महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के साथ साझेदारी की घोषणा की है। इस समझौते के तहत राज्य में उपग्रह आधारित हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं शुरू की जाएंगी। इस कदम के साथ महाराष्ट्र, स्टारलिंक के साथ औपचारिक रूप से सहयोग करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में मुंबई में यह समझौता हुआ, जिसमें स्टारलिंक की वाइस प्रेसिडेंट लॉरेन ड्रेयर भी शामिल रहीं। इस साझेदारी से गांवों, सरकारी कार्यालयों और महत्वपूर्ण सार्वजनिक ढांचे को तेज़ और विश्वसनीय इंटरनेट की सुविधा मिलेगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा,
स्टारलिंक के साथ यह साझेदारी हर गाँव, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र को इंटरनेट से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा, “हम राज्य के हर कोने को जोड़कर डिजिटल खाई को खत्म कर रहे हैं। यह साझेदारी हमारे भविष्य के लिए तैयार और सशक्त महाराष्ट्र बनाने की प्रतिबद्धता को दिखाती है। हमें गर्व है कि महाराष्ट्र भारत का पहला राज्य बना है, जो इस तरह का सहयोग शुरू कर डिजिटल इंडिया के लिए एक नया उदाहरण पेश कर रहा है।”
महाराष्ट्र सरकार के साथ सहयोग पर गर्व: स्टारलिंक उपाध्यक्ष
स्टारलिंक की उपाध्यक्ष लॉरेन ड्रेयर ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र सरकार के साथ सहयोग करने पर गर्व है। उन्होंने बताया कि स्टारलिंक का मकसद है कि हर व्यक्ति को, चाहे वह कहीं भी रहता हो, तेज़ इंटरनेट सुविधा मिल सके। यह पहल उन लोगों तक कनेक्टिविटी पहुँचाने में मदद करेगी जो अभी तक पारंपरिक नेटवर्क से वंचित हैं।
लॉरेन ने कहा कि महाराष्ट्र का समावेशी और मजबूत डिजिटल विकास का विज़न, स्टारलिंक के मिशन से पूरी तरह मेल खाता है। साथ मिलकर दोनों यह दिखाना चाहते हैं कि सैटेलाइट इंटरनेट से दूर-दराज के स्कूलों, अस्पतालों और समुदायों को कैसे सशक्त बनाया जा सकता है। यह साझेदारी राज्य के डिजिटल महाराष्ट्र मिशन को और मज़बूत करेगी और ईवी, तटीय विकास और आपदा प्रबंधन जैसे कार्यक्रमों को भी समर्थन देगी।
परियोजना को कैसे कार्यान्वित किया जाएगा?
इस परियोजना को लागू करने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group) बनाया जाएगा, जो 90 दिनों की पायलट परियोजना की निगरानी करेगा। इसके लिए 30, 60 और 90 दिनों के अलग-अलग लक्ष्य तय किए गए हैं। इस पायलट परियोजना की हर तीन महीने में समीक्षा खुद मुख्यमंत्री करेंगे।
पायलट चरण में सरकार का ध्यान सरकारी और जनजातीय स्कूलों सरकार केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को इंटरनेट से जोड़ने पर रहेगा। इसके साथ ही आपदा प्रबंधन, तटीय निगरानी, और शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं को सैटेलाइट इंटरनेट के ज़रिए बेहतर बनाया जाएगा। राज्य सरकार स्थानीय लोगों और एजेंसियों के प्रशिक्षण पर भी काम करेगी ताकि वे इस तकनीक का सही उपयोग कर सकें।
स्टारलिंक के बारे में:
स्टारलिंक एक सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा है, जिसे स्पेसएक्स की सहायक कंपनी स्टारलिंक सर्विसेज LLC संचालित करती है। यह कंपनी दुनिया के लगभग 150 देशों और क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं प्रदान करती है। इसका लक्ष्य है कि हर जगह, यहां तक कि दूरदराज़ इलाकों में भी तेज़ और स्थिर इंटरनेट उपलब्ध हो सके।
स्पेसएक्स ने 2019 में स्टारलिंक उपग्रहों का प्रक्षेपण शुरू किया था। आज यह दुनिया का सबसे बड़ा सैटेलाइट नेटवर्क चला रहा है, जिसमें 6,700 से ज़्यादा उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (लगभग 550 किलोमीटर ऊँचाई) पर घूम रहे हैं। यह दूरी भूस्थिर उपग्रहों (लगभग 36,000 किमी) से कहीं कम है, जिससे इंटरनेट की गति तेज़ और विलंब बहुत कम होता है।
जुलाई 2025 में स्टारलिंक को मिला भारत में एंट्री:
जुलाई 2025 में स्टारलिंक को टेलीकॉम मंत्रालय से GMPCS लाइसेंस मिला, टेलीकॉम विभाग (DoT) ने यह लाइसेंस तब दिया जब स्टारलिंक ने अपने आवेदन में बताई गई सभी सुरक्षा शर्तों को पूरा कर लिया। इस तरह, यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो के बाद, स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने वाली तीसरी कंपनी बन गई।
