हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने शुक्रवार को अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के साथ 1 अरब डॉलर का बड़ा रक्षा सौदा किया है। इस समझौते के तहत GE, HAL को 113 “F404-GE-IN20” इंजन उपलब्ध कराएगी, जो भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A को शक्ति देंगे। यह सौदा भारत के 97 तेजस Mk-1A विमानों के उत्पादन और रक्षा आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
HAL ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा,
“हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 7 नवंबर 2025 को अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी (GE) के साथ 113 F404-GE-IN20 इंजन की आपूर्ति और 97 LCA Mk-1A लड़ाकू विमान कार्यक्रम में सहायता के लिए एक समझौता किया है।”
कितना महत्वपूर्ण है यह डील ?
यह सौदा ऐसे समय में हुआ है जब ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाया है, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ा है। करीब 1 अरब डॉलर (लगभग 8,870 करोड़ रुपये) की इस डील के तहत इंजन की आपूर्ति 2027 से शुरू होकर 2032 तक चलेगी। इस समझौते से HAL को कुल 212 GE-404 इंजन की जरूरत पूरी करने में मदद मिलेगी, जिससे इंजन की आपूर्ति में देरी जैसी दिक्कतें नहीं होंगी।
साथ ही, यह सौदा भारतीय वायुसेना के लिए भी अहम है, क्योंकि इस समय उसके लड़ाकू स्क्वाड्रन 42 की जगह घटकर 31 रह गए हैं, और तेजस जैसे स्वदेशी विमान उन्हें मजबूती देंगे।
F404-GE-IN20 इंजन के बारे में:
F404-GE-IN20, जनरल इलेक्ट्रिक (GE) का एक आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन है। यह 10,500 से 19,000 lbf शक्ति देने वाले F404 और F412 इंजनों के परिवार का हिस्सा है। इस श्रृंखला का निर्माण GE एयरोस्पेस करती है, और इसमें वोल्वो एयरो भी साझेदार है, जो इसका RM12 संस्करण बनाती है। F404 को बाद में बड़े F414 टर्बोफैन और GE36 सिविल प्रोपफैन के लिए विकसित किया गया था।
GE इंजन आपूर्ति में कर रहा देरी:
फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस Mk-1A जेट खरीदने के लिए HAL के साथ 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इसके बाद, सितंबर 2025 में सरकार ने 97 और तेजस Mk-1A विमान खरीदने के लिए 62,370 करोड़ रुपये का नया अनुबंध किया। यानी HAL को अब कुल 180 तेजस Mk-1A विमान बनाने हैं। हालांकि, HAL ने अभी तक भारतीय वायुसेना को 2021 वाले 83 विमानों की डिलीवरी शुरू नहीं की है। अब तक सिर्फ 10 विमान बनाए गए हैं, लेकिन वे अभी अंतिम प्रमाणन प्रक्रिया में हैं, जिसमें हथियारों का एकीकरण और फायरिंग टेस्ट शामिल हैं।
डिलीवरी में देरी की सबसे बड़ी वजह यह है कि GE एयरोस्पेस ने विमानों के लिए जरूरी F404 इंजन की आपूर्ति समय पर नहीं की। कंपनी अब तक केवल चार इंजन ही HAL को दे पाई है। इसलिए विमानों की डिलीवरी तब ही शुरू हो पाएगी जब सभी इंजन मिल जाएं और टेस्ट पूरे हों।
तेजस Mk-1A के बारे में:
तेजस Mk-1A एक एकल इंजन वाला बहु-भूमिका लड़ाकू विमान है, जो उच्च खतरे वाले हवाई मिशनों में उड़ान भरने में सक्षम है। इसे वायु रक्षा, समुद्री निगरानी और हमलावर अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। इस विमान में लगभग 70% स्वदेशी सामग्री होगी, जिसमें ‘उत्तम’ AESA रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सूट जैसी उन्नत प्रणालियां शामिल होंगी। विमान निर्माण में इस्तेमाल होने वाली करीब 50% सामग्री भारतीय निजी क्षेत्र से आएगी। HAL का लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2032-33 तक सभी 180 तेजस Mk-1A विमान तैयार कर लिए जाएं, जिससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को एक नई ऊंचाई मिले।
