भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार लोगों के आपसी संपर्क की शुरुआत हुई है। मंगलवार को 2,100 भारतीय सिख तीर्थयात्री अटारी-वाघा बॉर्डर पार करके पाकिस्तान पहुंचे। मई में हुई झड़पों के बाद से दोनों परमाणु-संपन्न देशों के बीच यह ज़मीनी सीमा बंद थी।
तीर्थयात्री ननकाना साहिब गुरु नानक देव जी के जन्मस्थान पर एकत्र होंगे, जो लाहौर से लगभग 80 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। इसके बाद वे गुरुद्वारा पंजा साहिब (हसन अबदल), गुरुद्वारा साचा सौदा (फारूकाबाद) और गुरुद्वारा दरबार साहिब (करतारपुर) में मत्था टेकेंगे। तीर्थयात्री 13 नवंबर को भारत लौट आएंगे।
पाकिस्तान ने 2,150 भारतीय सिख श्रद्धालुओं को वीज़ा जारी किया:
पाकिस्तान सरकार ने गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती के अवसर पर आयोजित 10-दिवसीय उत्सव में भाग लेने के लिए 2,150 भारतीय सिख श्रद्धालुओं को वीज़ा जारी किया है।
वहीं, भारत सरकार ने केवल भारतीय नागरिकों को इस यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के यात्रा विभाग के प्रभारी पालविंदर सिंह ने बताया कि उन्हें सरकार द्वारा एनआरआई (गैर-निवासी भारतीयों) को अनुमति न देने के कारणों की जानकारी नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार ने दी तीर्थयात्रा की अनुमति:
भारत सरकार ने पहले ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए सिख श्रद्धालुओं की पाकिस्तान यात्रा की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। हालांकि, सिख संगठनों की अपील के बाद सरकार ने निर्णय बदलते हुए कम से कम प्रतीकात्मक जत्थे को जाने की अनुमति दे दी, ताकि यह लंबे समय से चली आ रही परंपरा बनी रहे।
1974 के प्रोटोकॉल के तहत तीर्थयात्रा:
यह तीर्थयात्रा 1974 में भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक स्थलों के दौरे पर बने प्रोटोकॉल के तहत आयोजित की जा रही है। इस प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों देशों के भक्तों को राजनीतिक तनाव के बावजूद जरूरी धार्मिक कार्यक्रमों के लिए यात्रा करने की अनुमति दी जाती है।
इस जत्थे का समन्वय शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) और भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा किया गया है। जत्था हसन अब्दल में ननकाना साहिब, पंजा साहिब और अन्य पवित्र गुरुद्वारों का दौरा करेगा।
भारत और पाकिस्तान में सिख समुदाय:
सिख धर्म, जो एक एकेश्वरवादी धर्म है, 15वीं शताब्दी में पंजाब क्षेत्र में उत्पन्न हुआ था- जो आज भारत और पाकिस्तान दोनों में विभाजित है। पाकिस्तान में सिख आबादी बहुत कम है। 1947 में भारत-विभाजन के दौरान जब उपमहाद्वीप को हिंदू-बहुल भारत और मुस्लिम-बहुल पाकिस्तान में बाँटा गया, तब अधिकांश सिख भारत आ गए।
हालाँकि, सिख धर्म के कई प्रमुख धार्मिक स्थल पाकिस्तान में रह गए। इनमें ननकाना साहिब (गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान) और करतारपुर साहिब जैसे पवित्र गुरुद्वारे शामिल हैं।
कहां है ननकाना साहिब
ननकाना साहिब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है। यह लाहौर के दक्षिण पश्चिम से लगभग 80 किलोमीटर और फैसलाबाद के पूर्व से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 550 वर्ष पहले यहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का जन्म हुआ था और पहली बार उन्होंने यहीं उपदेश दिया था। ननकाना साहिब सिखों के लिए उच्च ऐतिहासिक और धार्मिक मूल्य का एक शहर है। ननकाना साहिब का जन्म तलवंडी गांव में हुआ था।
गुरुनानक देव जी के बारे में-
गुरुनानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु थें। इनके जन्म दिवस को गुरुनानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। नानक जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नाम गांव में हुआ। नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्याण या मेहता कालू जी था और माता का नाम तृप्ती देवी था। 16 वर्ष की उम्र में इनका विवाह गुरदासपुर जिले के लाखौकी नाम स्थान की रहने वाली कन्या सुलक्खनी से हुआ। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थें।
दोनों पुत्रों के जन्म के बाद गुरुनानक देवी जी अपने चार साथी मरदाना, लहना, बाला और रामदास के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। ये चारों ओर घूमकर उपदेश देने लगे। 1521 तक इन्होंने तीन यात्राचक्र पूरे किए, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। इन यात्राओं को पंजाबी में “उदासियाँ” कहा जाता है।
गुरुनानक जी के विचारों से समाज में परिवर्तन हुआ। नानक जी ने करतारपुर (पाकिस्तान) नामक स्थान पर एक नगर को बसाया और एक धर्मशाला भी बनवाई। नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर 1539 ईस्वी को हुआ। इन्होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए।
