भारत में ऊर्जा बदलाव की रफ्तार तेज: नीति आयोग ने सुझाया नया संतुलन, ग्रीन हाइड्रोजन सम्मेलन में 2030 का बड़ा लक्ष्य पेश

भारत अपने ऊर्जा क्षेत्र में तेज और व्यापक बदलाव की ओर बढ़ रहा है। एक ओर नीति आयोग ने ऊर्जा बाज़ार की मौजूदा संरचना पर पुनर्विचार की ज़रूरत बताई है, वहीं ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH-2025) में केंद्रीय मंत्रियों ने भारत की भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा रणनीति और वैश्विक नेतृत्व का खाका पेश किया।

India energy transition accelerates

ऊर्जा बाज़ार में सार्वजनिक-निजी संतुलन का समय: सुमन बेरी

ऊर्जा सुरक्षा सम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि भारत को दक्ष और टिकाऊ ऊर्जा तंत्र के लिए सार्वजनिक व निजी भागीदारी का संतुलित मॉडल अपनाना होगा।

 

बेरी के अनुसार-

  • ऊर्जा बाजार की वर्तमान संरचना में व्यापक सुधार की आवश्यकता है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का हाइड्रोकार्बन और बिजली उत्पादन में पारंपरिक प्रभुत्व, ऊर्जा संक्रमण की नई जरूरतों के अनुरूप बदला जाना चाहिए।
  • ऊर्जा सुरक्षा का अर्थ केवल आपूर्ति नहीं, बल्कि साफ, सस्ती और जुझारू ऊर्जा प्रणाली है।
  • भविष्य का विकास क्रांतिकारी तकनीकों से नहीं, बल्कि मौजूदा तकनीकों के बड़े पैमाने पर उपयोग से होगा- खासकर सौर, हाइड्रोजन और अन्य नवीकरणीय स्रोतों से।

 

ग्रीन हाइड्रोजन की वैश्विक मांग का 10% भारत पूरा करेगा

भारत मंडपम में आयोजित ICGH-2025 सम्मेलन में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि भारत 2030 तक विश्व की ग्रीन हाइड्रोजन मांग का 10% हिस्सा हासिल करने की क्षमता रखता है।

 

उन्होंने बताया-

  • भारत का ऊर्जा परिवर्तन दुनिया के सबसे साहसिक और तेज़ परिवर्तनों में से एक है।
  • देश 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता और 2070 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
  • भारत की वर्तमान नवीकरणीय क्षमता 260 GW तक पहुंच चुकी है।

 

नाइक ने कहा कि यह आधार अब भारत को ग्रीन हाइड्रोजन क्रांति की ओर अगला बड़ा कदम उठाने में सक्षम बना रहा है।

 

भारत ग्रीन हाइड्रोजन व्यापार का उभरता वैश्विक केंद्र

मंत्री ने बताया कि भारत का ग्रीन हाइड्रोजन बाज़ार अगले दशक में 20-40% CAGR से बढ़ने का अनुमान है। भारत-

  • सौर और पवन ऊर्जा की प्रचुरता,
  • अनुकूल भू-स्थान,
  • और प्रगतिशील नीति ढांचे

की मदद से दुनिया के प्रमुख ग्रीन हाइड्रोजन निर्यातकों में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है।

 

राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन तेजी से आगे बढ़ा

जनवरी 2023 में शुरू किए गए मिशन के तहत-

  • 17,000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजनाएं लागू हैं।
  • 3,000 MW/वर्ष इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण क्षमता मंजूर।
  • 8.62 लाख MTPA ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन परियोजनाएँ स्वीकृत।
  • SECI ने ग्रीन अमोनिया के विश्व स्तर पर सबसे कम मूल्य की खोज की है।
  • IOCL, BPCL, HPCL रिफाइनरियों के लिए 20,000 MTPA ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट मंजूर।

 

संपूर्ण सरकार” मॉडल से तेज़ी

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन विभिन्न मंत्रालयों और क्षेत्रों के समन्वय का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने बताया-

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी
  • उद्योग-अकादमिक मॉडल
  • और दीर्घकालिक तकनीकी निवेश

भारत की स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था को एकीकृत कर रहे हैं।

 

भारत की बढ़ती वैश्विक वैज्ञानिक और तकनीकी भूमिका

SECI के एमडी आकाश त्रिपाठी और मिशन निदेशक अभय बाकरे ने बताया कि-

  • भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे हाइड्रोजन इकोसिस्टम में शामिल है।
  • ग्रीन अमोनिया और हाइड्रोजन की कीमतों में कमी ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है।
  • ICGH-2025 वैश्विक साझेदारियों और तकनीकी विकास के लिए रणनीति तय करेगा।

 

निष्कर्ष:

निकट भविष्य में भारत-

  • ऊर्जा बाजार में नया संतुलन,
  • ग्रीन हाइड्रोजन में वैश्विक नेतृत्व,
  • और नवाचार-संचालित स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था

कायम करने की ओर बढ़ रहा है। भारत का लक्ष्य सिर्फ स्वच्छ ऊर्जा उपयोग नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा भविष्य का नेतृत्व करना है।