तेजस Mk-1A का पहला टेस्ट:
तेजस Mk-1A ने 17 अक्टूबर को महाराष्ट्र के नासिक में पहली उड़ान भरी। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे और उन्होंने विमान के लिए HAL की तीसरी उत्पादन लाइन का उद्घाटन किया।
यह रोलआउट पुराने मिग-21 विमानों के दो स्क्वाड्रनों के हटाए जाने के कुछ हफ्तों बाद हुआ, जिससे जो कमी हुई थी, उसे तेजस Mk-1A पूरा करने की उम्मीद है।
रूसी कंपनी UAC के साथ एक सप्ताह पहले हुआ था समझौता:
HAL ने 27 अक्टूबर 2025 को रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (UAC) के साथ भारत में SJ-100 सिविल कम्यूटर विमान बनाने के लिए समझौता किया। यह दोहरे इंजन वाला यात्री विमान है, जो दुनिया की 16 एयरलाइनों में पहले से सेवा में है। इस साझेदारी से एचएएल को भारत में एसजे-100 के निर्माण के अधिकार मिलेंगे, जिससे UDAN योजना के तहत छोटी दूरी की हवाई सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
यह समझौता खास इसलिए भी है क्योंकि करीब चार दशक बाद भारत में कोई यात्री विमान बनाया जाएगा, पिछली बार ऐसा 1961 से 1988 के बीच AVRO HS-748 प्रोजेक्ट में हुआ था। HAL के मुताबिक, रूस की UAC के साथ यह साझेदारी दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे भरोसे और एयरोस्पेस सहयोग को और मजबूत करेगी।
GE और UAC के साथ साझेदारी के मायने:
GE के जेट इंजन सौदे और UAC के नागरिक विमान निर्माण समझौते के साथ, HAL अब भारत के रक्षा आधुनिकीकरण और नागरिक विमानन आत्मनिर्भरता का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है। ये पहल भारत को एयरोस्पेस नवाचार, निर्माण और निर्यात में वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में भी मदद करेंगी, जिससे रणनीतिक ताकत और औद्योगिक विकास दोनों मजबूत होंगे।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बारे में:
- स्थापना: 23 दिसंबर 1940 को श्री वालचंद हीराचंद ने बैंगलोर में की, मुख्य उद्देश्य स्वदेशी विमान निर्माण।
- प्रारंभिक विकास: 1942 में भारत सरकार ने शेयरधारक बनकर प्रबंधन संभाला। एचएएल ने हार्लो ट्रेनर, कर्टिस हॉक, वुल्टी बॉम्बर जैसे विमान बनाए।
- नवाचार: फ्लाइंग क्लब के लिए पुष्पक, एओपी के लिए कृषक, जेट फाइटर HF-24 मारुत, ट्रेनर HJT-16 किरण।
- विकास: 1964 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट और एयरोनॉटिक्स इंडिया का विलय, HAL बना।
- अंतरिक्ष और गैस टरबाइन: 1988 में एयरोस्पेस प्रभाग, 1998 में गैस टरबाइन प्रभाग।
- हाल की गतिविधियाँ: 2014 में LCA तेजस डिवीजन की स्थापना।
HAL की आगामी परियोजनाएँ:
- तेजस विमान: 2019 में भारतीय वायु सेना में शामिल होने के बाद तेजस HAL के लिए बड़ा मील का पत्थर बन गया। HAL भारतीय वायु सेना के 40 तेजस विमानों में शेष 8 की आपूर्ति करने के लिए तैयार है और 2028 तक 83 तेजस Mk-1A और Mk-2 विमान बनाने की योजना है।
- हेलीकॉप्टर: HAL ने ध्रुव, रुद्र और प्रचंड हेलीकॉप्टर विकसित किए हैं। प्रचंड हेलीकॉप्टर पुराने चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों की जगह लेगा।
- सहयोग और नवाचार: HAL विदेशी OEM के साथ मिलकर अपनी तकनीक और क्षमता बढ़ा रहा है। कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम (CATS) जैसी पहल मानवयुक्त और मानवरहित विमानों को जोड़ती है और भविष्य में HAL की नवाचार प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
निष्कर्ष:
यह समझौता न केवल तेजस Mk-1A विमान कार्यक्रम को गति देगा, बल्कि भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता और स्वदेशी तकनीक पर निर्भरता को भी मजबूत करेगा। इससे HAL और भारतीय वायुसेना दोनों को लाभ मिलेगा और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
