अमेरिका का बड़ा वैश्विक दांव: ईरान के मिसाइल-और ड्रोन नेटवर्क में शामिल 32 व्यक्तियों व कंपनियों पर नए प्रतिबंध – भारत की भी फर्में शामिल

अमेरिका ने बुधवार को ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन कार्यक्रमों का समर्थन करने के आरोप में 32 व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ नए आर्थिक एवं यात्रा प्रतिबंध (sanctions) की घोषणा की। इस सूची में ईरान, भारत, चीन, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, जर्मनी और यूक्रेन की फर्में और लोग शामिल हैं। अमेरिकी सरकार का कहना है कि ये नेटवर्क ईरान को ऐसे आवश्यक घटक और रसायन मुहैय्या कराते थे जिनका इस्तेमाल मिसाइल प्रणोदक और असम्बद्ध विस्फोटक तैयार करने में होता है।

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संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के पुनः लागू होने का साथ

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम संयुक्त राष्ट्र की उन प्रतिबंधों (UN snapback sanctions) का समर्थन करता है, जिनके पुनः लागू होने का निर्णय सितंबर के अंत में लिया गया था। पेंटागन और ट्रेजरी के अधिकारी जोर दे रहे हैं कि वैश्विक वित्तीय तंत्र में ईरान की पहुँच काटना और उसकी सशस्त्र एवं असममित क्षमताओं को रोकना अमेरिका की प्राथमिकता है।

जॉन हर्ले, ट्रेज़री के आतंकवाद और वित्तीय खुफिया के अधीन सचिव ने कहा,

 

“ईरान दुनिया भर के वित्तीय तंत्रों का दुरुपयोग कर अपने परमाणु व पारंपरिक हथियार कार्यक्रमों की सामग्री जुटाता, धन शुद्ध करता और अपने प्रॉक्सी गुटों का समर्थन करता है।”

 

हर्ले ने यह भी कहा कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उम्मीद करता है कि वे यूएन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को प्रभावी ढंग से लागू करें।

 

भारत-मूल्य फर्में और MVM नेटवर्क – कैसे जुड़ा मामला

अमेरिकी ट्रेजरी ने जिन संस्थाओं को निशाना बनाया है, उनमें कुछ भारत स्थित संगठन और नागरिक भी शामिल बताए गए हैं। जारी किए गए बयानों में कहा गया कि इन निकायों ने ईरान को मिसाइल-प्रोपेलेंट (जैसे सोडियम क्लोरेट, सोडियम पर्क्लोरेट) जैसे महत्वपूर्ण रासायनिक और तकनीकी चीजें उपलब्ध कराई।

 

विशेष रूप से, अमेरिका ने Farmlane Private Limited (India) का नाम एक ऐसे ग्लोबल नेटवर्क से जोड़ा है जिसका लिंक UAE में स्थित Marco Klinge नामक व्यक्ति के साथ बताया गया है – यह नेटवर्क चीन से मिसाइल-प्रोपेलेंट के घटक मंगवाने में शामिल था। न्यूज़ रिपोर्टों के हवाले से यह भी कहा गया कि चीन में स्थित Ma Jie को ईरानी रक्षा अधिकारियों को चीनी आपूर्तिकर्ताओं से मिलाने में मदद करने पर प्रतिबंधित किया गया है।

 

अमेरिकी बयान के मुताबिक, MVM नामक साझेदारी नेटवर्क को Marco Klinge (UAE से संचालित) और Majid Dolatkhah व Vahid Qayum (ईरान व तुर्की से) द्वारा संचालित करने का आरोप है – और इन पर भी पाबंदी लगाई गई है।

 

पृष्ठभूमि: यूएन की चिंताएँ और हालिया विश्व घटनाक्रम

अमेरिकी कार्रवाई उस अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि पर आई है जहाँ सितंबर के अंत में यूएन सुरक्षा परिषद ने ईरान के परमाणु कर्तव्यों का “प्रमुख असफल होना” बताते हुए कुछ संबंधित प्रतिबंधों को पुन: लागू करने का निर्णय लिया था। इसके अलावा, रिपोर्टों में बताया गया कि इस वर्ष जून में इज़राइल और अमेरिका द्वारा ईरानी न्यूक्लियर स्थलों पर हवाई हमलों और तनाव के बाद संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी को ईरान के ईंधन भंडार तक पहुँच बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

 

अमेरिकी बयान में यह भी जिक्र था कि ये कदम राष्ट्रपति ट्रम्प के “मैक्सिमम प्रेशर” अभियान से मेल खाते हैं – जिसका उद्देश्य ईरान को सैन्य और वित्तीय रूप से अलग-थलग करना है।

 

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव – भारत समेत तीसरे देशों के लिए चेतावनी

अमेरिका ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ ईरानी संस्थाओं को ही लक्षित नहीं कर रहा, बल्कि उन तीसरे देशों में मौजूद एजेंटों व आपूर्तिकर्ताओं को भी चिन्हित करेगा जो ईरान को सामग्री पहुँचाने में मदद कर रहे हैं। यह संकेत दुनियाभर की फर्मों के लिए चेतावनी है कि वे ईरान-सम्बन्धी संवेदनशील आपूर्ति-शृंखलाओं में शामिल होने से दूर रहें, वरना उन्हें वैश्विक वित्तीय और व्यापारिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

 

यह कदम उन कई हालिया कार्रवाइयों की श्रृंखला में है, जिनमें पिछले महीनों में इंडियन नागरिकों और कंपनियों पर भी पहले पाबंदियाँ लगाई जा चुकी हैं – कुछ मामलों में ईरान के साथ ऊर्जा-वाणिज्यिक लेनदेन के आरोप पर।

 

क्या आगे हो सकता है?

  • अमेरिकी प्रतिबंध उन कंपनियों और व्यक्तियों की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय गतिविधियों को सीमित कर देंगे – बैंकिंग लेन-देनों पर रोक, संपत्तियों की फ्रीज़िंग और यात्रा प्रतिबंध शासकीय तौर पर लागू हो सकते हैं।
  • जिन देशों की कंपनियाँ सूचीबद्ध हैं, वे अपनी व्यावसायिक नीतियाँ और सप्लाई-चेन चेक और कड़े कर सकती हैं, जिससे वैश्विक विक्रेता और खरीदार दोनों पर असर पड़ेगा।
  • भारत के व्यवसायिक और सरकारी प्रतिष्ठानों के लिए यह एक सतर्कता का संकेत है – अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन और व्यावसायिक पारदर्शिता अब और अधिक अनिवार्य होगी।

 

निष्कर्ष:

अमेरिका द्वारा 32 व्यक्तियों व संस्थाओं पर लगाए गए यह नए प्रतिबंध वैश्विक स्तर पर ईरान के हथियार और ड्रोन कार्यक्रमों का समर्थन करने वाली आपूर्ति-शृंखलाओं को बाधित करने का हिस्सा हैं। यह कार्रवाई न केवल ईरान पर दबाव बनाए रखने की रणनीति है, बल्कि उन देशों के ठोस संदेश की भी पुष्टि करती है जो किसी भी तरह के गैरकानूनी सैन्य-उपकरण या संवेदनशील सामग्रियों के व्यापार को सहायता देते हैं – भले ही वे तीसरे देशों में स्थित हों।