CIA का गुप्त मिशन: अफगानिस्तान की हेरोइन खेती को कमजोर करने के लिए ‘पॉपी सीड्स’ गिराए गए

अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA ने अफगानिस्तान की अरबों डॉलर की हेरोइन अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के लिए एक दशक लंबा गुप्त अभियान चलाया, जिसमें उसने देश के खेतों पर संशोधित अफीम के बीज (Modified Poppy Seeds) गिराए। द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मिशन 2004 से 2015 के बीच चला और इसका उद्देश्य अफीम की गुणवत्ता घटाकर हेरोइन उत्पादन को अलाभकारी (Unprofitable) बनाना था।

CIA secret mission

रात के अंधेरे में बीज बरसाने का ऑपरेशन

रिपोर्ट के अनुसार, CIA ने ब्रिटिश C-130 विमान का इस्तेमाल किया, जो हेलमंद और नंगरहार प्रांतों में रात के समय उड़ान भरकर इन विशेष रूप से विकसित अफीम के बीजों को गिराते थे।

 

इन बीजों को इस तरह तैयार किया गया था कि उनमें अल्कलॉइड की मात्रा कम हो – वही रासायनिक तत्व जिससे हेरोइन बनाई जाती है। CIA को उम्मीद थी कि समय के साथ ये पौधे स्थानीय अफीम की किस्मों से परागण (Cross-pollination) कर उनकी गुणवत्ता को भी कमजोर कर देंगे।

 

एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने अखबार से कहा – “यह सैन्य समस्या का गैर-सैन्य समाधान था – एक बिल्कुल अलग सोच।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मिशन CIA के क्राइम एंड नार्कोटिक्स सेंटर के तहत चलाया गया था और इसके लिए पोस्ट-9/11 आतंकवाद विरोधी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ।
यह अभियान इतना गोपनीय था कि पेंटागन और अमेरिकी विदेश विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी इससे अनजान थे। अफगान राष्ट्रपति हामिद करज़ई की सरकार को भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई थी।

 

अफीम से चलती थी तालिबान की फंडिंग

उस समय अफगानिस्तान दुनिया की 90% हेरोइन की आपूर्ति करता था। यह कारोबार न केवल तालिबान के लिए फंडिंग का प्रमुख स्रोत था, बल्कि अफगान सरकार और प्रशासन में भ्रष्टाचार की जड़ें भी इससे जुड़ी थीं।

 

संशोधित पोस्ता बीज क्या हैं?

“पोस्ता” (Poppy) एक पौधा है, जिससे अफीम (Opium) और आगे चलकर हेरोइन (Heroin) जैसी नशीली दवाएं बनाई जाती हैं। “संशोधित पोस्ता बीज” वे बीज होते हैं जिन्हें विशेष रूप से विकसित (selectively bred) या प्रयोगशाला में बदला गया होता है ताकि उनमें कुछ खास गुण कम या ज़्यादा किए जा सकें।

जैसे: CIA के ऑपरेशन में -इन बीजों को इस तरह संशोधित (modify) किया गया था कि उनमें अल्कलॉयड (alkaloid) नामक रासायनिक तत्व की मात्रा कम हो जाए,
जिससे इनसे बनने वाली अफीम की गुणवत्ता और नशे की ताकत घट जाए।

 

क्या CIA का मिशन सफल रहा?

रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ सूत्रों का कहना है कि कार्यक्रम से शुरुआती सफलता मिली, लेकिन लंबे समय में इसका कोई स्थायी असर नहीं हुआ। एक अधिकारी ने कहा – “यह मेहनत और खर्च, दोनों के लायक नहीं था (‘The juice wasn’t worth the squeeze’).”

 

2018 में अमेरिकी विशेष निरीक्षक (SIGAR) की रिपोर्ट में भी कहा गया कि अमेरिका की कोई भी ड्रग-विरोधी पहल, जिसमें यह बीज कार्यक्रम भी शामिल था, अफीम की खेती में स्थायी कमी नहीं ला सकी।

 

एक अन्य पूर्व अधिकारी ने कहा –

“यह एक चतुर विचार था, लेकिन आखिर में अफगानिस्तान पहले से ज्यादा मज़बूत होकर उभरा – ठीक उसी तरह जैसे उसकी अफीम की फसल।”

 

अफीम उत्पादन में भारी गिरावट, लेकिन सिंथेटिक ड्रग्स का खतरा बढ़ा

 

संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में अफगानिस्तान में अफीम की खेती घटकर 10,200 हेक्टेयर रह गई, जो 2024 के 12,800 हेक्टेयर से कम है और प्रतिबंध से पहले के 2.32 लाख हेक्टेयर के स्तर से बहुत नीचे है। अफीम उत्पादन लगभग एक-तिहाई घटकर 296 टन रह गया, जिससे किसानों की आमदनी भी आधी हो गई है।

 

रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि लंबे सूखे और कम वर्षा के कारण 40 प्रतिशत से अधिक खेती योग्य भूमि बंजर हो चुकी है। साथ ही, करीब 40 लाख अफगानों की वापसी से रोज़गार और संसाधनों पर दबाव बढ़ा है, जिससे आशंका है कि आर्थिक तंगी किसानों को फिर से अवैध खेती की ओर धकेल सकती है।

 

दूसरी ओर, सिंथेटिक ड्रग्स, खासकर मेथामफेटामाइन (methamphetamine) का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। 2024 के अंत तक इसके ज़ब्त मामलों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। UNODC ने चेतावनी दी है कि अपराधी गिरोह अब सिंथेटिक ड्रग्स की ओर झुक रहे हैं, क्योंकि इन्हें बनाना आसान, पकड़ना मुश्किल और जलवायु प्रभावों से अप्रभावित होता है।

 

निष्कर्ष:

CIA का यह “सीक्रेट सीड ऑपरेशन” जासूसी दुनिया की किसी फिल्म जैसा लगता है – बम या मिसाइलों से नहीं, बल्कि बीजों से दुश्मन की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश।
लेकिन वर्षों की गुप्त कार्रवाई और अरबों डॉलर खर्च करने के बाद भी, अफगानिस्तान की अफीम अर्थव्यवस्था आज भी उतनी ही गहरी जड़ें जमाए हुए है।