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुष्टि की थी कि स्टारलिंक को भारत में सेवा शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। इससे पहले एलन मस्क ने फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका में मुलाकात की थी, जहाँ दोनों ने भारत में स्टारलिंक लॉन्च और सुरक्षा शर्तों पर चर्चा की थी।
स्टारलिंक की आगे की तैयारी:
स्टारलिंक अब भारत में अपनी शुरुआत की पूरी तैयारी कर चुका है और 2026 की शुरुआत में वाणिज्यिक रूप से सेवाएं शुरू करने की योजना बना रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी मुंबई, नोएडा, कोलकाता, चंडीगढ़ और लखनऊ सहित पूरे देश में कम से कम नौ सैटेलाइट गेटवे स्टेशन बना रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि भारत के सबसे दूर-दराज़ इलाकों तक भी तेज़ और भरोसेमंद इंटरनेट पहुँचाया जा सके।
स्टारलिंक ने शुरू की भारत में भर्ती:
स्टारलिंक ने मुंबई को अपना परिचालन केंद्र बनाया है और चांदिवली में 1,294 वर्ग फुट का दफ्तर लिया है। कंपनी ने लिंक्डइन पर भर्ती शुरू की है, जिसमें पेमेंट मैनेजर, अकाउंटिंग मैनेजर, ट्रेजरी एनालिस्ट और टैक्स मैनेजर जैसे पद शामिल हैं। ये सभी पद बेंगलुरु में हैं।
स्पेसएक्स ने कहा कि जैसे-जैसे कंपनी दुनिया भर में अपना नेटवर्क बढ़ा रही है और स्टारलिंक की हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं का विस्तार कर रही है, उसे भारत में एक अनुभवी अकाउंटिंग मैनेजर की ज़रूरत है, जो कंपनी के वित्तीय कार्यों और रिपोर्टिंग दायित्वों को सही तरीके से पूरा करने में मदद कर सके।
भारतीय दूरसंचार कंपनियों के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
सरकार का कहना है कि स्टारलिंक से BSNL, जियो या एयरटेल जैसे मौजूदा टेलीकॉम ऑपरेटरों को फिलहाल कोई बड़ी प्रतिस्पर्धा नहीं होगी। इसका एक कारण है कि स्टारलिंक के टर्मिनल की शुरुआती कीमत काफ़ी ज़्यादा है – लगभग ₹33,000 से ₹35,000 के बीच। इतनी लागत के कारण इसका उपयोग मुख्य रूप से ग्रामीण या दूरदराज़ इलाकों तक सीमित रहेगा।
इसके अलावा, सरकार ने स्टारलिंक को देशभर में अधिकतम 20 लाख (2 मिलियन) कनेक्शन देने की अनुमति दी है। इन सेवाओं की अधिकतम इंटरनेट स्पीड 200 Mbps और औसत स्पीड करीब 100 Mbps रहने की उम्मीद है।
भारत में दूरसंचार क्षेत्र की स्थिति:
भारत का दूरसंचार क्षेत्र अब विलासिता नहीं, बल्कि ज़रूरत बन गया है। भारत ने दुनिया के सबसे तेज़ 5G रोलआउट में से एक हासिल किया है, जिससे देश भर में कनेक्टिविटी और डिजिटल सेवाओं की गति में बड़ी बढ़ोतरी हुई है।
मुख्य बदलाव:
- 2001 में हर 100 लोगों पर सिर्फ 5 फोन कनेक्शन थे, जबकि 2024 में यह बढ़कर 85.6% हो गया।
- डेटा कीमतें घटकर सिर्फ ₹8.31 प्रति GB रह गईं।
- औसत डेटा उपयोग बढ़कर 3 GB प्रति ग्राहक हो गया।
- मोबाइल टावरों की संख्या अब 4 लाख है।
- FDI निवेश 2024-25 में 670 मिलियन डॉलर रहा।
दूरसंचार सुधार संबंधित सरकारी पहलें:
- दूरसंचार अधिनियम, 2023: यह नया कानून पुराने औपनिवेशिक अधिनियमों की जगह लेकर आधुनिक दूरसंचार ढांचा तैयार करता है। इसमें स्पेक्ट्रम आवंटन, आरओडब्ल्यू (राइट ऑफ वे) प्रक्रिया, उपयोगकर्ता सुरक्षा, डिजिटल भारत निधि और नवाचार को बढ़ावा देने के प्रावधान हैं।
- गति शक्ति संचार पोर्टल: इस पोर्टल से टावर और ऑप्टिकल फाइबर केबल की अनुमति की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हुई है, जिससे अब तक 23 लाख अनुमतियाँ दी जा चुकी हैं।
- राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP): DoT इस योजना से बिना 4G कवरेज वाले गांवों की पहचान कर 4G नेटवर्क विस्तार की योजना बना रहा है।
- अखिल भारतीय सेल प्रसारण (CB): यह प्रणाली आपात स्थितियों में जनता को अलर्ट देने में मदद करती है और वर्तमान में लगभग 80% नेटवर्क को कवर करती है।
- भारत 6G विजन और B6GA: भारत को 2030 तक 6G तकनीक में अग्रणी बनाने के लिए यह पहल शुरू की गई है। यह शिक्षा, उद्योग और सरकार को साथ लाकर अनुसंधान को बढ़ावा देती है।
- पीएम-वाणी: 2020 में शुरू हुई यह योजना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट बढ़ाकर सस्ती इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराती है।
निष्कर्ष:
इस साझेदारी से महाराष्ट्र में डिजिटल कनेक्टिविटी को नई गति मिलेगी। उपग्रह आधारित हाई-स्पीड इंटरनेट से ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी तथा “डिजिटल इंडिया” के लक्ष्य को मजबूत समर्थन मिलेगा।
