखेंगे ताकि सत्यापन हो सके।
